सुविधा- असुविधा का जनक टेलीफोन

सुविधा- असुविधा का जनक टेलीफोन

          आज विज्ञान ने जो भी आविष्कार किया है, उसमें टेलीफोन का महत्त्वपूर्ण स्थान है। यों तो विज्ञान की देन हमारे प्राचीन काल के मंत्र, तंत्र और यंत्र के अध्ययन, मनन और अनुकरण पर ही हुई है। जिस प्रकार से हमारे प्राचीन काल के ऋषियों-महर्षियों ने अपने मंत्र – बल के द्वारा जिस समय और जिससे चाहते थे, बातचीत कर लेते थे, वैसे ही आज टेलीफोन के द्वारा दूर-दराज के क्षेत्रों से किसी प्रकार का बातचीत कर सकते हैं। इससे आनंद का अनुभव भी प्राप्त कर लेते हैं । टेलीफोन का आविष्कार ग्राहम बेल ने किया था ।
          टेलीफोन से अनेकानेक लाभ हैं। टेलीफोन के द्वारा हम घर बैठे अपने कार्यालय के समाचार को अपनी अनुपस्थिति में प्राप्त कर लेते हैं । टेलीफोन के द्वारा यदि कोई छात्र विद्यालय में किसी कारणवश नहीं पहुँच पाता है, तो वह अपने किसी मित्र के घर टेलीफोन कर यह समाचार प्राप्त कर लेता है कि अमुक दिन अमुक अध्यापक ने क्या पढ़ाया- बताया या गृह-कार्य दिया है। टेलीफोन के द्वारा हम किसी दुर्घटनाग्रस्त क्षेत्र की स्थिति या उस स्थान के किसी परिचित से टेलीफोन करके समझ सकते हैं, जिससे हमारा वहाँ जाना उचित है या नहीं अथवा कब तक उचित है और कब तक नहीं । टेलीफोन ही एक ऐसा साधन है, जिसके द्वारा हम प्रत्येक क्षेत्र के जन-सम्पर्कों का आसानी से प्राप्त कर लेते हैं ।
          ग्राह्य बेल के द्वारा आविष्कार किया गया टेलीफोन हमारे जीवन का एक आवश्यक अंग है। इसके बिना हमारा जीवन शायद लंगड़ा और अंधा जैसा दिखाई पड़ता। यों तो विज्ञान ने हमें विभिन्न प्रकार की सुविधाएँ प्रदान की हैं, लेकिन सभी सुविधाओं में टेलीफोन की सुविधा अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। इसने सभी वर्ग को प्राण दिया है। आज़ का चाहे व्यापारी वर्ग हो या अध्यापक वर्ग हो, राजनेता हो या कोई नौकरीपेशा या कोई भी धन्धा करने वाला सामान्य व्यक्ति हो, सभी को टेलीफोन की अत्यन्त आवश्यकता पड़ती है। यह सत्य है कि विज्ञान ने हमारी यात्रा की दूरियों को समाप्त करने के लिए हमें विभिन्न प्रकार के परिवहन और यात्रा के साधन प्रदान किए हैं। इनकी सहायता से हम घण्टों और दिनों का सफर कुछ ही मिनटों में समाप्त कर लेते हैं, लेकिन टेलीफोन की सहायता से तो हम जहाँ वर्षों में भी नहीं पहुँच सकते हैं या जहाँ पहुँचना हमारी शक्ति के लिए असंभव सा लगता है वहाँ कुछ ही मिनटों में बातचीत के द्वारा सम्पर्क करके अपनी इस असुविधा को भूल जाते हैं। अतएव टेलीफोन हमारे लिए एक ऐसी सुविधाजनक विज्ञान प्रदत्त साधन है। इसके द्वारा हमारे सारे कार्य-व्यापार चाहे फौज हो, चाहे पुलिस हो, मंत्रालय, देश-विदेश आदि से सम्पर्क प्राप्त कर लेते हैं ।
          टेलीफोन की सुविधा यह है कि इससे हमारे काम और प्रभाव में तेजी, स्फूर्ति और शीघ्रता आती है । टेलीफोन से जैसे ही खबर मिलती है या हम जैसे ही कोई सम्पर्क प्राप्त करते हैं, हम उससे सम्बन्धित कार्रवाई के लिए कदम उठाने लगते हैं। टेलीफोन आते ही हम, सारे काम-धाम विसार करके टेलीफोन पर अपना ध्यान देने लगते हैं। इस प्रकार से टेलीफोन हमारे सभी काम-धन्धों और जीवन प्रक्रियाओं के लिए महत्त्वपूर्ण सिद्ध होता है । इस प्रकार से हम देखते हैं कि टेलीफोन हमारे जीवन के प्रत्येक अंग को प्रभावित करते हुए हमारे लिए बहुत ही अधिक सुविधाजनक साधन है। टेलीफोन के महत्त्व को समझने के लिए हम यों कह सकते हैं कि जिस प्रकार से आज विद्युत के न होने के कारण कोई कारखाने या उद्योग सहित छोटे-छोटे काम-धन्धों का चलना संभव नहीं है, वैसे ही टेलीफोन के अभाव में हमारा किसी प्रकार का सम्पर्क आज असंभव और अत्यन्त कठिन है। इसलिए टेलीफोन का महत्त्व प्रत्येक वैज्ञानिक उपलिब्धयों से सुविधा की दृष्टि में सर्वाधिक है ।
          टेलीफोन से जितनी बड़ी सुविधा है, उससे कुछ कम तो असुविधा नहीं है, क्योंकि अगर टेलीफोन की लाइन कटी हो या टेलीफोन में कोई गड़बड़ी हो तो हम किसी प्रकार से टेलीफोन से कोई सम्पर्क नहीं प्राप्त कर सकते हैं। इसी प्रकार से हम जब कहीं कोई टेलीफोन करते हैं अगर गलत नम्बर मिल जाता है। तो कुछ देर तक सही नम्बर की तलाश में भटकते फिरते हैं। टेलीफोन की सबसे बड़ी असुविधा एक यह भी है कि कभी-कभी तो टेलीफोन असमय आया करता है। रात के बारह बजे, एकदम तड़के या सोते-पढ़ते या कोई बातचीत करते समय टेलीफोन जब आता है, तब हमें इससे भारी असुविधा हो जाती है। हम झल्ला उठते हैं और मन में यही आता है कि टेलीफोन अगर न हो, तो अच्छा है।
          इस प्रकार से टेलीफोन हमें जहाँ असुविधाएँ देता है, वहाँ इससे कहीं अधिक सुविधाएँ भी प्रदान करता है, जो इसकी लोकप्रियता का मुख्य कारण है ।
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