मंदाकिनीवर्णनम्

मंदाकिनीवर्णनम्

SANSKRIT ( संस्कृत )

1. श्रीराम के प्रकृति सौंदर्य बोध पर अपने विचार लिखें।

उत्तर ⇒ श्रीराम वनगमन के दौरान चित्रकूट में कुछ दिन निवास करते हैं। इन्होंने गा और उसके आसपास का मनोहारी चित्रण किया है। इन पंक्तियों से उनका प्रकति के प्रति लगाव व सौन्दर्यबोध परिलक्षित होता है। वे कहते हैं परमपावन गंगा अनायास मन को आकर्षित करती है। निर्मल जल, रंग-बिरंगी छटा, ऊँची कछारें, वनस्पतियों से पूर्ण तट इन्हें आह्लादित करती है। इसकी शोभा से वशीभूत होकर उसमें खो जाते हैं।


2. गंगा तट पर कौन-सा रमणीय दृश्य श्रीराम के मन में रति उत्पन्न कर रहा है ?

उत्तर ⇒ मंदाकिनी के तट की प्राकृतिक सुषमा श्रीराम के मन में रति उत्पन्न कर रहा है। वे सीता से कहते हैं कि यह नदी प्राकृतिक उपादानों से संवलित चित्त को आकर्षित कर रही है।


3. किस कारण से मंदाकिनी का जल कलुषित हो गया है ?

उत्तर ⇒ पशु समूहों द्वारा पीये जाने से मंदाकिनी का जल कलुषित हो गया है।


4. स्त्रियों की विशेष रक्षा क्यों करनी चाहिए ?

उत्तर ⇒ स्त्रियाँ घर की लक्ष्मी है ये पूजनीया तथा महाभाग्यशाली है। ये पुण्यमयी और घर को प्रकाशित करने वाली कहीं गयी है। अत: स्त्रियाँ विशेष रूप से रक्षा करने योग्य होती हैं।


5. चित्रकूट की गंगा की शोभा का वर्णन अपने शब्दों में करें।
अथवा, मंदाकिनी की शोभा का वर्णन किस रूप में किया गया है ?
अथवा, ‘मन्दाकिनी’ का वर्णन अपने शब्दों में करें।
अथवा, मन्दाकिनीवर्णनम् पाठ का पाँच वाक्यों में परिचय दें।

उत्तर ⇒ वाल्मीकीय रामायण के अयोध्याकाण्ड की सर्ग संख्या-95 से संकलित इस पाठ में चित्रकूट के निकट बहने वाली मन्दाकिनी नामक छोटी नदी का वर्णन है। इस पाठ में आदिकवि वाल्मीकि की काव्यशैली तथा वर्णनक्षमता अभिव्यक्त हुई है। वनवास काल में जब राम सीता और लक्ष्मण के साथ चित्रकूट जाते हैं तब मंदाकिनी की प्राकृतिक सषमा से प्रभावित हो जाते है। वे सीता से कहते हैं कि यह नदी प्राकृतिक उपादानों से संवलित चित्त का आकर्षित कर रही है। रंग-बिरंगी छटा वाली यह, हंसों द्वारा सुशोभित हैं । ऋषिगण इसके निर्मल जल में स्नान कर रहे हैं। ऊँची कछारों वाली यह नदी . अत्यन्त रमणीय लगती है। श्रीराम सीता को मन्दाकिनी का वर्णन सुनाते हैं।


6. मंदाकिनीवर्णनम् से हमें क्या संदेश मिलता है ?

उत्तर ⇒ मंदाकिनीवर्णनम् महर्षि वाल्मिकीकृत रामायण के अयोध्याकांड के 95 सर्ग से संकलित है । इससे हमें यह संदेश मिलता है कि प्रकति हमारे निन दर लेती है तथा इससे पर्यावरण सुरक्षित रहता है। प्रकृति की शद्धता के प्रति हमें हमेशा ध्यान देना चाहिए।


7. मनुष्य को प्रकृति से क्यों लगाव रखना चाहिए ?

