संसाधन एवं विकास

संसाधन एवं विकास

अध्याय का सारांश

किसी भी देश या समाज की अर्थव्यवस्था की धूरी वहां के संसाधन होते हैं। संसाधनों के अभाव में किसी भी देश का आत्मनिर्भर हो पाना अत्यंत दुष्कर है। मनुष्य न आज जो इतनी उन्नति की है वह निस्संदेह पर्यावरण के साथ अंतः क्रिया का ही परिणाम है। मानव निर्मित संसाधन यद्यपि मनुष्य की प्रगति के सूचक हैं तथापि इनकी आधारशिला प्राकृतिक संसाधन ही है। दूसरी ओर प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग और विकास दोनों ही मनुष्य पर निर्भर हैं। वस्तुतः आज मनुष्य ने अपनी बुद्धि अपने विवेक के बल पर प्राकृतिक संसाधनों को अपने स्वप्न के अनुरूप ढालकर ही आज उन्नति का यह शिखर खड़ा किया है।

संसाधन कई प्रकार के होते हैं। कुछ संसाधन ऐसे होते हैं जो समय के साथ-साथ स्वयं ही बन जाते हैं। इनके भंडार का यदि समुचित योजना के साथ प्रयोग किया जाय तो समाप्त होने का भय नहीं रहता। दूसरी ओर अनेक संसाधन ऐसे हैं जो एक निश्चित मात्रा में ही उपलब्ध हैं और जिनका भंडार एक न एक दिन समाप्त हो ही जाएगा। ऐसे संसाधनों के प्रयोग में और भी अधिक सावधानी बरतने की आवश्कता है। वस्तुतः मनुष्य का दायित्व है कि वह संसाधनों का विकास करे। संसाधन विकास का तात्पर्य संसाधनों के उपयोग के साथ ही उनका संरक्षण और पुन: उपयोग करने से है।

हमारी प्रत्येक पीढ़ी का यह दायित्व बनता है कि आगे वाली पीढ़ी तक संसाधनों को यथेष्ट मात्रा में सौंप सके। साथ ही वर्तमान समय की आवश्यकता ओं की अधिकाधिक पूर्ति कर सके। इन उद्देश्यों की पूर्ति मात्र तभी संभव है जब हम संसाधनों का उचित नियोजन करें। संसाधन नियोजन तीन स्तरों पर संपन्न होता है-
(1) संसाधन अन्वेषण, (2) संसाधन सर्वेक्षण, (3) क्रियान्वयन।

प्रकृति प्रदत्त संसाधनों में से सर्वाधिक प्रमुख संसाधनों में से एक है भमि। भूमि हमारा निवासस्थल है, भूमि से ही हम अन्न ग्रहण करते हैं। भूमि से हमें अमूल्य खनिज मिलते हैं। हमारा नितांत कर्त्तव्य है कि हम भूमि संसाधन का संरक्षण करें। परंतु आज हमारी लापरवाही से, अत्यधिक खनिज उत्खनन से, और कारखानों से उत्पन्न पर्यावरण प्रदुषण से भूमि का बहुत-सा भाग क्षरित हो चुका है। वनों की अंधाधुंध कटाई जहाँ पर्यावरण को हानि पहुँचा रही है वहीं खनिज संपदा व संसाधनों में भी गिरावट का कारण बन रही है। हमें इनमें से प्रत्येक तथ्य पर बल देते हुए ध्यान देकर अपने अमूल्य ससाधनों का संरक्षण और विकास करना चाहिए। साथ ही अपनी अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करना चाहिए।

भूमि के संरक्षण हेतु हमें वनों का संरक्षण करना चाहिए। पर्वतीय क्षेत्रों में कृषि के लिए सीढ़ीदार खेत बनाकर मृदा अपरदन को रोका जा सकता है। वृक्षारोपण से ढ़ालों पर मिट्टी के कटाव को रोका जा सकता है। औद्योगिक अपशिष्टों का उचित प्रकार से अपसारित कर लेने पर भूक्षरण कम किया जा सकता है।

संसाधन एवं विकास Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
भारत की कुल बंजर भूमि में लवण और क्षारीय भूमि का प्रतिशत कितना है?
उत्तर-
6%

प्रश्न 2.
वर्तमान समय में भारत में परती भूमि का प्रतिशत क्या है?
उत्तर-
8%

प्रश्न 3.
वर्तमान में भारत का कितना भाग शुद्ध बोये गये क्षेत्र में आता है?
उत्तर-
43.41%

प्रश्न 4.
भारत के कुल कितने प्रतिशत भूमि उपयोग के आँकड़े हमें उपलब्ध हैं?
उत्तर-
93%

प्रश्न 5.
कपास उत्पादन के लिए कौनसी मिट्टी सर्वाधि क उपयुक्त मानी जाती है?
उत्तर-
काली मिट्टी।

प्रश्न 6.
मरुस्थलीय मिट्टी की कोई दो विशेषताएं बताइए
उत्तर-
1.घुलनशील नमक की अधिकता। 2. जैव पदार्थों की कमी।

प्रश्न 7.
देश के किस भाग में उत्खात भूमि को बीहड़ या खड्ड कहते हैं।
उत्तर-
चंबल घाटी में।

