मङ्गलम्

मङ्गलम्

SANSKRIT ( संस्कृत )

1. नदी और विद्वान् में क्या समानता हैं ?

उत्तर ⇒ मुण्डकोपनिषद् में महर्षि वेदव्यास का कहना है कि जिस प्रकार बहती हुई नदियाँ अपने नाम और रूप, अर्थात् व्यक्तित्व को त्यागकर समुद्र में मिल जाती हैं उसी प्रकार विद्वान् पुरुष अपने नाम और रूप, अर्थात् अहम् को त्यागकर ब्रह्म को प्राप्त कर लेता है।


2. आत्मा का स्वरूप कैसा है, वह कहाँ रहती है ?

उत्तर ⇒ कठोपनिषद में आत्मा के स्वरूप का बड़ा ही अपूर्व विश्लेषण किया गया है । आत्मा मनुष्य की हृदय रूपी गुफा में अवस्थित है। यह अणु से भी सूक्ष्म है। यह महान् से भी महान् है। इसका रहस्य समझने वाला सत्य का अन्वेषण करता है। वह शोकरहित होता है।


3. मङ्गलम् पाठ के आधार पर सत्य की महत्ता पर प्रकाश डालें।

उत्तर ⇒ सत्य की महत्ता का वर्णन करते हुए महर्षि वेदव्यास कहते हैं कि हमेशा ..सत्य की ही जीत होती है। मिथ्या कदापि नहीं जीतता । सत्य से ही देवलोक – का रास्ता प्रशस्त है। मोक्ष प्राप्त करने वाले ऋषि लोगः सत्यं को प्राप्त करने के लिए ही देवलोक जाते हैं, क्योंकि देवलोक सत्य का खजाना है।


4. महान लोग संसाररूपी सागर को कैसे पार करते हैं ?

उत्तर ⇒ श्वेताश्वतर उपनिषद् में ज्ञानी लोग और अज्ञानी. लोग में अंतर स्पष्ट . करते हुए महर्षि वेदव्यास कहते हैं कि अज्ञानी लोग अंधकारस्वरूप और ज्ञानी प्रकाशस्वरूप हैं । महान लोग इसे समझकर मृत्यु को पार कर जाते हैं, क्योंकि संसाररूपी सागर को पार करने का इससे बढ़कर अन्य कोई रास्ता नहीं है।


5. सत्य का मुँह किस पात्र से ढंका है ?

उत्तर ⇒ सत्य का मुँह स्वर्णमय पात्र से ढंका हुआ है।


6. नदियाँ क्या छोड़कर समुद्र में मिलती हैं ?

उत्तर ⇒ नदियाँ नाम और रूप को छोड़कर समुद्र में मिलती हैं।


7. मङ्गलम् पाठ का पाँच वाक्यों में परिचय दें।

उत्तर ⇒ इस पाठ में चार मन्त्र क्रमशः ईशावास्य, कठ, मुण्डक तथा श्वेताश्वतर नामक उपनिषदों में विशुद्ध आध्यात्मिक ग्रन्थों के रूप में उपनिषदों का महत्त्व है। इन्हें पढ़ने से परम सत्ता के प्रति श्रद्धा उत्पन्न होती है, सत्य के अन्वेषण की प्रवृत्ति होती है तथा आध्यात्मिक खोज की उत्सुकता होती है। उपनिषदग्रंथ विभिन्न वेदों से सम्बद्ध हैं।


8. मङ्गलम् पाठ के आधार पर आत्मा की विशेषताएँ बतलाएँ।

उत्तर ⇒ मङ्गलम् पाठ में संकलित कठोपनिषद् से लिए गए मंत्र में महर्षि वेदव्यास कहते हैं कि प्राणियों की आत्मा हृदयरूपी गुफा में बंद है। यह सूक्ष्म से सूक्ष्म और महान-से-महान है। इस आत्मा को वश में नहीं किया जा सकता ह। विद्वान लोग शोक-रहित होकर परमात्मा अर्थात् ईश्वर का दर्शन करते हैं।


9. ब्रह्म को किस प्रकार प्राप्त करता है ?

उत्तर ⇒मण्डकोपनिषद् में महर्षि वेद-व्यास का कहना है कि जिस प्रकार बहती हई नदियाँ अपने नाम और रूप, अर्थात् व्यक्तित्व को त्यागकर समद्र में मिल जाती हैं उसी प्रकार महान पुरुष अपने नाम और रूप, अर्थात् अहम् को त्यागकर ब्रह्म को प्राप्त कर लेता है।


10. उपनिषद् को आध्यात्मिक ग्रंथ क्यों कहा गया है ?

