जीवन जीने की कला सिखाते हैं गुरु

दरभंगा.

गुरु सिर्फ शिक्षा ही नहीं देते, बल्कि जीवन जीने की कला भी सिखाते हैं. शिष्य के गुरु संरक्षक होते हैं. यह बातें डॉ प्रभात दास फाउण्डेशन द्वारा शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर विद्यापति उच्च विद्यालय में आयोजित कार्यक्रम में एचएम मधुबाला कुमारी ने कही. कहा कि पहनावे से नहीं विचार से मार्डन बनना जरूरी है. गुरु-शिष्य के बीच सुखद वाद-विवाद होना चाहिए. आधुनिक दौर में गुरु-शिष्य संबंध पर शिक्षक अजय पासवान ने कहा कि शिक्षण व्यवस्था में व्यापक बदलाव आया है. पहले की अपेक्षा शिक्षा बेहतर हुई है. पहले गुरु-शिष्य होते थे जबकि आज शिक्षक और छात्र होते हैं. आधुनिक एजुकेशन प्रणाली से शिक्षक-छात्र के बीच मित्रवत संबंध स्थापित हो रहा है. सुनील कुमार ने कहा कि गुरु-शिष्य संबंध पवित्र और मधुर रहा है. गुरु प्रत्येक शिष्य को योग्य बनाना चाहता है.

प्रतियोगिता में अव्वल आयी धनलक्ष्मी :

इससे पूर्व भाषण प्रतियोगिता में नौवीं एवं दसवीं के 42 विद्यार्थियों ने भाग लिया. विषय वस्तु की बेहतर प्रस्तुति के लिए दसवीं की छात्रा धनलक्ष्मी कुमारी को अव्वल घोषित किया गया. द्वितीय स्थान नौंवी के शिवम कुमार एवं तृतीय स्थान दसवीं की भवप्रीता कुमारी ने प्राप्त की. सादिक हुसैन, आनंदी कुमारी, स्वाति कुमारी, राजनंदनी कुमारी, दिव्यांजली कुमारी, खुशी कुमारी, प्रेरणा कुमारी, अमृता कुमारी, दीपाली कुमारी, आदित्य राज मिश्रा, पुष्कर कुमार एवं कंचन कुमारी को चतुर्थ से सतरहवें स्थान के लिए पुरस्कृत किया गया. निर्णायक शिक्षक प्रदीप कुमार एवं उदय कुमार थे. मौके पर शिक्षक दिलीप कुमार, अंजली कुमारी, सीमा पासवान, मनीषा भारती, शबाना अंजुम, शमीम अहमद, शक्ति कुमारी आदि मौजूद रहे. संचालन फाउण्डेशन के अनिल सिंह ने किया.

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