जल संसाधन

जल संसाधन

अध्याय का सारांश

जल जीवन की मूलभूत आवश्यकता है। यह जीवन का दूसरा रूप है। यह विश्वास किया जाता है कि जीवन के अंकुर सबसे पहले जल में ही फुटे थे। पीने के पानी से लेकर उद्योगों की बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियाँ जल पर ही आधारित हैं।

हालांकि जल एक नवीनीकरण संसाधन है और पृथ्वी पर जल की आपूर्ति स्वयं प्रकृति करती रहती है। फिर भी इसके उचित प्रबंधन की आवश्यकता है जिससे इसका अधिकतम लाभ किया लिया जा सके। पृथ्वी पर जल आपूर्ति का मुख्य माध्यम वर्षण है। वर्षण के दो रूप हैं-

  1. वर्षा,
  2. हिमपात।

भारत में औसत वार्षिक वर्षा लगभग 117 सेमी. है। लेकिन हमारे देश में वर्षा का वितरण समान नहीं हैं। कहीं वर्षा 200 सेमी. से भी अधिक होती है तो कहीं मात्र 20 सेमी. से भी कम। नदियां धरातलीय जल का प्रमुख स्त्रोत है। भारत में नदियों का औसत अपवाह लगभग 1869 अरब घन मीटर है। लेकिन इसमें लगभग 690 अरब घनमीटर जल ही उपयोग के लिए उपलब्ध है। जल विज्ञान के आधार पर भारत की नदियां दो भागों में बंटी हैं-

  1. हिमालयी नदियां
  2. प्रायद्वीपीय नदिया।

हिमालयी नदियों जहां एक ओर सदानीरा हैं वही प्रायद्वीपीय नदियां मौसमी। नदियों के जल का अधिकतम उपयोग करने हेतु बहुद्देशीय नदी घाटी परियोजनाओं का प्रारंभ किया गया है। इन परियोजनाओं से अनके लाभ मिलते हैं जैसे-

बाढ़ नियंत्रण
मृदा अपरदन पर रोक
जनता के लिए आपूर्ति
विद्युत उत्पादन
अंतस्थलीय जल परिवहन
मत्स्यन का विकास आदि।

लेकिन बहुद्देशीय योजनओं से हानियां भी हुई हैं और अंतर्राज्यीय विवाद भी देखने को मिले हैं। ऐसी परिस्थिति में वर्षा जल संग्रहण तंत्र इनके सामाजिक, आर्थिक तथा पारिस्थितिक तौर पर व्यवहार्थ विकल्प हो सकते हैं। प्राचीन भारत में लोगों ने स्थानीय पारिस्थितिकी परिस्थितियों के आवश्यकतानुसार वर्षाजल, भौमजल, नदीजल और बाढ़ जल संग्रहण के अनेक तरीके विकसित कर लिए थे। पश्चिमी भारत, विशेषकर राजस्थान में पेयजल एकत्रित करने के लिए छत वर्षा जल संग्रहण का तरीका आम था। पश्चिम बंगाल में बाढ़ के मैदान में लोग अपने खेतों की सिंचाई क लिए बाढ़ जल वाहिकाएं बनाते थे।

वर्तमान समय में भी भारत में कई ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में जल संरक्षण और संग्रहण के लिए छत वर्षाजल संग्रहण का तरीका उपयोग में लाया जा रहा है।

जल संसाधन Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
भारत की भौम जल क्षमता कितनी है।
उत्तर-
434 अरब घन मी.।

प्रश्न 2.
पूर्वी यमुना नहर का निर्माण कब और कहां किया गया?
उत्तर-
पूर्वी यमुना नहर का निर्माण 1882 में उत्तरप्रदेश में किया गया।

प्रश्न 3.
कोसी बहुद्देशीय परियोजनाओं का संबंध भारत के किस प्रदेश से हैं?
उत्तर-
बिहार।

प्रश्न 4.
इंदिरा गाँधी नहर से लाभान्वित होने वाले राज्यों के नाम लिखिये।
उत्तर-
1. पंजाब,
2. राजस्थान,
3. हरियाणा।

प्रश्न 5.
हीराकुण्ड परियोजना किस नदी पर आश्रित हैं?
उत्तर-
महानदी।

प्रश्न 6.
प्रवाल भित्तियों का क्या तात्पर्य है?
उत्तर-
प्रवाल भित्तियों का तात्पर्य समुद्र के अंदर के ऐसे छोटे द्वीपों से है जो एक लम्बे समय तक प्रवाल नामक प्राणियों के अस्थि अवशेषों के एकत्रित होने से बनता है।

