रोजगार एवं सेवाएँ

रोजगार एवं सेवाएँ

Economics लघु उत्तरीय प्रश्न 

प्रश्न 1. सरकारी सेवा किसे कहते हैं ?

उत्तर ⇒ जब देश या राज्य की सरकार काम के बदले वेतन देते हैं और इनसे विभिन्न क्षेत्रों में काम लेते हैं, तो इसे सरकारी सेवा की सूची में रखा जाता है। सरकारी सेवा के कुछ व्यापक क्षेत्र का उदाहरण इस प्रकार है। सैन्य सेवा, शिक्षा सेवा, स्वास्थ्य सेवा, अभियंत्रण सेवा, वित्त सेवा आदि।


प्रश्न 2. आर्थिक संरचनाएँ का क्या महत्त्व है ? अथवा, आर्थिक आधारभूत संरचना का क्या महत्त्व है ?

उत्तर ⇒ भारत में बुनियादी सुविधाएँ को विकसित करने का परंपरा के तौर पर सरकार का ही पूरा दायित्व था। इसी कारण 1991 के बाद आर्थिक सुधारों के दौर में निजी क्षेत्र में भी स्वयं एवं सरकार के साथ संयुक्त भागीदारी कर आधारभूत संरचना के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आज संयुक्त रूप से आधारभूत संरचना में निवेश हो रहा है तथा इसकी स्थिति में भी काफी सुधार हुआ है । परन्तु खासकर आर्थिक दृष्टिकोण से अपेक्षाकृत पिछड़े राज्यों में तो बहुत ही कम बुनियादी सुविधाओं का विकास हो पाया है।


प्रश्न 3. आधारभूत संरचना किसे कहते हैं ?

उत्तर ⇒ आधारभूत संरचना एक ऐसी सुविधा है जो देश के सर्वांगीण विकास के लिए आवश्यक है। बेहतर बुनियादी सुविधाएँ ही आर्थिक विकास को बेहतर बना सकती है।


प्रश्न 4. बाह्य स्रोती (Out Sourcing) किसे कहते हैं ?

उत्तर ⇒ जब बहुराष्ट्रीय कम्पनियों या अन्य कम्पनियाँ अपने लिए सम्बन्धिता नियमित स्वयं अपनी कम्पनी की बजाए किसी विदेशी या बाहरी स्रोती अथवा संस्था या समूह से प्राप्त करती है, यह स्थिति बाह्य स्रोती कही जाती है। सूचना प्रौद्योगिकी के व्यापक प्रसार से ऐसी गतिविधियाँ अत्यधिक महत्वपूर्ण और विशिष्ट आर्थिक गतिविधियाँ बन गयी हैं।
दूरसंचार, यातायात, स्वास्थ्य, स्वरोजगार तथा अन्य गैर सरकारी सेवाएँ आती हैं। सेवा क्षेत्र का सहत्व रोजगार प्राप्ति में काफी है। सेवा क्षेत्र का विस्तार जितना ही ज्यादा होगा रोजगार के अवसर उतना ही बढ़ेगा।


प्रश्न 5. ‘रोजगार’ और ‘सेवा’ में क्या संबंध है ?

उत्तर ⇒ रोजगार एवं सेवा का अर्थ इन बातों से है जब व्यक्ति अपने परिश्रम एवं शिक्षा के आधार पर जीविकोपार्जन के लिए धन एकत्रित करता है जब इस धन को पूँजी के रूप में व्यवहार किया जाता है और उत्पादन के क्षेत्र में निवेश किया जाता है तो सेवा उत्पन्न होता है। अतः रोजगार एवं सेवा क्षेत्र एक-दूसरे के परस्पर हैं।


प्रश्न 6. गैर-सरकारी सेवा किसे कहते हैं ?

उत्तर ⇒ जब सरकार अपने द्वारा संचालित विभिन्न कार्यक्रमों को गैर सरकारी संस्थाओं के सहयोग से लोगों तक पहुँचाने का कार्य करती है अथवा लोग अपनी प्रयास से ऐसी सेवाओं के सृजन से लाभान्वित होते हैं। उन्हें गैर सरकारी सेवा के अंतर्गत रखा जाता है।


प्रश्न 7. सूचना प्रौद्योगिकी (Information Technology) से जुड़े पाँच सेवा क्षेत्र को बतलाएँ।

उत्तर ⇒ वस्तुतः सूचना प्रौद्योगिकी के व्यापक प्रसार से काफी महत्वपूर्ण और विशिष्ट आर्थिक गतिविधियाँ बन गई है। भारत में होटल व्यापार परिवहन अथवा यातायात एवं संवाद वाहन सेवाएँ काफी तेजी से बढ़ी है। इनमें भी टेलीफोन विशेषकर मोबाइल फोन का सर्वाधिक योगदान रहा है।


प्रश्न 8. मंदी का असर भारत में क्यों पड़ा ?

