निर्माण उद्योग

निर्माण उद्योग

Geography [ भूगोल ] लघु उत्तरीय प्रश्न 

प्रश्न 1. सार्वजनिक और निजी उद्योग में अंतर स्पष्ट करें।

उत्तर ⇒ सार्वजनिक उद्योग – इसका संचालन सरकार स्वयं करती है। इसमें भारी तथा आधारभूत उद्योग सम्मिलित है। दुर्गापुर, भिलाई, राउरकेला, भारतीय हैवी इलेक्ट्रिकल लिमिटेड, सेल आदि ।

निजी उद्योग – इसमें उद्योग पर नियंत्रण निजी व्यक्तियों का होता था। निजी लाभ के उद्देश्य से ही इनका उपयोग किया जाता है। जैसे -टाटा इस्पात उद्योग, रिलायंस इंडस्ट्रीज।


प्रश्न 2. उद्योग पर्यावरण को कैसे प्रदूषित करती है ? लिखें।

उत्तर ⇒ वर्तमान समय में उद्योगों ने प्रदूषण को बढ़ाया है और पर्यावरण को दूषित किया है। उद्योगों ने चार प्रकार के प्रदूषण वायु, जल, भूमि एवं ध्वनि को बढ़ाया है । उद्योगों से निकलने वाले धुएँ वायु को बुरी तरह प्रदूषित किया है । उद्योग द्वारा अवशिष्ट पदार्थों द्वारा नदियों तालाबों में छोड़ा जाता है। उससे जल प्रदूषण . होता है। ध्वनि प्रदूषण उद्योग एवं परिवहन की देन है।
तापीय प्रदूषण – उद्योगों तथा तापों से गर्म जल को बिना ठंडा किए ही नदियों तथा तालाबों में छोड़ दिया जाता है तो जल में तापीय प्रदूषण होता है।


प्रश्न 3. उद्योगों के स्थानीयकरण के तीन कारकों को लिखिए।

उत्तर ⇒ किसी उद्योग को स्थापित करने में कई कारकों का योगदान होता है। इन कारकों को दो वर्गों-भौतिक और मानवीय कारकों में रखा जाता है। कच्चा माल, शक्ति के साधन, जल की सलुभता तथा अनुकूल जलवायु भौतिक कारक हैं। मानवीय कारक श्रमिक, बाजार, परिवहन, पूँजी, सरकारी नीतियाँ हैं।


प्रश्न 4. लोहा एवं इस्पात उद्योग को बुनियादी उद्योग क्यों कहा जाता है ? अथवा, लोहा-इस्पात उद्योग को आधारभूत उद्योग क्यों कहा जाता है ?

उत्तर ⇒ लौह-इस्पात उद्योग को आधारभूत उद्योग इसलिए कहते हैं कि अन्य उद्योगों के लिए मशीनें, कल-पूर्जे, परिवहन के विभिन्न साधनों के लिए मोटरगाड़ियाँ, इंजन तथा कृषि के विभिन्न यंत्र इसी उद्योग द्वारा बनाए जाते हैं।


प्रश्न 5. उद्योगों के स्थानीकरण से संबंधित छह कारकों का उल्लेख करें।

उत्तर ⇒ उद्योगों के स्थानीकरण से संबंधित छह कारक हैं –

(i) कच्चा माल, (ii) शक्ति, (iii) बाजार, (iv) यातायात एवं परिवहन साधन, (v) पूँजी एवं (vi) सरकारी नीति ।


प्रश्न 6. स्वामित्व के आधार पर उद्योगों को उदाहरण सहित वर्गीकृत कीजिए।

उत्तर ⇒ स्वामित्व के आधार पर उद्योग को दो भागों में बाँटा जाता है –

(i) सार्वजनिक उद्योग – इसमें भारी तथा आधारभत उद्योग सम्मिलित हैं। इनका संचालन स्वयं सरकार करती है।
जैसे-दर्गापर भिलाई, राऊरकेला इस्पात उद्योग ।
(ii) संयुक्त अथवा सरकारी उद्योग – जब उद्योगों में दो या दो से अधिक व्यक्तियों या सहकारी समितियों का योगदान हो तो उसे संयुक्त या सहकारी उद्योग कहते हैं। जैसे-ऑयल इंडिया लिमिटेड, अमूल गुजरात आदि।


प्रश्न 7. कृषि आधारित उद्योग और खनिज आधारित उद्योग के अंतर को स्पष्ट करें।

उत्तर ⇒ कृषि पर आधारित उद्योगों को कच्चा माल कृषि से मिलता है। यह उद्योग ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर प्रदान करता है। ये अधिकतर उपभोग वस्तुओं का ही उत्पादन करते हैं। जैसे-चीनी, पटसन, वस्त्र, खनिज पर आधारित उद्योग को कच्चा माल खनिज से मिलता है। यह उद्योग ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में रोजगार प्रदान करता है। यह उपभोग्य तथा मूल पर आधारित दोनों प्रकार की वस्तुओं का उत्पादन करते हैं। जैसे-लौह इस्पात, पोत निर्माण, मशीनरी उपकरण इत्यादि।


प्रश्न 8. प्रदूषण क्या है एवं कितने प्रकार के होते हैं ?

उत्तर ⇒ प्रदूषण मानव जीवन स्थल तथा जल के भौतिक, रासायनिक एवं जैविक विशेषताओं में अपेक्षित परिवर्तन जो मानव स्वास्थ्य के लिए एवं अन्य जीवों के लिए हानिकारक है, प्रदूषण कहलाता है।

ये निम्नलिखित प्रकार के हैं – वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, तापीय प्रदूषण आदि।


प्रश्न 9. उपभोक्ता उद्योग से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर ⇒ ऐसे उद्योग जो उत्पादक, उपभोक्ता के सीधे उपभोग के लिए आते हैं, उपभोक्ता उद्योग कहलाते हैं। जैसे-दंतमंजन, कागज, पंखा आदि।


प्रश्न 10. कृषि आधारित उद्योग और खनिज आधारित उद्योग के अंतर को स्पष्ट करें।

उत्तर ⇒ कृषि आधारित उद्योग सूती वस्त्र जूट, रेशमी, ऊनी वस्त्र, चीनी उद्योग, खाद्य तेल से प्राप्त कच्चे माल पर आधारित है । खनिज आधारित उद्योग लोहा इस्पात उद्योग आदि।


प्रश्न 11. मुम्बई को सूती वस्त्र की महानगरी क्यों कहा जाता है ?

उत्तर ⇒ मुम्बई को सूती वस्त्र की महानगरी इसलिए कहा जाता है कि सिर्फ मुम्बई महानगर क्षेत्र में भारत का लगभग एक-चौथाई सूती कपड़ा तैयार किया जाता है।


प्रश्न 12. विनिर्माण से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर ⇒ वर्तमान समय में विनिर्माण उद्योग किसी भी राष्ट्र के विकास और सम्पन्नता का सूचक है। कच्चे मालों द्वारा जीवनोपयोगी वस्तुएँ तैयार करना विनिर्माण उद्योग कहलाता है। जैसे—कपास से कपड़ा, गन्ना से चीनी, लौह-अयस्क, लोहा-इस्पात उद्योग, बॉक्साइट से एल्युमिनियम आदि वस्तुएँ।


प्रश्न 13. भारत में लौह-इस्पात उद्योग के नाम लिखें।

उत्तर ⇒ प. बंगाल, झारखंड, उड़ीसा, छत्तीसगढ़।


प्रश्न 14. उत्तर-प्रदेश तथा कर्नाटक राज्यों में स्थित नाभकीय संयंत्रों के नाम लिखें।

उत्तर ⇒ उत्तर प्रदेश में तापक्रम संयंत्र नरोड़ा, कर्नाटक में कैगा नाभकीय संयत्र ।


प्रश्न 15. आधारभूत उद्योग क्या है ? उदाहरण देकर समझाएँ।

उत्तर ⇒ लौह इस्पात एक आधारभूत उद्योग है, क्योंकि इस पर अनेक अन्य उद्योगों का विकास निर्भर है।


प्रश्न 16. उदारीकरण से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर ⇒ उदारीकरण उद्योग तथा व्यापार को लाल फीता शाही के अनावश्यक प्रतिबंधों से मुक्त करके अधिक प्रतियोगी बनाता है।


प्रश्न 17. भारत में खिलौने उद्योग किन राज्यों में मुख्य रूप से है ?

उत्तर ⇒ भारत में खिलौने उद्योग कई शहरों में विकसित है। इसमें कोलकाता, दिल्ली, चेन्नई, हैदराबाद, मदुरै, भोपाल, शिवकाशी महत्वपूर्ण हैं।


प्रश्न 18. सरकार ने राष्ट्रीय विनिर्माण प्रतिस्पर्धा परिषद् की स्थापना क्यों की है ?

उत्तर ⇒ सरकार ने राष्ट्रीय निनिर्माण परिषद् की स्थापना विनिर्माण उद्योगों की उत्पादकता में वृद्धि करने के लिए की है ताकि यह उच्च विकास दर को हासिल कर सके।


प्रश्न 19. निजीकरण से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर ⇒ देश के अधिकतर उद्योगों के स्वामित्व नियंत्रण तथा प्रबंध का निजी क्षेत्र के अंतर्गत किया जाना इसके परिणामस्वरूप स्वस्थ अर्थव्यवस्था पर सरकारी एकाधिकार कम या समाप्त हो जाता है।


प्रश्न 20. ‘औद्योगिकरण’ तथा नगरीकरण’ साथ-साथ चलते हैं। उदाहरण देकर स्पष्ट करें।

उत्तर ⇒ औद्योगीकरण के प्रारंभ होते ही नगर की स्थापना आरंभ हो जाती है। नगर उद्योगों को बाजार तथा सेवाएँ जैसे-बैंकिंग, बीमा, परिवहन, श्रमिक आदि उपलब्ध कराते हैं। उदाहरण-टाटानगर, बोकारो आदि हैं।


प्रश्न 21, बड़े पैमाने तथा छोटे पैमाने के उद्योगों में अन्तर बताइए।

उत्तर ⇒ बहुत अधिक पूँजी तथा श्रम से चलाए जाने वाले उद्योग बड़े पैमाने के उद्योग कहलाते हैं। छोटे पैमाने के उद्योग वे उद्योग हैं जिनमें अपेक्षाकृत कम पूँजी लगती है। इन उद्योगों में श्रमिकों की संख्या अधिक होती है।


प्रश्न 22. भारत में ऐल्युमिनियम के दो कारखाने का नाम लिखें।

उत्तर ⇒ भारत में ऐल्युमिनियम के दो कारखाने का नाम इस प्रकार हैं –

(i) हिन्दुस्तान एल्युमिनियम कॉरपोरेशन रेणुकूट ।
(ii) इंडियन एल्युमिनियम कम्पनी मूरी (झारखंड)।


प्रश्न 23. वैश्वीकरण से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर ⇒ वैश्वीकरण का अर्थ है देश की अर्थव्यवस्था को विश्व की अर्थव्यवस्था के साथ जोड़ना, अर्थात् प्रत्येक देश का अन्य देशों के साथ बिना किसी प्रतिबंध के पूँजी, तकनीकि एवं व्यापारिक आदान-प्रदान ही वैश्वीकरण है।


प्रश्न 24. विनिर्माण क्या है ?

उत्तर ⇒ कच्चे पदार्थ को मूल्यवान उत्पाद में परिवर्तित का अधिक मात्र में. वस्तुओं के उत्पादन करने को विनिर्माण कहा जाता है। उदाहरण के लिए कागज लकड़ी से, चीनी गन्ने से, लौह-इस्पात लौह अयस्क से तथा एल्युमिनियम बॉक्साइट से निर्मित है।


प्रश्न 25. भारी एवं हल्के उद्योग में अंतर बताएँ।

उत्तर ⇒ भारी उद्योग एवं हल्के उद्योग में निम्न अंतर हैं –

(i) भारी उद्योग – इन उद्योगों में भारी कच्चे माल का प्रयोग होता है, जिससे विनिर्मित वस्तुएँ भी भारी होती है। जैसे-लोहा इस्पात उद्योग ।
(ii) हल्के उद्योग – इस वर्ग के उद्योग में हल्के कच्चे माल का प्रयोग होता है जिससे ये हल्के माल का निर्माण होता है। जैसे-इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, सिलाई मशीन उद्योग।


प्रश्न 26. उत्तर भारत और दक्षिण भारत के चीनी उद्योग में अंतर बताएँ।

उत्तर ⇒ उत्तर भारत एवं दक्षिण भारत के चीनी उद्योग में निम्न अंतर हैं –
(i) दक्षिण भारत में गन्ने की प्रति हेक्टेयर उपज अपेक्षाकृत अधिक है।
(ii) समुद्री जलवायु के कारण गन्ने में रस की मात्रा अधिक होती है।
(iii) गन्ने में अधिक शर्करा की मात्रा।
(iv) सहकारी क्षेत्र के अंतर्गत मिलों की स्थापना।
(v) मिल मालिकों द्वारा स्वयं के फार्म में गन्ने की कृषि।
(vi) चीनी उद्योग के लिए आवश्यक बिजली भी वहाँ काफी मात्रा में उपलब्ध है।


प्रश्न 27. प्रदूषण को नियंत्रण करने के क्या-क्या उपाय हैं ?

उत्तर ⇒ प्रदूषण को उचित योजनाओं द्वारा रोका जा सकता है –

(i) वैकल्पिक ईंधन का चयन तथा उसके सही उपयोग वायु प्रदूषण रोकने के लिए।
(ii) उद्योगों में कोयले के जगह तेल के उपयोग।
(iii) उद्योगों में वायु प्रदूषणों के लिए बेजफिल्टर स्क्रबर यंत्र द्वारा।
(iv) उद्योगों के प्रदूषित जल को नदियों, तालाबों में छोड़ने के पहले उपचारित करके जल प्रदूषण को रोका जा सकता है।
(v) भूमि प्रदूषण के विभिन्न स्थानों से कूड़ा-कचरा जमा करना, कूड़े-कचरे का पुनः चक्रण कर उपयोगी बनाना ।


प्रश्न 28. भारत में नटसन (जूट) उद्योग को कौन-कौन सी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है ? किन्हीं तीन का वर्णन करें।

उत्तर ⇒ भारत में जूट उद्योग के निम्न समस्याएँ हैं –

(i) जूट से बने कालीनों तथा टाट-बोरियों की माँग निरंतर कम हो रही है।
(ii) जूट से बनी वस्तुओं का मूल्य अधिक होता है। इसलिए निर्यात बाजार में इन्हें कड़ी प्रतियोगिता का सामना करना पड़ता है।
(iii) कृत्रिम धागों से बने सामान के बढ़ते हुए प्रचलन ने भी जूट उद्योग के लिए समस्या उत्पन्न कर दी है।

 

Geography ( भूगोल )  दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

1. उद्योगों का विकास क्यों आवश्यक है ?

उत्तर- उद्योगों के विकास से लोगों का जीवन स्तर ऊँचा उठता है। भारत में कृषि पर आधारित अनेक उद्योग स्थापित हैं। जैसे सूती-वस्त्र, चीनी उद्योग, चाय, कॉफी, जूट उद्योग आदि। कुछ उद्योग कृषि के विकास में लगे हैं, जैसे उर्वरक उद्योग। उद्योगों में आत्मनिर्भरता लाने के लिए उच्च कोटि की कार्यकुशलता और प्रतिस्पर्धा लाने की आवश्यकता है। जब तक औद्योगिक उत्पाद अंतर्राष्ट्रीय स्तर का नहीं होगा, तब तक अन्य देशों से हम प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकते। विदेशी मुदा अर्जित करने के लिए हमें ऐसा करना जरूरी है। विदेशी मुद्रा अर्जित कर राष्ट्रीय संपत्ति बढ़ा सकते हैं और देश को खुशहाल बना सकते हैं।


2. उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण से आप क्या समझते है ? वैश्वीकरण का भारतीय अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ा है। इसकी व्याख्या करें।

उत्तर- उदारीकरण- उद्योग को स्थापित करने के लिए एवं व्यापार को सरल एवं व्यापक बनाने के लिए नियमों एवं पाबंदियों को लचीला बनाना उदारीकरण है। इससे बाजार में प्रतिस्पर्धा उत्पन्न होती है, जिससे उपभोक्ता को सस्ता एवं गुणवत्तापूर्ण सामग्री की प्राप्ति सरल रूप में हो जाती है।

निजीकरण- जब किसी उद्योग का प्रबंधन का नियंत्रण किसी निजी व्यक्ति या सहकारी समिति के हाथ में होती है तो यह व्यवस्था निजीकरण कहलाती है। इससे किसी प्रतिष्टान पर सरकारी एकाधिकार कम या सीमित हो जाता है।

वैश्वीकरण- देश की अर्थव्यवस्था को विश्व की अर्थव्यवस्था के साथ जोड़ने की प्रक्रिया वैश्वीकरण कहलाती है। इससे प्रत्येक देश बिना किसी प्रतिबंध के पूँजी, तकनीक एवं व्यापारिक आदान-प्रदान करने में सक्षम हो पाता है। इस प्रक्रिया द्वारा भारत भी विश्व के विभिन्न देशों की अर्थव्यवस्था से जुड़ सकेगा।
वैश्वीकरण द्वारा भारत को किसी वस्तु के आयात-निर्यात में छूट, सीमा शुल्क में कमी, विदेशी पूँजी का मुक्त प्रवाह, बैंकिंग, बीमा, जहाजरानी क्षेत्रों में पूँजी निवेश, रुपयों को पूर्ण परिवर्तनशील बनाने जैसे लाभ मिल सकेंगे। इन उद्देश्यों की पूर्ति होने पर भारतीय अर्थव्यवस्था में कई सुधार हुए हैं। या यह कह सकते हैं कि वैश्वीकरण ने भारतीय अर्थव्यवस्था को काफी गतिशील बनाया है।


3. उद्योगों की स्थापना के विभिन्न कारकों का विस्तत वर्णन करें।

उत्तर-किसी स्थान पर उद्योगों को स्थापित करने के लिए कुछ अनिवार्य सुविधाओं की आवश्यकता होती है।
इन्हें उद्योग स्थापना के कारक कहते हैं, जैसे –

 (i) कच्चामाल-  इसे ही प्रयोग कर विभिन्न प्रकार की वस्तओं का उत्पादन किया जाता है। जैसे गन्ना से चीनी, कपास से सूती वस्त्र, बॉक्साइट से एलुमिनियम इत्यादि।

(ii) शक्ति के साधन-  इसके अंतर्गत ऊर्जा के स्रोतों को रखा जाता है जिसकी सहायता से मशीनें चलती हैं। इसमें ताप एवं जल विद्युत के स्रोतों – को रखा जाता है।

(iii) संचार के साधन – कच्चा माल को कारखाने तक एवं तैयार मालों को बाजार तक पहुँचाने के लिए सड़क, रेल एवं जल परिवहन का प्रयोग होता है।
(iv) श्रमिक–  इसके विकास के लिए कुशल एवं सस्ते श्रमिकों की भी आवश्यकता पड़ती है।
(v) बाजार– बाजार में माँग के अनुसार ही वस्तुओं का उत्पादन तय किया जाता है।
(vi) पूँजी- मशीनों को लगाने, कच्चे माल खरीदने, श्रमिकों का वेतन देने तथा बाजार तक पहुँचाने के लिए एक बड़ी पूँजी की आवश्यकता पड़ती है।


4. भारत में औद्योगिक विकास की समस्याओं का उल्लेख करें।

उत्तर -कषि प्रधान भारतवर्ष में औद्योगिक विकास भी तेजी से हो रहा है। औद्योगिक विकास से कई समस्याएँ दूर हो सकती हैं। किंतु विकास के राह में अनेकों समस्याएँ सामने आती है। जिनमें कुछ समस्या निम्नलिखित हैं-

(i) कई ऐसे उद्योग है जिनमें आधुनिक संयंत्र नहीं हैं जिससे उत्पादन कम होता है। जैसे—उत्तर भारत की चीनी मिलें और पश्चिम बंगाल की जुट मिलों में।

(ii) कुछ उद्योगों के गौण उत्पादों का समुचित उपयोग होना चाहिए। जैसे- रबर की बढती माँग को देखकर खनिज तेल के अवांछनीय पदार्थों से रासायनिक रबर तैयार किये जा सकते हैं।

(iii) कुछ क्षेत्रों में प्राकृतिक संपदा का उपयोग उद्योगों के विकास में नहीं हो पा रहा है। जैसे उत्तरी-पूर्वी राज्यों में कागज़ बनाने की संपदा उपलब्ध है जिसका उपयोग न कर कागज का आयात किया जाता है।

(iv) कुंटीर उद्योग और लघु उद्योग का पुनर्गठन आधुनिक ढंग से नहीं किया जा रहा है।

(v) यातायात के साधनों का विकास होना चाहिए। अभी भी बहुत सारे क्षेत्र रेल साधनों से वंचित हैं।

(vi) औद्योगिक केंद्रों को भरपूर बिजली की आपूर्ति होनी चाहिए। ब्रेकडाउन पर नियंत्रण करना चाहिए।

(vii) औद्योगिक क्षेत्रों में राजनीतिक माहौल बिगड़ता जा रहा है जिससे श्रमिकों की समस्या उत्पन्न हो रही है। इसपर नियंत्रण की आवश्यकता है।


5.भारतीय अर्थव्यवस्था में उद्योगों के योगदान का विस्तार पूर्वक वर्णन करें।

उत्तर- भारत में सकल घरेलू उत्पाद में निर्माण उद्योग का योगदान 17% है। पिछले दशक में भारतीय निर्माण उद्योग में 7% की दर से वृद्धि हुई है। अगले दशक में यह वद्धि दर 12% होने की आशा है। 2007-2008 में विकास की दर 9-10 प्रतिवर्ष हो गई। 12 प्रतिशत वृद्धि की दर पूरा करने के लिए राष्ट्रीय विनिर्माण प्रतिस्पर्दा परिषद की स्थापना की गई है। अर्थशास्त्रियों के अनुमान के अनुसार (नई) औद्योगिक नीतियों से अगले दशक में वृद्धि दर और बढ़ने की आशा है।
किसी भी देश की प्रगति वहाँ के औद्योगिक विकास पर निर्भर करती है। उद्योग, प्राकृतिक संसाधन के मूल्य वृद्धि में सहायक होता है। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत में औद्योगिकीकरण की ओर विशेष ध्यान दिया गया और कई बड़े-बड़े उद्योगों की स्थापना की गई। आज भारत कच्चा माल का निर्यातक नहीं, बल्कि निर्मित माल का निर्यातक बन गया है। राष्ट्रीय आय का बड़ा भाग उद्योग से प्राप्त होता है। उद्योगों में लाखों लोगों को रोजगार प्राप्त है। औद्योगिक प्रगति से कृषि का भी विकास हुआ है। आज हम अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करने में स्वयं सक्षम हैं। आज भारत इस स्थिति में है कि वह विदेशों में औद्योगिक इकाई स्थापित करने के लिए परामर्श सेवाओं के साथ प्रबंधक मुहैया करने में सक्षम है।


6. भारत में सूती वस्त्र उद्योग के वितरण का वर्णन करें।

उत्तर-सूती वस्त्र उद्योग देश का काफी प्राचीन उद्योग है जिसमें लगभग 3.5 करोड़ लोग लगे हुए हैं। इस उद्योग का पहला कारखाना 1854 में मुंबई में स्थापित किया गया। आज इस उद्योग के देश में लगभग 18,46 से अधिक मिले हैं। सर्वाधिक मिलें महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु एवं पश्चिम बंगाल में हैं। दक्षिण भारत में जलशक्ति के विकास के कारण इस उद्योग का विकेंद्रीकरण हुआ है। सूती-वस्त्र उद्योग के कारखाने आरंभ में कपास उत्पादक क्षेत्रों में लगाए गए, बाद में इसका विकेंद्रीकरण पूरे देश में हुआ है। 1950-51 में लगभग 4 अरब मीटर कपड़ा तैयार किया गया जो आजकल 53 अरब मीटर हो चुका है। वर्तमान में इस उद्योग के केंद्र मुंबई, अहमदाबाद, कोलकाता, कानपुर, चेन्नई, बड़ोदरा, कोयंबटूर, मदुरै, ग्वालियर, सूरत, मोदीनगर, शोलापुर, इंदौर, उज्जैन, नागपुर हैं। देश में कुल सूती वस्त्र मिलों का 80% निजी क्षेत्र में और शेष सार्वजनिक एवं सहकारी क्षेत्र में है। देश का 25% सूती-वस्त्र तैयार करने के कारण मुंबई को ‘कॉटनोपोलिस’ कहा जाता है।
देश के इस वृहत उद्योग का औद्योगिक उत्पादन में 14%, सकल घरेलू उत्पादन में 4% तथा विदेशी आय में 17% से अधिक योगदान है। इतना महत्त्वपूर्ण होते हुए भी आज यह उद्योग कई समस्याओं से गुजर रहा है। फिर भी, 1999-2000 में देश से 577 अरब रुपये मूल्य के सूती वस्त्र का निर्यात किया गया। कुल निर्यात में वस्त्र उद्योग की भागीदारी 30% है।


7. भारत में सूती वस्त्र उद्योग का विकास किन क्षेत्रों में और किन कारणों से हुआ है? विस्तृत विवरण दें।

उत्तर- भारत सूती वस्त्र का निर्माता प्राचीन काल से रहा है। वर्तमान समय में औद्योगिक उत्पादन में इसका 20% योगदान है। इस उद्योग में लगभग डेढ़ करोड़ लोग लगे हैं। भारत में कुल निर्यात में इसका योगदान 25% सूती वस्त्र उद्योग की स्थापना सबसे अधिक महाराष्ट्र और गुजरात राज्य में हुआ है। महाराष्ट्र में 122 कारखाने स्थापित है। केवल मुंबई महानगर में 62 कारखाने स्थापित है। गुजरात दूसरा बड़ा वस्त्र उत्पादक राज्य है। यहाँ 120 कारखाने स्थापित है जिनमें 72 कारखाने अहमदाबाद में स्थापित हैं।
महाराष्ट्र और गुजरात राज्य में वस्त्र उद्योग के विकास का मुख्य कारण है कपास की पर्याप्त उपलब्धता, कपास एवं मशीनरी के आयात निर्यात की सुविधा बंबई और कांडला बंदरगाह से प्राप्त है। कुशल कारीगर की उपलब्धता है। इसके अतिरिक्त मध्यप्रदेश, तमिलनाडु, उत्तरप्रदेश, पश्चिम बंगाल में भी सूती वस्त्र उद्योग का अच्छा विकास हुआ है। इन जगहों पर सस्ते श्रमिक, परिवहन के साधन, जल विद्युत की सुविधा उपलब्ध होने के कारण विकास में मदद मिला है।


8. भारत में चीनी उद्योग के विकास और कारणों पर प्रकाश डाले।

उत्तर -चीनी उद्योग कृषि पर आधारित उद्योग है। इसका कच्चा माल गन्ना है। अतः अधिकतर चीनी मिलें गन्ना उत्पादक राज्यों में मुख्य रूप से स्थापित की गयी है। उत्तर भारत में उत्तरप्रदेश, बिहार, पंजाब, हरियाणा राज्यों में चीनी की मिलें स्थापित की गयी हैं उत्तरप्रदेश में चीनी की लगभग 100 मिले हैं। यहाँ इसके लिए निम्नांकित सुविधा उपलब्ध हैं।

(i) गन्ने की अच्छी खेती,
(ii) परिवहन की अच्छी व्यवस्था, ‘
(iii) सस्ते श्रमिक और घरेलू बाजार।

1960 तक यह देश का प्रथम उत्पादक राज्य था। परंतु अब उत्पादन घट कर एक-चौथाई पर आ गया है।
बिहार राज्य में चीनी की बीसों मिलें स्थापित है, परंतु उत्पादन कम है। उत्तर भारत में पंजाब और हरियाणा राज्य में भी एक दर्जन से अधिक चीनी की मिलें स्थापित हैं।
दक्षिण भारत में महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश और तमिलनाडु में चीनी की मिलें स्थापित हैं। महाराष्ट्र में चीनी मिलों के लिए निम्नांकित सुविधाएँ प्राप्त हैं—

(i) गन्ने की प्रति हेक्टेयर ऊपज अधिक, रस का अधिक मीठा होना और रस अधिक निकलना।
(ii) उपयुक्त जलवायु
(iii) यहाँ चीनी की मिलें स्वयं गन्ने की खेती करती हैं।
(iv) समुद्री तट के कारण निर्यात की सुविधा।
चीनी उत्पादन में आज महाराष्ट्र देश में प्रथम स्थान प्राप्त कर चुका है।


9. भारत के रसायन उद्योग का वर्णन करें।

उत्तर- यह एक विकसित उद्योग में से एक है जो दवाएँ, कीटनाशक, कृत्रिम रबर, प्लास्टिक की वस्तुएँ आदि का निर्माण करती हैं। औषधी निर्माण में भी भारत का स्थान विकासशील देशों में अग्रणी है। आकार की दृष्टि से भारत का रसायन उद्योग एशिया में तीसरे तथा विश्व में 12वें स्थान पर है। भारत के औद्योगिक उत्पाद और निर्यात दोनों में इसका योगदान 14 प्रतिशत और सकल घरेलू उत्पाद में 3 प्रतिशत है। रसायन उद्योग के दो भागों में बाँटा गया है। कार्बनिक जिसमें कृत्रिम रेशें, कृत्रिम रबर, प्लास्टिक की वस्तुएँ एवं औषधियों को शामिल किया जाता है। इसकी स्थापना तेलशोधक संयंत्र तथा पेट्रोकेमिकल संयंत्र के निकट होता है। इसका सर्वाधिक संकेंद्रण मुंबई तथा बड़ोदरा के निकट है।
दूसरा अकार्बनिक रसायन उद्योग जिसमें कीटनाशक रसायन, नाइट्रिक एसिड, सोडा ऐश, सल्फ्यूरिक एसिड इत्यादि का उत्पादन होता है। इसमें गंधकाम्ल (सल्फ्यूरिक एसिड) तथा सोडा ऐश सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण है।


10. भारत में सूचना और प्रौद्योगिकी उद्योग का विवरण दीजिए।

उत्तर- सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग को ज्ञान आधारित उद्योग भी कहा जाता है, क्योंकि इसमें उत्पादन के लिए विशिष्ट नये ज्ञान, उच्च प्रौद्योगिकी और निरंतर अनुसंधान की आवश्यकता रहती है। इस उद्योग के अन्तर्गत आने वाले उत्पादों में ट्रांजिस्टर, टेलीविजन, टेलीफोन, पेजर, राडार, मोबाइल फोन, जैव प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष उपकरण, कम्प्यूटर इत्यादि आते हैं। भारत में इसके प्रमुख उत्पादक केन्द्र बंगलूर, मुम्बई, दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई इत्यादि है। इसके अलावा देश में 20 साफ्टवेयर प्रौद्योगिकी पार्क स्थापित किये गये हैं। वर्तमान समय में यह अत्यधिक रोजगार उपलब्ध करवाने वाला उद्योग बन चुका है।


11. भारत में एलुमिनियम उद्योग का वर्णन करें ।

उत्तर- एलुमिनियम उद्योग भारत का दूसरा सबसे बड़ा धातु उद्योग है। एलुमिनियम का वायुयान, बर्तन, तार इत्यादि बनाने में प्रयोग किया जाता है। इसका कच्चा माल बॉक्साइट है। बॉक्साइट को गलाने में सर्वाधिक विद्युत ऊर्जा खर्च हो जाती है। अतः इसे वहीं लगाया जाता है जहाँ सस्ती पनबिजली उपलब्ध हो। एक टन एलुमिनियम बनाने के लिए 6 टन बॉक्साइट और 18,600 किलोवाट बिजली की जरूरत होती है। भारत में एलुमिनियम बनाने के 8 कारखाने हैं, जो उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, केरल, झारखंड, उत्तरप्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र एवं तमिलनाडु में स्थित है।


12. औद्योगिक प्रदूषण से क्या खतरा उत्पन्न हो रहा है ? इसके निराकरण के लिए सुझाव दें।

उत्तर- औद्योगिक गतिविधियों का सबसे खराब प्रभाव पर्यावरण पर पड़ा है। उद्योगों विशेषकर रासायनिक उद्योगों, सीमेंट, इस्पात, उर्वरक, चमड़ा उद्योग आदि से बड़ी मात्रा. में विषैले गैस निकलकर वायु को प्रदूषित करते हैं। इसी प्रकार कारखाने से निकलने वाले कचड़े को जलाशय में प्रवाहित करने से जल प्रदूषण की समस्या पैदा हो रही है। औद्योगिक प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए निम्न उपाय किए जा सकते हैं –

(i) कोयला और खनिज तेल के स्थान पर पनबिजली का उपयोग बढ़ाया जाए।
(ii) कारखाने के कचड़े को पहले उपचारित कर लिया जाए फिर विसर्जित किया जाए।
(iii) कारखाने से निकले प्रदूषित जल को रासायनिक प्रक्रिया से उसे साफ करने के बाद ही जलाशय में गिराना चाहिए।


13. भारत में लौह एवं इस्पात उद्योग के वितरण का वर्णन करें।

उत्तर- खनिज आधारित उद्योगों में लोहा एवं इस्पात का उद्योग काफी महत्त्वपूर्ण है। देश में आधुनिक ढंग का पहला सफल एवं छोटा कारखाना 1874 में कुल्टी (प०बंगाल) में लगाया गया था जबकि आधुनिक ढंग का बड़ा कारखाना 1907 में साकची (जमशेदपुर) नामक स्थान पर टिस्को नाम से खुला। इसके बाद 1919 में बर्नपुर (प०बंगाल) तथा 1923 में भद्रावती (कर्नाटक) में लौह-इस्पात कारखाने खोले गए। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद राउरकेला (उड़ीसा), दुर्गापुर (प०बंगाल) एवं भिलाई (छत्तीसगढ़) में इसके कारखाने लगाए गए। तृतीय पंचवर्षीय योजना में बोकारो (झारखंड) में इसका एक कारखाना लगाया गया जो 1974 से कार्यरत है। 20 वीं सदी के उत्तरार्द्ध में तीन और कारखाने सलेम, विशाखापत्तनम और विजयनगर में स्थापित किया गया। वर्तमान समय में लोहा एवं इस्पात के 10 बड़े एवं 200 से अधिक लघु कारखाने हैं। इनमें जमशेदपुर को भारत का बर्मिंघम कहा जाता है।देश में इस उद्योग के स्थानीयकरण की चार प्रवृत्तियाँ दिखती हैं—

(i) लौह-अयस्क क्षेत्र की निकटता

(ii) कोयला क्षेत्र की निकटता

(iii) दोनों की मध्यवर्ती स्थिति और

(iv) बंदरगाह की निकटता।


14. उत्तर भारत और दक्षिण भारत के चार-चार राज्यों का नाम लिखें ।जो चीनी उद्योग में विकसित हैं। इन उद्योगों की प्रमुख समस्या क्या है ?

उत्तर- चीनी उद्योग में विकसित उत्तर और दक्षिण भारत के चार-चार राज्य निम्न हैं।

  • उत्तर भारत के राज्य–(i) उत्तरप्रदेश, (ii) बिहार, (iii) पंजाब एवं (iv) हरियाणा।
  • दक्षिण भारत के राज्य–(i) महाराष्ट्र, (ii) कर्नाटक, (iii) आंध्रप्रदेश एवं (iv) तमिलनाडु।

चीनी उद्योग की वर्तमान समस्याएँ निम्नलिखित हैं –

(i) गन्ने की खेती का कम होता जाना जिसके कारण कच्चा माल गन्ना कारखाने को नहीं मिल पाता है।
(ii) उच्च कोटि के गन्ने की खेती की कमी,
(iii) उत्तर भारत की मिलें पुरानी हैं उसमें पुराने तकनीक का ही प्रयोग किया जा रहा है।
(iv) विद्युत आपूर्ति आवश्यकता के अनुसार नहीं मिलता है।
(v) गन्ने की खेती में समय अधिक लगता है। इसलिए किसान इसकी खेती करने को लाभप्रद नहीं मानते और नकदी फसल पैदा करने पर बल देते हैं।

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