प्रश्न 7.
धरातल का कितना भाग जल से ढका हुआ
उत्तर-
तीन चौथाई भाग।

प्रश्न 8.
अवलणीय जल के दो मुख्य स्त्रोत क्या हैं?
उत्तर-
1. भौम जल
2. सतही अपवाह।

प्रश्न 9.
विश्व में जल के कुल आयतन का कितना हिस्सा महासागरों में पाया जाता है? इनमें लवणीय जल कितना है?
उत्तर-
1. विश्व मे जल के कुल आयतन का 96.5 प्रतिशत भाग महासागरों में पाया जाता हैं
2. इसमें केवल 2.5 प्रतिशत अलवणीय जल है।

प्रश्न 10.
विश्व में अलवणीय जल का वितरण किस प्रकार है?
उत्तर-

  1. विश्व में अलवणीय जल का लगभग 70 प्रतिशत भाग अंटार्कटिका ग्रीनलैण्ड तथा पर्वतीय क्षेत्रों में बर्फ की चादरों और हिमनदों के रूप में मिलता है।
  2. 30 प्रतिशत से थोड़ा कम भौमजल के जलमृत के रूप में पाया जाता है।

प्रश्न 11.
प्रकृति में जल नवीकरण किस प्रकार सुनिश्चित होता हैं
उत्तर-

  1. पृथ्वी में उपलब्ध अलवणीय जल का लगातार नवीकरण एवं पुनर्भरण जलीय चक्र द्वारा होता रहता है।
  2. सारा जल जलीय चक्र में गतिशील रहता है। जिससे जल नवीकरण सुनिश्चित होता है।

प्रश्न 12.
भारत को विश्व वृष्टि का कितना हिस्सा प्राप्त होता है। जल उपलब्धता के संदर्भ में भारत का विश्व में क्या स्थान है?
उत्तर-

  1. 4 प्रतिशत।
  2. प्रतिव्यक्ति प्रतिवर्ष जल उपलब्धता में विश्व में भारत का स्थान 133 है।

प्रश्न 13.
भारत में कुल नवीकरण योग्य जल संसाधन किनता है?
उत्तर-1897 वर्ग किमी. प्रतिवर्ष।

प्रश्न 14.
भारत में जल की नितांत कमी कब महसूस किया जाएगा?
उत्तर-
सन् 2025 ई. तक।

प्रश्न 15.
भारत में जल दुर्लभता का क्या कारण है?
उत्तर-

  1. जल का अतिशोषण,
  2. जल का अत्यधिक प्रयोग और
  3. समाज के विभिन्न वर्गों में जल का असमान वितरण।

प्रश्न 16.
निजी कएँ एवं जलकपों से खेतों की सिंचाई करने के क्या दुष्परिणाम हो सकते हैं? ।
उत्तर-
निजी कुएं एवं नलकूपों से खेतों की सिंचाई करने से भौम जलस्तर नीचे गिर सकता है। और लोगों के लिए जल की उपलब्धता में कमी हो सकती है और भोजन सुरक्षा खतरे में पड़ सकता है।

प्रश्न 17.
जल संसाधनों के अतिशोषण और कुप्रबंधन का क्या परिणाम हो सकता है?
उत्तर-जल संसाधनों के अतिशोषण और कुप्रबंधन से इन संसाधनों का ह्रास हो सकता है। और परिस्थतिकी संकट की समस्या पैदा हो सकती है। जिसका हमारे जीवन पर गंभीर प्रभाव हो सकता है।

प्रश्न 18.
बांधों को बहुद्देशीय परियोजनाएं क्यों कहते
उत्तर-
आज कल बाँध सिर्फ सिंचाई के लिए नहीं बनाए जाते अपितु उनका उद्देश्य विद्युत उत्पादन, घरेलू और औद्योगिक उपयोग, जल आपूर्ति, बाढ़ नियंत्रण, मनोरंजन, आंतरिक नौचालन और मछली पालन भी है। इसलिए बाँधों को बहुउद्देशीय परियोजनाएँ भी कहत हैं जहाँ एकत्रित जल के अनेकों उपयोग समन्वित होते हैं।