प्रश्न 8.
पर्वतीय मिट्टीयों की दो विशेषताएँ बताइए।
उत्तर-
1. इनमें जैविक अंशों की अधिकता होती है।
2. ये हयूमस से रिक्त होती है।

प्रश्न 9.
चार ऐसी धातुओं के नाम बतायें जो समाप्त होने वाली हैं परंतु जिनका पुनः उपयोग संभव है।
उत्तर-
1. लोहा, 2. ताँबा 3. सोना 4. टिन।

प्रश्न 10.
संसाधन विकास से क्या तात्पर्य है?
उत्तर-
संसाधन विकास का तात्पर्य संसाधनों के उपयोग के साथ-साथ उनके संरक्षण व पुनः उपयोग से भी है।

प्रश्न 11.
देश का कितना भाग पठारीय है?
उत्तर-
1. हमारे देश में पर्वतीय भाग लगभग 30% है।
2. देश के कुल 27% भाग पर पठारों का विस्तार है।

प्रश्न 12.
मृदा क्या है?
उत्तर-
मृदा अर्थात् मिट्टी का तात्पर्य पृथ्वी की भूपर्पटी की सबसे ऊपरी परत से है जो महीन और विखंडित शैलों के चूर्ण से बनी होती है और जो पौधों के लिए उपयोगी है।

प्रश्न 13.
प्रकृति, प्रौद्योगिक एवं संस्थाओं के बीच अंतर्सबंध ‘ को स्पष्ट करें।
अथवा
मानव एक महत्त्वपूर्ण संसाधन है। कैसे?
उत्तर-
हमारे पर्यावरण में उपलब्ध वस्तुओं की रूपांतरण प्रक्रिया प्रकृति, प्रौद्योगिकी और संस्थाओं के परस्पर अंतर्संबंध में निहित है। मानव प्रौद्योगिकी द्वारा प्रकृति के साथ क्रिया करते हैं और अपने आर्थिक विकास की गति को तेज़ करने के लिए संस्थाओं का सृजन करते हैं।

प्रश्न 14.
जैव तथा अजैव संसाधनों के बीच अंतर है?
उत्तर-
जैव संसाधन-इन संसाधनों की प्राप्ति जीवमंडल होती है और इनमें जीवन व्याप्त रहता है। उदाहरणार्थ-मानव, प्राणिजात, वनस्पति जात, मत्स्य-जीवन, पशुधन आदि।
अजैव संसाधान-ऐसे संसाधन निर्जीव वस्तुओं से निर्मित है। उदाहरणार्थ-चट्टानें और धातुएँ।

प्रश्न 15.
नवीनकरण योग्य संसाधन क्या हैं? उदाहरण दीजिये।
उत्तर-
नवीकरण योग्य संसाधन-वे संसाधन जिन्हें भौतिक, रासायनिक या यांत्रिक प्रक्रियाओं द्वारा नवीकृत या पुनः प्राप्त किया जा सकता है, उन्हें नवीकरण योग्य अथवा पुनः पूर्ति योग्य संसाधन कहा जाता है। उदाहरणार्थ, सौर तथा पवन ऊर्जा, जल, वन व वन्य जीवन। इन संसाधनों को सतत् अथवा प्रवाह संसाधनों में बाँटा किया गया है।

प्रश्न 16.
अनवीकरण संसाधन किसे कहते हैं?
उत्तर-
अनवीकरण योग्य संसाधन-इन संसाधनों का विकास एक लंबे भू-वैज्ञानिक अंतराल में होता है। उदाहरणार्थ-खनिज ओर जीवाश्म ईंधन। इनके बनने में लाखों वर्ष लग जाते हैं। इनमें से कुछ संसाधन जैसे धातुएँ पुनः चक्रीय हैं और कुछ संसाधन जैसे जीवाश्म ईंधन अचक्रीय हैं व एक बार के प्रयोग के साथ ही समाप्त हो जाते हैं। .

प्रश्न 17.
सामुदायिक स्वामित्व वाले संसाधन कौन-कौन हैं?
उत्तर-
सामुदायिक स्वामित्व वाले संसाधन-ऐसे संसाधन समुदाय के सभी सदस्यों को उपलब्ध होते हैं। ग्रामों की शामिलात भूमि (चारण भूमि, श्मशान भूमि, तालाब इत्यादि) और शहरी क्षेत्रों के सार्वजनिक पार्क, पिकनिक स्थल और क्रीडास्थल, वहाँ रहने वाले सभी लोगों के लिए उपलब्ध हैं।

प्रश्न 18.
व्यक्तिगत संसाधन किसे कहते हैं? उदाहरण के साथ बताइये।
उत्तर-
व्यक्तिगत संसाधन-संसाधन निजी व्यक्तियों के स्वामित्व में भी होते हैं। बहुत से कृषकों के पास सरकार द्वारा आवंटित भूमि होती है जिसके बदले में वे सरकार को लगान चुकाते हैं। ग्रामों में बहुत से लोग भूमि के स्वामी भी होते हैं और बहुत से लोग भूमिहीन होते हैं। शहरों में लोग भूखंड, घरों व अन्य बगीचे के मालिक होते हैं। बाग-बगीचे, चारागाह, तालाब और कुओं का जल आदि संसाधनों के निजी स्वामित्व के कुछ उदाहरण हैं। अपने परिवार के संसाधनों की एक सूची तैयार कीजिए।

प्रश्न 19.
अंतर्राष्ट्रीय संसाधन से आप क्या समझते हैं?
अथवा
उन संसाधनों को कौन नियंत्रित करता है जो किसी भी देश की सीमा में नहीं आते?
उत्तर-
अंतर्राष्ट्रीय संसाधन-कुछ अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएँ संसाधनों को नियंत्रित करती हैं। तट रेखा से 200 किमी. की दूरी (अपवर्जक आर्थिक क्षेत्र) से परे खुले महासागरीय संसाधनों पर किसी देश का अधिकार नहीं है। इन संसाधनों को अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं की सहमति के बिना उपयोग नहीं किया जा सकता।

प्रश्न 20.
संभावी संसाधन की उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
संभावी संसाधन-वे संसाधन हैं जो किसी प्रदेश में विद्यमान होते हैं परंतु इनका उपयोग नहीं किया गया है। उदाहरणार्थ भारत के पश्चिमी भाग, विशेषकर राजस्थान और गुजरात में पवन और सौर ऊर्जा संसाधनों की असीमित संभावना है, परंतु इनका सही ढंग से विकास नहीं हुआ है।

प्रश्न 21.
विकासित संसाधन किसे कहते हैं?
उत्तर-
विकसित संसाधन-वे संसाधन जिनका सर्वेक्षण किया जा चुका है और उनके उपयोग की गुणवत्ता और मात्रा निर्धारित की जा चुकी है, विकसित संसाधन कहलाते हैं। संसाधनों का विकास प्रौद्योगिकी और उनकी संभाव्यता के स्तर पर आश्रित करता है।

प्रश्न 22.
संसाधनों का समाज में न्यायसंगत बंटवारा आवश्यक क्यों है?
अथवा
हर तरह के जीवन का अस्तित्व बनाए रखने के लिए संसाधनों के उपयोग की योजना बनाना अति आवश्यक है। क्यों?
उत्तर-
मानव जीवन की गुणवत्ता और विश्व शांति बनाए रखने के लिए संसाधनों का समाज में न्यायसंगत बँटवारा आवश्यक हो गया है। यदि कुछ ही व्यक्तियों तथा देशों द्वारा संसाधनों का वर्तमान दोहन जारी रहता है, तो हमारी पृथ्वी का भविष्य संकट में पड़ सकता है।
इसलिए हर तरह के जीवन का अस्तित्व बनाए रखने के लिए संसाधनों के उपयोग की योजना बनाना अति आवश्यक है।
मानव जीवन की गुणवत्ता और विश्व शांति बनाए रखने के लिए संसाधनों का समाज में न्यायसंगत बँटवारा आवश्यक हो गया है। यदि कुछ ही व्यक्तियों तथा देशों द्वारा संसाधनों का वर्तमान दोहन जारी रहता है, तो हमारी पृथ्वी का भविष्य संकट में पड़ सकता है।
इसलिए हर तरह के जीवन का अस्तित्व बनाए रखने के लिए संसाधनों के उपयोग की योजना बनाना अति आवश्यक है।

प्रश्न 23.
सत्त पोषणीय विकास से आपका क्या तात्पर्य
उत्तर-
सतत् पोषणीय विकास-सतत् पोषणीय आर्थिक विकास से अर्थ यह है कि विकास पर्यावरण को बिना हानि
पहुँचाए हो और वर्तमान विकास की प्रक्रिया भविष्य की – पीढ़ियों की आवश्यकता की अवलेहलना न करे।

प्रश्न 24.
किसी क्षेत्र के विकास के लिए किन कारकों की उपलब्धि अनिवार्य हैं?
उत्तर-
1. संसाधनों की उपलब्धता।
2. प्रौद्योगिकी विकास
3. संस्थागत परिवर्तन।

प्रश्न 25.
अंतर स्पष्ट कीजिए
उत्तर-
नवीनकरण संसाधन :

  1. ये निश्चित समय अंतराल पर स्वयं बन जाते हैं
  2. उचित मात्रा में प्रयोग करने पर इनके समाप्त होने भय नहीं रहता।
  3. ये संसाधन कई बार प्रयोग करने पर भी समाप्त नहीं होते।
  4. इनका भंडार असीमित है।
  5. जल, वृक्ष, भूमि मछली आदि इसके उदाहरण हैं।

अनवीनीकरण संसाधन

  1. ये समय अंतराल पर भी स्वयं नहीं बनते।
  2. इनका भंडार खाली होना ही होता है।
  3. ये संसाधन एक बार खनन करने के बाद समाप्त हो जाते हैं।
  4. इनका भंडार सीमित है।
  5. कोयला, खनिज, लोहा आदि इनेक उदाहरण हैं।

प्रश्न 26.
संचित कोष से आप क्या समझते हैं?
उत्तर-
संचित कोष-यह संसाधन भंडार का ही हिस्सा है, जिन्हें उपलब्ध तकनीकी ज्ञान की सहायता से प्रयोग में लाया जा सकता है, परंतु इनका उपयोग अभी आरंभ नहीं हुआ है। इनका उपयोग भविष्य में आवश्यकता पूर्ति हेतु किया जा सकता है। नदियों के जल को विद्युत पैदा करने में प्रयुक्त किया जा सकता है, परंतु वर्तमान समय में इसका उपयोग सीमित पैमाने पर ही हो रहा है। इस प्रकार बाँधों में जल, वन आदि संचित कोष हैं जिनका उपयोग भविष्य में किया जा सकता है।

