वन और वन्य जीव संसाधन

वन और वन्य जीव संसाधन

अध्याय का सारांश

हमारे जीवन में वनों का अत्यंत महत्त्वपूर्ण स्थान है। वन पारिस्थितिकी तंत्र में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। क्योंकि ये प्राथमिक उत्पादक है जिन पर दूसरे सभी जीव निर्भर करते हैं। पर्यावरण प्रदुषण रोकने, जलवायु सुधार तथा मृदा अपरदन रोकने के साथ-साथ मिट्टी की उपजाऊ क्षमता बढ़ाने में भी वनों का सराहनीय योगदान होता है।

भारत में विश्व की सारी जैव उपजातियों की 8 प्रतिशत संख्या पाई जाती है। हम देश में लगभग 81.000 वन्य जीव उपजातियों और लगभग 47,000 वनस्पति उपजातियाँ पाई जाती है। वनस्पति उपजातियों में लगभग 15,000 उपजातियाँ भारतीय मूल की हैं। अंतर्राष्ट्रीय प्राकृतिक संरक्षण और प्राकृतिक संसाध न संरक्षण संघ (IUCN) ने पौधे एवं प्राणियों को निम्नलिखित जातियों में विभाजित किया है :

(1) सामान्य जातियाँ (2) संकटग्रस्त जातियाँ (3) सुभेद्य जातियाँ (4) दुर्लभ जातियाँ (5) स्थानिक जातियाँ और (6) लुप्त जातियाँ।

उपनिवेश काल में रेललाईन, कृषि, व्यवसाय, वाणिज्य वानिकी और खनन क्रियाओं में वृद्धि के कारण भारत में वनों को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ। वन संसाधनों की बर्बादी में पशुचारण और ईंधन के लिए लकड़ी कटाई मुख्य भूमिका निभाते हैं। कई समुदायों की आजीविका वनों पर ही निर्भर है। वन पवन की मारक शक्ति पर रोक लगाते हैं।

वनों के संरक्षण हेतु हमारी सरकार ने 1988 में राष्ट्रीय वन नीति पारिस्थितिक संतुलन के परिरक्षण और प्रतिस्थपान के द्वारा पर्यावरणीय स्थिरता को बनाये रखने पर बल देती है। इस नीति का उद्देश्य प्राकृतिक विरासत का संरक्षण करने के साथ ही राष्ट्रीय आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु वनों के उत्पादन में पर्याप्त वृद्धि करना है।

वन उत्पादों के कुशल उपयोग तथा लकड़ी के अनुकूलतम उपयोग पर बल देना इस नीति का उद्देश्य है। वन्य जीवन के संरक्षण हेतु देश में 89 नेशनल पार्क,490 वन्य जीव अभयारण और 13 जैव आरक्षित क्षेत्र बनाये गये हैं। बाघों के संरक्षण हेतु 14 राज्यों में 27 बाघ आरक्षित क्षेत्र बनाये गये हैं।

वन और वन्य जीव संसाधन Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
वन किस प्रकार के संसाधन हैं?
उत्तर-
नवीनीकरण संसाधन।

प्रश्न 2.
किस प्रकार के वनों में पशु चराने की अनुमति नहीं होती?
उत्तर-
आरक्षित वनों में।

प्रश्न 3.
अधिकतर दुर्गम वन किस प्रकार के वनों में आते हैं?
उत्तर-
अवर्गीकृत वन

प्रश्न 4.
राष्ट्रीय वन नीति की घोषणा कब की गई थी।
उत्तर-
राष्ट्रीय वन नीति की घोषणा 1988 में की गई थी।

प्रश्न 5.
भारत में कुल कितना वन क्षेत्र है।
उत्तर-
भारत में कुल 765 लाख हेक्टेयर वन क्षेत्र है।

प्रश्न 6.
भारत का कुल कितना क्षेत्र वनाच्छादित है?
उत्तर-
भारत का लगभग 637 लाख हेक्टेयर क्षेत्र वनाच्छादित है।

