विष के दांत

विष के दांत

Hindi ( हिंदी )

लघु उतरिये प्रश्न

प्रश्न 1. खोखा किन मामलों में अपवाद था ?

उत्तर ⇒ सेन साहब एक अमीर आदमी थे। खोखा उनके बुढ़ापे की आँखों का तारा था। इसीलिए मिसेज सेन ने उसे काफी छूट दे रखी थी। खोखा जीवन के नियम का जैसे अपवाद था और इसलिए यह भी स्वाभाविक था कि वह घर के नियमों का भी अपवाद था।


प्रश्न 2. सेन साहब काशु को विद्यालय पढ़ने के लिए क्यों नहीं भेजते ।

उत्तर ⇒ सेन साहब काशु को बिजनेसमैन और इंजीनियर बनाना चाहते हैं। इसके लिए वे आजकल की पढ़ाई-लिखाई को फिजूल समझते हैं और अपने घर पर ही बढ़ई मिस्त्री के साथ कुछ ठोक-पीट करने का इन्तजाम कर दिया है।


प्रश्न 3. विष के दाँत शीर्षक कहानी का नायक कौन है? तर्कपर्ण उत्तर दें।

उत्तर ⇒ ‘विष के दाँत’ कहानी में मदन ऐसा पात्र है जो अहंकारी के अहंकार को नहीं सहन करता है बल्कि उसका स्वाभिमान जाग्रत होता है और वह ‘खोखा’ जैसे बालक को ठोकर देकर वर्षों से दबे अपने पिता की आँखें भी खोल देता है। . सम्पूर्ण कहानी में मदन की क्रांतिकारी भूमिका है। अतः इसका नायक मदन है।


प्रश्न 4. ‘विष के दाँत’ शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।

उत्तर ⇒ ‘विष के दाँत’ शीर्षक महल और झोपड़ी की लड़ाई की कहानी है। मदन द्वारा पिटे जाने पर खोखा के जो दाँत टूट जाते हैं वे अमीरों की प्रदर्शन-प्रियता और गरीबों पर उनके अत्याचार के विरुद्ध एक चेतावनी है, सशक्त विद्रोह है। यही इस कहानी का लक्ष्य है। अतः निसंदेहं कहा जा सकता है कि ‘विष के दाँत’ इस दृष्टि से बड़ा ही सार्थक शीर्षक है। अमीरों के विष के दाँत तोड़कर मदन ने जिस उत्साह, ओज और आग का परिचय दिया है वह समाज के जाने कितने गिरधर लालों के लिए गर्वोल्लास की बात है। इसमें लेखक द्वारा दिया गया संदेश मार्मिक बन पड़ा है।


प्रश्न 5. मदन और ड्राइवर के बीच के विवाद के द्वारा कहानीकार क्या बताना चाहता है ?

उत्तर ⇒ मदन और ड्राइवर के बीच विवाद के द्वारा कहानीकार बताना चाहते हैं कि अपने पर किये गये अत्याचार का विरोध करना पाप नहीं है। सेन साहब की नयी चमकती काली गाड़ी को केवल छूने भर के तथाकथित अपराध के लिए मदन शोफर द्वारा घसीटा जाता है। यह गरीब बालक पर अत्याचार है। मदन द्वारा उसका मुकाबला करना अत्याचारियों पर विजय प्राप्त करने का प्रयास है।


प्रश्न 6. काश का चरित-चित्रण करें।

उत्तर ⇒ काशू समृद्ध पिता का शोख लड़का है। माता-पिता और बहनों का अतिशय प्रेम पाकर उसके स्वभाव में एक प्रकार का दुराग्रह व्याप्त हो गया है। वह जिद्दी स्वभाव का है, उसके मन में जो आता है, वही करता है। उसमें अहंकारवृत्ति भी है।


प्रश्न 7. सेन साहब के परिवार में बच्चों के.पालन-पोषण में किए जा रह लिंग-आधारित भेदभाव का अपने शब्दों में वर्णन कीजिए।

उत्तर ⇒ सेन साहब अमीर आदमी थे। उनकी पाँच लड़कियाँ थीं एवं एक लडका था । उस परिवार में लडकियों के लिए घर में अलग नियम तथा शिक्षा का लेकिन लड़का के लिए अलग नियम एवं अलग शिक्षा ।।


प्रश्न 8. आपकी दृष्टि में कहानी का नायक कौन है? तर्कपूर्ण उत्तर दें।

उत्तर ⇒ हमारी दृष्टि में ‘विष के दाँत’ शीर्षक कहानी का नायक मदन है। इसम मदन का ही चरित्र है जो सबसे अधिक प्रभावशाली है। पूरी कथावस्तु चरित्र का महत्त्व है। खोखे के विष के दाँत उखाड़ने की महत्त्वपूर्ण घटना का भी वही संचालक है।


