भारतीय स्वतन्त्रता की स्वर्ण जयंती

भारतीय स्वतन्त्रता की स्वर्ण जयंती

          प्रस्तावना : हमारा देश भारत 15 अगस्त 1947 में ब्रिटिश शासन से आज़ाद हुआ । इस वर्ष 1997 में 50 वर्षों पश्चात् इस की स्वर्ण जयंती भारत में मनाई जा रही है। इतना ही नहीं सारे भारतीय जो अन्य देशों में रह रहे हैं वे भी इस हर्षोल्लास में सम्मिलित हुए हैं।
          14 अगस्त की मध्य रात्रि से आरम्भ हुए आयोजनों का सिलसिला अगले वर्ष तक जारी रहेगा। 15 अगस्त को देश भर में सुबह स्कूली बच्चों ने प्रभात फेरियाँ निकाली और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये । इसके अतिरिक्त खेल कूद एवं अन्य प्रतियोगिताएँ व प्रदर्शनियाँ लगाईं। इसी प्रकार सरकारी संस्थाओं में भी कर्मचारी ने स्वर्ण जयन्ती मनायी ।
          मार्च ऑफ दि नेशन: नेशनल स्टेडियम से ठीक सवा नौ बजे 57 झाँकियों का जुलूस तीन किलोमीटर दूर राष्ट्रपति भवन के समीप विजय चौक तक के लिए आरम्भ हुआ। तीनों सेनाओं के बैण्ड ने सलामी देते हुए इसका नेतृत्व किया। इसके बाद स्वतन्त्रता सेनानियों का जत्था खुली जीप पर चला। 50 जीपों पर युवा से लेकर बूढ़े सेनानियों ने स्वर्ण जयन्ती समारोह का अवलोकन किया। जिसमें सहनों लोगों जैसे सेना के पुरस्कृत जवानों, जन प्रतिनिधियों, कलाकारों, खिलाड़ियों, छात्रों, किसानों, मज़दूरों, टैक्सी चालकों, बैंक व डाक कर्मचारियों, बस कर्मचारियों, ग्रामीण महिलाओं व गृहणियों आदि की झाकियाँ निकलती रहीं। प्रथम झाँकी एक घंटे में तीन किलोमीटर का सफर करके विजय चौक पर पहुँची थी। प्रत्येक झाँकी के मध्य में सेना के चार जवान तिरंगा लेकर मार्च कर रहे थे। स्टेडियम से लेकर विजय चौक तक के रास्ते के दोनों ओर सहस्रों लोग बच्चे-बूढ़ें, महिलाएँ भारत माता की जय के नारे लगा कर झाँकियों में सम्मिलित लोगों को उत्साहित कर रहे थे । अधिकांश झाँकियाँ नारों, गीतों और राष्ट्र के प्रति आस्था से ओतप्रोत थी । सम्पूर्ण राजपथ राष्ट्रध्वज से अटा हुआ था। मार्ग में जगह-जगह द्वारा बनाए गए थे। राष्ट्रपति भवन और संसद मार्ग तथा आस-पास के राजकीय भवन दुल्हन की तरह सजे हुए थे । आतिशबाजी का भव्य कार्यक्रम भी दर्शकों को खूब भाया । इस मार्च में नेताजी सुभाषचन्द्र बोस, महात्मागाँधी और भारत माता की झाँकियाँ विशेष आकर्षण का केन्द्र बनी थीं । विजय चौक पर भव्य समारोह में प्रधानमंत्री को राष्ट्रध्वज अर्पित किया गया। दर्शकों ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आनन्द लूटा। इतना उत्साह व जोश जनता में 1947 के पश्चात् अब दोबारा दिखाई दिया।
          केन्द्रीय हाल में स्वर्ण जयंती समारोह : मुख्य समारोह राजधानी में 14 अगस्त की रात्रि को ठीक उसी समय, उसी स्थान पर 50 वर्ष पश्चात् संसद के केन्द्रीय हॉल में आरम्भ हुआ जहाँ हमारे राष्ट्रपति श्री के.आर. नारायणन, प्रधानमंत्री इन्द्र कुमार गुजराल, लोकसभा अध्यक्ष श्री पी.ए. संगमा व अन्य बहुत से देश के जाने माने नेताओं ने शहीदों को मौन श्रद्धांजलि अर्पित की। प्रसिद्ध गायक भीम सेन जोशी ने राष्ट्रीय गीत वन्दे मातरम् सुनाया। इसके पश्चात् महात्मा गाँधी के स्वर का टेप बज उठा जो 50 वर्ष पूर्व इस स्थान पर नहीं थे, इसके पश्चात् पं. नेहरु पहले प्रधानमंत्री व सुभाषचन्द्र बोस की आवाजें भी गूँज उठीं। प्रसिद्ध गायिका लता मंगेशकर ने ‘सारे जहाँ से अच्छा हिन्दूस्तां हमारा, हम हैं बुलबुले इसकी, ये गुल्लिस्ताँ हमारा’ गाया ।
          डाक टिकट व पदक : इस दिन विशेष डाक टिकट 2 रुपये का जारी किया गया । इसी प्रकार 50 रुपये व 50 पैसे के दो सिक्कों का सैट प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति को भेट किया। इसी प्रकार एक 10 ग्राम का सोने का सिक्का भी जारी किया गया । 89 जवानों, सेनाधिकारियों को वीरता के लिए पदक दिए गए। इसी प्रकार 15 पुलिसकर्मियों को भी पदक दिए गये। 18 खिलाड़ियाँ को वर्ष 1996 के अर्जुन पुरस्कार की घोषणा की गयी ।
          उपसंहार : 15 अगस्त के ध्वजारोहण समारोह का आरम्भ प्रसिद्ध शहनाई वादक बिस्मिल्ला खाँ के शहनाई वादन से हुआ। इस 81 वर्षीय महान कलाकार ने 50 वर्ष पूर्व इसी दिन यहाँ लाल किले में अपनी शहनाई की गूंज सुनाई थी। इसके पश्चात् प्रधानमंत्री ने जनता का आह्वान करते हुए कहा कि हमारा सब का फर्ज़ है कि गांधी जी और अन्य स्वतंत्रता सेनानियों ने देश की आज़ादी के लिए जो कुर्बानी दी, उसे हमेशा याद रखें और भ्रष्टाचारियों का बहिष्कार करें ।
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