प्रश्न 7.
चारे और ईंधन की लकड़ी की आवश्यकता वनों के निम्नीकरण का मुख्य कारण नहीं है। क्यों?
उत्तर-
चारे और ईंधन की लकड़ी की आवयश्कता पूर्ति मुख्यतः पेड़ों की टहनियाँ प काटकर की जाती है न कि पूरे पेड़ काटकर। इसलिए यह वनों के निम्नीकरण का मुख्य कारण नहीं है।

प्रश्न 8.
उपनिवेश काल में किन गतिविधियों के कारण वनों का विनाश हुआ?
उत्तर-
1. रेलवे का विस्तार
2. कृषि का विस्तार
3. व्यवसाय व वाणिज्यवानकी
4. खनन क्रियाएँ

प्रश्न 9.
पूर्वोतर और मध्य भारत में वनों के निम्नीकरण का क्या कारण है?
उत्तर-
पूर्वोतर और मध्य भारत में स्थानंतरी (झूम) खेती अथवा ‘स्लैश और बर्न’ खेती के कारण वनों की कटाई या निम्नीकरण हुआ है।

प्रश्न 10.
हिमालयन यव की क्या विशेषता है? यह संकटग्रस्त क्यों हो गया है?
उत्तर-
हिमालयन यव (चीड़ की प्रकार का सदाबहार वृक्ष) एक औषधीय पौधा है जो हिमाचल प्रदेश और अरुणाचल प्रदेश के कई क्षेत्रों में पाया जाता है। पेड़ की छाल, पत्तियों, टहनियों और जड़ों से टकसोल (taxol) नामक रसायन प्राप्त होता है तथा इसे कुछ कैंसर रोगों के उपचार हेतु प्रयोग किया जाता है। इससे बनी गई दवाई संसार में सर्वाधिक बिकने वाली कैंसर औषधि हैं। इसके अत्याधिक प्रयोग से इस वनस्पति जाति को खतरा पैदा हो गया है। पिछले एक दशक में हिमाचल प्रदेश और अरुणाचल प्रदेश में विभिन्न क्षेत्रों में यव के हजारों वृक्ष सूख गए हैं।

प्रश्न 11.
खनन के कारण किस टाइगर रिजर्व को खतरा पैदा हो गया है?
उत्तर-
पश्चिम बंगाल में बक्सा टाइगर रिजर्व डोलोमाइट के खनन के कारण गंभीर खतरे में है।
इसके दो प्रभाव हैं-

  1. इसने कई प्रजातियों के प्राकृतिक आवासों को नुकसान पहुचायाँ है।
  2. इसने कई जातियों जिसमें भारतीय हाथी भी शामिल है, के आवागमन मार्ग बाधित किया है।

प्रश्न 12.
वनों एवं वन्य जीवन का संरक्षण क्यों जरूरी
उत्तर-
संरक्षण से पारिस्थितिकी विविधता बनी रहती है तथा हमारे जीवन साध्य संसाधन जल, वायु और मृदा बने रहते हैं। यह विभिन्न जातियों में बेहतर जनन के लिए वनस्पति और पशुओं में जींस (हमदमजपब) विविधता को भी संरक्षित करती है। उदाहरणार्थ हम कृषि में अभी भी पारंपरिक फसलों पर आश्रित हैं। जलीय जैव विविधता स्थूल रूप से मत्स्य पालन बनाए रखने पर निर्भर है।

प्रश्न 13.
अवर्गीकृत वन किसे कहते हैं? भारत में किन क्षेत्रों में इन वनों का बड़ा अनुपात है?
उत्तर
वे वन और बंजरभूमि जो सरकार, व्यक्तियों के निजी और समुदायों के स्वामित्व में होते हैं, अवर्गीकृत वन कहे जाते हैं। पूर्वोतर के सभी राज्यों में और गुजरात में अधिकतर वन क्षेत्र अवर्गीकृत वन हैं तथा स्थानीय समुदायों के प्रबंध में हैं।