प्रश्न 9. आरंभ से ही कहानीकार का स्वर व्यंग्यपूर्ण है। ऐसे कुछ प्रमाण उपस्थित करें।

उत्तर ⇒ ‘विष के दाँत’ कहानी के प्रारंभ में मोटर कार की बात की प्रस्तुति व्यंग्यात्मक शैली में है। उनके लड़कियाँ के गुणों की चर्चा, सेन साहब द्वारा खोखा को एक इंजीनियर के रूप में देखना, उसकी हमेशा प्रशंसा करना भी लेखक का व्यंग्य ही है।


दीर्घ उतरिये प्रश्न

 

प्रश्न 1. “विष के दाँत’ कहानी का सारांश लिखें। अथवा, “विष के दाँत’ कहानी में सामाजिक समानता और मानवाधिकार की बानगी है। कैसे ? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर ⇒सेन साहब को अपनी कार पर बड़ा नाज था। घर में कोई ऐसा न था जो गाड़ी तक बिना इजाजत फटके। पाँचों लड़कियाँ माता-पिता का कहना अक्षरशः पालन करतीं। किन्तु बुढ़ापे में उत्पन्न खोखा पर घर का कोई नियम लागू न होता था। अतः गाड़ी को खतरा था तो इसी खोखा अर्थात् काशू से।
सेन साहब अपने लाड़ले को इंजीनियर बनाना चाहते थे। ये बड़ी शान से मित्रों से अपने बेटे की काबिलियत की चर्चा करते थे। एक दिन मित्रों की गप्प-गोष्ठी और काशू के गुण-गान से उठे ही थे कि बाहर गुल-गपाड़ा सुना। निकले तो देखा कि गिरधर की पत्नी से शोफर उलझ रहा है और उसका बेटा मदन शोफर पर झपट रहा है। शोफर ने कहा कि मदन गाड़ी छू रहा था और मना करने पर उधम मचा रहा है। सेन साहब ने मदन की माँ को चेतावनी दी और अपने किरानी गिरधर को बुलाकर डाँटा-अपने बेटे को सँभालो। घर आकर गिरधर ने मदन को खूब पीटा।
दूसरे दिन बगल वाली गली में मदन दोस्तों के साथ लटू खेल रहा था। काशू भी खेलने को मचल गया। किन्तु मदन ने लटू देने से इनकार कर दिया। काशू की आदत तो बिगड़ी थी ही। बस, आदतवश हाथ चला दिया। मदन भी पिल पड़ा और मार-मार कर काशू के दाँत तोड़ दिए।
देर रात मदन घर आया तो सुना कि सेन साहब ने उसके पिता को नौकरी से हटा दिया है और आउट हाउस से भी जाने का हुक्म दिया है। मदन के पैर से लोटा लुढ़क गया। आवाज सुनकर उसके माता-पिता निकल आए। मदन मार खाने को तैयार हो गया। गिरधर उसकी ओर तेजी से बढ़ा किन्तु सहसा उसका चेहरा बदल गया। उसने मदन को गोद में उठा लिया-‘शाबास बेटा …… एक मैं हूँ ….. और एक तू है जो खोखा के दो-दो दाँत तोड़ डाले।’

इस प्रकार हम देखते हैं कि कहानीकार ने ‘विष के दाँत’ उच्च वर्ग के सेन साहब की महत्त्वाकांक्षा, सफेदपोशी के भीतर लड़के-लड़कियों में विभेद भावना, नौकरी-पेशा वाले गिरधार की हीन-भावना और उसके बीच अन्याय का प्रतिकार करनेवाली बहादुरी और साहस के प्रति प्यार और श्रद्धा को प्रस्तुत करते हुए प्यार-दुलार के कुपरिणामों को बखूबी दर्शाया है।


प्रश्न 2. सेन साहब के परिवार में बच्चों के पालन-पोषण में किए जा रहे लिंग-आधारित भेद भाव का अपने शब्दों में वर्णन कीजिए।

