भारत में बहुराष्ट्रीय निवेश

भारत में बहुराष्ट्रीय निवेश

          बहुनिवेश के लिये भारत के जकड़े हुए दरवाजे खुले । परिवर्तन ने प्रसन्नता से प्रवेश किया। भारत की प्रतिष्ठा विश्व में बढ़ी और चाहने वालों ने भारत को कन्धों पर उठा लिया।
          आधुनिक विश्व के तेजी से बदलते परिवेश में ग्लोबलाइजेशन अर्थात् भूमंडलीकरण आज के दौर की नियति बन गया है। यातायात व जन सम्पर्क के साधनों में अप्रत्याशित रूप से हुई क्रान्ति ने आज विश्व के सुदूर हिस्से में बैठे व्यक्तियों को के इतना नजदीक ला दिया है जिसकी पहले कल्पना भी नहीं की जा J सकती थी। पूर्व में सम्भवतः मुंबई से सामान आने में अधिक समय लगता था जिससे कम समय आज यूरोप व अमेरिका से सामान आने में लगता है। इस प्रकार बुनियादी क्षेत्रों में हुई क्रान्ति के परों पर उड़ता आज का व्यक्ति विश्व में हुए नवीनतम परिवर्तनों से कैसे अछूता रह सकता है ।
          आज के समाचार पत्रों में रोज स्कैम व घोटालों की खबरों के मध्य बहुराष्ट्रीय निवेश के समाचार निःसंदेह रेगिस्तान में जल प्रपात (Oasis) के दृश्य के समान सुखद अनुभूति देते हैं। टाटा समूह ल्यूसेन्ट टेक्नालाजिस के विश्व स्तरीय आविष्कारों को अपनाकर दूरसंचार क्षेत्र में उच्च गुणवत्ता वाली प्रणालियाँ और उपकरण उपलब्ध कराने को उद्यत हैं, वहीं दूसरी ओर भारती सेल्युलर ब्रिटिश टेलिकाम के साथ हाथ मिलाकर देश के उपभोक्ताओं को उच्चस्तरीय सेवायें देने के लिए वचनबद्ध है। विश्व के साफ्टवेयर उत्पादक तिरूवनंतपुरम की ओर अपना रुख किये हुये हैं तो कनाड़ा की नजर पश्चिम बंगाल में निवेश करने की है। आज कम्प्यूटरों की कीमतें घटकर रंगीन टेलीविजन और इलैक्ट्रोनिक टाइपराइटर की तरह हो गई हैं। यह सब बहुराष्ट्रीय निवेश से ही सम्भव हुआ है। इस कारण ही भारतीय निर्माताओं की तंद्रा टूटी है तथा कभी एकाधिकार रखने वाली भारतीय कम्पनियों को भी “हमारा बजाज” का प्रचार करना पड़ा रहा है ।
          आज हिन्दुस्तान मोटर्स व प्रीमियर आटोमोबाइल्स भी कारों के नये विकसित व ईंधन की कम खपत वाले मॉडल निकालने के लिए विवश हैं जबकि पिछले ५० से अधिक वर्षों से वे अपने “मेंढक” मॉडल से चिपके हुए थे क्योंकि पूर्व में उन्होंने मॉडल में सुधार करने की आवश्यकता ही नहीं समझी । आज बहुराष्ट्रीय निवेश के बल पर मारुति कार के रूप में देशवासियों के कार रखने के सपने सच हो पाये हैं, देखते ही देखते अपनी उच्च गुणवत्ता व कम ईंधन खपत के बल पर कार उद्योग के ७०% हिस्से पर मारुति का कब्जा हो गया । इसी से प्रेरणा प्राप्त कर अन्य भारतीय निर्माताओं ने भी अपने मॉडलों में सुधार करने शुरू किये हैं तथा आज हमारे समक्ष श्रेष्ठ गुणवत्ता के मॉडल को चुनने का विकल्प उपलब्ध हुआ है।