प्रश्न 19.
प्राचीन काल में भारत में जल संरक्षण एवं प्रबंधन कैसे किया जाता था?
उत्तर-
पुरातत्व वैज्ञानिकों और ऐतिहासिक अभिलेख/दस्तावेज बताते हैं कि प्राचीन काल से ही भारत में सिंचाई के लिए पत्थरों और मलबे से बांध, जलाशय अथवा झीलों के तटबंध और नहरों जैसी उत्कृष्ट जलीय कृतियां बनाई जाती थी।

प्रश्न 20.
भारत की दो बहुद्देशीय परियोजनाओं के नाम और उनका उपयोग बताइए।
उत्तर-

  1. सतलुज-व्यास बेसिन में भाखड़ा-नांगल परियोजना जल विद्युत उत्पादन और सिंचाई दोनों के काम में आती है।
  2. महानदी, बेसिन हीराकुण्ड परियोजना जलसंरक्षण और बाढ़ नियंत्रण का समन्वय।

प्रश्न 21.
क्या यह संभव है कि किसी क्षेत्र में प्रचुर मात्रा में जल संसाधन होने के बावजूद भी वहां जल की दुर्लभता हो?
उत्तर-
यह सच है कि किसी क्षेत्र में प्रचुर मात्रा में जल संसाधन होने के बावजूद भी वहां जल की दुर्लभता हो। इसके निम्नलिखित मुख्य कारण हो सकते हैं-

  1. घरेलू और औद्योगिक अपशिष्टों,
  2. कीटनाशकों का अत्यधिक प्रयोग
  3. कृषि में प्रयुक्त उर्वरक
  4. रसायनों के प्रयोग से जल की गुणवता प्रभावित हो सकती है।।

प्रश्न 22.
औद्योगिकरण तथा शहरीकरण का जल संसाध न पर क्या प्रभाव पड़ा है?
उत्तर-

  1. स्वतंत्रता के बाद भारत में द्रुतगति से औद्योगीकरण और शहरीकरण हुआ और विकास के अवसर प्राप्त हुए। आजकल हर जगह बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ बड़े औद्योगिक घरानों के रूप में फैली हुई हैं।
  2. उद्योगों की बढ़ती हुई संख्या के कारण अलवणीय जल संसाधनों पर दबाव बढ़ रहा है।
  3. उद्योगों को अत्यधिक जल के अलावा उनको चलाने के लिए ऊर्जा की भी आवश्यकता होती है और इसकी पर्याप्त पूर्ति जल विद्युत से होती है।
  4. वर्तमान समय में भारत में कुल विद्युत का लगभग 22% भाग जल विद्युत से प्राप्त होता है।
  5. इसके अतिरिक्त शहरों की बढ़ती संख्या और जनसंख्या तथा शहरी जीवन शैली के कारण न केवल जल और ऊर्जा की आवश्यकता में बढ़ोतरी हुई है बल्कि इनसे संबंधित समस्याएँ और भी विकट हुई हैं।
  6. शहरी आवास समितियों या कालोनियों पर दृष्टिपात करें तो आप पाएँगें कि उनके भीतर जल पूर्ति के लिए नलकूप स्थापित किए गए हैं।

प्रश्न 23.
बांध पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर-
बाँध बहते जल को रोकने, दिशा देने या बहाव कम करने के लिए खड़ी की गई बाधा है जो सामान्यतः जलाशय, झील अथवा जलभरण बनाती हैं। बाँध का अर्थ जलाशय से लिया जाता है न कि इसके ढाँचे से। अधिकतर बाँधों में एक ढलवां हिस्सा होता है जिसके ऊपर से या अन्दर से जल रुक-रुक कर या लगातार बहता है। बाँधों का वर्गीकरण उनकी संरचना और उद्देश्य या ऊँचाई के अनुसार किया जाता है। संरचना और उनमें प्रयुक्त पदार्थों के आधार पर बाँधों को लकड़ी के बाँध, तटबंध बाँध या पक्का बाँध के अतिरिक्त कई उपवर्गों में विभाजित किया जा सकता है। ऊँचाई के अनुसार बाँधों को बड़े बाँध और मुख्य बाँध या निम्न बाँध, मध्यम बाँध और उच्च बाँधों में वर्गीकृत किया जा सकता है।

प्रश्न 24.
पिछले कुछ वर्षों में बहुद्देशीय परियोजनाएं और बड़े बांध कई धारणों परिनिरीक्षण और विरोध का कारण बन गए हैं। स्पष्ट कीजिए।
अथवा
बहुद्देशीय परियोजनाओं की हानियां बताइए।
उत्तर-