उत्तर ⇒ भारत पर इसका असर कम पड़ा क्योंकि यहाँ की पूँजी बाजार काफी मजबत अवस्था में अभी है। यहाँ के इंजीनियर आज भी बाह्य स्रोतों में लगे हए हैं। खासकर सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र काफी मजबूत है और पूरे विश्व में हमारे इंजीनियर का स्थान अव्वल है। हमारा आधारभूत संरचना कमजोर होने के बाद भी वर्तमान मंदी का असर भारत पर नहीं पड़ा ।


प्रश्न 9. वैश्वीकरण का प्रभार सेवा क्षेत्र पर क्या पड़ा ?

उत्तर ⇒ वैश्वीकरण के कारण लोगों को आर्थिक विकास क्षेत्र के खासकर सेवा क्षेत्र का लाभ प्रत्यक्ष रूप से मिलने लगा। लोगों को दूसरे राष्ट्र में जाकर रोजगार करने का खुला अधिकार प्राप्त हो गया । आलोचकों के अनुसार वैश्वीकरण से श्रम बाजार में श्रमिक संगठनों की भूमिका नगण्य हो जायेगी और आम लोग विकास के क्षेत्र में केवल मूक दर्शक ही रह जायेंगे । धीरे-धीरे यह मान्यता लोगों के मत में बदलाव आ रहा है और लोग उदारवादी इन नीतियों के लाभ समझने लगे हैं।


प्रश्न 10. सेवा क्षेत्र का विकास क्यों हुआ ?

उत्तर ⇒ सेवा क्षेत्र का विकास कृषि एवं उद्योग में पाई जाने वाली अनिश्चितता के कारण हुआ।


प्रश्न 11. नागरिक सेवाएँ क्या हैं ?

उत्तर ⇒ सामाजिक चेतना, सफाई, सामाजिक मान्यता का सम्मान नागरिक सेवाओं के अंतर्गत आता है।


प्रश्न 12. आर्थिक विकास के मुख्यतः कितने क्षेत्र हैं ?

उत्तर ⇒ आर्थिक विकास के मुख्यतः तीन क्षेत्र हैं-
(i) कृषि क्षेत्र (ii) उद्योग क्षेत्र और (iii) सेवा क्षेत्र


प्रश्न 13. भारत में बेरोजगारी में कैसे कमी आई है ?

उत्तर ⇒ भारत में योजनात्मक विकास के क्रम में सेवा क्षेत्र का पर्याप्त विकास एवं विस्तार हुआ है, जिसके कारण बेरोजगारी में कमी आयी है।


प्रश्न 14. कुशल मानव पूंजी का रोजगार में क्या योगदान है ?

उत्तर ⇒ कुशल मानव पूँजी. रोजगार के विभिन्न क्षेत्र को जन्म देता है। भारतवर्ष को आज इस क्षेत्र में खासकर सूचना तकनीक में विश्व के अव्वल देशों में गिनती की जा रही है।


प्रश्न 15. विकसित राष्ट्र ही आर्थिक मंदी के शिकार हुए, कैसे ?

उत्तर ⇒ विकसित राष्ट्र की आधारिक संरचना में कृषि और कृषि जनित उद्योग का अभाव था जिसके कारण सीधा प्रभाव विकसित राष्ट्रों पर पड़ा। यही कारण है कि विकसित राष्ट्रों से तकनीकि वैज्ञानिकों को छाँटकर रोजगार से मुक्त किया गया । उत्पादकों को उत्पादन क्रिया शिथिल करना पड़ा। इस प्रकार कई वित्तीय संस्थाओं को अमेरिका को बंद करना पड़ा। इस प्रकार वर्तमान मंदी का प्रभाव विकसित राष्ट्रों पर प्रतिकूल पड़ा।