प्रश्न 27.
मानव द्वारा संसाधनों के अंधाधुंध उपयोग के कारण कौनसी समस्याएं उत्पन्न हो गई हैं?
उत्तर-
मानव द्वारा संसाधनों के अंधाधुंध उपयोग के कारण निम्नलिखित मुख्य समस्याएँ पैदा हो गई हैं।

  1. संसाधनों के अंधाधुंध दोहन से वैश्विक पारिस्थितिकी संकट पैदा हो गया है जैसे भूमंडलीय तापन, ओजोन परत अवक्षय, पर्यावरण प्रदूषण और भूमि निम्नीकरण आदि हैं।
  2. कुछ व्यक्तियों के स्वार्थवश संसाधनों का ह्रास
  3. संसाधन समाज के कुछ ही लोगों के हाथ में आ गए हैं, जिससे समाज दो भागों संसाधन संपन्न एवं संसाधनहीन अर्थात् अमीर और गरीब में बँट गया।

प्रश्न 28.
रियो-डी-जेनेरो पृथ्वी सम्मेलन, 1992 की उपलब्धियाँ बताइये।
उत्तर-
रियो डी जेनेरो पृथ्वी सम्मेलन, 1992-

  1. जून, 1992 में 100 से भी अधिक राष्ट्राध्यक्ष ब्राजील के शहर रियो डी जेनेरो में प्रथम अंतर्राष्ट्रीय पृथ्वी सम्मेलन में एकत्रित हुए।
  2. सम्मेलन का आयोजन विश्व स्तर पर उभरते पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक-आर्थिक विकास की समस्याओं का हल ढूँढने के लिए किया गया था।
  3. इस सम्मेलन में एकत्रित नेताओं ने भूमंडलीय जलवायु परिवर्तन और जैविक विविधता पर एक घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किया।
  4. रियो सम्मेलन में भूमंडलीय वन सिद्धांतों (Forest Principles) पर सहमति जताई और 21वीं शताब्दी में सतत् पोषणीय विकास के लिए एजेंडा 21 को स्वीकृत किया गया ।

प्रश्न 29.
ऐजेंडा 21 पर एक सक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
उत्तर:
एजेंडा 21 यह एक घोषणा है जिसे 1992 में ब्राजील के शहर रियो डी जेनेरो में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण और विकास सम्मेलन (UNCED) के तत्वाधान में राष्ट्राध्यक्षों द्वारा स्वीकृत किया गया था। इसका उद्देश्य भूमंडलीय सतत् पोषणीय विकास प्राप्त करना है। यह एक कार्यसूची है जिसका उद्देश्य समान हितों, पारस्परिक आवश्यकताओं एवं सम्मिलित उत्तदायित्वों के अनुसार विश्व सहयोग के द्वारा पर्यावरणीय क्षति, गरीबी और रोगों से निपटना है। एजेंडा 21 का मुख्य उद्देश्य यह है कि प्रत्येक स्थानीय निकाय अपना स्थानीय एजेंडा 21 तैयार करे।।

प्रश्न 30.
संसाधनों के संरक्षण हेतु अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर किए गये प्रयासों की विवेचना कीजिये।
उत्तर-

  1. अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर व्यवस्थित तरीके से संसाधन संरक्षण की वकालत 1968 में क्लब ऑफ रोम ने की।
  2. 1974 में शुमेसर ने अपनी पुस्तक ‘स्माल इज ब्यूटीफुल’ में इस विषय पर गांधी जी के दर्शन की एक बार फिर से पुनरावृत्ति की है।
  3. 1987 में ब्रुन्टलैंड आयोग रिपोर्ट द्वारा वैश्विक स्तर पर संसाधन संरक्षण में मूलाधार योगदान किया गया। इस रिपोर्ट ने सतत् पोषणीय विकास (Sustainable Development) की संकल्पना प्रस्तुत की और संसाधन संरक्षण की वकालत की। यह रिपोर्ट बाद में हमारा सांझा भविष्य (Our Common Future) शीर्षक से पुस्तक के रूप में प्रकाशित हुई।
  4. इस संदर्भ में एक और महत्त्वपूर्ण योगदान रियो डी जेनेरो, ब्राजील में 1992 में आयोजित पृथ्वी सम्मेलन द्वारा किया गया।

प्रश्न 31.
संसाधन नियोजन के विभिन्न सोपानों का निर्माण कीजिए।
उत्तर-
भारत में संसाधन नियोजन-संसाधन नियोजन एक जटिल प्रक्रिया है, जिसमें निम्नलिखित सोपान हैं –
(क) देश के विभिन्न प्रदेशों में संसाधनों की पहचान कर उनकी तालिका बनाना। इस कार्य में क्षेत्रीय सर्वेक्षण, मानचित्र बनाना और संसाधनों का गुणात्मक एवं मात्रात्मक अनुमान लगाना व मापन करना है।

(ख) संसाधन विकास योजनाएं लागू करने के लिए उपयुक्त प्रौद्योगिकी, कौशल और संस्थागत नियोजन ढाँचा तैयार करना।