प्रश्न 14.
स्थायी वन क्षेत्र से आपका क्या तात्पर्य है? किस राज्य में स्थायी वनों के अंतर्गत सर्वाधिक क्षेत्र हैं?
उत्तर
1. आरक्षित और रक्षित वन ऐसे स्थायी वन क्षेत्र हैं जिनकी देखभाल इमारती लकड़ी, अन्य वन पदार्थों और उनके क्षण से बचाव के लिए किया जाता है।
2. मध्य प्रदेश में स्थायी वनों के अंतर्गत सर्वाधिक क्षेत्र है जोकि प्रदेश के कुल वन क्षेत्र का भी 75% है।

प्रश्न 15.
किन आंदोलनों की सफलता ने यह सिद्ध कर दिया है कि रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग के बिना भी विविध फसल उत्पादन संभव हैं?
उत्तर-
टिहरी में कृषकों का बीज बचाओ आंदोलन और नवदानय ने दिखा दिया है कि रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग के अभाव में भी विविध फसल उत्पादन द्वारा आर्थिक रूप से व्यवहार्य कृषि उत्पादन संभव है।

प्रश्न 16.
निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
1. वन्य जीव अभयारण 2. जैव आरक्षित क्षेत्र।
अथवा
वन्य जीव अभयारण क्या हैं? ये राष्ट्रीय उद्यान से किस प्रकार भिन्न है।
उत्तर-
1. वन्य जीव अभयारण-वन्य जीव अभयारण का तात्पर्य ऐसे से हैं जहाँ वन्य श्रावियों सहित प्राकृतिक वनस्पति और प्राकृतिक वनस्पति और प्राकृतिक सुन्दरता को सुरक्षित रखने का प्रयत्न किया जाता है। इन स्थानों की सुरक्षा और – प्रबंध की ओर विशेष ध्यान दिया जाता है। इन अर्थों में ये स्थान राष्ट्रीय उद्यान के समान प्रतीत होते हैं जबकि राष्ट्रीय उद्यान और वन्य जीव अभ्यारणों में कई भिन्नताएं हैं। जैसे-
(अ) वन्य जीव अभयरणों में सीमित मात्रा में पशु चारण और वन्य पदार्थ एकत्र करने की छूट होती है। जबकि राष्ट्रीय उद्यानों में ऐसा नहीं होता।
(ब) वन्य जीव अभ्यारणों में स्थानीय जनतीय समुदाय के लोगों को सीमित मात्रा में निवास करने की भी छूट दी जाती है जबकि राष्ट्रीय उद्यानों में यह संभव नहीं है।
(स) राष्ट्रीय उद्यानों में वन्य प्राणियों को और प्राकृतिक वनस्पतियों को प्रकृति के सहारे छोड़ दिया जाता है। जबकि वन्य जीव अभ्यारणों में इनकी देखभाल की व्यवस्था भी की जाती है।
(द) वन्य जीव अभयारणों की अपेक्षा राष्ट्रीय उद्यानों का अधिक महत्त्व दिया जाता है। इनका प्रचार-प्रसार भी अधिक किया जाता है।

2. जैवआरक्षित क्षेत्र-जैव आरक्षित क्षेत्र का अर्थ एक बहुद्देशीय सुरक्षित क्षेत्र से है जहाँ वैज्ञानिक स्थानीय जनता और प्रशासन सभी एक साथ मिलकर इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए कार्य करते हैं। जिससे वन्य प्राणी तथा प्राकृतिक संपदा की सर्वोतम ढंग से रक्षा की जा सके इन क्षेत्रों में स्थानीय लोगों को एक सीमा तक कृषि कार्य की अनुमति प्रदान की जाती है। साथ ही उन्हें नौकरियां भी उपलब्ध कराई जाती है।
ऐसे क्षेत्रों में आर्थिक संसाधनों को बढ़ाने के उद्देश्य से पर्यटकों को आने के लिए प्रात्साहित किया जाता है।