उत्तर ⇒सेन साहब अमीर आदमी थे। उनकी पाँच लड़कियाँ थीं एवं एक । लड़का था। उस परिवार में लड़कियों के लिए घर में अलग नियम तथा शिक्षा थी। लेकिन लड़का के लिए अलग नियम एवं अलग शिक्षा । लड़कियों के लिए सामान्य शिक्षा की व्यवस्था थी। वहीं खोखा को प्रारंभ से ही इंजीनियर के रूप में देखा जा रहा था । लड़कियाँ कठपुतली स्वरूप थीं। उन्हें क्या नहीं करना चाहिए यह पूरी तरह से सिखाया गया था। दूसरी ओर खोखा (लड़का) के दुर्ललित स्वभाव के अनुसार सिद्धान्तों को बदल देना सेन परिवार के लिए सामान्य बात थी। इस तरह से उस परिवार में लिंग-आधारित भेद भाव व्याप्त था।


सप्रसंग व्याख्या

प्रश्न 1. खोखा के दुर्ललित स्वभाव के अनुसार ही सेनों ने सिद्धांतों को भी बदल लिया था सप्रसंग व्याख्या करें।

उत्तर ⇒प्रस्तुत अंश नलिन विलोचन शर्मा के ‘विष के दाँत’ शीर्षक से लिया गया है। सेन-दंपत्ति न अपनी लड़कियों को सभ्यता, सुसंस्कार का पाठ पढ़ाये थे। वे अपने घर में शिष्टता का व्यवहार कायम करने के लिए अपनी पाँचों बेटियों को सुशिक्षित करने का भरपूर प्रयास किये थे। लेकिन, जब खोखा का आविर्भाव हुआ तब वह जीवन का अपवाद समझा गया एवं उसका पालन-पोषण अत्यधिक लाड़-प्यार से किया जाने लगा। लाड़-प्यार के कारण वह गलती भी करता तो उसकी गलतियों के अलग तर्क दिए जाते । मोटरगाड़ी में कुछ हानि भी पहुँचाता तो उसे संभावित इंजीनियर के रूप में देखा जाता । उसके लिए शिक्षा के सिद्धान्त भी अलग तैयार किया गया, अर्थात् खोखा को जीवन के वास्तविक आदर्शों के अनुसार चलने का तालीम नहीं देकर सेनों ने उसके स्वभाव, व्यवहार के मुताबिक सिद्धान्तों को ही बदल लिया था।


प्रश्न 2. ऐसे ही लड़के आगे चलकर गुंडे, चोर और डाकू बनते हैं सप्रसंग व्याख्या करें।

उत्तर ⇒ प्रस्तुत अंश नलिन विलोचन शर्मा के ‘विष के दाँत’ शीर्षक से ली गई है। प्रस्तुत पंक्ति में सेन साहब के कथन के माध्यम से बताया गया है कि महलों में निवास करने वाले अपने को मर्यादित समझते हैं और झोपड़ी में रहने वाले को दमन करने में अपना शान समझते हैं। उन्हें अपना बच्चा होनहार इंजीनियर दिखाई देता है जबकि झोपड़ी में पलने वाला प्रतिभावान बच्चा भावी गुण्डा, चोर और डाकू नजर आता है। साहस के साथ अन्याय, अत्याचार का विरोध करनेवाला नालायक कहलाता है। सेन साहब की नयी चमकती काली गाड़ी को केवल छूने भर के तथाकथित अपराध के लिए मदन के प्रति ऐसे शब्द कहकर उसके पिता को प्रताड़ित किया जाता है।


प्रश्न 3. लड़कियाँ क्या हैं, कठपुतलियाँ हैं और उनके माता-पिता को इस बात का गर्व है। सप्रसंग व्याख्या करें।

उत्तर ⇒ प्रस्तुत पंक्ति ‘विष के दाँत’ शीर्षक कहानी से ली गयी है और इसके लेखक हिन्दी के यशस्वी समालोचक, साहित्यकार पं. नलिन विलोचन शर्मा हैं । इसमें . सेन साहब के लड़कियों के विषय में चर्चा की गयी है । उनको पाँच लड़कियाँ थीं। पाँचों सुशील, तहजीब और तमीज की जीती-जागती मूरत । सेन-दंपत्ति ने उन्हें क्या. करना चाहिए की जगह क्या नहीं करना चाहिए की बात सिखाने पर अधिक ध्यान दिया है। उनकी बच्चियाँ कठपुतली मात्र बनकर रह गयी हैं। इन पंक्तियाँ के माध्यम से बेटा-बेटी में भेदभाव पर प्रकाश डाला गया है। लड़कियों को स्वच्छंद होकर विकसित होने का अवसर नहीं दिया गया। साथ ही माता-पिता को इसकी चिंता नहीं है कि लड़कियों को विकास का सुअवसर मिले, बल्कि उनका सीमित जीवन-शैली ही उनके लिए गौरव की बात है।

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