(ग) संसाधन विकास योजनाओं और राष्ट्रीय विकास योजना में समन्वय स्थापित करना। स्वाधीनता के बाद भारत में संसाधन नियोजन के उद्देश्य की पूर्ति के लिए प्रथम पंचवर्षीय योजना से ही प्रयास किए गए।

प्रश्न 32.
भारत में पाइ जाने वाली विभिन्न भू-आकृतियों को एक-एक महत्त्व बताईए।
उत्तर-

  • भारत में भूमि पर विभिन्न प्रकार की भू-आकृतियाँ जैसे पर्वत, पठार, मैदान और द्वीप पाए जाते हैं।
  • लगभग 43 प्रतिशत भू-क्षेत्र मैदान हैं जो कृषि और उद्योग के विकास के लिए सुविधाजनक हैं।
  • पर्वत पूरे भू-क्षेत्र के 30 प्रतिशत भाग पर फैला हैं। वे कुछ बारहमासी नदियों के प्रवाह को सुनिश्चित करते हैं, पर्यटन विकास के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ प्रदान करता है और पारिस्थितिकी के लिए महत्त्वपूर्ण है।
  • देश के क्षेत्रफल का लगभग 27 प्रतिशत भाग पठारी क्षेत्र है। इस क्षेत्र में खनिजों, जीवाश्म ईंधन और वनों का अपार संचय कोष है।

प्रश्न 33.
भारत में भूमि निम्नीकरण की समस्या को किस प्रकार सुलझाया जा सकता है।
उत्तर-
भूमि निम्नीकरण की समस्या को सुलझाने के निम्नलिखित तरीके हैं-

  1. वनारोपण
  2. चरागाहों का उचित प्रबंधन
  3. पेड़ों की रक्षक मेखला (shelter belt),
  4. पशुचारण नियंत्रण
  5. रेतीले टीलों को काँटेदार झाड़ियाँ लगाकर स्थिर बनाना
  6. बंजर भूमि के समुचित उचित प्रबंधन,
  7. खनन नियंत्रण
  8. औद्योगिक जल को परिष्करण के पश्चात् विसर्जन

प्रश्न 34.
भारत में जलोढ़ मृदा किन क्षेत्रों में पाई जाती है?
उत्तर-
भारत में जलोढ़ मिट्टी निम्नलिखित क्षेत्रों में पाई जाती हैं-

  1. संपूर्ण उत्तरी मैदान जलोढ़ मृदा से बना है।
  2. एक सँकरे गलियारे के द्वारा ये मिट्टियाँ राजस्थान और गुजरात तक फैली हैं।
  3. पूर्वी तटीय मैदान, विशेषकर महानदी, गोदावरी, कृष्णा और कावेरी नदियों के डेल्टे भी जलोढ़ मिट्टी से बने हैं।

प्रश्न 35.
मानव प्राणियों के लिए संसाधन क्यों आवश्यक हैं?
उत्तर-
मानव प्राणियों के लिए संसाधनों की आवश्यकता निम्नलिखित कारणों से हैं-

  • प्राकृतिक संसाधन मनुष्यों की मूलभूत आवश्कताओं की पूर्ति के आधार स्तंभ हैं।
  • प्राकृतिक संसाधनों के अभाव में जीवन की कल्पना असंभव है क्योंकि ऐसे में उसके पास ने भोजन को अन्न होगा न सांस लेने को हवा ही होगी।
  • मनुष्य के विकास और शक्ति संपन्न होने में भी संसाध नों की भूमिका है।
  • प्राकृतिक संसाधनों के अभाव में विज्ञान हो या तकनीक, कोई भी विकास संभव नहीं।
  • रहने के लिए घर पहनने के वस्त्र, खाने को अन्न सभी कुछ मनुष्य संसाधन से ही प्राप्त करता है।
  • संसाधनों में मानव निर्मित संसाधनों की भूमिका भी कोई कम नहीं। यातायात के संसाधनों में मानव निर्मित संसाध नों के ही भिन्न-भिन्न रूप हैं।

प्रश्न 36.
भारत में संसाधन नियोजन की आवश्यकता क्यों हैं?
उत्तर-

  • संसाधनों के विवेकपूर्ण उपयोग के लिए नियोजन एक सर्वमान्य रणनीति है। अतः भारत जैसे देश में जहाँ संसाधनों की उपलब्धता में बहुत अधिक विविधता है, यह और भी महत्त्वपूर्ण है।
  • यहाँ ऐसे प्रदेश भी हैं जहाँ एक तरह के संसाधनों की प्रचुरता है, परंतु दूसरे तरह के संसाधनों की कमी है।
  • कुछ ऐसे प्रदेश भी हैं जो संसाधनों की उपलब्धता के संदर्भ में आत्मनिर्भर हैं कुछ ऐसे भी प्रदेश हैं जहाँ महत्त्वपूर्ण संसाधनों की अत्यधिक अभाव है।
  • उदाहरणार्थ-झारखंड, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ आदि प्रांतों में खनिजों और कोयले के प्रचुर भंडार हैं। अरुणाचल प्रदेश में जल संसाधन प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं, परंतु मूल विकास की कमी है।
  • राजस्थान में पवन और सौर ऊर्जा संसाधनों की बहुतायत है, लेकिन जल संसाधनों की कमी है।
  • लद्दाख का शीत मरुस्थल देश के अन्य भागों से अलग-थलग पड़ता है। यह प्रदेश सांस्कृतिक विरासत का धनी
    है परंतु यहाँ जल, आधारभूत अवसंरचना तथा कुछ महत्त्वपूर्ण खनिजों का अभाव है। इसलिए राष्ट्रीय, प्रांतीय, प्रादेशिक और स्थानीय स्तर पर संतुलित संसाधन नियोजन की आवश्यकता है।