प्रश्न 17.
भारत में जैव-विविधता को कम करने के लिए कौन-से कारण जिम्मेदार हैं?
उत्तर-
जैव-विविधता को कम करने वाले कारक-
1. वन्य जीवन के आवास का विनाश
2. जंगली जानवरों को मारना
3. आखटेन
4. पर्यावरणीय प्रदुषण
5. विषक्तिकरण
6. दावानल

प्रश्न 18.
संवर्द्धन वृक्षारोपण क्या है? सोदाहरण समझाइए।
उत्तर-
‘संवर्द्धन (enrichment) वृक्षारोपण’ अर्थात् वाणिज्य की दृष्टि से कुछ या एकल वृक्ष जातियों के बड़े पैमाने पर रोपण करने से पेड़ों की दूसरी जातियाँ खत्म हो गई। उदाहरणार्थ-

1. सागवान के एकल रोपण से दक्षिण भारत में अन्य प्राकृतिक वन नष्ट हो गए।
2. हिमालय में चीड पाईन के रोपण से हिमालयन ओक और रोडोडेंड्रोन (rhododendron) वनों का नुकसान हुआ।

प्रश्न 19.
आजकल संरक्षण परियोजनाएँ जैव-विविधताओं पर केंद्रित होती है न कि इसके विभिन्न घटकों पर। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-

  1. आजकल संरक्षण परियोजनाएँ जैव विविधताओं पर केंद्रित होती हैं न कि इसके विभिन्न घटकों पर।
  2. संरक्षण के विभिन्न तरीकों की गहनता से खोज की जा रही है।
  3. संरक्षण नियोजन में कीटों को भी महत्त्व मिल रहा है।
  4. वन्य जीव अधिनियम 1980 और 1986 के तहत् सैकड़ों तितलियों, पतंगों, भूगों और एक ड्रैगनफ्लाई को भी संरक्षित जातियों में सम्मिलित किया गया है।
  5. 1991 में पौधों की भी 6 जातियाँ पहली बार इस सूची में रखी गई।

प्रश्न 20.
आरक्षित और रक्षित वन में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
आरक्षित वन-देश में आमो से अधिक वन क्षेत्र आरक्षित वन घोषित किए गए हैं। जहाँ तक वन और वन्य
प्राणियों के संरक्षण की बात है, आरक्षित वन सर्वाधिक मूल्यवान माने जाते हैं।
रक्षित वन-वन विभाग के अनुसार देश के कुल वन क्षेत्र का एक-तिहाई भाग रक्षित है। इन वनों को और अधिक नष्ट होने से बचाव हेतु इनकी सुरक्षा की जाती है।

प्रश्न 21.
सुभेद्य जातियों तथा संकटग्रस्त जातियों के मध्य अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर-
सुभेद्य (Vulnerable) जातियाँ-इसी जातियाँ जिनकी संख्या निरन्तर घट रही है। यदि इनकी संख्या पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाली परिस्थितियाँ परिवर्तित नहीं हुई जाती और इनकी संख्या घटती रहती है तो यह संकटग्रस्त जातियों की श्रेणी में सम्मिलित हो जाएँगी। उदाहरणार्थ- नीली भेड़, एशियाई हाथी, गंगा नदी की डॉल्फिन इत्यादि हैं।

संकटग्रस्त जातियाँ-इसके अन्तर्गत जातियाँ हैं जिनके लुप्त होने का खतरा बना हुआ है। जिन विषम परिस्थितियों के कारण इनकी संख्या कम हुई है, यदि वे जारी रहती हैं तो इन जातियों का जीवित रहना कठिन है। उदाहरणर्थ काला हिरण, मगरमच्छ, भारतीय जंगली गधा, गैंडा, शेर-पूंछ वाला बंदर, संगाई (मणिपुरी हिरण) इत्यादि।