प्रश्न 16. रोजगार सृजन में सेवाओं की भूमिका का वर्णन करें।

उत्तर ⇒ सेवा का क्षेत्र सरकारी हो या गैर-सरकारी दोनों ही परिस्थितियों में रोजगार का सृजन होता है। सरकारी क्षेत्र के सहयोग से रोजगार का सृजन निम्न सेवाओं के द्वारा किया जाता है। काम के बदले अनाज-2004, राष्ट्रीय रोजगार कार्यक्रम-1980, ग्रामीण भूमिहीन रोजगार गारंटी कार्यक्रम-1983, युवा स्वरोजगार प्रशिक्षण कार्यक्रम-1980, समेकित ग्रामीण विकास कार्यक्रम-1980, जवाहर रोजगार योजना, स्वर्ण सहायता समूह, नरेगा इत्यादि।


प्रश्न 17. देश या राज्य का आर्थिक विकास मानव पूँजी पर आधारित है, कैसे ?

उत्तर ⇒ मानव पूँजी का निर्माण कौशल तथा सुविज्ञता प्राप्त अनुभवी व्यक्तियों की संख्या बढ़ाने तथा प्राप्त करने की प्रक्रिया है। अच्छी मानव पूँजी जैसे-वैज्ञानिक, डॉक्टर, इंजीनियर, कुशल प्रशासक, समाज सेवी, मनोवैज्ञानिक, शिक्षक एवं शिक्षाविद् इत्यादि मानव पूँजी का उत्पादन करती है अर्थात् मानवीय संसाधनों से और अधिक मानव पूंजी के उत्पादन के लिए हमें मानव पूंजी में निवेश करने की आवश्यकता है। देश व राज्य का आर्थिक विकास शिखर पर पहुँचाने के लिए मानव पूंजी निवेश के स्तर को ऊँचा उठाना होगा।


प्रश्न 18. सरकार और निजी दोनों के ही सहयोग से चलने वाली सेवाएँ कौन-कौन सी हैं ?

उत्तर ⇒ सरकारी और गैर-सरकारी सेवाओं में कुछ ऐसी सेवाएँ हैं, जिसका विकास सरकार एवं निजी दोनों के सहयोग से किया जा रहा है जैसे-यातायात सेवा, दरसंचार सेवा, बैंकिंग सेवा, स्वास्थ्य सेवा इत्यादि प्रमख उदाहरण हैं।


प्रश्न 19. सेवा क्षेत्र के विस्तार में गुणवत्ता में वृद्धि’ के महत्व को दर्शाएँ ?

उत्तर ⇒ जब किसान अपने उत्पादन को अपने श्रम एवं दक्षता के कारण गुणवत्ता में वृद्धि करता है, तो उससे रोजगार के नये आयाम खुलते हैं, जिससे सेवा का विस्तार होता है। और जब वस्तु की गुणवत्ता में वृद्धि की जाती है तो इससे उसे ऊँची कीमत पर बेचा जा सकता है। उत्पादन में गुणवत्ता के इस वृद्धि को Value Aided कहते हैं।


प्रश्न 20. बिहार की आर्थिक प्रगति को प्राकृतिक आपदा प्रभावित करती – है, वर्णन करें।

उत्तर ⇒ विगत कुछ वर्षों में बिहार में आर्थिक प्रगति परिलक्षित होने लगे हैं, किन्तु प्राकृतिक आपदा, बाढ़, सूखा विकास में बाधा के रूप में उभरती रहती है। सड़क का विस्तार एवं स्वास्थ्य सेवाएँ प्रगति पर होती है पर बाढ़ के कारण सड़कें पुनः जर्जर या फिर खत्म हो जाती हैं। कभी बाढ़ की धारा मुख्य मार्ग होती है तो कभी आबादी वाले क्षेत्र । इस प्रकार यह आपदा एक अवरोधक की तरह कार्य करती है पर सेवा क्षेत्र के लगातार प्रयासों से सकारात्मक विकास संभव हो सका है।


