सीजेआई ने आलोचकों को शायराना अंदाज में दिया जवाब, कहा- ‘मैं दुश्मनों का बड़ा एहतिराम करता हूं’
CJI Farewell: भारत के मुख्य न्यायाधीश रहे जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट से विदाई दी गई. जस्टिस चंद्रचूड़ को सुप्रीम कोर्ट में आयोजित एक फेयरवेल समारोह में विदाई दी गई. कार्यक्रम में सीजेआई ने कई बातें साझा की. सीजेआई ने कहा कि उन्हें देश की सेवा करने का मौका मिला इससे वो काफी संतुष्ट हैं. इस दौरान उन्होंने अपने आलोचकों को भी जवाब दिया. उन्होंने कहा कि अपने आलोचकों को लेकर कहा कि वह शायद सबसे ज्यादा ट्रोल किए जाने वाले जस्टिस हैं. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि वो अपने विरोधियों का भी सम्मान करते हैं.
कार्यक्रम में पढ़ी बशीर बद्र की शायरी
सीजेआई ने अपने आलोचकों को एक शायरी के जरिए जवाब दिया. उन्होंने मशहूर शायर बशीर बद्र की एक उर्दू शायरी के जरिए आलोचकों को जवाब दिया. उन्होंने कहा कि “मुखालिफ से मेरी शख्सियत संवरती है, मैं दुश्मनों का बड़ा एहतिराम करता हूं”. उन्होंने मजाकिया अंदाज में कहा कि सोमवार से उन्हें ट्रोल करने वाले बेरोजगार हो जाएंगे. बता दें सीजेआई चंद्रचूड़ का कार्यकाल रविवार (10 नवंबर) को खत्म हो रहा है.
कार्यकाल में किए कई अहम फैसले
बता दें, अयोध्या भूमि विवाद, अनुच्छेद 370 को हटाना और सहमति से बनाये गए समलैंगिक यौन संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर करने जैसे समाज और राजनीति पर अमिट छाप छोड़ने वाले कई फैसले सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ के नाम दर्ज हैं. शुक्रवार को उनका सुप्रीम कोर्ट में आखिरी दिन था. इसके साथ ही, वकील, सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस और देश की न्यायपालिका के प्रमुख के रूप में उनके एक लंबे करियर का समापन हो गया. उन्होंने दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज एवं दिल्ली विश्वविद्यालय के कैंपस लॉ सेंटर से पढ़ाई की थी. इसके बाद उन्होंने हार्वर्ड लॉ स्कूल से एलएलएम और डॉक्टरेट की डिग्री हासिल की. डीवाई चंद्रचूड़ 9 नवंबर 2022 को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बने थे.
विदाई समारोह में सीजेआई ने दिया भावुक संबोधन
अपने कार्यकाल के इस आखिरी दिन शुक्रवार को सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने भावुक संबोधन दिया. उन्होंने कहा कि अपने विदाई भाषण में कहा कि अगर गलती से भी किसी को मेरे कारण ठेस पहुंची हो तो मुझे माफ कर देना. विदाई समारोह में उन्होंने एक युवा कानून के छात्र के रूप में कोर्ट की अंतिम पंक्ति में बैठने से लेकर सुप्रीम कोर्ट के गलियारों तक के पूरे सफर का जिक्र किया. उन्होंने अपनी न्यायिक यात्रा के लिए कृतज्ञता और विनम्रता के साथ काफी भावनात्मक संबोधन दिया.
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