प्रश्न 22.
लुप्त जातियों और स्थानिक जातियों के बीच क्या अंतर है?
उत्तर-
लुप्त जातियाँ-ऐसी जातियाँ जो इनके रहने के आवासों में अन्वेषण करने पर अनुपस्थित पाई गई हैं। ये उपजातियाँ स्थानीय क्षेत्र, प्रदेश, देश, महाद्वीप या पूरी पृथ्वी से ही लुप्त हो गई हैं। ऐसी उपजातियों में एशियाई चीता और गुलाबी सिरवाली बत्तख सम्मिलित हैं।

स्थानिक जातियाँ-प्राकृतिक या भौगोलिक सीमाओं से पृथक विशेष क्षेत्रों में पाई जाने वाली जातियाँ अंडमानी टील
अरुणाचल के मिथुन इत्यादि इन जातियों के उदाहरण हैं।

प्रश्न 23.
भारत में संयुक्त वन प्रबंधन में स्थानीय समुदायों की भूमिका समझाए।
उत्तर-

  1. भारत में संयुक्त वन प्रबंधन कार्यक्रम क्षरित वनों के प्रबंध और पुनर्निर्माण में स्थानीय समुदायों की भूमिका के महत्त्व को दर्शाते करते हैं।
  2. औपचारिक रूप में इन कार्यक्रमों की शुरुआत 1988 प्रस्ताव पास किया।
  3. वन विभाग के अंतर्गत ‘संयुक्त वन प्रबंधन’ क्षरित वनों के बचाव के लिए कार्य करता है और इसमें गाँव के स्तर पर संस्थाएँ बनाई जाती हैं जिसमें ग्रामीण और वन विभाग के अधिकारी मिलजुलकर कार्य करते हैं।
  4. इसके बदले ये समुदाय मध्य स्तरीय लाभ जैसे गैर-इमारती वन उत्पादों के अधिकारी होते हैं तथा सफल संरक्षण से प्राप्त इमारती लकड़ी लाभ में भी हिस्सेदार होते हैं।

प्रश्न 24.
भारत के कुछ क्षेत्रों में स्थानीय समुदाय सरकारी अधिकारियों के साथ मिलकर किस प्रकार अपने आवास स्थलों के संरक्षण में जुटे हैं?
उत्तर-

  1. भारत के कुछ क्षेत्रों में तो स्थानीय समुदाय सरकारी अधिकारियों के साथ मिलकर अपने आवास स्थलों के संरक्षण में जुटे हैं क्योंकि इसी से ही दीर्घकाल में उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति संभव है।
  2.  सरिस्का बाघ रिज़र्व में राजस्थान के गाँवों के लोग वन्य जीव रक्षण अधिनियम के तहत वहाँ से खनन कार्य बन्द करवाने हेतु संघर्षरत हैं।
  3.  कई क्षेत्रों में तो लोग स्वयं वन्य जीव आवासों की रक्षा कर रहे हैं और सरकार की ओर से हस्तक्षेप भी स्वीकार नहीं कर रहे हैं।
  4.  राजस्थान के अलवर जिले में 5 गाँवों के लोगों ने तो 1.200 हेक्टेयर वन भूमि भैरोंदेव डाकव ‘सोंचुरी’ घोषित कर दी जिसके अपने ही नियम कानून हैं जो आखेट वर्जित करते हैं तथा बाहरी लोगों की घुसपैठ से यहाँ के वन्य जीवन की रक्षा है।

प्रश्न 25.
मानव के लिए वन किस प्रकार उपयोगी हैं?
उत्तर
वन प्रकृति प्रदत्त प्रमुख संसाधनों में से एक हैं। ये मनुष्य के लिए अत्यधिक उपयोगी हैं। इनकी कुछ प्रमुख उपयोगिताएं निम्नवत् हैं-