प्रश्न 21. मानव संसाधन किस प्रकार सुदृढ़ एवं सशक्त हो सकती है ? वर्णन करें।

उत्तर ⇒ मानव संसाधन के सुदृढ़ एवं सशक्त करने हेतु यदि परिश्रम द्वारा जनसंख्या के समग्र भाग को पर्याप्त भोजन, तन पर वस्त्र एवं सर छिपाने के लिए आवास, इन तीन प्रारंभिक आवश्यकताएँ को पूरा कर दिया जाए तो समस्या का आधा समाधान संभव हो जाता है। पुनः सबल बनाने के लिए अगर स्वास्थ्य पर जोर देने की आवश्यकता है तो ये चार अवयवों के सहयोग एवं शिक्षा के माध्यम से उसे उस स्तर तक पहुँचाया जा सकता है, जो कि आर्थिक विकास का एक सुदृढ़ सूचक बन जायेगा । इसी सूचक का ही देन है कि जो पूँजी का निर्माण करेगा और आर्थिक विकास का परचम पूरे विश्व में लहरायेगा ।


प्रश्न 22. बीमारू (BIMARU) शब्द से क्या अभिप्राय है ? इससे प्रभावित होने वाले राज्यों के नाम बताएँ।

उत्तर ⇒ भारत के काफी पिछड़े राज्यों जिन्हें बीमारू के नाम से जाना जाता है वे हैं-बिहार, उड़ीसा, मध्य प्रदेश, राजस्थान आदि। इन राज्यों में बुनियादी सुविधाएँ जैसे बिजली, सिंचाई, यातायात, परिवहन, दूरसंचार इत्यादि पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं हैं। बीमारू शब्द से नकारात्मक ध्वनि व्यक्त होने के कारण ये राज्य इस नाम से पुकारा जाता है। योजना आयोग भी इस नाम को स्वीकार नहीं करती । ऐसे भी इन राज्यों में खासकर बिहार आर्थिक विकास की ओर उन्मुख हुआ है जिसके कारण लोग अब “बीमारू” नाम से परहेज करते हैं।


प्रश्न 23. वैश्वीकरण, निजीकरण एवं उदारीकरण आर्थिक विकास को नये आयाम दिए हैं। कैसे ?

उत्तर ⇒ वैश्वीकरण, निजीकरण एवं उदारीकरण के कारण सेवा क्षेत्र का लाभ प्रत्यक्ष रूप से मिलने लगा है। लोगों को दूसरे राष्ट्र में जाकर रोजगार करने का खुला अधिकार प्राप्त हो गया है। यद्यपि आर्थिक विचारकों का ऐसा समूह भी है जो मानता है कि वैश्वीकरण, निजीकरण और उदारीकरण से आम आदमी का जीवन कठिन हो जायेगा। कुछ हद तक इस आलोचना में बल भी है, क्योंकि वैश्वीकरण एवं उदारीकरण से श्रम व्यापार में श्रमिक संघटकों की भूमिका नगण्य हो जायेगी और आम लोग विकास के क्षेत्र में मूक दर्शक ही रह जायेंगे। धीरे-धीरे इस मान्यता के लोगों के मत में बदलाव आ रहा है और लोग उदारवादी इन नीतियों को समझने लगे हैं।

 

Economics ( अर्थशास्त्र ) दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

1. रोजगार एवं सेवाएँ एक-दूसरे के पूरक हैं, कैसे ? 

उत्तर – ‘रोजगार एवं सेवाएँ का अभिप्राय यहाँ इस बात से है कि जब व्यक्ति अपने परिश्रम एवं शिक्षा के आधार पर जीविकोपार्जन के लिए धन एकत्रित करता है, जब एकत्रित धन को पूँजी के रूप में व्यवहार किया जाता है और उत्पादन के क्षेत्र में निवेश किया जाता है तो सेवा क्षेत्र उत्पन्न होता है। अतः रोजगार एवं सेवा एक-दूसरे के परस्पर सहयोगी है।आर्थिक प्रगति के कारण देश के विकास के साथ सेवा क्षेत्र का विस्तार होता है जिसके फलस्वरूप लोगों के लिए रोजगार के नये अवसर उपलब्ध होते हैं। सेवा क्षेत्र के विकास में शिक्षा की नितांत आवश्यकता है, जिसके कारण लोग रोजगार पाने में सक्षम हो पाते हैं तथा हीन भावना से उठकर देश व राज्य के हित में काम करना प्रारंभ करते हैं जिससे विकास का भाव परिलक्षित होता है। सेवा क्षेत्र का विस्तार ही रोजगार के अवसर को जन्म देता है। उदाहरण से स्पष्ट है कि कोई किसान अपने खेतों में धान उपजाता है, उसमें मेहनत कर चावल प्राप्त करता है। अगर वह किसान अपने घर में चावल चुनकर उसे साफ-सुथरा कर एक किलो का पॉलिथिन पैकेट बनाकर बाजार में बेचने का कार्य करता है तो उसे प्रारंभ से लेकर अंत तक रोजगार मिल जाता है। अगर व्यापार करना चाहता है तो व्यापक स्तर पर कर सकता है, जिसमें अधिक-से अधिक किसानों को रोजगार मुहैया करा सकता है। यदि किसान इससे संबंधित तकनीकि जानकारी और प्रशिक्षण प्राप्त करता है तो अपनी आमदगी और भी बढ़ा सकता है। इस प्रकार रोजगार एवं सेवा एक-दूसरे के पूरक है।