          यही स्थिति आम व्यक्ति के रोजमर्रा के जीवन में इस्तेमाल होने वाली वस्तुओं की है। पहले साबुन घिसते-घिसते कपड़े फटने की नौबत आ जाती थी परन्तु आज विकल्प है Surf Ultra International की anti bobling तकनीकी अथवा Ariel की माइक्रोशाइन तकनीक को चुनने का जिसको प्रयोग कर कम खर्चे में अधिक साफ धुलाई मिल सकती है। यह केवल एक उदाहरण मात्र है, आपको इसी प्रकार के विकल्प आज हर क्षेत्र में उपलब्ध हैं I
          आज आपको अपने वाहनों के लिए श्रेष्ठतम लुब्रीकेंट्स उपलब्ध हैं जिससे वाहनों के इंजन ठंडे व साफ रहते हैं तथा इंजन का जीवन काल बढ़ता है। ईंधन कम खर्च होता है। विदेशी तकनीकी से प्रेरणा प्राप्त कर हमारी “इंडियन आयल” विश्व की पहली ऐसी कंपनी बन गयी है जिसने टिटेनियम डी ऑक्साइड के साथ ग्रीस मिक्सड़ तैयार किया है जिसे विशेष रूप से इस्पात उद्योग में इस्तेमाल किया जाता हैं ।
          आज उड़ने के लिए आप मात्र एयर इंडिया या इंडियन एअरलाइन्स के भरोसे नहीं हैं, बहुराष्ट्रीय निवेश के साथ मोदी व टाटा समूह आपको मितव्ययी व बेहतर सेवा प्रदान करने के लिए उद्यत हैं। इस प्रकार पूरे देश में परिवर्तन व कुछ नया कर गुजरने की हवा बही है जिसमें हम आज राहत की सांस ले सकते हैं ।
          आयुर्वेद भारत में जन्मी एक अत्यधिक प्राचीन विधा है जिसका उपयोग आदिकाल से मानवमात्र की पीड़ा का क्षरण करने में होता रहा है परन्तु आर्थिक संसाधनों की कमी की बेड़ी में जकड़ी यह विधा अनुसंधान क्षेत्र में पिछड़ी हुई है। आज अंतर्राष्ट्रीय दवा कंपनी फाइजर आयुर्वेद शोध को बढ़ावा देने को तैयार है। इससे हमें अधिक उन्नत उत्पादन मिल सकेंगे ।
          इस प्रकार बहुराष्ट्रीय निवेश के कारण यदि कुछ धन भारत से बाहर जाता है तो यह अकारण ही नहीं है इसके बदले हमें मिल रही हैं श्रेष्ठ व उच्चतम गुणवत्ता की वस्तुयें, देशी निर्माताओं की सोच में बदलाव जो पहले केवल अपने मुनाफे तक सीमित था आज कुछ श्रेष्ठ कर गुजरने को विवश है। अन्ततः इससे हमारे पूरे देश व देशवासियों को ही लाभ है कि हमें थोड़ा-सा ही अधिक मूल्य चुका कर प्रतियोगात्मक दरों पर विश्व के उच्चस्तरीय उत्पादन उपयोग हेतु प्राप्त हैं। आइये अपनी आर्थिक प्रगति के रथ को नये आयाम देने के लिये हम भारतीय उद्योगों में बहुराष्ट्रीय निवेश का स्वागत करें ।
          प्राचीन काल से ही भारत एक कृषि प्रधान देश रहा है जिसके कारण औद्योगिक क्षेत्र में हम पिछड़े रहे हैं। नि:संदेह भारतीय मानव संसाधन क्षमता में गहराई है तथा तकनीकी दक्षता में हम एक ताकत हैं परन्तु सीमित संसाधनों तथा विशाल जनसंख्या के दृष्टिगत हम केवल स्वदेशी के बूते पर कोई अजूबा नहीं कर सकते हैं ।
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