उत्तर ⇒ प्रकृति ही मनुष्य को पालती है, अतएव प्रकृति को शटर एव प्रकृति को शुद्ध होना चाहिए। पका वर्णन करके मनुष्य को लगाव वन सखमय एवं आनंदमय होगा । सीता को किन-किन रूपों में रखने का संदेश देते हैं। इससे हमारा जीवन सुखमय पर


8. मंदाकिनी का वर्णन करने में ‘राम’ सीता को किन संबोधित करते हैं ?

उत्तर ⇒ ‘परमपावनी गंगा’ की शोभा से वशीभूत ‘राम’ सीता , सुन्दरता का निरीक्षण करने के लिए अपने भाव प्रकट करते हैं; हे सोग विशालाक्षि ! शोभने ! आदि संबोधन से संबोधित करते हैं।

9.मंदाकिनी की शोभा का वर्णन किस रूप में किया गया है ?

उत्तर ⇒ वनवास काल में जब राम सीता और लक्ष्मण के साथ चित्रकूट जाते हैं तब मंदाकिनी की प्राकृतिक सुषमा से प्रभावित हो जाते हैं। वे सीता से कहते हैं कि यह नदी प्राकृतिक उपादानों से संवलित चित्त को आकर्षित कर रही है। रंग-बिरंगी छटा वाली यह, हंसों द्वारा सुशोभित है। ऋषिगण इसके निर्मल जल में स्नान कर रहे हैं। ऊँची कछारों वाली यह नदी अत्यन्त रमणीय लगती है।


10. मंदाकिनी का वर्णन करने में ‘राम’ सीता को किन-किन रूपों में संबोधित करते हैं ?

उत्तर ⇒ परमपावनी गंगा’ अनायास मन को आकर्षित करनेवाली है। निर्मल जल, रंग-बिरंगी छटा, ऊँची कछारें आदि राम को आह्लादित करती रहती हैं। इसकी शोभा से वशीभूत ‘राम’ सीता को इसकी सुन्दरता का निरीक्षण करने के लिए अपने भाव प्रकट करते हैं; हे सीते । प्रिये । विशालाक्षि ! शोभने ! आदि संबोधन से संबोधित करते हैं।


11. मन्दाकिनी-वर्णनम् पाठ का पाँच वाक्यों में परिचय दें।

उत्तर ⇒ वाल्मीकीय रामायण के अयोध्याकाण्ड की सर्ग संख्या-95 से संकलित इस पाठ में चित्रकूट के निकट बहने वाली मन्दाकिनी नामक छोटी नदी का वर्णन है। इस पाठ में आदिकवि वाल्मीकि को काव्यशैली तथा वर्णनक्षमता अभिव्यक्त हुई है। श्री राम सीता को मन्दाकिनी का वर्णन सुनाते हैं ।


12. मंदाकिनीवर्णनम् से हमें क्या संदेश मिलता है ?

उत्तर ⇒ मंदाकिनीवर्णनम् महर्षि वाल्मिकी-कृत रामायण के अयोध्याकांड के 95 सर्ग से संकलित है। इससे हमें यह संदेश मिलता है कि प्रकृति हमारे चित्त को हर लेती है तथा इससे पर्यावरण सुरक्षित रहता है। प्रकृति की शुद्धता के प्रति हमें हमेशा ध्यान देना चाहिए।


13. मनुष्य को प्रकृति से क्यों लगाव रखना चाहिए ?

उत्तर ⇒ प्रकृति ही मनुष्य को पालती है, अतएव प्रकृति को शुद्ध होना चाहिए। यहाँ महर्षि वाल्मीकि प्रकृति के यथार्थ रूप का वर्णन करके मनुष्य को लगाव रखने का संदेश देते हैं। इससे हमारा जीवन सुखमय एवं आनंदमय होगा ।

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