2. भारत सरकार के द्वारा रोजगार सृजन के लिए कौन-कौन से कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं ?

उत्तर-भारत सरकार के द्वारा रोजगार सृजन के लिए निम्नलिखित कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं

(i) राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार कार्यक्रम इस कार्यक्रम – की शुरुआत 1980 ई० में की गई। इसका मुख्य उद्देश्य रोजगार के अवसरों में वृद्धि तथा ग्रामीण निर्धनों के आहार के स्तर में परिवर्तन करना था।

(ii) ग्रामीण युवा स्वरोजगार प्रशिक्षण कार्यक्रम- 1973 ई० में ग्रामीण युवा वर्ग की बेरोजगारी को दूर करने के लिए यह कार्यक्रम चलाया गया। इसके तहत युवा वर्ग को विभिन्न प्रकार की ट्रेनिंग दी गई, जिसके द्वारा स्वरोजगार कर सके।

(iii) ग्रामीण भूमिहीन रोजगार गारंटी कार्यक्रम यह कार्यक्रम- 1983 में प्रारम्भ किया गया है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य जो गाँवों में भूमिहीन है, उन्हें रोजगार प्रदान करना था।

(iv) जवाहर रोजगार योजना- भारत सरकार ने 1989 ई० में राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार कार्यक्रम एवं ग्रामीण भूमिहीन रोजगार गारण्टी कार्यक्रम को मिलाकर जवाहर रोजगार योजना को प्रारम्भ किया।

(v) काम के बदले अनाज कार्यक्रम- इस कार्यक्रम की शुरुआत 2004 ई० में की गई। इसका उद्देश्य पूरक वेतन रोजगार के सृजन को बढ़ाना था। इसके अन्तर्गत मजदूरी का न्यूनतम 25% भाग का भुगतान नकद राशि में और शेष मजदूरी अनाज के रूप में दी जाती है।

(vi) महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजना- इस कार्यक्रम की शुरुआत 2006 ई० में की गई। इस योजना के तहत चयनित जिलों में ग्रामीण क्षेत्रों में प्रत्येक परिवार के एक सदस्य को वर्ष में कम से कम 100 दिन अकुशल श्रम वाले रोजगार की गारण्टी दी गई है।


3. सेवा क्षेत्र पर एक संक्षिप्त लेख लिखें।

उत्तर- अर्थव्यवस्था के अंदर तीन क्षेत्र होते हैं (पहला प्राथमिक अथवा कृषि क्षेत्र, दूसरा द्वितीय या औद्योगिक क्षेत्र और तीसरा सेवा क्षेत्र) । यह अर्थव्यवस्था का वह क्षेत्र है जो विभिन्न प्रकार की सेवाएँ उपलब्ध कराता है जैसे संचार, शिक्षा, बैंक, होटल, यातायात इत्यादि।

सेवा क्षेत्र को दो भागों में बाँटा गया है

(i) सरकारी।
(ii) गैर सरकारी।

सरकारी – इसके अंतर्गत केन्द्र अथवा राज्यों की सरकारें अपने कर्मचारियों की नियुक्ति कर विभिन्न प्रकार की सेवाएँ लेती हैं। इसके बदले उनको वेतन प्राप्त होता है जैसे—पुलिस, प्रशासन, रेलवे इत्यादि।

गैर-सरकारी सेवा- सरकार के अलावा अन्य संस्था अथवा निजी संस्थाओं द्वारा उपलब्ध कराए गए रोजगारों को शामिल करते हैं जैसे—इंजीनियरिंग, चिकित्सकीय. कानूनी, शिक्षा सेवा इत्यादि।
“सेवा क्षेत्र का विकास ही घरेलू उत्पाद में विकास का द्योतक है, इससे सर्वाधिक आय की प्राप्ति होती है।


