जिला बाल संरक्षण समिति की हुई बैठक
जिला बाल संरक्षण समिति की हुई बैठक
दरभंगा, समाहरणालय अवस्थित बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेदकर सभागार में उप विकास आयुक्त अमृषा बैंस की अध्यक्षता में जिला बाल संरक्षण समिति, दरभंगा के साथ-साथ चाइल्ड लाईन एडवाइडजरी बोर्ड, मानव व्यपार विरोधी समिति एवं बाल कल्याण समिति की बैठक आयोजित की गयी।
बैठक में किशोर न्याय परिषद के प्रधान सदस्य ने बताया कि पूर्व के 408 मामले लंबित हैं। वर्तमान माह में 22 मामले दर्ज हुए हैं, जिनमें से 08 मामलों का निष्पादन किया गया है। प्रत्येक माह में 20 से 25 मामले दर्ज होते हैं एवं उनका निष्पादन भी होता है।
कहा कि किशोर न्यास परिषद में एक प्रधान सदस्य एवं दो सामाजिक कार्यकर्त्ता, जिनमें एक महिला सदस्य होती है। किशोर न्याय परिषद में विवादित बच्चे, जो थानों के द्वारा भेजा जाता है, उनकी सुनवाई होती है, उन्हें पर्यवेक्षण गृह में रखा जाता है।
विशिष्ट दत्तक ग्रहण संस्थान के संबंध में बताया गया कि इनमें 0-6 वर्ष तक के पाए गऐ बच्चे आवासित होते हैं, जिन्हें गोद लेने के लिए cara.nic.in पर ऑनलाईन निबंधन किया जा सकता है।
दत्तक ग्रहण करने के लिए वैवाहिक संबंध कम से कम 02 पूरे हो चुके है तथा माता-पिता में से प्रत्येक की आयु में अन्तर 25 वर्ष से कम न हो। दम्पति की आर्थिक, मानसिक एवं शाररिक स्थिति बेहतर हो एवं उन्हें कोई संक्रामक या गंभीर रोग न हो। साथ ही अविवाहित या अकेले पुरूष को बालिका दत्तक ग्रहण की अनुमति नहीं है।
जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी ने बताया गया कि बाल गृह में 06 से 18 वर्ष आयुवर्ग के भूले-बिसरे या छुराए गए बाल मजदूर या घर छोड़कर भागने वाले बच्चों को रखा जाता है। वर्तमान में बाल गृह में 36 लड़के है, जिनमें 04 समस्तीपुर के, 11 मधुबनी के एवं 21 बच्चें दरभंगा के हैं।
पर्यवेक्षण गृह में 06-18 आयुवर्ग विवादित बच्चे रहते है। वर्तमान में 115 बच्चे हैं। इन संस्थानों में किशोर न्यास परिसर माननीय उच्च न्यायालय द्वारा प्रतिनियुक्त न्यायधीश तथा जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी द्वारा समय-समय पर निरीक्षण किया जाता है।
मृत माता-पिता, निःशक्त माता-पिता या एड्स से ग्रसित माता-पिता वाले बच्चे को परवरिश योजना के तहत 01 हजार रूपये प्रतिमाह प्रदान किया जाता है तथा बच्चों का चयन आँगनवाड़ी केन्द्र एवं बाल विकास परियोनजा पदाधिकारी के माध्यम से किया जाता है तथा स्वीकृति अनुमण्डल पदाधिकारी द्वारा प्रदान की जाता है। इस तरह 18 वर्ष से कम उम्र के बी.पी.एल. परिवार, अनाथ एवं बेसहारा बच्चे, जो अपने निकटतम संबंधी अथवा रिश्तेदार के साथ रहते है, उन्हें परवरिश योजना के तहत सहायता प्रदान की जाती है।
उन्होंने बताया कि कोरोना से मृतक माता-पिता के बच्चों को बाल सहायता योजना के तहत 1500 रूपये प्रतिमाह प्रदान किया जा रहा है। जिले के दो बच्चों को यह लाभ दिया जा रहा है।
बी.पी.एल. माता-पिता को मृत्यु के उपरान्त प्रायोजन एवं देखरेख योजना के अन्तर्गत 41 लाभुकों को 02 हजार रूपये प्रतिमाह की दर से डी.बी.टी. के माध्यम से लाभुकों को प्रदान किया जा रहा है।
बताया गया कि पर्यवेक्षण गृह में कुछ नशा करने वाले बच्चें भी है। उप विकास आयुक्त ने सिविल सर्जन को नशा मुक्ति केंद्र से मनोचिकित्सक के साथ-साथ मिथिला विश्वविद्यालय से समन्वय स्थापित कर एक मनोवैज्ञानिक या मनोचिकित्सक को भी सप्ताह में एक दिन पर्यवेक्षण गृह भ्रमण कर बच्चों की स्वास्थ्य जाँच कर उनका प्रतिवेदन रखें। साथ ही नशा करने वाले बच्चों की मनोवैज्ञानिक द्वारा काउन्सेलिंग की जाए।
बताया गया कि चाइल्ड लाइन एडवाइडजरी बोर्ड की बैठक प्रखण्ड और पंचायत स्तर पर हो रही है। उप विकास आयुक्त ने अगले तीन माह की बैठक की कार्यवाही भेजने का निर्देश दिया।
बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष ने बताया कि वर्ष 2022-23 में 322 बच्चें सुनवाई हेतु प्राप्त हुए। जिनमें 282 बच्चों के मामलों का निष्पादन किया जा चुका है।
बैठक में नगर आयुक्त कुमार गौरव, डी.आर.डी.ए. निदेशक गणेश कुमार, उप निदेशक, जन सम्पर्क नागेन्द्र कुमार गुप्ता, सहायक निदेशक, बाल संरक्षण नेहा नुपूर, बाल संरक्षण पदाधिकारी पंकज कुमार सिन्हा, किशोर न्याय परिषद के सदस्य अजीत कुमार मिश्रा एवं गुंजन कुमारी, बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष बिरेन्द्र कुमार झा, सदस्य रेणु कुमारी, इन्द्रा झा एवं प्रीति कुमारी, जिला समन्वयक, चाइल्ड लाइन रवीन्द्र कुमार एवं अन्य संबंधित पदाधिकारीगण उपस्थित थे।
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