‘बयानवीर’ सुधाकर सिंह का फिर CM नीतीश पर हमला, कहा- सुशासन की सरकार को टेकुआ की तरह कर देंगे सीधा
‘बयानवीर’ सुधाकर सिंह का फिर CM नीतीश पर हमला, कहा- सुशासन की सरकार को टेकुआ की तरह कर देंगे सीधा
खगड़िया। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के खिलाफ राजद विधायक सुधाकर सिंह की बयानबाजी का दौर जारी है। राजद (RJD) की तरफ से बार-बार चेतावनी मिलने के बावजूद विधायक सुधाकर सिंह (Sudhakar Singh) मुख्यमंत्री के खिलाफ आग उगल रहे हैं। मंगलवार को उन्होंने कहा कि सरकार कहती है बिहार में व्यापक बदलाव आया है। मैं पूछता हूं कि बदलाव कहां है? लोग समझ नहीं पा रहे हैं कि जो कहा गया है वह वास्तव में हुआ है। यहां एक ऐप ठीक से नहीं चल सकता और आप (नीतीश कुमार) कहते हैं कि आप राज्य बदल देंगे।
सुधाकर सिंह ने कहा कि आप (नीतीश कुमार) झूठ बोले रहे हैं। आप कहते कुछ हैं और करते कुछ हैं। मंगलवार को सन्हौली दुर्गा स्थान के प्रांगण में बिहार किसान मंच की ओर से किसान आक्रोश सभा के दौरान बिहार के पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने कृषि और किसानी को लेकर बेबाक टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि सभी लोग जानते हैं कि बिहार में घर-घर नकली शराब पहुंचाई जा रही है। अगर घर-घर नकली शराब पहुंचाई जा सकती है तो क्या बिहार सरकार किसानों के घर बीज-खाद नहीं पहुंचा सकती। बस इच्छाशक्ति की जरूरत है।
सत्ता के सिंहासन पर बैठे लोगों के संज्ञान में होती है कालाबाजारी
राजद विधायक (RJD MLA) ने कहा कि बिहार किसानों का राज्य है। उर्वरक की कालाबाजारी अकेले कृषि विभाग नहीं कराता है। सत्ता के सिंहासन पर बैठे लोगों के संज्ञान में होता है। किसान यदि एकजुट हो जाए, तो सरकार टेकुआ की तरह सीधा कर देंगे। किसानों के हित में उठाए गए मेरे सवाल अगर गलत थे, तो बिहार में उस पर बहस होना चाहिए था, लेकिन कभी बहस नहीं हुआ।
बिहार में कृषि रोड मैप फेल- सुधाकर सिंह
उन्होंने कहा कि कृषि के क्षेत्र में उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए कृषि मैप वन, टू, थ्री बनाया गया था, जिसे 2022 में पूरा करना था। बिहार में कृषि रोड मैप फेल है। सरकार की तरफ से कहा गया था कि बिहार में कृषि मैप टू और थ्री के जरिए अनाज का उत्पादन एक करोड़ 80 लाख टन से बढ़ाकर तीन करोड़ टन करेंगे। अनाज के उत्पादन को तीन करोड़ टन करने के लिए सरकार ने तीन लाख 10 हजार करोड़ का बजट बनाया। पिछले साल एक करोड़ 79 लाख टन उत्पादन हुआ। मतलब पिछले 10 साल में एक लाख टन घट गया। यही तो मेरा सवाल था।
source – jagran
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