प्रश्न 37.
भू-संसाधनों के उपयोग की विस्तृत टिप्पणी कीजिए।
अथवा
भू-संसाधनों के उपयोग का क्या उद्देश्य हैं?
उत्तर-
भू-संसाधनों का उपयोग निम्नलिखित उद्देश्यों से किया जाता है
1. वन

2. कृषि के लिए अनुपलब्ध भूमि
(अ) बंजर तथा कृषि अयोग्य भूमि
(ब) गैर-कृषि प्रयोजनों में लगाई गई भूमि -जैसे इमारतें, सड़क, उद्योग इत्यादि।

3. परती भूमि के अतिरिक्त अन्य कृषि अयोग्य भूमि
(अ) स्थायी चरागाहें तथा अन्य गोचर भूमि
(ब) विविध वृक्षों, वृक्ष फसलों, तथा उपवनों के अधीन भूमि (जो शुद्ध बोए गए क्षेत्र में शामिल नहीं है)
(स) कृषि योग्य बंजर भूमि जहाँ पाँच से अधिक वर्षों से खेती न की गई हो।

4. परती भूमि
(अ) वर्तमान परती (जहाँ एक कृषि वर्ष या उससे कम समय से खेती न की गई हो)
(ब) वर्तमान परती भूमि के अतिरिक्त अन्य परती भूमि या पुरातन परती (जहाँ 1 से 5 कृषि वर्ष से खेती न की गई
हो)

5. शुद्ध (निवल) बोया गया क्षेत्र
एक कृषि वर्ष में एक बार से अधिक बोए गए क्षेत्र को शुद्ध (निवल) बोए गए क्षेत्र में जोड़ दिया जाए तो वह सकल कृषित क्षेत्र कहलाता है।

प्रश्न 38.
भू-उपयोग के दो वृत चित्रों की तुलना करके पता लगाएं कि 1960-61 और 2002-03 के बीच शुद्ध (निवल) बोये गये क्षेत्र और वनों के अंतर्गत भूमि में बहुत सीमित परिवर्तन ही क्यों आया है?
HBSE 10th Class Social Science Solutions Geography Chapter 1 संसाधन एवं विकास 2


उत्तर-
1. स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात हमारे देश की जनसंख्या में तेजी से वृद्धि हुई। जिससे एक बड़ी जनसंख्या को भोजन उपलब्ध कराने की समस्या खड़ी हो गई।
2. परंतु सत्तर के दशक में आई हरित क्रांति से प्रति हेक्टेयर उपज बढ़ गई। जिससे बढ़ती जनसंख्या को भोजन उपलब्ध कराने की समस्या का समाधान हो गया।
3. इस दौरान शुद्ध बोये गये क्षेत्र में वृद्धि नहीं हुई थी अपितु प्रति हेक्टेयर उपज में वृद्धि हुई। अतः 1960-61 और 2002-03 के बीच शुद्ध निवल बोये गये क्षेत्र में बहुत सीमित परिवर्तन ही आया है।
4. स्वतंत्रता से पहले तथा बाद के आरंभिक दिनों में हमारे देश में वनों की अंधाधुंध कटाई की गई। विभिन्न उद्योगों के विकास, कृषि कार्य तथा आवास के लिए भूमि निर्माण के उद्देश्य से ऐसा किया गया।
5. वनों की अंधाधुंध कटाई से अनेक समस्याएँ उत्पन्न हुई जिनके कारण सरकार द्वारा वनों के सुरक्षा तथा संरक्षा संबंधी अनेक नीतियाँ बनाई गइ।
6. इनके लागू हो जाने के बाद वनों की कटाई की दर में कमी आई। जिससे वनों का घटता ग्राफ थम गया। अत: 1960-61 और 2002-03 के बीच वनों के अंतर्गत भूमि में बहुत सीमित परिवर्तन ही देखने को मिलता है।

प्रश्न 39.
काली मिट्टी की छः विशेषताएं बताइए।
उत्तर-
1. काली मिट्टी कपास की खेती के लिए उचित मानी जाती है
2. काली मिट्टी सूक्ष्म कणों अर्थात् मृत्तिका से निर्मित है।
3. इसकी नमी धारण करने की क्षमता बहुत होती है।
4. ये मृदाएँ कैल्शियम कार्बोनेट, मैगनीशियम, पोटाश और चूने जैसे पौष्टिक तत्त्वों से परिपूर्ण होती हैं।
5. इनमें फास्फोरस की मात्रा कम होती है।
6. गर्म और शुष्क मौसम में इन मृदाओं में गहरी दरारें पड़ जाती हैं जिससे इनमें वायु मिश्रण हो जाता है।

