मुद्रा और साख

मुद्रा और साख

सारांश

आधुनिक युग में मुद्रा का प्रयोग वस्तु या सेवाओं को खरीदने के लिए किया जाता है। मुद्रा के उपयोग से मांगों के दुहरे संयोग की जरूरत खत्म हो जाती है! चूँकि मुद्रा विनिमय प्रक्रिया में मध्यस्थता का काम करती है इसलिए इसे विनिमय का माध्यम कहा जाता है। मुद्रा के आधुनिक रूपों में करेंसी-कागज के नोट और सिकके शामिल हैं। हमारे देश में भारतीय रिजर्व . बैंक. केंद्रीय सरकार की तरफ से करेंसी नोट जारी करता है।

मुद्रा के आधुनिक रूप-करेंसी और जमा. आधुनिक बैंक प्रणाली के काम से बहुत नजदीक से जुड़े हुए हैं। लोग बैकों में अपना धन जमा कर सकते हैं और अपनी मर्जी से कभी पी निकाल सकते हैं। बैंको के पास जमा धन सुरक्षित रहता है और सूद भी मिलता है। आधुनिक अर्थव्यवस्था में करेंसी के साथ-साथ माँग जमा को भी मुद्रा समझा जाता है। बैंक उनके पास जमा राशि के प्रमुख भाग को कर्ज देने के लिए इस्तेमाल करते हैं। कर्जदारों से लिये एग ब्याज तथा जमाकर्ताओं को दिये गये ब्याज के बीच का अंतर बैंकों की आय का प्रमुख स्रोत है। शहीर क्षेत्रों में कर्ज की माँग प्रायः व्यापार के लिए एवं ग्रामीण क्षेत्रों में फसल उगाने के लिए होती है। . हर एक ऋण समझौते में ब्याज दर तय की जाती है जिसे कर्जदार महाजन को मूल रकम के साथ वापस करता है। ब्याज दर, संपत्ति और कागजात की माँग और भुगतान के तरीके आदि को ऋण की शर्ते कहा जाता है। भारत में ग्रामीण क्षेत्रों में ऋण का मुख्य स्रोत महाजन, कृषि व्यापारी, बैंक, भूपति मालिक और सहकारी समितियाँ होती हैं।

विभिन्न प्रकार के ऋणों को दो वर्गों में बाँटा जा सकता है: औपचारिक तथा अनौपचारिक खण्ड। औपचारिक वर्ग में बैंक और सहकारी समितियाँ आती हैं। जबकि दूसरे वर्ग में साहूकार, व्यापारी, मालिक, दोस्त, रिश्तेदार आदि आते हैं। भारतीय रिजर्व बैंक कों के औपचारिक स्रोतों की गतिविधियों पर नजर रखता है लेकिन अनौपचारिक खण्ड में ऋणदाताओं -की गतिविधियों को देख-रेख करने वाली कोई संस्था नहीं है। इस कारण अनौपचारिक स्तर पर लिया गया ऋण कर्जदाता को अधिक महँगा पड़ता है। वर्तमान समय में, अमीर परिवार औपचारिक स्रोतों से अधिक ऋण प्राप्त करते हैं जबकि गरीबों को अब भी अनौपचारिक स्रोतों पर निर्भर रहना पड़ता है। अतः यह आवश्यक है कि औपचारिक खंड का कुल ऋण बढ़े जिससे महँगे अनौपचारिक ऋण पर से लोगों की निर्भरता घट सके।

पिछले कुछ वर्षों में, गरीबों में आत्मनिर्भर गुट बनाने की प्रवृत्ति जोर पकड़ रही है। बचत और ऋण गतिविधियों से जुड़े ज्यादातर महत्त्वपूर्ण निर्णय गुट के सदस्य खुद करते हैं। आत्मनिर्भर गुट कर्जदारों को ऋणाधार की कमी की समस्या से उबारने में मद्द करते हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों में ऋण उपलब्ध कराने के क्षेत्र में बांग्लादेश ग्रामीण बैंक का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। इसकी शुरुआत 1970 में हुई। अब इस बैंक के 60 लाख कर्जदार हैं जो बाग्लादेश के 40,000 गाँवों में बसते हैं।

मुद्रा और साख Important Questions and Answers

प्रश्न-1.
आवश्यकताओं का दोहरा संयोग किसे कहते
उत्तर-
(क) जब क्रेता और विक्रेता दोनों एक दूसरे से चीजें खरीदने तथा बेचने पर सहमति रखतें हों तो इसे आवश्यकताओं का दोहरा संयोग कहा जाता है।
(ख) वस्तु विनितय प्रणाली में मांगों का दोहरा संयोग होना लाजिमी विशिष्टता हैं।

प्रश्न-2.
मुद्रा माँगों के दोहर संयोग को कैसे खत्म करती
उत्तर-
ऐसी अर्थव्यवस्था जहाँ मुद्रा का प्रयोग होता है, विनिमय प्रक्रिया में मुद्रा बीच का महत्त्वपूर्ण चरण प्रदान करके माँगों के दोहरे संयोग की जरूरत को खत्म कर देते हैं।

प्रश्न-3.
माँग जमा किसे कहते हैं?
उत्तर-
चूंकि बैंक खातों में जमा धन को माँग के जरिये निकाला जा सकता हैं इसीलिए इस जमा धन को मांग जमा कहा जाता है।

प्रश्न-4.
चेक क्या है?
उत्तर-
चेक एक ऐसा कागज है जो बैंक को किसी व्यक्ति के खाते से चेक पर लिखे नाम के किसी दूसरे व्यक्ति को एक खास रकम का भुगतन करने कजा आदेश देता है।

प्रश्न-5.
माँग जमा को मुद्रा क्यों माना जाता हैं?
उत्तर-
चूंकि मांग जमा व्यापक स्तर पर भुगतान का जरिया स्वीकार किये जाते हैं, इसलिये आधुनिक अर्थव्यवस्था मे करेंसी के साथ-साथ इसे भी मुद्रा समझा जाता है।

प्रश्न-6.
ऋण से आपका क्या तात्पर्य है?
उत्तर-
ऋण से हमारा तात्पर्य एक सहमति से है जहाँ उध परदाता कर्जदार को धन, वस्तुएं या सेवाएँ प्रदान करता है। और बदले में भविष्य में कर्जदार से भुगतान करने का वादा लेता है।

प्रश्न-7.
ऋण की शर्ते क्या हैं?
उत्तर-
ब्याज-दर, संपत्ति एवं कागजात की माँग और भुगतान के तरीके, इन सबको मिलकार ऋण की शर्ते कहा जाता है। ऋण की शर्तो में एक ऋण व्यवस्था से दूसरी ऋण व्यवस्था में काफी फर्क आता हैं। ऋण की शर्ते उधारदाता और कर्जदार की प्रकृति पर भी निर्भर करती हैं।

प्रश्न-8.
सहकारी समितियाँ किन कार्यो के लिए ऋण उपलब्ध कराती हैं?
उत्तर-
सहकारी समितियाँ कृषि उपकरण खरीदने, खेती तथा कृषि व्यापार करने, मछली पकड़ने, घर बननाने और तमाम अन्य खर्चा के लिए ऋण उपलब्ध कराती है।