  1. ये पर्यावरण के संरक्षरक हैं।
  2. वनों से पर्यावरण की गुणवता में वृद्धि होती है।
  3. वन स्थानीय जलवायु के सुधारक हैं।
  4. वनों से मृदा अपदन नियंत्रित होता है।
  5. वन नदी प्रवाह को नियमित करते हैं।

प्रश्न 26.
बाघ संरक्षण मात्र एक संकटग्रस्त जाति को बचाने का प्रयास नहीं है, अपितु इसका उद्देश्य बहुत बड़े आकार के जैव जाति को बचाना भी है। विवेचना कीजिये।
अथवा
भारत में बाघ परियोजना पर एक विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
उत्तर-
वन्यजीवन संरचना में बाघ (टाईगर) एक महत्त्वपूर्ण जंगली जाति है। 1973 में अधिकारियों ने पाया कि देश में 20वीं शताब्दी के आरंभ में बाघों की संख्या अनुमानित संख्या 55,000 से घटकर मात्र 1,827 रह गई है। बाघों को मारकर उनको व्यापार के लिए चोरी करना, आवासीय स्थलों का सिकुड़ना, भोजन हेतु आवश्यक जंगली उपजातियों की संख्या कम होना और जनसंख्या में वृद्धि बाघों की घटती संख्या के मुख्य कारण हैं। बाघों की खाल का व्यापार, और उनकी हड्डियों का एशियाई देशों में परंपरागत औषधियों में प्रयोग के कारण यह जाति विलुप्त होने की कगार पर पहुंच गई है। चूंकि भारत और नेपाल दुनिया की दो-तिहाई बाघों को आवास उपलब्ध करवाते हैं, अतः ये देश ही शिकार, चोरी और गैर-कानूनी व्यापार करने वालों के मुख्य निशाने पर हैं।

‘प्रोजेक्ट टाईगर’ विश्व की बेहतरीन वन्य जीव परियोजनाओं में से एक है और इसकी शुरुआत 1973 में हुई। आरम्भ में इसमें पर्याप्त सफलता प्राप्त हुई क्योंकि बाघों की संख्या बढ़कर 1985 में 4,002 और 1989 में 4334 हो गई थी। परंतु 1993 में इनकी संख्या घटकर 3ए600 तक पहुँच गई। भारत में 37,761 वर्ग किमी. पर फैले हुए 27 बाघ रिज़र्व (Tiger reserves) हैं। बाघ संरक्षण मात्र एक संकटग्रस्त जाति को बचाने का प्रयास नहीं है, वरन् इसका उद्देश्य बहुत बड़े आकार के जैवजाति को भी बचाना है। उत्तरांचल में कॉरबेट राष्ट्रीय उद्यान, पश्चिम बंगाल में सुंदरबन राष्ट्रीय उद्यान, मध्य प्रदेश में बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान, राजस्थान में सरिस्का वन्य जीव पशुविहार (sanctuary)] असम में मानस बाघ रिजर्व (reserve) और केरल में पेरियार बाघ रिज़र्व (reserve) भारत में बाघ संरक्षण परियोजनाओं के उदाहरण हैं।

वन और वन्य जीव संसाधन Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1. बहुवैकल्पिक प्रश्न

(i) इनमें से कौन-सी टिप्पणी प्राकृतिक वनस्पतिजात और प्राणिजात के ह्रास का सही कारण नहीं है?
(क) कृषि प्रसार
(ख) पशुचारण और ईंधन लकड़ी एकत्रित करना
(ग) वृहत स्तरीय विकास परियोजनाएँ
(घ) तीव्र औद्योगीकरण और शहरीकरण
उत्तरः
(ग) पशुचारण और ईंधन लकड़ी एकत्रित करना

(ii) इनमें से कौन-सा संरक्षण तरीका समुदायों की सीधी भागीदारी नहीं करता?
(क) संयुक्त वन प्रबंधन
(ख) बीज बचाओ आंदोलन
(ग) चिपको आंदोलन
(घ) वन्य जीव पशुविहार (santuary) का परिसीमन
उत्तरः
(घ) वन्य जीव पशुविहार (santuary) का परिसीमन

2. निम्नलिखित प्राणियों / पौधों का उनके अस्तित्व के वर्ग से मेल करें।

जानवर/पौधे — अस्तित्त्व वर्ग
1. काला हिरण — (अ) लुप्त
2. एशियाई हाथी — (ब) दुर्लभ
3. अंडमान जंगली सुअर — (स) संकटग्रस्त
4. हिमालयन भूरा भालू — (द ) सुभेद्य
5. गुलाबी सिरवाली बत्तख — (ध) स्थानिक उत्तरः
1. स
2. द
3. ध
4. ब
5. अ

3. निम्नलिखित का मेल करें।

आरक्षित वन — (अ) सरकार, व्यक्तियों के निजी और समुदायों के अधीन अन्य वन और बंजर भूमि।
रक्षित वन — (ब) वन और वन्य जीव संसाधन संरक्षण की दृष्टि से सर्वाधिक मूल्यवान वन।
अवर्गीकृत वन — (स)वन भूमि जो और अधिक क्षरण से बचाई जाती है।
उत्तरः
1. ब
2. स
3. अ

4. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए।

(i) जैव विविधता क्या है? यह मानव जीवन के लिए क्यों महत्त्वपूर्ण है?
उत्तरः
(i) पृथ्वी पर विभिन्न तरह के जीवों (प्राणिजात एवं वनस्पतिजात) का पाया जाना जैव विविधिता कहलाता है। इन जीवों के आकार तथा कार्य भिन्न होते हैं
(ii) जैवविविधता मानव जीवन हेतु महत्त्वपूर्ण-मानव और दूसरे जीवधारी एक जटिल परिस्थितिकी तन्त्र का निर्माण करते हैं, जिसका हम मात्र एक अग है और स्वयं के अस्तित्व हेतु इसके विभिन्न तत्वों पर आश्रित रहते हैं। जैसे-वायु, जल, मृदा। पेंड़-पौधे, पशु और सूक्ष्मजीवी इनका पुनः सृजन करते हैं। अत: जैव विविधता मानव जीवन हेतु महत्त्वपूर्ण है।

(ii) विस्तारपूर्वक बताएँ कि मानव क्रियाएँ किस प्रकार प्राकृतिक वनस्पतिजात और प्राणिजात के ह्रास के कारक हैं?
उत्तरः
मानव ने अपनी बढ़ती हुई लालच की प्रवृत्ति के कारण प्रकृति को संसाधनों में परिवर्तित कर दिया है। वह इससे प्रत्यक्ष और परोक्ष दोनों प्रकार के लाभ उठा रहा है। सर्वाधिक बुरा प्रभाव वनस्पति और जीवों पर पड़ा है क्योंक वनों के कटाव से इसका अस्तित्व ही खतरे में पड़ गया है। उपयुग्क्त कारणों के अतिरिक्त निम्नलिखित मानव क्रियाओं ने वनस्पति और जीवों का आवस छीनकर उनके क्षरण को बढ़ावा दिया है-

(1) तीव्र औद्योगिकरण
(2) अत्यधिक कृषि का दबाव
(3) बढ़ती जनसंख्या हेतु आवास की आवश्यकता
(4) रेलवे का विकास
(5) जंगली पशुओं का शिकार
(6) तकनीकी विकास

5. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 120 शब्दों में दीजिए।

(i) भारत में विभिन्न समुदायों ने किस प्रकार वनों और वन्य जीव संरक्षण और रक्षण में योगदान किया है? विस्तारपूर्वक विवेचना करें।
उत्तर:
भारतीय समाज में अनेको संस्कृतियाँ है और प्रत्येक संस्कृति और इसकी कृतियों को संरक्षित करने के अपने पारम्परिक तरीके हैं। सामान्यतः झरनों, पहाड़ी चोटियों, वृक्षों और पशुओं को पवित्र मानकर उनका संरक्षण किया जाता है। – भारत देश वन कुछ मानव प्रजातियों का आवास भी है। कुछ स्थानीय समुदाय सरकारी अधिकारियों के साथ मिलकर अपने आवासस्थलों के संरक्षण में जुटे हैं क्योंकि इसीसे ही दीर्घकाल में उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति संभव हैं सरिस्का बाघ रिजर्व में राजस्थान के ग्राम के लोग वन्य जीव रक्षण अधिनियम के तहत् वहाँ से खनन कार्य बन्द करवाने हेतु संघर्षरत हैं। अलवर जिले के 5 गाँव के लोगों शिकार पर प्रतिबन्ध लगाने हेतु स्वयं नियम कानून बनाये हैं तथा बाहरी लोगों की घुसपैठ से यहाँ के वन जीवन को बचाते हैं।

हिमालय में प्रसिद्ध ‘चिपको आन्दोलन’ कई क्षेत्रों में वन कटाई रोकने में ही सफल नहीं रहा वरन् स्थानीय पौधों की जातियों का प्रयोग करके सामुदायिक नवीकरण अभियान को सफल बनाया।

टिहरी के कृषकों ने ‘बीज बचाओ आंदोलन’ और ‘नवदानय’ के द्वारा यह संदेश दिया कि रासायनिक उर्वरकों के अभाव में भी विविध फसल उत्पादन संभव है।

(ii) वन और वन्य जीव संरक्षण में सहयोगी रीति-रिवाजों पर एक निबन्ध लिखिए।
उत्तरः
प्रकृति की पूजा सदियों पुराना जनजातीय विश्वास है इसका आधार प्रकृति के हर रूप की रक्षा करना है। इन्हीं विश्वासों ने विभिन्न वनों को मूल और मौमार्य रूप में बचाकर रखा है, जिन्हें पवित्र पेड़ों के झुरमुट (देवी-देवताओं के वन) कहते हैं। वनों के इन भागों में या तो वनों के ऐसे बड़े भागों में स्थानीय लोग ही घुसते और न ही किसी और को छेड़छाड़ करने देते।

कुछ समाज कुछ विशेष वृक्षों की पूजा करते हैं। वे प्राचीनकाल से उन पेड़ों का संरक्षण भी करते आ रहे हैं। छोटा नागपुर क्षेत्र में मुंडा और संथाल जनजातियाँ महुआ तथा कदंब के वृक्षों की पूजा करते हैं। उड़ीसा और बिहार प्रदेशों की जनजातियाँ शादी के दौरान इमली तथा आम के पेड़ की पूजा करती हैं। हमें से बहुत से व्यक्ति पीपल और कटवृक्ष को पवित्र मानते हैं।

भारतीय समाज में विविध संस्कृतियाँ हैं। प्रत्येक संस्कृति में प्रकृति तथा इसकी कृतियों का संरक्षित करने के अपने पारंपरिक तरीके हैं। आमतौर पर झरनों, पहाड़ी चोटियों, पेड़ों तथा पशुओं को पवित्र मानकर उनका संरक्षण किया जाता है। आप अनेक मंदिरों के आस-पास- बंदल तथा लंगूर पाएँगे। उपासक उन्हें जिमाते हैं और भक्तों में गिनते हैं। राजस्थान में बिश्नोई गाँवों के आस-पास आप काले हिरण, चिंकारा, नीलगाय और मोरों के झुंड को आसानी से देखा जा सकता है। ये जीव वहाँ के समुदाय का अभिन्न अंग हैं और कोई उनको नुकसान नहीं पहुँचाता।

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