4. सेवा क्षेत्र में सरकारी प्रयास के रूप में क्या किये गए हैं ? वर्णन करें।

उत्तर राष्ट्रीय स्तर पर भारत सरकार के द्वारा रोजगार सृजन करने के लिए अनेक कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं, जिसका कार्यान्वयन राज्य सरकारों के द्वारा भी किया जा रहा है। सेवा क्षेत्र में सरकारी प्रयास के रूप में कुछ कार्यक्रमों की चर्चा की जाती है, वो इस प्रकार से हैं—ग्रामीण युवा स्वरोजगार प्रशिक्षण कार्यक्रम, जवाहर रोजगार योजना इत्यादि। उपर्युक्त सेवाओं के माध्यम से देश की बेरोजगारी की समस्या को दूर करने की कोशिश की जा रही है। सरकारी अनुमानों में यह संभावना व्यक्त की गई है कि करीब 62 प्रतिशत लोगों को उपर्युक्त योजनाओं के द्वारा रोजगार मुहैया कराया जा रहा है। ग्रामीण रोजगार के क्षेत्र में रोजगार उपलब्ध कराने के लिए नरेगा विश्व की सबसे बड़ी योजना है। अब इसे देश के प्रत्येक जिले में लागू कर दिया गया है तथा इसका नया नाम महात्मा गाँधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अधिनियम है।


5. वर्तमान आर्थिक मंदी का प्रभाव भारत के सेवा क्षेत्र पर क्या पड़ा ?

उत्तर-एक समय यह कहा जाता था कि जब फ्रांस छिंकता है तो सारे यूरोप को सदी लग जाती है; आज वही स्थिति अमेरिका की है, वहाँ आए आर्थिक मंदी ने सारे संसार को हिला कर रख दिया है। इस मंदी का सबसे बड़ा शिकार भारत का सेवा क्षेत्र है। विकसित राष्ट्रों से तकनीकी वैज्ञानिकों की छंटनी करके रोजगार से मुक्त कर दिया गया है। इसका प्रभाव भारत के उन वैज्ञानिकों पर पड़ा है जो दूसरे राष्ट्र में रोजगार कर रहे थे। अमेरिका में कई बैंक दिवालिया हो गये तथा कितने ही वित्तीय संस्थाओं को बंद करना पड़ा।
भारत के सेवा क्षेत्र पर भी उसका असर देखने को मिला और सबसे ज्यादा सूचना एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में। हमारे इंजीनियर आज भी बाह्य स्रोती में लगे हुए हैं। भारत में कार्यरत अनेक विदेशी कंपनियों ने छंटनी करनी प्रारंभ कर दी। भारत के अन्य क्षेत्रों पर इसका प्रभाव नगण्य रहा, परंतु सेवा क्षेत्र पर इसका प्रभाव सर्वाधिक देखा गया है। यहाँ पर तकनीकी बेरोजगारी सर्वाधिक देखी गई।


6. आर्थिक विकास के विभिन्न क्षेत्रों की विवेचना कीजिए। सेवाक्षेत्र में शिक्षा की क्या भामिका है ?

उत्तर-किसी भी देश के आर्थिक विकास के लिए तीन क्षेत्रों की उपस्थिति महत्त्वपूर्ण हैं।

(i) प्राथमिक क्षेत्र- प्राथमिक क्षेत्र में कृषि व उससे संबंधित क्रियाओं को शामिल किया जाता है, जैसे—फलों का उत्पादन, वनोत्पादन, पशुपालन, मछलीपालन इत्यादि।

(ii) द्वितीयक क्षेत्र- इस क्षेत्र में निर्माण एवं विनिर्माण को सम्मिलित किया जाता है। इसमें छोटे व बड़े उद्योगों की क्रियाओं को शामिल किया जाता है, जैसे विद्युत् उत्पादन, गैस उत्पादन, जलापूर्ति एवं अन्य।

(iii) तृतीयक क्षेत्र/सेवा क्षेत्र– इस क्षेत्र में सेवाओं को सम्मिलित किया जाता है। जैसे—परिवहन, भण्डारण, संचार, होटल एवं व्यापार, बैंकिंग एवं बीमा, लोक प्रशासन एवं सामाजिक सामुदायिक एवं वैयक्तिक सेवाएँ आदि। सेवा क्षेत्र में शिक्षा की भूमिका सेवा क्षेत्र में शिक्षा की भूमिका बहुत महत्त्वपूर्ण है क्योंकि शिक्षित व्यक्ति इस क्षेत्र में अपने कार्य को सही गति प्रदान करते हैं। क्योंकि शिक्षा लोगों को कौशल सिखाती है। अत: वस्तुओं के उत्पादन में गुणवत्ता की दृष्टि से शिक्षा काफी महत्त्वपूर्ण है। जिस प्रकार एक कारखाने के निर्माण में निवेश करने से परिणाम प्राप्त होते हैं ठीक उसी प्रकार शिक्षा साधनों में निवेश से देश के आर्थिक विकास में महत्त्वपूर्ण परिणाम प्राप्त होते हैं।


7. विश्व के लिए भारत सेवा प्रदाता के रूप में किस तरह जाना जाता है ? उदाहरण सहित लिखें।

उत्तर-भारत विश्व में दूसरी सबसे बड़ी जनसंख्या वाला देश है; अत: यहाँ मानव संसाधन सर्वाधिक मात्रा में उपलब्ध हैं।
उदारीकरण के बाद अनेक बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने भारत में अपने उत्पादों के लिए कारखाने खोले जिसमें सर्वाधिक भारतीयों ने सेवा प्रदान किया। (देश के बाहर भी भारतीय डॉक्टर, इंजीनियर, वैज्ञानिक इत्यादि के रूप में अपनी सेवा दे रहे हैं।) बाह्य स्रोती रोजगार के कारण भी भारतीयों को कॉल सेंटर इत्यादि में लाखों की संख्या में रोजगार मिले। भारत में उत्तम एवं सस्ता श्रम उपलब्ध होने के कारण विदेशी कंपनियों का जमघट शुरू हो गया है। विश्व के लिए भारत एक उत्तम सेवा प्रदाता के रूप में जाना जाता है। लगातार विदेशी पूँजी निवेश, कॉल सेंटरों का विस्तार इत्यादि इसके श्रेष्ठ उदाहरण हैं।’


8. संचार सेवाओं के विकास में कम्प्यूटर का क्या योगदान है ?

उत्तर-संचार सेवाओं के विकास एवं प्रसार में कम्प्यूटर का योगदान अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है। कम्प्यूटर एक स्वचालित मशीन है जिसके अनेक उपयोग हैं। आज दूरसंचार, परिवहन, विज्ञान, शिक्षा, चिकित्सा, संरक्षा, शोध एवं अनुसंधान आदि के क्षेत्र में कम्प्यूटर का प्रयोग दिन-प्रतिदिन बढ़ रहा है। इससे इन सेवाओं के स्तर में सुधार हुआ है। कम्प्यूटर के दो मुख्य अंग होते हैं_सॉफ्टवेयर तथा हार्डवेयर। कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर उद्योग श्रम-प्रधान है तथा इसके उत्पादन में भारत विश्व का एक अग्रणी देश माना जाने लगा है। हमारे देश का बेंगलुरु शहर सूचना-प्रौद्योगिकी तथा सॉफ्टवेयर का प्रतीक बन गया है। इस क्षेत्र में रोजगार की असीम संभावनाएँ हैं।


9. भारत में आउटसोर्सिंग के इतिहास का वर्णन करें।

उत्तर-भारत में आउटसोर्सिंग का इतिहास काफी पुराना है परंतु यह अधिक चर्चा में तब आया जब 1990 के दशक में यह सेवा क्षेत्र में तीव्रता से प्रगति करना प्रारंभ कर दिया। इसकी शुरुआत सेवा क्षेत्र में 1980 के दशक में मानी जा सकती है। आज भारत विश्व सूचना प्रौद्योगिकी में काफी महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहा है। आउटसोर्सिंग शरू में कळ एयरलाईस कंपनियों के लिए प्रारंभ हुआ। बाद में आई०टी० कंपनियों की भरमार हो गई। आज एक टी०सी०एस० और टाटा एंड संस जैसी अग्रणी कंपनियाँ इस क्षेत्र में है। ताजा आकडों के हिसाब से भारतीय आउटसोर्सिंग क्षेत्र में लगभग तीस लाख लोग काम करते हैं और इससे 11 अरब डॉलर राजस्व की प्राप्ति होती है। भारतीय अर्थव्यवस्था में आउटसोर्सिंग उद्योग का इतिहास प्राचीन तो नहीं परंतु अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।

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