उत्तर ⇒ उपनिषद एक आध्यात्मिक ग्रंथ है, क्योंकि यह आत्मा और परमात्मा के संबंध के बारे में विस्तृत व्याख्या करता है । परमात्मा संपूर्ण संसार में शांति स्थापित करते हैं। सभी तपस्वियों का परम लक्ष्य परमात्मा को प्राप्त करना ही है।


11. उपनिषद् का क्या स्वरूप है ? पठित पाठ के आधार पर स्पष्ट करें।

उत्तर ⇒ उपनिषद् वैदिक वाङ्मय का अभिन्न अंग है। इसमें दर्शनशास्त्र के सिद्धान्तों का प्रतिपादन किया गया है। सर्वत्र परमपुरुष परमात्मा का गुणगान किया गया है। परमात्मा के द्वारा ही यह संसार व्याप्त और अनुशंसित है। सत्य की पराकाष्ठा ही ईश्वर का मूर्तरूप है। ईश्वर ही सभी तपस्याओं का परम लक्ष्य है।

12. उपनिषद् का क्या स्वरूप हैं ? पठित पाठ के आधार पर स्पष्ट करें।

उत्तर – उपनिषद् वैदिक वाङ्मय का अभिन्न अंग है। इसमें दर्शनशास्त्र सिद्धान्तों का प्रतिपादन किया गया है। सर्वत्र परमपुरुष परमात्मा का गुणगान किया गया है। परमात्मा के द्वारा ही यह संसार व्याप्त और अनुशंसित है। सत्य की पराकाष्ठा ही ईश्वर का मूर्तरूप है । ईश्वर ही सभी तपस्याओं का परम लक्ष्य है।


13.आत्मा का स्वरूप क्या है ? पठित पाठ के आधार पर स्पष्ट करें।

उत्तर – कठोपनिषद में आत्मा के स्वरूप का बड़ा ही अपूर्व विश्लेषण किया गया है। आत्मा मनुष्य की हृदय रूपी गुफा में अवस्थित है । यह अणु से भी सूक्ष्म है। यह महान् से भी महान् है । इसका रहस्य समझने वाला सत्य का अन्वेषण करता है। वह शोकरहित होता है।


14. मङ्गलम् पाठ का पाँच वाक्यों में परिचय दें।

उत्तर – इस पाठ में चार मन्त्र क्रमशः ईशावास्य, कठ, मुण्डक तथा श्वेताश्वतर नामक उपनिषदों में विशुद्ध आध्यात्मिक ग्रन्थों के रूप में उपनिषदों का महत्त्व है। इन्हें पढ़ने से परम सत्ता के प्रति श्रद्धा उत्पन्न होती है, सत्य के अन्वेषण की प्रवृत्ति होतो है तथा आध्यात्मिक खोज की उत्सुकता होती है। उपनिषदग्रन्थ विभिन्न वेदों से सम्बद्ध हैं।


15.महान लोग संसाररूपी सागर को कैसे पार करते हैं ?

उत्तर – श्वेताश्वर उपनिषद् में ज्ञानी लोग और अज्ञानी लोग में अंतर स्पष्ट करते हुए महर्षि वेदव्यास कहते हैं कि अज्ञानी लोग अंधकारस्वरूप और ज्ञानी प्रकाशस्वरूप हैं। महान लोग इसे समझकर मृत्यु को पार कर जाते हैं, क्योंकि संसाररूपी सागर
को पार करने का इससे बढ़कर अन्य कोई रास्ता नहीं है।


16. विद्वान पुरुष ब्रह्म को किस प्रकार प्राप्त करता है ?

उत्तर – मुण्डकोपनिषद् में महर्षि वेद-व्यास का कहना है कि जिस प्रकार बहती हुई नदियाँ अपने नाम और रूप अर्थात् व्यक्तित्व को त्यागकर समुद्र में मिल जाती हैं उसी प्रकार महान पुरुष अपने नाम और रूप, अर्थात् अहप को त्यागकर ब्रह्म को प्रात कर लेता है।


17. मंगलम् पाठ के आधार पर सत्य की महत्ता पर प्रकाश डालें।

उत्तर – सत्य की महत्ता का वर्णन करते हुए महर्षि वेदव्यास कहते हैं कि हमेशा सत्य की ही जीत होती है। मिथ्या कदापि नहीं जीतता । सत्य से ही देवलोक का रास्ता प्रशस्त है । मोक्ष प्राप्त करने वाले ऋषि लोग सत्य को प्राप्त करने के लिए ही देवलोक जाते हैं, क्योंकि देवलोक सत्य का खजाना है।


18. मंगलम् पाठ के आधार पर आत्मा की विशेषताएँ बतलाएँ।

उत्तर – मंगलम् पाउ में संकलित कठोपनिषद् से लिए गए मंत्र में महर्षि वेदव्यास कहते हैं कि प्राणियों की आत्मा हृदयरूपी गुफा में बंद है। यह सूक्ष्म से सूक्ष्म और महान-से-महान है। इस आत्मा को वश में नहीं किया जा सकता है। विद्वान लोग शोक-रहित होकर परमात्मा अर्थात ईश्वर का दर्शन करते हैं।


19. उपनिषद् को आध्यात्मिक ग्रंथ क्यों कहा गया है ?

उत्तर – उपनिषद् एक आध्यात्मिक ग्रंथ है, क्योंकि यह आत्मा और परमात्मा के संबंध के बारे में विस्तृत व्याख्या करता है। परमात्मा संपूर्ण संसार में शांति स्थापित करते हैं। सभी तपस्वियों का परम लक्ष्य परमात्मा को प्राप्त करना ही है ।

 

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