प्रश्न 40.
जलोढ़ मिट्टी की छः विशेषताएं बताइए।
उत्तर-
1. जलोढ़ मिट्टी बहुत उपजाऊ होती हैं।
2. अधिकतर जलोढ़ मिट्टियाँ पोटाश, फास्फोरस और चूनायुक्त होती हैं।
3. ये मिटिटयाँ गन्ने, चावल, गेहूँ और अन्य अनाजों और दलहन फसलों की खेती के लिए उपयुक्त होती है।
4. शुष्क क्षेत्रा की मृदाए आधिक क्षारीय होती है।
5. जलोढ़ मृदा वाले क्षेत्रों में गहन कृषि की जाती है।
6. जलोढ़ मिट्टी वाले क्षेत्रों जनसंख्या घनत्व भी अधिक होता है।

प्रश्न 41.
मृदा निर्माण की प्रक्रिया का विवरण दीजिये।
उत्तर-
मिट्टी अथवा मृदा सबसे महत्त्वपूर्ण नवीकरण योग्य प्राकृतिक संसाधन है। यह पौधों के विकास का माध्यम है जो पृथ्वी पर विभिन्न प्रकार के जीवों पोषक है। मृदा एक जीवंत तंत्र है। कुछ सेंटीमीटर गहरी मृदा बनने में लाखों वर्ष लग जाते हैं। मृदा बनने की प्रक्रिया में उच्चावच, जनक शैल अथवा

HBSE 10th Class Social Science Solutions Geography Chapter 1 संसाधन एवं विकास 3

संस्तर शैल, जलवायु, वनस्पति और अन्य जैव पदार्थ और समय मुख्य कारक हैं। प्रकृति के विविध तत्त्व जैसे तापमान परिवर्तन, जलप्रवाह जल की क्रिया, वायु, हिमनदी और अपघटन क्रियाएँ आदि मृदा बनने की प्रक्रिया में महत्त्वपूर्ण भूमिका देती हैं। मृदा में होने वाले रासायनिक और जैविक परिवर्तन भी महत्त्वपूर्ण हैं। मृदा जैव (ह्यूमस) और अजैव दोनों प्रकार के पदार्थों से निर्मित होती है।

संसाधन एवं विकास Textbook Questions and Answers

1. बहुवैकल्पिक प्रश्न

(i) लौह अयस्क किस प्रकार का संसाधन है?
(क) नवीकरण योग्य
(ख) प्रवाह
(ग) जैव
(घ) अनवीकरण योग्य
उत्तरः
(घ) अनवीकरण योग्य

(ii) ज्वारीय ऊर्जा निम्नलिखित में से किस प्रकार का संसाधन है?
(क) पुनः पूर्ति योग्य
(ख) अजैव
(ग) मानवकृत
(घ) अचक्रीय
उत्तरः
(क) पुनः पूर्ति योग्य

(iii) पंजाब में भूमि निम्नीकरण का निम्नलिखित में से मुख्य कारण क्या है?
(क) गहन खेती
(ख) अधिक सिंचाई
(ग) वनोन्मूलन
(घ) अति पशुचारण
उत्तरः
(ख) अधिक सिंचाई

(iv) निम्नलिखित में से किस प्रांत में सीढ़ीदार (सोपानी) कृषि की जाती है?
(क) पंजाब
(ख) उत्तर प्रदेश के मैदान
(ग) हरियाणा
(घ) उत्तरांचल
उत्तरः
(घ) उत्तराखण्ड

(v) इनमें से किस राज्य में काली मृदा (मिट्टी) पाई जाती है?
(क) जम्मू और कश्मीर
(ख) राजस्थान
(ग) गुजरात
(घ) झारखंड
उत्तरः
(ग) गुजरात

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए।

(i) तीन राज्यों के नाम बताएँ जहाँ काली मृदा पाई जाती है। इस पर मुख्य रूप से कौन सी फसल उगाई जाती
है?
उत्तरः
जहाँ काली मृदा पाई जाती है वे तीन राज्य निम्नलिखित हैं
(i) महाराष्ट्र (ii) मालवा (iii) मध्यप्रदेश
काली मृदा (मिट्टी) कपास की खेती के लिए मुख्य रूप से उपयुक्त मानी जाती है। काली मृदा को ‘रेगर’ मृदा भी कहते हैं।

(ii) पूर्वी तट के नदी डेल्टाओं पर किस प्रकार की मृदा पाई जाती है? इस प्रकार की मृदा की तीन मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
उत्तरः
पूर्वी तट के नदी डेल्टाओं पर जलोढ़ मृदा पाइ जाती है।
जलोढ़ मृदा की तीन प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित है
(ii) जलोढ़ मृदा में रेत, सिल्ट और मृत्तिका के विभिन्न अनुपात पाए जाते हैं।
(iii) अधिकांशतः जलोढ़ मृदाएँ पोटाश, फास्फोरस और चूनायुक्त होती है।

(iii) पहाड़ी क्षेत्रों में मृदा अपरदन की रोकथाम के लिए क्या कदम उठाने चाहिए?
उत्तरः
पहाड़ी क्षेत्रों में मृदा अपरदन की रोकथाम हेतु निम्नलिखित कदम उठाने चाहिए
(क) ढाल वाली भूमि पर कृषि हेतु सोपान बनाने चाहिए।
(ख) वृक्षों को पंक्तिबद्ध कर रक्षक (Shelter belt) मेखला बनाना।
(घ) पशुचारण रोककर