प्रश्न-9.
ग्रामीण क्षेत्रों में ऋण के विभिन्न स्रोतों की सूची बनाइए।
उत्तर-
भारत में ग्रामीण क्षेत्रों में निम्नलिखित स्रोतों से ऋण उपलब्ध है
(क) महाजन (ख) साहूकार (ग) कृषि-व्यापारी (घ) सहाकारी समितियाँ (ङ) भूपति मालिक एवं (च) बैंक

प्रश्न-10.
किन स्रोतों से प्राप्त ऋण ज्यादा महँगा होता
उत्तर-
औपचारिक स्तर पर ऋण देनेवालों की तुलना में अनौपचारिक खण्ड के ज्यादात ऋणदाता कहीं ज्यादा ब्याज वसूलते हैं। इसलिए, अनौपचारिक स्तर पर लिया गया ऋण कर्जदाता को अधिक महँगा पड़ता है।

प्रश्न-11.
भारत में औपचारिक क्षेत्र के ऋणदाताओं की गतिविधियों पर कौन नजर रखता है?
उत्तर-
भारत में भारतीर रिजर्व बैंक कर्जा के औपचारिक स्रोतों की गतिविधियों पर नजर रखता है।

प्रश्न-12.
औपचरिक खण्ड के ऋण का लोगों तक पहुँचना क्यों जरूरी हैं?
उत्तर-
(क) औपचारिक खण्ड के ऋण का विस्तार होने के साथ-साथ इसका लोगों तक पहुँवना जरूरी है। क्योंकि वर्तमान समय में अमीर परिवारों की पहुँच औपचारिक स्रोतों तक हैं परंतु गरीब परिवारों को ज्यादातर अनौपचारिक स्रोतों पर निर्भर रहना पड़ता है।
(ख) औपचारिक खण्ड से ऋण का वितरण बराबरी के स्तर पर होना चाहिए। जिससे गरीब लोगों को भी सस्ते ऋण का लाभ प्राप्त हो सके।

प्रश्न-13.
कार्यशील पूँजी के कुछ उदाहरण दीजिये।
उत्तर-
कच्चा माल, नकदी, धन, बीज, खाद, बाँस खरीदना आदि कार्यशील पूँजी के उदहरण हैं।

प्रश्न-14.
बैंक आत्मनिर्भर गुटों से जुडः महिलाओं को कर्ज देने के लिए क्यों तैयार होते हैं?
उत्तर-
(क) जब महिलाएं स्वयं को आत्मनिर्भर गुटों में आयोजित कर लेती हैं तो बैकि उन्हें ऋण देने के लिए तैयार हो जाते हैं हालांकि उनके पास कोई ऋणाधार नहीं होता है।
(ख) इसका कारण यह है कि बचत और ऋण गतिविधि यों से जुड़े ज्यादातर महत्त्वपूर्ण निर्णय गुट के सदस्य खुद करते हैं गुट फैसला करता है कि कितना कर्ज दिया जागण, उसका लक्ष्य, उसकी रकम. ब्याज दर, वापस लौटाने की अवधि क्या होगी आदि।
(ग) ऋण उतारने की जिम्मेदारी भी गुट की होती है एक भी सदस्य यदि ऋण नहीं लौटाता तो गुट के अन्य सदस्य इस मामले को गंभीरता से उठाते हैं।

प्रश्न-15.
आधुनिक करेंसी (मुद्रा) का उत्पाद के रूप में अपने आप में कोई मूल्य नहीं हैं फिर इसे मुद्रा के जेसे क्यों स्वीकार किया गया?
उत्तर-
(क) मुद्रा के आधुनिक रूपों में करेंसी कागज के नोट और सिक्के शामिल हैं। आधुनिक मुद्रा का अपना कोई इस्तेमाल नहीं है।
(ख) इसे मुद्रा के रूप में विनिमय को माध्यम इसलिए स्वीकार किया जाता है। क्योंकि किसी देश की सरकार इसे प्राधिकृत करती है।

प्रश्न-16.
आधुनिक मुद्रा को विनिमय के साधन के रूप में क्यों स्वीकार किया जाता है? उदारहण दीजिये।
उत्तर-
(क) मुद्रा के आधुनिक रूपों में करेंसी कागज के नोट और सिक्के शामिल हैं। आधुनिक मुद्रा का अपना कोई इस्तेमाल नहीं है फिर भी इसे विनिमय के माध्यम के रूप में स्वीकार किया जाता है इसका कारण यह है कि देश की सरकार इसे प्राधिककृत करती है।
(ख) उदाहरण के लिए, भारत में भारतीय रिजर्व बैंक केंद्रीय सरकार की ओर से करेंसी नोट जारी करने के लिए प्राधिकृत हैं।
(ग) कानून रुपयों को विनिमय का माध्यम जैसे उपयोग की वैधता प्रदान करता है।
(घ) भारत में कोई व्यक्ति कानूनी तौर पर रुपयों में अदायगी को अस्वीकार नहीं कर सकता। इसलिए रूपया व्यापक स्तर पर विनिमय का माध्यम स्वीकार किया गया है।

प्रश्न-17.
बैंकों की कर्ज संबंधी गतिविधियों पर एक नोट लिखें।
उत्तर-
बैंकों में लोग मुद्रा निक्षेप के रूप में रखते हैं। बैंक उसके पास जमा रकम का 15 प्रतिशत हिस्सा नकद के रूप में अपने पास रखते हैं। इस धन को किसी एक दिन में जमाकर्ताओं द्वारा धन निकालने की संभावना को देखते हुए संभार के रूप में रखा जाता है।
बैंक उनके पास जमा राशि के प्रमुख भाग को कर्ज देने के लिए इस्तेमाल करते हैं। विभिन्न आर्थिक गतिविधियों के लिए कर्ज की बहुत मांग रहती है इस प्रकार बैंक दो गुटों-जमाकर्ता और कर्जदार के बीच मध्यस्थता का काम करते हैं। जमाकर्ताओं को दिये गये ब्याज और कर्जदारों से लिये गये बयाज का बंतर बैंकों की आय का प्रमुख स्रोत होता है।

प्रश्न-18.
ऋण-फंदा से आपका क्या अभिप्राय हैं?
उत्तर-
लोग ग्रामीण गतिविधियों के लिए ऋण लेते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में ऋण की मुख्य मांग फसल उगाने के लिए होती है।
मान लीजिये एक छोटा किसान अपने छोटे जमीन के टुकड़े पर फसल उगाने के लिये महाजन से ऋण लेता है। वह उम्मीद करता है कि अच्छी फसल होने पर वह कर्ज वापस कर देगा।
परंतु मौसम के बीच में फसल पर नाशक कीओं के हमले से फसल बर्बाद हो जाने के कारण वह कर्ज लौटाने में असफल हो जाता है और साल के भीतर ही यह कर्ज बड़ी रकम बन जाता है। अलगे वर्ष वह पुनः उधार लेता है। इस बार फसल सामान्य होती हैं लेकिन इतनी कमाई नहीं होती कि वह पिछला कर्ज उतार सके। उसे कर्ज लौटाने के लिए अपनी जमीन का कुछ हिस्सा बेचना पड़ता है। इस प्रकार वह ऋण फंदे में फंस जाता है। ऐसी परिस्थिति में कर्जदार का ऋण फंदे से निकलना अति कष्टदायक होता है।

प्रश्न-19.
ऋण की शर्ते क्या होती हैं?
उत्तर-
(क) ब्याज दर, संपत्ति, कागजात की मांग और भुगतान के तरीके इन सबको मिलाकर ऋण की शर्ते कहा जाता है। ऋण की शतों में एक ऋण व्यवस्था से दूसरी ऋण व्यवस्था में काफी फर्क होता है। ऋण की शर्ते ऋणदाता और कदार की प्रकृति पर भी निर्भर करती हैं।
(ख) हरेक ऋण समझौते में ब्याज-दर साफ तरीके से दी जाती है। जिसे कर्जदार महाजन को मूल रकम के साथ वापस करता है।
(ग) ऋणदाता ऋण के खिलाफ कोई समर्थक ऋणाधार की मांग कर सकता है। समर्थक ऋणाधार ऐसी संपत्ति है जिसका मालिक कर्जदार होता है। जैसे, भूमि, मकान, गाड़ी, पशु, बैंक में जमा पूंजी आदि। इसका इस्तेमाल ऋणदाता को गारंटी के रूप में किया जाता है, जब तक कि ऋण का भुगतान नहीं हो जाता है!
(घ) यदि कर्जदार ऋण वापस नहीं कर पाता है तो ऋणदाता को भुगतान प्राप्ति के लिए समर्थक ऋणाधार को बेचने का अधिकार होता है।

प्रश्न-20.
ऋणों को कितने वर्गों में बाँटा जा सकता है?
उत्तर-
(क) विभिन्न प्रकार के ऋणों को दो वर्गों में बांटा जा सकता है : औपचारिक तथा अनौपचारिक खण्ड।
(ख) औपचारिक वर्ग में बैंकों व सहकारी समितियों से लिये कर्ज आते हैं।
(ग) अनौपचारिक वर्ग में महाजन, व्यापारी, साहूकार, मालिक, दोस्त, रिश्तेदार आदि आते हैं।

प्रश्न-21.
गरीबों में आत्मनिर्भर गुट के संगठन का क्या लाभ होता है?
उत्तर-
(क) आत्मनिर्भर गुट कर्जदारों को ऋणाधार की कमी की समस्या का समाधान करते हैं।
(ख) विभिन्न आर्थिक गतिविधियों के लिए उन्हें सस्ती ब्याज-दर पर ऋण उपलब्ध हो जाता है।
(ग) आत्मनिर्भर गुट ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबों को संघबद्ध करने में मदद करते हैं।
(घ) इससे महिलाएं स्वावलंबी बनती हैं। गुट की नियमित बैंठकों में तरह-तरह के सामाजिक विषयों जैसे, स्वास्थ्य, पोषण, हिंसा आदि पर विचार-विमर्श करने का मौका मिलता है।

प्रश्न-22.
बांग्लादेश ग्रामीण बैंक पर एक नोट लिखें।
उत्तर-
बांग्लोदश ग्रामीण बैंक की शुरुआत 1970 में हुई। इसकी सफलता सस्ती ब्याज दरों पर गरीबों को ऋण देने में रही है। इसके 60 लाख कर्जदार हैं जो बांग्लादेश के 40, 000 गांवों में फैले हुए हैं। इससे ऋण लेने वाली ज्यादातर गरीब महिलाएँ हैं।

प्रश्न-23.
सोनपुर के छोटे किसान, मध्य किसान और भूमिहीन कृषि मजदूर के लिए ऋण की शर्तों की तुलना कीजिए।
उत्तर-
1. छोटा किसान-सोनपुर के एक छोटे किसान श्यामल के पास 1.5 एकड़ जमीन है, जिसे जोतने के लिए उसे हर मोसम में ऋण की जरूरत होती है। पहले वह गांव के एक महाजन से ऋण लेता था जिस पर उसे पाँ प्रतिशत मासिक ब्याज देना पड़ता । बाद में वह एक कृषि व्यापारी से तीन प्रतिशत ब्याज पर ऋण लेने लगा। जुताई के मौसम की शुरुआत होने पर व्यापारी उसे कृषि संबंधी उपकरण और माल ऋण पर मुहैया कराता हैं, फसल तैयार होने पर ये उपकरण उसे व्यापारी को वापस करने पड़ते हैं।
ऋण पर ब्याज के अलावा व्यापारी किसानों से यह वादा लेता हैं कि वे अपनी फसल उसे ही बेचेंगे। इससे उसकी ऋण की अदायगी तेजी से हो जाती है। फिर वह सस्ते दाम पर फसल खरीदकर बाद में उसे बढ़े दामों पर बेचता है।

2. मध्यम किसान-अरुण एक मध्यम वर्गीय किसान है; उसके पास 7 एकड़ जमीन हैं वह कृषि कार्य के लिए बैंक से 8.5 प्रतिशत वार्षिक ब्याज दर पर !ण लेता है। इस ऋण को वह अगले तीन सालों में कभी भी लौटा सकता है। पिछला ऋण अदायगी के बाद बचे फसलों के खिलाफ वह और भी ऋण ले सकता है। बैंक उन किसानों को ऐसी सुविधा देने को तैयार रहता है जो पहले भी खेती के लिए उससे ऋण ले चुके

3. भूमिहीन कृषि मजदूर-रमा एक कृषि मजदूर हैं साल के कई महीनों में उसके पास कोई काम नहीं होता और रोजमर्रा के खर्चों के लिए उसे ऋण लेना पड़ता है बीमारी की स्थिति में या पारिवारिक समारोहों पर खर्च करने के लिए भी उसे ऋण लेना पड़ता है।
वह ऋण के लिए सोनपुर के एक मध्यम वरीय भूपति पर निर्भर है जो उसका मालिक भी है। भूपति उसे 5 प्रतिशत मासिक ब्याज दर पर ऋण देता है। इस कर्ज को वापस करने के लिए रमा को उसके घर पर काम करना पड़ता है। वह पुराना ऋण वापस नहीं कर पाती है। परंतु अगली खर्चों के लिए उसे नया ऋण लेना पड़ता है। उसका मालिक उसके साथ अच्छा व्यवहार नही करता लेकिन वह उसके यहाँ काम करना जारी रखती है क्योंकि उसे उससे नये ऋण मिलने की उम्मीद रहती है।

प्रश्न-24.
सहकारी समितियाँ किस प्रकार अपने सदस्यों को ऋण उपलब्ध कराती हैं?
उत्तर-
(क) ग्रामीण क्षेत्रों में सस्ते ऋण का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत सहकारी समितियां हैं। सहकारी समिति के सदस्य कुछ विशेष क्षेत्रों में सहयोग के लिए अपने संसाधनों के जोड़ लेते
(ख) सहकारी समितियां कई प्रकार की हो सकती हैं, जैसे, किसानों, बुनकरों, औद्योगिक मजदूरों आदि की सहकारी समितियां।
(ग) ये अपने सदस्यों से जमा कबूल करती हैं इस जमा पूंजी के आधार पर बैंकों से इन्हें बड़ा ऋण भी मिलता है। ___ (घ) सहकारी समितियाँ इस रकम का इस्तेमाल सदस्यों को ऋण देने के लिए करती हैं।
(ङ) पुराना ऋण लौटाने के बाद नया ऋण लिया जा सकता है।
(च) सहकारी समितियाँ अपने सदस्यों को कृषि उपकरण खरीदने खेती तथा कृषि-व्यापार करने, मछली पकड़ने, घर बनाने आदि के लिए ऋण देती हैं।

प्रश्न-25.
ऋण की औपचारिक स्रोतों के विस्तार की जरूरत क्यों हैं? इससे क्या लाभ प्राप्त हो सकता हैं?
उत्तर-
(क) औपचारिक स्तर पर ऋण देनेवालों की तुलना में अनौपचारिक वर्ग के ऋणदाता ज्यादा ब्याज लेते हैं। अतः अनौपचारिक ऋण कर्जदाता को अधिक महंगा पड़ता है।
(ख) ऋण पर ऊँचीब्याज दरों के कारण कर्जदारों की आय का अधिकतर हिस्सा ऋण अदायगी में खर्च हो जाता हैं इस तरह, उनके पास निजी खर्चे के लिए कम आय बच जाती
(ग) कुछ मामलों ऋण की ऊँ ब्याज दरों के कारण कर्ज वापसी की रकम कर्जदार की आय से भी अधिक हो जाती हैं जिस कारण वह ऋण-फंदे में फंस सकता हैं ।
(घ) कई बार ऊँची ब्याज दरों के डर से लोग नया काम शुरू ही नहीं कर पाते हैं।
उपरोक्त कारणों से ऋण के औपचारिक स्रोतों यथा, बैंक और सहकारी समितियों को अधिक से अधिक कर्ज उपलब्ध कराना चाहिए।

मुख्य लाभ-
(क) सस्ते ऋण से लोगों की आय बढ़ सकती है। (ख) गाँवों में लोग सफल उगाने के लिय या छोटा-मोटा कारोबार करने के लिए ऋण ले सकते हैं। शहरोंम में लोग नया उद्योग लगा सकते हैं या व्यापार कर सकते हैं। सस्ता ऋण देश के विकास के लिए अति आवश्यक है।,

प्रश्न-26.
शहरी व ग्रामीण क्षेत्र में मिलने वाली ओपचारिक व अनौपचारिक ऋणों की तुलना करें।
उत्तर-
(क) शहरी क्षेत्रों के गरीब परिवारों की कर्जा की 85% जरूरतें अनौपचारिक स्रोतों से पुरी होती हैं। इसकी तुलना में शहरी-इलाकों में अमीर परिवार 90% औपचारिक स्रोतों से ऋण लेते हैं सिफ 10% लोग अनौपचारिक स्रोतों से अपनी ऋण की जरूरतें पूरी करते हैं।
(ख) ग्रामीण इलाकों में भी अमीर लोग औपचारिक स्रोतों से अधिक ऋण लेते हैं जबकि गरीब परिवार अपनी ऋण आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अनौपचारिक स्रोतों पर निर्भर हैं।
(ग) औपचारिक वर्ग ग्रामीण परिवारों के ऋण की जरूरतों का मात्र 50% ही पूरा कर पाता हैं
(घ) अनौपचारिक वर्ग के ऋणदाताओं का ब्याज दर • काफी ऊँची होती हैं जिससे कर्जदारों की समस्या साधारणतया बढ़ती ही हैं।
(ङ) वतमान समय में अमीर परिवारों की पहुँच औपचारिक स्रोतों तक हैं, परंतु गरीब परविरों को अधिकतर अनौपचारिक ऋणों पर निर्भर रहना पड़ता हैं।

प्रश्न-27.
भारत में गरीब परिवार अब भी ऋण के लिए अनौपचारिक स्रोतों पर निर्भर क्यों हैं।
उत्तर-
भारत में अधिकांश गरीब परिवार ऋण संबंधी जरूरतों के लिए अब भी अनौपचारिक स्त्रोतों पर निर्भर हैं, इसके मुख्य कारण निम्नलिखित हैं
(क) भारत के सभी ग्रामीण क्षेत्रों में मौजूद नहीं हैं।
(ख) बैंकों से कर्ज लेना महाजनों से कर्ज लेने की अपेक्षा ज्यादा मुश्किल हैं
(ग) बैंक से कर्ज लेने के लिए संपत्ति और तमाम किस्म के कागजातों की जरूरत होती हैं।
(घ) ऋणाधार नहीं होने पर कज्र नहीं मिल पाता है।
(ङ) अनौपचारिक ऋणदाता इन कर्जदारों को निजी स्तर पर जानते हैं, इस कारण वे बना ऋणाधार के ही ऋण देने को तैयार हो जाते हैं।
(च) कर्जदार जरूरत पड़ने पर पुराना बकाया चुकाये बिना, साहूकार से नया ऋण ले सकते हैं।

प्रश्न-28.
गरीबों में आत्मनिर्भर गुट पर एक टिप्पणी लिखिये।
उत्तर-
(क) पिछले कुछ सालों में, लोंगों ने गरीबों को उधार देने के लिए कई नये तरीकों को ईजाद किया हैं, इनमें एक विचार ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबों, खासकर महिलाओं को छोटे-छोटे आत्मनिर्भर गुटों में जोड़कर उनकी बचत पूंजी को एकचित्र करना है।
(ख) आमतौर पर एक गुट में 15-20 सदस्य होते हैं जो नियमित रूप से मिलते है। और बचत करते हैं परिवारों की बचत क्षमता के आधार पर प्रतिव्यक्ति 5 रुपये से 100 रुपये तक बचत की जा सकती है।
(ग) आत्मनिर्भर गुट के सदस्य अपनी जरूरतों के हिसाब से गुट से ही कर्ज ले सकते हैं जिस पर उन्हें ब्याज देना पड़ता है परंतु यह ब्याज साहूकारों की अपेक्षा बहुत कम होता
(घ) एक या दो वर्षों बाद यह गुट बैंक से ऋण ले सकता है। इसका उद्देश्य सदस्यों को अपनी गिरवी जमीन छुड़वाने के लिए तथा कार्यशील पूंजी की जरूरतों को पूरा करने के लिए ऋण उपलब्ध कराना है।
(ङ) बचत और ऋण गतिविधियों से जुड़े ज्यादातर महत्त्वपूर्ण निणय गुट के सदस्य खुद करते है।। गुट ही फैसला करता है कि किमना कर्ज दिया जाएगा, उसका लक्ष्य, उसकी रकम, ब्याज दर, वापस लौटाने की अवधि आदि।
(च) इस ऋण को वापस करने की जिम्मेदारी भी गुट की होती हैं यदि गुट का कोई सदस्य ऋण वापस नहीं करता तो गुट के अन्य सदस्य इस मामले को गंभीरता से उठाते हैं।
(छ) आत्मनिर्भर गुट कर्जदारों को ऋणाधार की कमी की समस्या से उबारने में मदद करते हैं।
(ज) उन्हें समायनुसार विभिन्न प्रकार के लक्ष्यों के लिए एक यथोचित ब्याज दर पर ऋण मिल जाता है।
(झ) यह गुट ग्रामीण क्षेत्रों के गरीबों को संघबद्ध करने में मदद करते हैं।

मुद्रा और साख Textbook Questions and Answers

पाठ्यगत प्रश्नोत्तर (पृष्ठ संख्या 40)

प्रश्न 1.
मुद्रा के प्रयोग से वस्तुओं के विनिमय में सहूलियत कैसे आती है?
उत्तर-
वस्तु विनिमय प्रणाली में जहाँ वस्तुएँ सीधे आदान-प्रदान की जाती हैं, वहाँ आवश्यकताओं का दोहरा संयोग एक आवश्यक शत्र होती है। विनिमय के एक माध्यम के रूप में मुद्रा आवश्यकताओं के दोहरे संयोग की आवश्यकता और वस्तु विनिमय प्रणाली की कठिनाइयों को दूर करता है। इस तरह मुद्रा के प्रयोग से वस्तुओं के विनिमय में सहूलियत आती है।

प्रश्न .2.
क्या आप कुछ ऐसे उदाहरण सोच सकते हैं, जहाँ वस्तुओं तथा सेवाओं का विनिमय या मज़दूरी की अदायगी वस्तु विनिमय के ज़रिए हो रही है?
उत्तर-

  1. ग्रामीण क्षेत्रों में प्रायः अनाजों का विनिमय सीधे किया जाता है।
  2. खेतिहर मजदूरों को प्रायः नकद में नहीं बल्कि वस्तुओं के रूप में भुगतान किया जाता है।

आओ-इन पर विचार करें

प्रश्न 1.
एम. सलीम भुगतान के लिए 20, 000 रु. नकद निकालना चाहते हैं। इसके लिए वह चैक कैसे लिखेंगे?
उत्तर-
एम. सलीम दिए गए स्थान पर संबंधित तारीख लिखेंगे। वह बैंक को ‘स्वयं’ भुगतान करने का आदेश देंगे। वह रुपये से आगे ‘हजार मात्र’ भी लिखेंगे और दिए हुए बॉक्सों में रकम और खाता संख्या जैसे 29,000/- और 2101347298600035 भरेंगे। उन्हें चेक पर नीचे दाहिनी ओर अपने हस्ताक्षर करने पड़ेंगे। फिर वह इसे बैंक के निकासी काउन्टर पर जमा करेंगे और उन्हें रुपये मिल जाएँगे।

प्रश्न 2.
सही उत्तर पर निशान लगाए.
(क) सलीम के बैंक खाते में शेष बढ़ जाता है और प्रेम के बैंक खाते में शेष बढ़ जाता है।
(ख) सलीम के बैंक खाते में शेष घट जाता है और प्रेम के बैंक खाते में शेष बढ़ जाता है।
(ग) सलीम के बैंक खाते में शेष बढ़ जाता है और प्रेम के बैंक खाते में शेष घट जाता है।
उत्तर-
(ख) सलीम के बैंक खाते में शेष घट जाता है और प्रेम के बैंक खाते में शेष बढ़ जाता है।

प्रश्न 3.
माँग जमा को मुद्रा क्यों समझा जाता है?
उत्तर-
चूँकि माँग जमा व्यापक स्तर पर भुगतान का जरिया स्वीकार किए जाते हैं, इसलिए आधुनिक अर्थव्यवस्था में करेंसी के साथ-साथ इसे भी मुद्रा समझा जाता है।

(अ) सलीम और प्रेम के बीच लेन-देन के बाद आओ-इन पर विचार करें (पृष्ठ संख्या 44)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित तालिका की पूर्ति कीजिए।
HBSE 10th Class Social Science Solutions Economics Chapter 3 मुद्रा और साख 1


उत्तर-
HBSE 10th Class Social Science Solutions Economics Chapter 3 मुद्रा और साख 2

प्रश्न 2.
मान लीजिए, सलीम को व्यापारियों से ऑर्डर मिलते रहते हैं। 6 साल बाद उसकी स्थिति क्या होगी?
उत्तर-
यदि सलीम को व्यापारियों से आर्डर मिलते रहते हैं तो वह अच्छा लाभ कमाएगा और 6 साल बाद बहुत बड़ा जूता निर्माता हो जाएगा।

प्रश्न 3.
कौन से कारण हैं, जो स्वप्ना की स्थिति को जोखिम भरा बनाते हैं? निम्नलिखित कारकों की चर्चा कीजिए- कीटनाशक दवाइयाँ, साहूकारों की भूमिका, मौसम।
उत्तर-
फसलों पर कीटों का प्रभाव, साहूकारों द्वारा शोषण और मानूसन का अभाव आदि वे कारण हैं जो स्वप्ना की स्थिति को जोखिम भरा बनाते हैं।

कीटनाशक दवाइयाँ-फसल पर कीटों के प्रभाव को कीटनाशक दवाइयों द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है।
साहूकारों की भूमिका-सामान्यतः साहूकार किसानों का शोषण करते हैं। वे उन्हें ऋण जाल में फँसा लेते हैं।
मौसम- हमारी कृषि भूमि का लगभग 60% भाग अभी भी असिंचित है। हमारे किसान वर्षा पर अत्यधिक निर्भर करते हैं। अत: मौसम कृषि में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।

आओ-इन पर विचार करें (पृष्ठ संख 45)

प्रश्न 1.
उधारदाता उधार देते समय समर्थक ऋणाध पर’ की माँग क्यों करता है?
उत्तर-
उधारदाता ऋण के विरुद्ध सुरक्षा के रूप में समर्थक ‘ऋणाधार की माँग करता है। यदि कर्जदार यह उधार लौटा नहीं पाता तो उधारदाता को भुगतान प्राप्ति के लिए समर्थक ऋणाधार बेचने का अधिकार होता है।

प्रश्न 2.
हमारे देश की एक बहुत बड़ी आबादी निर्धन है। क्या यह उनके कर्ज लेने की क्षमता को प्रभावित करती है?
उत्तर-
निर्धनता कर्ज लेने की क्षमता को प्रभावित करती है। इसका कारण है कि कर्ज लेने के लिए लोगों को गारंटी रूप में समर्थक ऋणाधार देनी पड़ती है। निर्धन लोगों के पास उन संपत्तियों का अभाव होता है जो कर्ज लेने की उनकी क्षमता को प्रभावित करती है।

प्रश्न 3.
कोष्ठक में दिए गए सही विकल्पों का चयन कर रिक्त स्थानों की पूर्ति करें-
ऋण लेते समय कर्जदार आसान प्ण शतोछद्ध को देखता है। इसका अर्थ है …………. (निम्न/ उच्च) ब्याज दर, ……….. (आसान / कठिन) अदायगी की शतेछद्व, …………. (कम/अधिक) समर्थक ऋणामार एवं आवश्यक कागजात।
उत्तर-
ऋण लेते समय कर्जदार आसान ऋण शर्तों को देखता है। इसका अर्थ है निम्न ब्याज दर. आसान अदायगी की शर्ते, कम समर्थक ऋणाधार एवं आवश्यक कागजात।

आओ-इन पर विचार करें (पृष्ठ संख्या 47)

प्रश्न 1.
सोनपुर में ऋण के विभिन्न पेतों की सूची बनाइए।
उत्तर-
1. ग्रामीण साहूकार,
2. खेतिहर व्यापारी,
3. बैंक और,
4. भूपति-मालिक।

प्रश्न 2.
ऊपर दिए हुए अनुच्छेदों में ऋण के विभिन्न प्रयोगों वाली पंक्तियों को रेखांकित कीजिए।
उत्तर-
संबंधित अनुच्छेदों में ऋण के निम्न प्रयोगों वाली पंक्तियाँ निम्न हैं

1. श्यामल का कहना है कि उसे अपनी 1.5 एकड़ जमीन को जोतने के लिए हर मौसम में उधार लेने की जरूरत पड़ती है।
2. अरूण सोनपुर के उन कुछ लोगों में से है. जिसे खेती के लिए बैंक से ऋण मिला है। ____ 3. साल में कई महीने रमा के पास कोई काम नहीं होता और उसे अपने रोजमर्रा के खर्चों के लिए कर्ज लेना पड़ता है। अचानक बीमार पड़ने पर या परिवार में किसी समारोह पर खर्च करने के लिए भी उसे कर्ज लेना पड़ता है।
4. इस पूँजी का इस्तेमाल सदस्यों को कर्ज देने के लिए किया जाता है।
5. कृषक सहकारी समिति कृषि उपकरण खरीदने, खेती तथा कृषि व्यापार करने, मछली मकड़ने, घर बनाने और अन्य विभिन्न प्रकार के खर्चों के लिए ऋण मुहैया कराती है।

प्रश्न 3.
सोनपुर के छोटे किसान, ममयम किसान और भूमिहीन कृषि मज़दूर के लिए ऋण की शतोचद्व की तुलना कीजिए।
उत्तर-
im 3

प्रश्न 4.
श्यामल की तुलना में अरुण को खेती से ज्यादा आय क्यों होगी?
उत्तर-
श्यामल की तुलना में अरुण को खेती से ज़्यादा आय होगी क्योंकि-

1. अरुण के पास 7 एकड़ भूमि है, जबकि श्यामल के पास 1.5 एकड़ भूमि है।
2. अरुण ने 8.5% प्रतिवर्ष की ब्याज दर पर बैंक ऋण प्राप्त किया। दूसरी ओर, श्यामल को 36% प्रतिशत की ब्याज दर पर ऋण प्राप्त हुआ है।
3. अरुण को अगले तीन वर्षों में किसी भी समय ऋण चुकाना है, जबकि श्यामल को 3-4 महीनों के भीतर ही ऋण चुकाना है।
4. श्यामल को खेतिहर व्यापारी को फसल बेचने का वायदा करना पड़ता है, जबकि अरुण के लिए ऐसी कोई शर्त नहीं है।

प्रश्न 5.
क्या सोनपुर के सभी लोगों को सस्ती ब्याज दरों पर कर्ज मिल सकता है? किन लोगों को मिल सकता है?
उत्तर-
नहीं, सोनपुर के सभी लोगों को सस्ती ब्याज दरों पर कर्ज नहीं मिल सकता है। इसका कारण है कि सस्ती ब्याज दरों पर बैंक ऋण लेने के लिए समर्थक ऋणाधार की आवश्यकता पड़ती है।
जो लोग समर्थक ऋणाधार और कागजात संबंधी आवश्यकताओं को पूरा कर सकते हैं, उन्हें ही सस्ती ब्याज दरों पर बैंक से ऋण मिल सकता है।
6. सही उंनर पर निशान लगाइए-

(क) समय के साथ. रमा का पण

  1. बढ़ जाएगा
  2. समान रहेगा
  3. घट जाएगा

(ख) अरूण सोनपुर के उन लोगों में से है जो बैंक से उधार लेते हैं क्योंकि-

  1. गाँव के अन्य लोग साहूकारों से कर्ज़ लेना चाहते हैं।
  2. बैंक समर्थक ऋणाधार की माँग करते हैं जो कि हर किसी के पास नहीं होती।
  3. बैंक ऋण पर ब्याज दरें उतनी ही हैं जितना कि व्यापारी लेते हैं।

आओ-इन पर विचार करें ( पृष्ठ संख्या 50)

प्रश्न 1.
ऋण के औपचारिक और अनौपचारिक स्रोतों में क्या अंतर है?
उत्तर-
ऋण के औपचारिक और अनौपचारिक स्रोतों के बीच अंतर को निम्न तालिका से स्पष्ट किया जा सकता है-

HBSE 10th Class Social Science Solutions Economics Chapter 3 मुद्रा और साख 3

पाठ्य-पुस्तक प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
जोखिम वाली परिस्थितियों में ऋण कर्जदार के लिए और समस्याएँ खड़ी कर सकता है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
ऋण लेने से मदद मिलेगी कि नहीं, परिस्थिति के खतरों और हानि होने पर सहयोग की संभावना पर निर्भर करता हे। अन्यथा, अधिक जोखिम वाली परिस्थितियों में ऋण कर्जदार के लिए ओर समस्याएँ खड़ी कर सकता है।

उदहारण के तौर पर एक किसान खेती के लिए साहूकार से ऋण लेता है, इस उम्मीद पर कि फसल तैयार होने पर वह इस कर्ज को वापस कर देगा। परंतु, नाशक कीओं के हमले से फसल नष्ठ हो जाती हैं वह साहूकार का कर्ज अदा नहीं कर पाता और साल के अंदर यह कर्ज बड़ी रकम बन जाता हैं अगले साल वह पुनः कर्ज लेता है, इस साल फसल सामान्य रहती है, लेकिन इतनी कमाई नहीं होता कि वह अपना कर्ज उतार सके। इस तरह, वह कर्ज में फंस जाता है और कर्ज चुकाने के लिए उसे अपनी जीमन का कुछ हिस्सा बेचना पड़ता हैं ऐसी परिस्थिति में ऋण ने उसकी कमाई बढ़ाने के बजाय उसकी स्थिति खराब कर दी।

प्रश्न-2.
मुद्रा आवश्यकताओं के दोहरे संयोग की समस्या को किस तरह सुलझाती है? अपनी ओर से उदाहरण देकर समझाइए
उत्तर-
मुद्रा की सहायता से वस्तुओं व सेवाओं की खरीद में आसानी होती है। इसलिए हर कोइ मुद्रा के रूप में भुगतान लेना पंसद करता है। फिर उस धन का उपयोग अन्य जरूरतों को पूरा करने के लिए किया जाता है।
उदाहरण के लिए, यदि एक जूता निर्माता गेहूं खरीदना चाहता है। तो वह जूता बेचकर मुद्रा कमाएगा फिर इस मुद्रा से वह गेहूँ खरीद सकता है।
यदि किसी अर्थव्यवस्था में वस्तु विनिमय प्रणाली प्रचलन में हो तथा मुद्रा का प्रयोग न होता हो तो जूता निर्माता को गेहूं उगाने वाले किसान को खोजना पड़ता, जो न केवल गेहूँ बेचना चाहता हो बल्कि जूता खरीदने में भी रुचि रखता हो। अर्थात् दोनों पक्ष एक दूसरे से चीजें खरीदने व बेचने पर सहमति रखतें हों। इसे आवश्यकताओं का दोहरा संयोग कहते हैं। वस्तु विनिमय प्रणाली में माँगों का दोहरा संयोग होना लाजिमी विशिष्टता है।

ऐसा अर्थव्यवस्था में जहाँ मुद्रा को प्रयोग होता है; मुद्रा विनिमय प्रक्रिया मध्यस्थता का काम करती है और माँगों के दोहरे संयोग को खत्म कर देती है।

प्रश्न-3.
अतिरिक्त धन वाले और धन के जरूरतमंद लोगों के बीच बैकि किस तरह मध्यस्थता प्रदान करते हैं?
उत्तर-
(क) अतिरिक्त धनवाले लोग अपने धन बैंकों में जमा करते हैं जिस पर उन्हें ब्याज मिलता है।
(ख) विभिन्न आर्थिक गतिविधियों के लिए कर्ज की बहुत मांग रहती है। बैंक उनके पास जमाराशि के प्रमुख भाग को कर्ज देने के लिए इस्तेमाल करते हैं।
(ग) इस प्रकार, बैंक दो गुटों के बीच मध्यस्थता का काम करते हैं, एक गुट जिनके पास अतिरिक्त राशि है और दूसरा गुट जिसे इस राशि की जरूरत है।

प्रश्न-4.
रुपये के नोट को देखिये। उपर क्या लिखा है? क्या आप इस कथन की व्याख्या कर सकते हैं?
उत्तर-
इस रुपये के नोट पर लिखा होता है, ‘भारतीय रिजर्व बैंक’, केंद्रीय सरकार द्वारा प्रत्याभूत’ और ‘मै धारक को दस रुपये अदा करने का वचन देता हूँ।’ इस कथन के नीचे भारतीर रिजर्व बैंक के गवर्नर का हस्ताक्षर होता है। भारत में भारतीय रिजर्व बैंक केंद्रीय सरकार की तरफ से करेंसी नोट जारी करता है। भारतीय कानून के अनुसार किसी व्यक्ति या संस्था को मुद्रा जारी करने की इजाजत नहीं है। साथ ही कानून रुपयों को विनिमय का माध्यम जैसे उपयोग करने की वैधता _ प्रदान करता है। इसलिए, रुपया व्यापक स्तर पर विनिमय का माध्यम स्वीकार किया जाता हैं।
HBSE 10th Class Social Science Solutions Economics Chapter 3 मुद्रा और साख 4

प्रश्न-5.
हमें भारत में ऋण के औपचारिक स्रोतों को बढ़ाने की क्यों जरूरत हैं?
उत्तर-
(क) औपचारिक स्तर पर ऋण देने वालों की तुलना में अनौपचारिक खण्ड के ज्यादातर ऋणदाता कहीं ज्यादा ब्याज वसूल करते हैं। इसलिए अनौपचारिक स्तर पर लिया गया ऋण कर्जदाता को कहीं अधिक हमँगा पड़ता है।
(ख) ऋण पर ऊँची ब्याज दारों के कारण कर्जदार की आय का अधिकतर हिस्सा ऋण उतारने में खर्च हो जाता है – और निजी खर्च के लिए उसके पस बहुत कम आय बच जाती
(ग) कुछ मामलों के कर्ज अदायगी की रकम कर्जदार की आय से भी अधिक हो जाती है और व्यक्ति ऋण के फंदे में जकड़ सकता है। (घ) इन कारणों से आवश्यक है कि लोगों को औपचारिक स्रोतों से अधिक ऋण मिले।

प्रश्न-6.
गरीबों के लिये आत्मनिर्भर गटों के संगठनों के पीछे मूल विचार क्या हैं? अपने शब्दों में बयान कीजिये।
उत्तर-
भारत में गरीब लोग ऋण के लिये अनौपचारिक स्रोतों पर ज्यादा निर्भर हैं। क्योंकि भारत के सभी ग्रामीण क्षेत्रों में बैंक मौजूद नहीं हैं और जहाँ हैं भी वहां बैंक से कर्ज लेना साहूकारों से कर्ज लेने की अपेक्षा ज्यादा मुश्किल हैं। बैंक से ऋण लेने के लिए संपत्ति और तमाम अन्य कागजातों की जरूरत होती हैं। ऋणाधार नहीं होने के कारण गरीब परिवार के लोगों को बैंको से कर्ज नहीं मिल पाता है।दूसरी ओर माहजन और साहूकार इन लोगों को व्यक्तिगत स्तर पर जानते हैं और कई बार बिना ऋणाधार के ऋण दे देते हैं। लकिन ये साहूकार ब्याज’ की दरें काफी ऊँची रखतें हैं, कई बार कागजी कार्रवाई भी पूरी नहीं करते और लोगों की अशिक्षा का लाभ उठाते हुए उनका शोषण करते हैं गरीबों को इन समस्याओं से निजात दिलाने के उद्देश्य से आत्मनिर्भर गुटों का संगठन किया जाता है।

प्रश्न-7.
क्या कारण है कि बैंक कुछ कर्जदारों को कर्ज देने के लिए तैयार नहीं होते?
उत्तर-
ऋण देते समय बैंक ऋण के लिखाफ कर्जदार से कोई समर्थक ऋणाधार की मांग कर सकता है। समर्थक ऋणाधार ऐसी संपत्ति है जिसका मालिक कर्जदार होता है। जैसे-भूमि, मकान, गाडी, पशु आदि। इसका इस्तेमाल उध परदाता को गारंटी देने के रूप में करता हैं ऋणाधार की गैर-मौजूदगी के कारण कुछ गरीब परिवार बैंकों से ऋण नहीं ले पाते हैं।

प्रश्न-8.
भारतीय रिजर्व बैंक अन्य बैंकों की गतिविधि यों पर किस तरह नजर रखता है।? यह जरूरी क्यों हैं?
उत्तर-
(क) भारतीय रिजर्व बैंक अन्य बैंकों अन्य बैंकों की गतिविधियों पर नजर रखता हैं बैंक हमेशा अपने पास जमा पूंजी की एक न्यूनतम नकद अपने पास रखते हैं। आर.बी.आई. नजर रखता है कि बैंक वास्तव में नकद शेष बनाए हुए हैं।
(ख) आर.बी.आई. इस बात पर भीनजर रखता है कि बैंक केवल लाभ बनाने वाली इकाइयों व व्यापारियों को ही ऋण न दें बल्कि छोटे किसानों, छोटे उद्योगों, छोटे कर्जदारों आदि की भी ऋण मुहैया करवाए।
(ग) समय-समय पर बैंकों को आर.बी.आई. को यह जानकारी देनी पड़ती है कि वे कितना और किनकों ऋण दे रहे हैं और उसकी ब्याज दरें क्या हैं?
(घ) बैंकों की गतिविधियों पर नजर रखना जरूरी है जिससे वह ऋण के अनौपचारिक स्रोतों की तरह काम करना न शुरू कर दें।

प्रश्न-9.
विकास में ऋण की भूमिका का विश्लेषण किजिये।
उत्तर-
ऋण एक ऐसी सहमति है जहाँ उधारदाता कर्जदार को धन वस्ताएं या सेवाएँ प्रदान करता है बदले में भविष्य में कर्जदार से भुगतान का वादा लेता है। हमारी रोजमर्रा की जिदंगी में बहुत सी गतिविधियों ऐसी होती हैं, जहाँ किसी न किसी रूप में ऋण लेते है।। उद्योगपति और व्यापारी उत्पादन के लिए कार्यशील पूँजी की जरूरत को ऋण के जरिये पूरा करते हैं। ऋण उन्हें उतपादन के कार्यशील खर्चों तथा उत्पादन को समय पर खत्म करने में सहायता करता हैं, जिससे उनकी कमाई बढ़ती हैं
ग्रामीण क्षेत्रों में ऋण की मुख्य माँग फसल उगाने के लिए होती हैं फसल उगाने में बीच, खाद, कीटनाशक दवाइयाँ, उपकारणों की मरम्मत आदि पर कापी खर्च आता है किसान
इन जरूरतों को पूरा करने के लिए ऋण लेतें हैं। फसल तैयार होने पर किसान ऋण उतार देते हैं।

प्रश्न-10.
मानव को एक छोटा व्यवसाय खोलने के लिये ऋण की जरूरत है। मानव किस आधार पर यह निश्चिय करेगा कि उसे यह ऋण बैंक से लेना चाहिए या साहूकार से? चर्चा कीजिये।
उत्तर-
भारत में बैंक ऋण के औपचारिक स्रोतों की श्रेणी में आते हैं जबकि साहूकार ऋण की अनौपचारिक श्रेणी में आता हैं भारतीय रिजर्व बैंक कों के औपचारिक स्रोतों की गतिविधियों पर नजर रखता हैं।

अनौपचारिक खण्ड में ऋणदाताओं की गतिविधियों की देख-रेख करने वाली कोई संस्था नहीं है। वें मनमर्जी दरों पर ऋण दें सकते है। उन्हें ना.. तरीकों से पैसे वापस लेने से कोई रोक नहीं सकता हैं। महाजन ब्याज की दरें बहुत ऊँची रखते हैं, कइ बार लिखा-पढ़ी भी पूरी नहीं करते और ऐसी परिस्थिति का फायदा उठाते हुए गरीबों कों सताते है। अनौपचारिक स्तर पर लिया गया ऋण कर्जदाता को कहीं अधिक महँग पड़ता है।
उपरोक्त बातों को ध्यान में रखते हुए मानव को फैसला करना चाहिए। वर्तमान स्थिति में औपचारिक स्रोतों से ऋण लेना मानव के लिए श्रेयकर हैं।

प्रश्न-11.
भारत में 80 प्रतिशत मिकसान छोटे किसान हैं जिन्हें खेती करने के लिए ऋण की जरूरत होती है।
(क) बैंक छोटे किसानों को ऋण देने से क्यों हिचकिचा सकते हैं?
उत्तर-
बैंक से कर्ज लेने के लिए संपत्ति और तमान किस्म के कागजातों की जरूरत पड़ती हैं । छोटे किसानों के पाय प्रायः ऋणाधार का अभाव होता है। अतः बैंक उन्हें ऋण देने से हिचकिचा सकते हैं।

(ख) वे दूसरे स्रोत से कोन हैं, जिनसे छोटे किसान कर्ज ले सकते हैं।
उत्तर-
छोटे किसान आमतौर पर महाजन, साहूकार, व्यापारी, मालिक, रिश्तेदार या मित्रों से कर्ज लेते हैं।

(ग) उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिये कि किस तरह ऋण की शर्ते छोटे किसानों के प्रतिकूल हो कसती हैं?
उत्तर-
ब्याज दर, संपत्ति और कागजात की मांग और भुगतान के तरीके इन सबकों मिलाकर ऋण की शर्ते कहा जाता हैं हरेक ऋण समझौते में ब्याज दर पहले ही स्पष्ट कर दी जाती है। इसके अलावा, उधाराता ऋण के खिलाफ कोई समर्थक ऋणाधार की मांग भी कर सकता है। समर्थक ऋणाध पर वह संपत्ति है जिसका मालिक कर्जदार होता है, जैसे, भूमि, मकान, गाड़ी, पशु, बैंकों में पूंजी आदि। वह इसका इस्तेमाल उधारदाता को गांरटी देने के रूप मे करता ह।, जब तक कि ऋण का भुगतान नहीं हो जाता। यदि कर्जदार उधार वापस नहीं कर पाता तो उधारदाता को अपनी रकम वापस पाने के लिए समर्थक ऋणाधार को बेचने का अधिकार होता है।

ग्रामीण क्षेत्रों में कर्ज की मांग मुख्यतः फसल उगाने के लिए होती है। यदि किसी कारणवश फसल बर्बाद हो जाय तो किसान कर्ज की आदायगी नहीं कर पाता है। अगले वर्ष फसल के लिए उसे पुनः ऋण लेना पड़ता है। इस तरह वह ऋण फंदे में फंस सकता है।

(घ) सुझाव दीजिये कि सि तरह छोटे किसानों को सस्टा ऋण उपलब्ध कराया जा सकता हैं?
उत्तर-
छोटे किसानों को ऋण के औपचारिक स्रोतों यथा बैंक और सहकारी समित्तियाँ से सस्ते दर पर ऋण उपलब्ध कराया जा सकता है। इस कार के लिए वे स्वयं को आत्मनिर्भर गुटों में संगठित कर सकते हैं इससे उन्हें ऋण मिलना आसान हो सकता है।

प्रश्न-12.
रिक्त स्थान भरियेः
(क) ……………परिवारों की ऋण की अधिकांश जरूरतें अनौपचारिक स्रोतों से पूरी होती हैं।
(ख) ऋण की लागत का ………ऋण का बोझ बढ़ाता
(ग) ………..केंद्रीय सरकार की ओर से करेंसी ोट जारी करता है।
(घ) बैंक ………… पर देने वाले ब्याज से ऋण पर अधिक ब्याज लेते हैं।
(ङ) …………..संपत्ति है जिसकी मलकियत कर्जदार के पास है जिसे वह ऋण लेने के लिए गांरटी के रूप में इस्तेमाल करता है जब तक ऋण चुकता नहीं हो जाता।
उत्तर-
(क) गरीब,
(ख) बढ़ना,
(ग) भारतीय रिजर्व बैंक,
(घ) जमा,
(ङ) समर्थक ऋणाधार वह।

प्रश्न-13.
सही उत्तर का चयन करें
1. स्वयं सहायता समूह में बचत और ऋण संबंधित अधिकतर निर्माण लिए जाते हैं
a. बैंक, b. सदस्य, c. गैर सरकारी संस्था द्वारा।
2. ऋण के औपचारिक स्रोतों में शमिल नहीं है।
a. बैंक, b. सहकारी समिति, c. नियोक्ता
उत्तर-
1-b;
2-c.

 

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