मैथिली मे रचित भक्ति संग्रह ‘श्रीकृष्णमणि’ का लोकार्पण

मैथिली मे रचित भक्ति संग्रह ‘श्रीकृष्णमणि’ का लोकार्पण

मैथिली मे रचित भक्ति संग्रह ‘श्रीकृष्णमणि’ का लोकार्पण

महात्मा गांधी शिक्षण संस्थान के सभागार में बुधवार को आयोजित लोकार्पण समारोह में मैथिली मंच के कलाकारों ने भक्तिपूर्ण रचनाओं पर दी संगीतमय प्रस्तुति
मैथिली के चर्चित साहित्यकार एवं भारत निर्वाचन आयोग के दरभंगा जिला आइकॉन मणिकांत झा द्वारा मणिश्रृंखला अंतर्गत मैथिली में रचित कृष्ण भक्ति गीत संग्रह ‘श्रीकृष्णमणि’ का लोकार्पण बुधवार को महात्मा गांधी शिक्षण संस्थान के सभागार में किया गया। महात्मा गांधी शिक्षण संस्थान द्वारा प्रकाशित भक्ति गीत संग्रह का लोकार्पण विद्यापति सेवा संस्थान के महासचिव डा बैद्यनाथ चौधरी बैजू, एमएलएसएम कालेज के पूर्व प्रधानाचार्य डा विद्यानाथ झा, वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ डा ओमप्रकाश, मैथिली अकादमी के पूर्व अध्यक्ष पं कमलाकांत झा, डा एडीएन सिंह, डा कृष्ण कुमार झा, पं विष्णु देव झा विकल, डा रमेश झा, बासुकी नाथ झा आदि के कर-कमलों से साथ मिलकर किया गया।

लोकार्पण समारोह में विद्यापति सेवा संस्थान के महासचिव डॉ बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने कहा कि मिथिला में कृष्ण भक्ति की परंपरा पुरातन काल से कायम रही है। इस परम्परा में मनबोध ने ‘कृष्णजन्म’ लिखे और कृष्ण भक्ति का प्रसार घर-घर में हुआ। ‘कृष्णजन्म’ आज भी यहां के लोककंठ में वर्तमान हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि मणिकांत की रचना श्रीकृष्णमणि भी मिथिला के हर घर में जगह बनाने में कारगर होगी।
एमएलएसएम कालेज के पूर्व प्रधानाचार्य डा विद्यानाथ झा ने कहा कि मिथिला में भगवान कृष्ण के उपासना की परंपरा पुरानी रही है।इसमें क्रमशः हरिशय़न एकादशी, देवोत्थान एकादशी, कर्माधर्मा एकादशी और कृष्ण के जन्म का पर्व श्रीकृष्णाष्टमी का उल्लेख प्रमुख व्रत के रूप में किया गया है। पं विष्णु देव झा विकल ने कहा कि मिथिला में कृष्ण भक्ति की धूम सर्वत्र छाई है। समय के साथ सनातन धर्म का यह पर्व अब वैश्विक हो चला है। ऐसे में मिथिला के कृष्ण भक्तों के लिए मणिकांत झा का यह रचना पुष्प अनुपम उपहार है।

मैथिली अकादमी के पूर्व अध्यक्ष पं कमलाकांत झा ने कहा कि अन्य सनातन त्योहार की तरह कृष्णाष्टमी भी सत्य, न्याय और भक्ति के विजय का पर्व है। बात इसके रंग की करें तो यह बेहद गहरा है। उन्हें विश्वास है कि मणिकांत झा की रचनाएं कृष्ण भक्ति की सतरंगी छटा बिखेरेगा।
अपने संबोधन में डा ओमप्रकाश ने मैथिली के वरिष्ठ साहित्यकार मणिकांत झा द्वारा मैथिली में रचित श्रीकृष्णमणि को मिथिला में कृष्ण भक्ति की पुरातन संस्कृति का संवाहक बताया। डा एडीएन सिंह ने मणिकांत झा के रचना संग्रह को मैथिली भक्ति साहित्य जगत को मजबूती प्रदान करने वाला बताया।
महात्मा गांधी शिक्षण संस्थान के चेयरमैन एवं मणिशृंखला के प्रकाशक हीरा कुमार झा ने अपने संबोधन में कहा कि उन्होंने कभी सोचा भी ना था कि मणिशृंखला अंतर्गत प्रकाशित पुस्तकों की कड़ी इतनी जल्दी 33वें रचना पुष्प को प्राप्त कर लेगी। उन्होंने मणिशृंखला की सफलता के लिए आम मैथिल जन के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की।
मणिकांत झा के संचालन में आयोजित इस कार्यक्रम में श्रीकृष्णमणि पुस्तक से अनेक भक्तिमय प्रस्तुतियां दी गई । कार्यक्रम में आकाशवाणी दरभंगा की कलाकार डा सुषमा झा, दीपक कुमार झा, नीरज कुमार झा, जानकी ठाकुर, आदर्श झा, भारती एवं जया ने महात्मा गांधी शिक्षण संस्थान द्वारा प्रकाशित भक्तिमय गीत संग्रह से गीतों की एक से बढ़कर एक संगीतमय प्रस्तुतियां दी। वहीं, तबला पर गौरीकांत झा और इलेक्ट्रॉनिक कैसियो पर नीरज कुमार झा ने मनोहर संगति दी।
कार्यक्रम में विष्णु कुमार झा, प्रवीण कुमार झा, प्रो चंद्रशेखर झा बूढ़ाभाई, नीलम झा, पूनम झा, कंचना झा, वंदना झा, संतोष कुमार झा, डा चन्द्रमोहन पांडे, गंधर्व कुमार झा आदि की उल्लेखनीय उपस्थिति रही।

हमसे जुड़ें, हमें फॉलो करे ..
  • Telegram ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Facebook पर फॉलो करे – Click Here
  • Facebook ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Google News ज्वाइन करे – Click Here

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *