नवीन २० सूत्रीय आर्थिक कार्यक्रम
नवीन २० सूत्रीय आर्थिक कार्यक्रम
उसके वादों का हमको भरोसा तो है,
‘द्रोह’ खुद ही न चाहें, तो वे क्या करें ।
भारत में ‘इन्दिरा युग’ का सूर्योदय देश के इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना है। इस महान् सूर्योदय ने शासन और शासन तन्त्र की चिर निद्रा को भयंकर कार्य पथ पर आरूढ़ होने के लिये प्रेरित ही नहीं किया अपितु जागरण और कर्मण्यता के पवित्र मन्त्रों से भारत का जन-जीवन आलोकित हो उठा। श्रीमती गाँधी के हृदय में भारत की निरीह जनता की आपदाओं और विपत्तियों को दूर करने की अटूट भावना है। उनके विवेकपूर्ण दृढ़ निश्चयों ने समाजवाद की पृष्ठ-भूमि में भारत के चित्र को ही बदल दिया । वे ‘करनी’ में विश्वास करती हैं ‘कथनी’ में नहीं । ‘इन्दिरा युग से पूर्व कितने वायदे हुये और कितने पूरे हुये और इन्दिरा युग में कितने आश्वासन किये गये और कितने अपूर्ण रहे’ ये जनता की दृष्टि से छिपा हुआ नहीं है । निश्चय ही प्रधानमन्त्री श्रीमती इन्दिरा गाँधी में अदम्य साहस और अपूर्व कार्यक्षमता है, जिनका लोहा विरोधी और विदेशी दोनों ही मानते हैं। देश में हरित क्रान्ति, बैंकों का राष्ट्रीयकरण, जीवन बीमा निगम का राष्ट्रीयकरण, राजे महाराजों के प्रीविपर्स की समाप्ति, आई० सी० एस० अफसरों के विशेषाधिकारों की समाप्ति, अनाज के थोक व्यापार का राष्ट्रीयकरण आदि कार्य महान् राष्ट्रनायक के रूप में इन्दिरा जी की आज भी गौरव-गाथा गा रहे हैं। समाजवाद, धर्म निरपेक्षता और लोकतन्त्र के जागरूक प्रहरी के रूप में श्रीमती इन्दिरा गाँधी द्वारा घोषित २० सूत्री कार्यक्रम देश में व्याप्त निर्धनता, असमानता, अकर्मण्यता के समूलोन्मूलन की दिशा में ठोस और प्रभावशाली कदम है।
सहस्राब्दियों पूर्व श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता के माध्यम से कर्मयोग का उपदेश उस समय दिया था, जब अर्जुन में कर्म के प्रति उदासीनता आ गई थी ।
कृष्ण ने कहा था–
कर्मणैव हि संसिद्धमास्थिरता जनकादयः ।
लोक-संग्रहमेवापि संपश्यन् कर्तुमर्हसि ।।
इसलिये “योगस्थः कुरु कर्माणि, संग त्यक्त्वा धनंजय ।” उसी कर्मयोग का उपदेश आज श्रीमती इन्दिरा गाँधी ने देश की ६८ करोड़ जनता को अपने २० सूत्री कार्यक्रम के माध्यम से दिया है। श्रीमती गाँधी ने देश की जनता को कठोर परिश्रम, दृढ़ निश्चय, दूर दृष्टि और आत्म-विश्वास का जो अमोघ सन्देश दिया है, निश्चय ही जनता अपने संकटों से उद्धार पा सकेगी। देश की जनता अडिग चट्टान की भाँति आज भी प्रधानमन्त्री के साथ है। प्रधानमन्त्री ने सदैव जनता को सुना है, समझा है और उसकी करुण कहानियों से द्रवित हुई है। इतना अवश्य है कि घटनाओं और स्थितियों को उन तक पहुँचने में समय लगता है।
प्रधानमन्त्री की प्रगतिशील नीतियों और समाजवादी निर्णयों का जनता ने सदैव हृदय खोलकर समर्थन किया परन्तु साम्प्रदायिक, अराजकतावादी एवं रूढ़िवादी तत्वों ने सदैव विरोध किया और विघ्न उपस्थित किये परन्तु इन्दिरा जी अपने प्रगतिशील मार्ग पर हिमालय की भाँति अडिग रहीं। १९७४ और १९७५ के प्रारम्भ में देश की अखण्डता, स्वतन्त्रता और लोकतन्त्र को छिन्न-भिन्न करने के लिये विरोधी तत्व हिंसा, हड़ताल, घेराव, बन्द आदि को भड़काकर देश में अराजकता की स्थिति उत्पन्न करने के लिये प्रयत्नशील थे जिससे देश की प्रगति में बाधा उत्पन्न होने का भय था। प्रधानमन्त्री ने ही स्थिति का मूल्यांकन करते हुये उसका सही उपाय ढूँढ निकाला। वह थी आपात्कालीन स्थिति की घोषणा ।
२६ जून,१९७५ को देश में आपात स्थिति की घोषणा कर दी गई । २७ जून को प्रधानमन्त्री श्रीमती इन्दिरा गाँधी ने राष्ट्र के नाम अपने सन्देश में देश की जनता से एकता और अनुशासन की अपील करते हुये आशा व्यक्त की कि देश की जनता इस समय सरकार का साथ देगी, जिससे देश मजबूत बन सके और तेजी से प्रगति हो सके। उन्होंने अपने २० सूत्री कार्यक्रम की घोषणा की जिसमें उन्होंने निम्नलिखित बातों का उल्लेख किया –
(१) आवश्यक उपभोक्ता वस्तुओं के दामों में गिरावट की प्रक्रिया को बनाये रखना, उत्पादन व उत्पादकता की गति को तेज बनाये रखना, आवश्यक उपभोक्ता पदार्थों की वसूली व वितरण व्यवस्था को प्रभावशाली बनाना तथा सरकारी खर्चे में कमी करना ।
(२) कृषि भूमि की सीमाबन्दी को तीव्रता से लागू करना, अतिरिक्त भूमि को भूमिहीनों के बीच बाँटना तथा भूमि सम्बन्धी प्रलेख तैयार करना ।
(३) भूमिहीनों तथा समाज के कमजोर वर्गों के लिये आवासीय भूमि का शीघ्र आवंटन करना ।
(४) मजदूरों से जबरन काम करने को तुरन्त गैर कानूनी करार कर दिया जायेगा।
(५) ग्रामीणों के कर्जे की माफी, भूमिहीन मजदूरों व दस्तकारों से कर्ज की वसूली पर रोक लगाने के लिये कानून बनाया जायेगा ।
(६) खेतिहर मजदूरों के निम्नतम मजदूरी सम्बन्धी कानूनों में संशोधन होंगे।
(७) पचास लाख हैक्टेयर भूमि में सिंचाई की व्यवस्था की जायेगी। भूमिगत जल का अधिकाधिकं उपयोग करने के लिये राष्ट्रीय कार्यक्रम बनाये जायेंगे।
(८) बिजली कार्यक्रमों में तेजी लाई जायेगी, थर्मल स्टेशनों का केन्द्रीय नियन्त्रण |
(९) हथकरघा क्षेत्र के लिये नई विकास योजनायें चालू की जायेंगी ।
(१०) नियन्त्रित मूल्य पर बिकने वाले कपड़े की क्वालिटी सुधारी जायेगी और इसके वितरण की उचित व्यवस्था की जायेगी ।
(११) शहरी भूमि व शहर बसाने योग्य भूमि का समाजीकरण, अतिरिक्त खाली भूमि के स्वामित्व तथा निर्माण क्षेत्रों की अधिकतम सीमा का निर्धारण ।
(१२) वैभवपूर्ण शहरी सम्पत्ति के मूल्यांकन व कर की चोरी व गलत सूचना देने वाले के विरुद्ध सरकारी तौर पर मुकदमा चलाया जायेगा। इस कार्य के लिये विशेष दस्तों की नियुक्ति की जायेगी ।
(१३) तस्करों की सम्पत्ति को जब्त करने के लिये विशेष कानून बनाया जायेगा। उनकी अपने नाम की तथा बेनामी सम्पत्ति भी जब्त की जायेगी ।
(१४) पूंजी निवेश प्रक्रिया को उदार बनाया जायेगा, लेकिन आयात लाइसैंस का दुरुपयोग करने वालों के विरुद्ध कार्यवाही की जायेगी ।
(१५) उद्योगों में कर्मचारियों के योगदान तथा उत्पादन कार्यक्रम सम्बन्धी योजनायें शुरू की जायेंगी ।
(१६) सड़क परिवहन के लिये राष्ट्रीय परिवहन योजना शुरू की जायेगी ।
(१७) आयकर में छूट सीमा ६ हजार रुपये से बढ़ाकर ८ हजार कर दी जायेगी ।
(१८) छात्रावासों में छात्रों के लिये नियन्त्रित मूल्यों पर आवश्यक वस्तुओं की व्यवस्था की जायेगी।
(१९) विद्यार्थियों के लिये नियन्त्रित मूल्य पर पुस्तकें व लेखन सामग्री उपलब्ध कराई जायेगी ।
(२०) नवीन प्रशिक्षण योजना का प्रारम्भ तथा रोजगार व प्रशिक्षण के अवसरों में वृद्धि की जायेगी तथा इस कार्य में कमजोर वर्गों को विशेष प्रमुखता दी जायेगी ।
उपर्युक्त २० सूत्री कार्यक्रम के क्रियान्वयन से देश को समाजवाद की दिशा में आगे बढ़ाये जाने के प्रयास किये गये । इसी उद्देश्य से संविधान का ४२वाँ संशोधन किया गया जिससे मौलिक अधिकारों की व्यवस्था, राज्य के नीति-निर्देशक तत्वों के क्रियान्वयन में बाधक न हो सके। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (सत्ता कांग्रेस) के इस अवधि के शासनकाल में तस्करी, जमाखोरी, करो की चोरी, अनुचित मुनाफाखोरी, जन-जीवन में व्याप्त अनुशासनहीनता की अकर्मण्यता तथा, भ्रष्टाचारिता, समाचार पत्रों के मनमानेपन, समाज के वर्गों के पिछड़ेपन जैसी सामाजिक बुराइयों के विरुद्ध सुनियोजित अभियान चलाया तथा मूल्यों की गिरावट, करों की अधिकाधिक वसूली, “अनुशासनपूर्ण जन-जीवन, कर्मचारीतन्त्र की सक्रियता, नियन्त्रित समाचार प्रसारण, पिछड़े वर्गों के कल्याण आदि के रूप में उसके कुछ स्पष्ट परिणाम भी निकले किन्तु यह सब आपात स्थिति की छाया में हुआ।”
प्रधानमन्त्री श्रीमती इन्दिरा गाँधी के २० सूत्री कार्यक्रम पर सभी राज्यों में बड़ी तेजी से अंमल किया गया और इसमें समाज के अधिकांश लोगों को लाभ हुआ। आपात्कालीन स्थिति की सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि इस बीस सूत्री आर्थिक कार्यक्रम को कहा जा सकता है।
मार्च १९७७ के छठी लोकसभा के निर्वाचन में श्रीमती इन्दिरा गाँधी का आकर्षण एवं निपुण नेतृत्व सफल सिद्ध न हो सका । यह देश का दुर्भाग्य ही था । परिणामस्वरूप केन्द्र व राज्यों में जनता सरकारें स्थापित हुईं, जिनमें पारस्परिक द्वेष, ईर्ष्या और पद- लोलुपता की आग निरन्तर सुलगती रही । परिणामस्वरूप लगभग ढ़ाई वर्ष के बाद ही केन्द्र में जनता सरकार का पतन हो गया । तत्कालीन राष्ट्रपति श्री नीलम संजीव रेड्डी ने एक अध्यादेश द्वारा सातवीं लोकसभा के चुनावों की घोषणा कर दी । फलस्वरूप ३ फरवरी और ६ फरवरी, १९८० को सातवीं लोकसभा के लिये समस्त भारत में मतदान,हुआ। भारत की जनता ने एक बार पुनः श्रीमती इन्दिरा गाँधी के साहसपूर्ण नेतृत्व में अपनी अडिग आस्था व्यक्त की और दो-तिहाई बहुमत के साथ प्रधानमन्त्री के रूप में उन्हें देश की बागडोर सौंप दी । गैर कांग्रेसी केन्द्रीय सरकार के चौतीस महीनों के शासन काल में २० सूत्री कार्यक्रम को बड़ा आघात पहुँचा । १४ जनवरी, १९८० ई० को श्रीमती इन्दिरा गाँधी के प्रधानमन्त्री होते ही बीस सूत्री कार्यक्रम की सार्थकता की ध्वनि देश के एक कोने से दूसरे कोने तक गूंज उठी। सातवीं लोक सभा के संयुक्त अधिवेशन में नई सरकार के सामाजिक और आर्थिक परिवर्तनों की झांकी प्रस्तु करते हुए २३ जनवरी, १९८० को अपने अभिभाषण में उन्होंने कहा, “सरकार समाज के कमजोर वर्गों के लिये अपने कर्त्तव्य के प्रति सचेत है। गरीब, भूमिहीन लोगों, दस्तकारों, हथकरघा बुनकरों, अनुसूचित-जातियों अनुसूचित जनजातियों और समाज के दूसरे पिछड़े वर्गों के लिये बीस सूत्री आर्थिक कार्यक्रम वरदान सिद्ध हुआ था, उसमें नई जान डालकर उसे कारगर तरीके से काम में लाया जायेगा।”
सुसंगठित, सुव्यवस्थित और सुनियोजित राष्ट्र निर्माण में प्रधानमन्त्री श्रीमती इन्दिरा गाँधी का बीस सूत्री कार्यक्रम पहले भी वरदान सिद्ध हुआ था, अब भी राष्ट्र के आर्थिक उत्थान में उपरोक्त बीस सूत्र स्वर्णिम एवं श्रेयस्कर सिद्ध होंगे ।
प्रधानमन्त्री श्रीमती इन्दिरा गाँधी ने अपने भाषण में कहा है – “उनका दल महिलाओं, बच्चों, अल्पसंख्यकों तथा पिछड़े वर्ग के लिए, उनकी दशा सुधारने के लिये अनेक योजनायें बना रहा है और बीस-सूत्री आर्थिक-सामाजिक कार्यक्रम के माध्यम से उनके उत्थान के लिए कृत संकल्प है।” काँग्रेस (इ०) की एक चुनाव सभा को सम्बोधित करते हुए प्रधानमन्त्री इन्दिरा गाँधी ने कहा कि “मेरी सरकार २० सूत्री कार्यक्रम को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है । २० सूत्री कार्यक्रम काँग्रेस सरकार के प्रारम्भिक दिनों में ही शुरू किया गया था । ” १
प्रधानमन्त्री श्रीमती इन्दिरा गाँधी का नवीन २० सूत्री कार्यक्रम
१४ जनवरी, १९८२ को घोषित नया बीस सूत्री कार्यक्रम – सन् १९८० में श्रीमती इन्दिरा गाँधी पुनः सत्तारूढ़ हुईं । प्रधानमन्त्री बनने के उपरान्त उन्होंने अपने बीस सूत्रीय कार्यक्रम को क्रियान्वित करते हुए देश की बहुमुखी उन्नति की ओर लगातार ध्यान दिया । १४ जनवरी, १९८२ को प्रधानमन्त्री श्रीमती इन्दिरा गाँधी ने राष्ट्र को एक नया बीस सूत्री आर्थिक कार्यक्रम तथा ‘श्रमेव जयते’ का नारा प्रदान किया ।
अपनी नई सरकार की दूसरी वर्षगाँठ के अवसर पर आकाशवाणी से राष्ट्र कें नाम संदेश में प्रधानमन्त्री श्रीमती इन्दिरा गाँधी ने कहा कि हमारा राष्ट्रीय आदर्श वाक्य है, ‘सत्यमेव जयते’ । हमें अपने दैनिक जीवन में एक और आदर्श वाक्य – ‘श्रमेव जयते’ अपनाना चाहिये । २
प्रधानमन्त्री ने कहा कि अनेक लक्ष्य पूरे किये गए हैं, जनता के आर्थिक और सामाजिक जीवन में परिवर्तन हुए हैं और नई चुनौतियाँ सामने आई हैं। अतः यह जरूरी हो गया है कि २० सूत्रीय कार्यक्रम की जो पहले पहल सन् १९७५ में शुरू किया था, फिर से परिभाषित किया जाए । उन्होंने कहा कि नया आर्थिक कार्यक्रम काफी सोच-विचार और सरकार से बात चीत करने के उपरान्त ही तैयार किया गया है ।
श्रीमती गाँधी ने कहा कि सन् १९७५ में बीस सूत्रीय कार्यक्रम की घोषणा करते हुए भी मैंने कहा था कि इसमें किसी चमत्कार की अपेक्षा नहीं करनी चाहिए। आज भी गरीबी को दूर करने में कठोर श्रम, अनुशासन और दिशा बोध ही जादू का काम कर सकता है ।
प्रधानमन्त्री श्रीमती इन्दिरा गाँधी द्वारा घोषित नया बीस सूत्रीय कार्यक्रम इस प्रकार है –
(१) सिंचाई क्षमता में और वृद्धि की जाये। सूखी जमीन पर खेती से सम्बन्धित तकनीकी ज्ञान और खाद्यान्नों का विकास एवं प्रचार किया जाए ।
(२) दलहन और तिलहन के उत्पादन में वृद्धि के लिए विशेष प्रयास किया जाए।
(३) समग्र ग्रामीण विकास एवम् राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार कार्यक्रम को सुदृढ़ एवं अधिक विस्तृत किया जाए ।
(४) कृषि योग्य भूमि की हदबन्दी लागू हो । तमाम प्रशासनिक और कानूनी अड़चनों को दूर कर जमीन से सम्बन्धित रिकार्डों को एकत्र कर पूरे तौर से दुरुस्त किया जाए तथा हदबन्दी की सीमा से अधिक जमीन का बँटवारा भूमिहीनों के बीच किया जाए ।
(५) कृषि कार्य में लगे मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी दिलाने से सम्बन्धित कानूनों की समीक्षा की जाये और इसे असरदार तरीके से लागू किया जाये ।
(६) बंधुआ मजदूरों के पुनर्वास की व्यवस्था की जाए ।
(७) अनुसूचित जातियों और जनजातियों के विकास के कार्यों में तेजी – गरीबी की रेखा के पार ले जाने हेतु हरिजन परिवारों और आदिवासी परिवारों के लिए क्रमशः ४००० करोड़ और २००० करोड़ रुपये की धनराशि का प्रावधान किया गया ।
(८) ग्रामीण अंचल में पेय जल व्यवस्था – प्राथमिकता के आधार पर आन्तरिक भागों में दूर दराज स्थित दो लाख इकतालीस हजार गाँवों में सुरक्षित पेय जल की व्यवस्था कराई जायेगी ।
(९) ग्रामीण परिवारों के लिए आवासीय भू-खण्ड — ऐसे ग्रामीण परिवारों को ऐसे भू-खण्ड दिये जायें जिनके पास मकान बनाने को जमीन नहीं है । हरिजनों के ६८ लाख परिवारों को ऐसे भू-खण्ड प्रदान करने की व्यवस्था है, साथ ही १.३९ करोड़ परिवारों को निर्माण सुविधायें उपलब्ध करायी जायेंगी ।
(१०) पिछड़े वर्गों की उन्नति — झुग्गी-झोपड़ियों के वातावरण में सुधार किया जायेगा । आर्थिक दृष्टि से कमजोर वर्ग के लिये गृह निर्माण कार्यक्रम को लागू किया जायेगा और जमीन की कीमतों में अप्रत्याशित जो वृद्धि हुई है, उसे रोकने के प्रयत्न किये जायेंगे।
(११) बिजली-ताप बिजली घरों में सुधार किये जायेंगे। बिजली उत्पादन की कार्य प्रणाली में सुधार किये जायेंगे। नई इकाइयों की शुरूआत में जल्दी की जायेगी तथा विद्युत मण्डलों की प्रबन्धकीय दक्षता में वृद्धि की जायेगी ।
(१२) वनारोपण तथा वैकल्पिक ऊर्जा- ग्रामों में परती जमीन, सड़कों, नहरों, रेल पटरियों के किनारे, जलाऊ लकड़ी के वृक्षों के पौधों को लगाया जायेगा, किसानों को बीज मुफ्त दिये जायेंगे, इसी के अन्तर्गत १००० सामुदायिक बायो गैस प्लांट लगाने की योजना है।
(१३) परिवार नियोजन —–— छोटे परिवार वालों को सन्देश फैलाने के लिये स्वयंसेवी एजेन्सियों का उपयोग किया जायेगा । स्वेच्छा के आधार पर परिवार नियोजन को लोकप्रिय बनाने के लिये सार्वजनिक अभियान चलाया जायेगा ।
(१४) स्वास्थ्य रक्षा सामान्य प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा को ज्यादा बढ़ाया जायेगा। ग्रामों में प्रति १००० की जनसंख्या पर १ प्रतिशत मार्गदर्शक, हर ५००० की आबादी के पीछे एक स्वास्थ्य उपकेन्द्र, हर ३०००० की आबादी पर एक प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र की स्थापना का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। यह भी योजना है कि कुष्ट रोग और अन्धेपन को नियन्त्रित करने के लिये प्रयास किये जायेंगें ।
(१५) महिला एवं बाल कल्याण – महिलाओं तथा बच्चों के कल्याण हेतु किये जाने वाले कार्यक्रमों में तेजी लायी जायेगी । एक करोड़ ४० लाख बच्चों को रोगों से सुरक्षा लक्ष्य निर्धारित किया गया है। साठ लाख बच्चों को पूरक पोषण आहार दिया जायेगा ।
(१६) शिक्षा प्रसार – २ से ११ वर्ष तक के सभी बच्चों के लिये निःशुल्क प्रारम्भिक शिक्षा की व्यवस्था की जायेगी । वयस्कों की निरक्षरता दूर की जायेगी । लक्ष्य यह है कि पिछड़े वर्ग के परिवारों के साथ करोड़ों बच्चों को अगले दस वर्षों में स्कूली शिक्षा उपलब्ध कराई जायेगी ।
(१७) उचित मूल्य की दुकानें— जीवन के लिये आवश्यक वस्तुएँ उपलब्ध कराने हेतु उचित दर पर वस्तुएँ बेचने वाली दुकानें अधिकतम संख्या में खोली जायेंगी । मार्च सन् १९८३ तक ऐसी साढ़े तीन हजार दुकानें खोलने का लक्ष्य है । श्रमिक क्षेत्र में उचित मूल्य की चलती-फिरती दुकानें स्थापित की जायेंगी ।
(१८) उदार पूँजी निवेश – औद्योगिक नीति को नये सांचे में ढाला जायेगा । पूँजी निवेश की प्रक्रिया को उदार बनाया जायेगा । शोध और विकास कार्यों को वैकल्पित टैक्नोलाजी की ओर मोड़ा जायेगा। बीमार औद्योगिक इकाइयों को पुनर्जीवित किया जायेगा ।
(१९) काला धन विरोधी अभियान-दस करोड़ जमाखोरों और करों की चोरी करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जायेगी। इसके लिये भ्रष्टाचार विरोधी तन्त्र और खुफियायन्त्र को मजबूत किया जायेगा। तस्करों पर काबू पाने के लिये पड़ोसी देश से भी सहायता ली जायेगी और द्विपक्षीय व्यवस्था की जायेगी ।
(२०) सार्वजनिक प्रतिष्ठानों की कार्य कुशलता में वृद्धि – सार्वजनिक उद्यमों के प्रबन्ध तन्त्र की व्यवस्थाओं को ठीक किया जायेगा। इसमें आधुनिक तकनीकें लागू की जायेंगी तथा प्रबन्ध में श्रमिकों की भागीदारी में वृद्धि की जायेगी ।
निश्चय ही, प्रधानमन्त्री द्वारा घोषित नवीन २० सूत्री आर्थिक कार्यक्रम से भारतीय जनसमूह के जीवन में एक आशा की किरण फूट उठी है। लोगों के मन में जीवन की बुनियादी आवश्यकताओं की पूर्ति का आश्वासन सभ्यता और साक्षरता की परिधि में बैठता जा रहा है। विगत वर्षों में हमने यद्यपि अनेकानेक उपलब्धियाँ प्राप्त की फिर भी सामान्य जनता तथा मजदूर और भूमिहीन किसान अधिक न उठ सकें। सरकार ने अपने आश्वासनों और नीतियों को पूरा करने के लिये जब-जब पूर्ण निष्ठा के साथ तत्परता दिखाई, तभी तभी निहित स्वार्थ वाले व्यक्ति तथा दुराग्रही राजनैतिक दलों ने मार्ग में विघ्न और बाधायें खड़ी करना प्रारम्भ कर दिया और कभी-कभी संवैधानिक निर्णयों ने उन्हें पूरा करने से रोक दिया । आपात्कालीन स्थिति के लागू होने के बाद सभी दिशाओं में सरकार का कार्य पूर्णरूपेण प्रशस्त हुआ । प्रधानमन्त्री श्रीमती इन्दिरा गाँधी के २० सूत्री आर्थिक कार्यक्रम के विषय में जनता के हृदय में भी विश्वास जाग उठा है। निःसन्देह राष्ट्र निर्माण के इन सत्प्रयासों से राष्ट्रीय जनजीवन फिर से हरा-भरा हो उठेगा । परन्तु प्रत्येक भारतीय को इतना ध्यान अवश्य रखना चाहिये कि कार्यक्रम या प्रधानमन्त्री की घोषणा स्वयं में जादू नहीं है इनके लिये प्रत्येक नागरिक को अनुशासन में रह कर निष्ठापूर्वक कड़ा परिश्रम करना है। जनता को श्रम और अध्यवसाय का मन्त्र देते हुए प्रधानमन्त्री श्रीमती इन्दिरा गाँधी ने अपने आर्थिक कार्यक्रमों की घोषणा में ही कहा था –
“जनता को कोई नाटकीय परिणामों और जादुई हल की आशा नहीं करनी चाहिये । गरीबी हटाने का एक जादू है और वह कठोर परिश्रम, स्पष्ट कल्पना, मजबूत इरादा और कठोर अनुशासन । हमें अपने साथी नागरिकों के लिये अधिक से अधिक लाभ का काम करना चाहिये, केवल अपने लिये नहीं ।”
सुसंगठित, सुव्यवस्थित और सुनियोजित राष्ट्र निर्माण में श्रीमती इन्दिरा गाँधी का २० सूत्री आर्थिक कार्यक्रम पहिले भी वरदान सिद्ध हुआ था और आज भी राष्ट्र के आर्थिक उत्थान में ये २० सूत्र स्वर्णिम एवं श्रेयस्कर सिद्ध होंगे I
वर्तमान प्रधानमन्त्री श्री राजीव गाँधी की समस्त नीतियाँ श्रीमती इन्दिरा गाँधी के २० सूत्री कार्यक्रम पर निर्धारित रहीं । १९८९ में पदारूढ़ नयी सरकार के नेतृत्व में भी समस्त प्रदेशों की सरकारें बीस सूत्री कार्यक्रम को सफल बनाने के लिये कटिबद्ध हैं। प्रत्येक जनपद का जिलाधिकारी एवं प्रत्येक मण्डल का मण्डलायुक्त बीस सूत्री कार्यक्रम की प्रगति एवं उपलब्धियों पर अधीनस्थ अधिकारियों की मासिक मीटिंग ले रहे हैं। मण्डलायुक्तों की मीटिंग सम्बन्धित मन्त्री एवं मुख्यमन्त्री लेते हैं जिससे प्रगति एवं उपलब्धियों का सिंहावलोकन हो सके ।
निश्चित ही भारतीयों की गरीबी उन्मूलन की दिशा में इस बीस सूत्री कार्यक्रम से पर्याप्त लाभ हुआ है। भविष्य में भी इस बीस सूत्री कल्याणकारी कार्यक्रम से भारत की जनता का उत्थान होगा ।
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