(iv) जैव और अजैव संसाधन क्या होते हैं? कुछ उदाहरण दें।
उत्तरः
जैव संसाधन-इन संसाधनों की प्राप्ति जीवमंडल होती है और इनमें जीवन व्याप्त रहता है। उदाहरणार्थ-मानव, प्राणिजात, वनस्पति जात, मत्स्य-जीवन, पशुधन आदि।
अजैव संसाधान-ऐसे संसाधन निर्जीव वस्तुओं से निर्मित है। उदाहरणार्थ-चट्टानें और धातुएँ।

3.निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 120 शब्दों में दीजिए।

(i) भारत में भूमि उपयोग प्रारूप का वर्णन करें। वर्ष 1960-61 से वन के अंतर्गत क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण वृद्धि नहीं हुई, इसका क्या कारण है?
उत्तर:
भारत में भूमि उपयोग प्रारम्भ 2002-2003 भारत का कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 32.8 लाख वर्ग कि.मी. है परन्तु इसके 93% भाग के ही भू-उपयोग आँकड़े प्राप्त हैं। स्थायी चरागाहों के अन्तर्गत भूमि कम हुई है। वर्तमान परती भूमि के अलावा अन्य परती भूमि अनुपजाऊ है। शुद्ध (निवल) बोये गए क्षेत्र का प्रतिशत भी विभिन्न राज्यों में भिन्न-भिन्न है। पंजाब और हरियाणा में 80% भूमि पर तो अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, मणिपुर और अंडमान निकोबार दीपसमूह में 10% से भी कम क्षेत्र बोया जाता है।

भारत में वनों के अन्तर्गत 33% भौगोलिक क्षेत्र वांछित है। जिसकी तुलना में वन के अन्तर्गत क्षेत्र काफी कम है। वन क्षेत्रों के आस-पास रहने वाले लाखों लोगों की आजीविका इस पर आश्रित है। गैर कृषि प्रयोजनों में लगाई भूमि में बस्तिया. सड़कें, रेल लाइन, उद्योग इत्यादि आते हैं। लम्बे समय तक निरन्तर भूमि संरक्षण और प्रबन्धन की अवहेलना करने एवं निरन्तर भू-उपयोग के कारण भू-संसाधनों का निम्नीकरण हो रहा है। इसके कारण पर्यावरण पर गंभीर आपदा आ सकती है।
वर्ष 1960-61 से वन के अन्तर्गत क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण वृद्धि नहीं हो पाई क्योंकि बड़े पैमाने पर वनों की कटाई की जा रही है।

(ii) प्रौद्योगिक और आर्थिक विकास के कारण संसाधनों का अधिक उपभोग कैसे हुआ है?
(क) उद्योगों की स्थापना के परिणामस्वरूप अधिक उत्पादन होता है जिसके अधिक कच्चे माल की आवश्यकता होती है।
(ख) आर्थिक विकास के फलस्वरूप लोगों की आय में वृद्धि होने से भी अधिक मात्र में उत्पादों की आवश्यकता होती है।
उपरोक्त कारणों से संसाधनों का अधिक उपयोग होता है। परन्तु संसाधनों का विवेकहीन उपभोग और अति उपभोग के कारण कई सामाजिक-आर्थिक और पर्यावरणीय समस्याएँ पैदा हो सकती है। गांधी जी ने संसाधनों के संरक्षण पर अपनी इन शब्दों में व्यक्त की है-“हमारे पास हर व्यक्ति की आवश्यकता पूर्ति हेतु बहुत कुछ है, लेकिन किसी के लालच की संतुष्टि के लिए नहीं। अर्थात् हमारे पास पेट भरने के लिए बहुत है लेकिन पेटी भरने के लिए नहीं।

यहाँ यह कहना अति आवश्यक है कि संसाधनों के अधि क उपयोग से अनवीकरण संसाधनों की जैसे-पेट्रोल, डीजल, गैस आदि शीघ्र समाप्त होने की संभावना बन गई है। यह चिन्ताजनक विषय है।

परियोजना/क्रियाकलाप

1. अपने आस पास के क्षेत्रों में संसाधनों के उपभोग और संरक्षण को दर्शाते हुए एक परियोजना तैयार करें।
2. आपके विद्यालय में उपयोग किए जा रहे संसाधनों के संरक्षण विषय पर अपनी कक्षा में एक चर्चा आयोजित करें।
3. वर्ग पहेली को सुलझाएँ ऊर्ध्वाधर और क्षैतिज छिपे उत्तरों को ढूंढे।
नोट : पहेली के उत्तर अंग्रेजी के शब्दों में हैं।
HBSE 10th Class Social Science Solutions Geography Chapter 1 संसाधन एवं विकास 1

(i) भूमि, जल, वनस्पति और खनिजों के रूप में प्राकृतिक सम्पदा
(ii) अनवीकरण योग्य संसाधन का एक प्रकार
(iii) उच्च नमी रखाव क्षमता वाली मृदा
(iv) मानसून जलवायु में अत्यधिक निक्षालित मृदाएँ
(v) मृदा अपरदन की रोकथाम के लिए बृहत् स्तर पर पेड़ लगाना
(vi) भारत के विशाल मैदान इन मृदाओं से बने हैं।
उत्तर-
(i) RESOURCE,
(ii) MINERALS,
(iii) BLACK,
(iv) LATERITE,
(v) AFFORESTATION,
(vi) ALLUVIAL.

The Complete Educational Website

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *