महाराज लक्ष्मीश्वर सिंह मेमोरियल महाविद्यालय दरभंगा के मानविकी संकाय ने डा बैजू का किया अभिनंदन

महाराज लक्ष्मीश्वर सिंह मेमोरियल महाविद्यालय दरभंगा के मानविकी संकाय ने डा बैजू का किया अभिनंदन

महाराज लक्ष्मीश्वर सिंह मेमोरियल महाविद्यालय दरभंगा के मानविकी संकाय ने डा बैजू का किया अभिनंदन

महाराज लक्ष्मीश्वर सिंह मेमोरियल महाविद्यालय दरभंगा के सभागार में मानविकी संकाय के द्वारा महाविद्यालय के संस्थापक-सचिव डॉ बैद्यनाथ चौधरी ‘बैजू’का सम्मान तथा अभिनंदन समारोह का आयोजन 26 अगस्त 2022 को किया गया। उनका यह अभिनंदन ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के स्वर्ण जयंती वर्ष समारोह मे विश्वविद्यालय के स्थापना काल से इसके शैक्षणिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए ‘लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड’ से नवाजे जाने के उपलक्ष्य में किया गया। कार्यक्रम का प्रारंभ हिंदी विभाग की छात्रा स्नेहा के सुकंठ से स्वास्ती वाचन से हुआ, इसके साथ ही संगीत विभागाध्यक्ष डॉ चंद्रनाथ मिश्र के निर्देशन में महाविद्यालय की छात्रा शालिनी कुमारी ने भगवती गीत जय जय भैरवी असुर भयाउनि प्रस्तुति से हुई।समारोह की अध्यक्षता प्रधानाचार्य डॉ शंभु कुमार यादव ने की। महाविद्यालय की ओर से डा बैद्यनाथ चौधरी बैजू को प्रधानाचार्य सह कार्यक्रम के अध्यक्ष ने माला, पाग, चादर व प्रशस्ति पत्र प्रदान कर उनका भावपूर्ण अभिनंदन किया। कॉलेज के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ अमरकांत कुमर ने आगत अतिथियों का स्वागत करते हुए डॉ बैद्यनाथ चौधरी को समर्पित अभिनंदन पत्र का वाचन किया। मैथिली विभागाध्यक्ष, मैथिली रत्न डॉ उषा चौधरी ने मिथिला के विकास में डॉक्टर बैद्यनाथ चौधरी उर्फ बैजू बाबू के योगदान को अविस्मरणीय बताया और कहा कि अब इनके समक्ष मिथिला राज्य के स्वप्न को साकार कर दिखाने का एक बड़ा लक्ष्य है।

हिंदी के वरीय प्राध्यापक डॉ तीर्थ नाथ मिश्र ने स्पष्ट किया कि दरभंगा महाराज कामेश्वर सिंह के बाद मिथिला में रोजगार उपलब्ध कराने में डॉ बैजू बाबू का ही नाम स्वर्ण अक्षरों में अंकित है।उन्होंने कहा कि बैजू बाबू ने मिथिला में सही मायने में जन की राजनीति की। वह जिस क्षेत्र में भी गए वहां के लोगों को सदा के लिए अपनत्व की डोर से बांध लिया।

हिंदी प्राध्यापक डॉ सतीश कुमार सिंह ने कहा कि बदहाल मिथिला में आधुनिकता की बयार लाने का श्रेय बैजू बाबू को ही है। उन्होंने कहा कि बैजू बाबू ने कभी ड्राइंग रूम की राजनीति नहीं कि वे हमेशा खेत खलिहान से लेकर गांव की गलियों और शहर के चौक चौराहों को अपने आंदोलन का केंद्र बनाया,इसलिए वे इतने लोकप्रिय हैं।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रधानाचार्य डॉ शंभु कुमार यादव ने मिथिला के विकास में बैजू बाबू के योगदान को मुक्त कंठ से सराहना की।
उन्होंने बैजू बाबू के अनुरोध को स्वीकार करते हुए घोषणा की कि महाविद्यालय के सभी विषयों में स्नातकोत्तर स्तर की पढ़ाई शुरू की जाने का प्रस्ताव वह शीघ्र ही विश्वविद्यालय को प्रेषित करेंगे। अपने अभिनंदन से अभिभूत डॉक्टर बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने प्राप्त पुरस्कार को संपूर्ण मिथिला वासियों को समर्पित करते हुए कहा कि मेरा संपूर्ण जीवन मिथिला मैथिली एवं मैथिली के विकास के लिए समर्पित है ।उन्होंने आश्वस्त किया कि मिथिला के सर्वांगीण विकास में वे अपनी संपूर्ण शक्तियों के साथ लगे रहेंगे।

इस समारोह में जेबा प्रवीण,मीनू कुमारी, डॉ निरंजन कुमार झा, डॉ बाबू नन्द चौधरी, डॉ शंभू नाथ चौधरी, पवन कुमार मिश्र, डॉ कैलाश नाथ मिश्र, डॉ भवनाथ झा, डॉ कृष्ण कुमार झा आदि ने अपने अपने उद्गार व्यक्त किये।
मंच का संचालन डॉ रामचंद्र सिंह ‘चंद्रेश’ ने किया जबकि धन्यवाद ज्ञापन अतिथि शिक्षक डॉ ज्वाला चंद्र चौधरी ने किया। कार्यक्रम में इस अवसर पर महाविद्यालय के विद्वान शिक्षक डॉ शौकत अंसारी डॉ शरद कुमार झा ,डॉ अनिल कुमार झा, डॉ अनिसुर रहमान, वीणा कुमारी और हरी मोहन चौधरी महाकांत चौधरी अनूप कुमार ,शिवानंद ,मिहिर, दिवाकर समेत महाविद्यालय के सभी शिक्षक एवं कर्मचारियों ने अपनी गरिमामय उपस्थिति दर्ज करायी।

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