  1. पिछले कुछ वर्षों में बहुउद्देशीय परियोजनाएँ और बड़े बाँध कई कारणों से परिनिरीक्षण और विरोध के विषय बन गए हैं।
  2. नदियों पर बाँध बनाने और उनका बहाव नियंत्रित करने से उनका प्राकृतिक बहाव अवरुद्ध होता है, जिसके कारण तलछट बहाव कम हो जाता है और अत्यधिक तलछट जलाशय की तली पर जमा होता रहता है। परिणामस्वरूप नदी का तल अधिक चट्टानी हो जाता है और नदी जलीय जीव-आवासों में भोजन की कमी हो जाती है।
  3. बाँध नदियों को टुकड़ों में बाँट देते हैं जिससे विशेषकर अंडे देने की ऋतु में जलीय जीवों का नदियों में स्थानांतरण अवरुद्ध हो जाता है।
  4. बाढ़ के मैदान में बनाए जाने वाले जलाशयों द्वारा वहाँ उपस्थित वनस्पति और मृद्राएँ जल में डूब जाती हैं जो कालांतर में अपघटित हो जाती है।

प्रश्न 25.
‘नमर्दा बचाओं आंदोलन का मुख्य उद्देश्य क्या
उत्तर-

  1. नर्मदा बचाओ आंदोलन एक गैर सरकारी संगठन (एन जी ओ) है जो जनजातीय लोगों, कृषकों, पर्यावरणविदों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को गुजरात में नर्मदा नदी पर सरदार सरोवर बाँमा के विरोमा में लामबंद करता है।
  2. हाल ही में इस आंदोलन का लक्ष्य बाँमा से विस्थापित निर्धन लोगों को सरकार से संपूर्ण पुनर्वास सुविधाएँ दिलाना हो गया है।

प्रश्न 26.
जल संग्रहण के उद्देश्य बताइए।
उत्तर-
जल संग्रहण के उद्देश्य निम्नलिखित हैं-

  1. जल की बढ़ती हुई मांग की पूर्ति करना,
  2. धरातल परजल बहाव को कम करना,
  3. सड़कों को जल भराव से बचाना,
  4. भौम जल को इकट्ठा करने की क्षमता तथा जलस्तर में वृद्धि करना।
  5. भौम जल की गुणवता बढ़ाना।

प्रश्न 27.
जीवन मे जल के महत्त्व का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
जल का महत्त्व एक कहावत है कि मात्र से ही स्पष्ट हो जाता है कि ‘जल ही है’ वस्तुतः यह विश्वास भी किया जाता है कि पृथ्वी से पहले जीवन की उत्पत्ति जल में ही हुई। जल निस्संदेह जीवन की प्रथम आवश्यकता है। निम्न बिंदुओं को माध्यम से जल के महत्त्व को प्रकट किया जा सकता है।

  1. जल द्वारा ही सिंचाई होती है।
  2. जल से जल-विद्युत बनती है।
  3. मत्स्य उद्योग जल पर ही निर्भर हैं
  4. बहुद्देशीय नदी घाटी परियोजना का आधार भी जल ही है।
  5. जल पर्यावरण संतुलन हेतु आवश्यक हैं
  6. जनसंख्या वृद्धि से उत्पन्न हुई अस्वच्छता जल से ही दूर की जाती है।

प्रश्न 28.
भारत में सिंचाई के सबसे मुख्य साधन के रूप में क्या प्रचलित है?
या
सिंचाई के भिन्न-भिन्न साधन कौन-कौनसे हैं? बतायें।
या
शुद्ध बोये गये क्षेत्र की सिंचाई में साधनों के योगदान का प्रतिशत वतायें
उत्तर-
भारत में सिंचाई के निम्नलिखित मुख्य साधन प्रचलित हैं
सिंचाई के साधन सिंचाई में योगदान-

  1. सरकारी नहरें – 30%
  2. निजी नहरें – 1%
  3. नलकूप और कुएँ – 51%
  4. तालाब – 6%
  5. अन्य साधन – 6%

इस प्रकार भारतीय कृषि में सबसे अधिक प्रचलित साध न नलकूप और कुएं दूसरे स्थान पर सरकारी नहरें हैं।

प्रश्न 29.
जल संभर विकास क्या हैं?
उत्तर-
जल संभर विकास का तात्पर्य एक समुचित और समग्र विकास से है जिसे निम्नलिखित विकास क्षेत्र शामिल किये जाते हैं-

  1. मिट्टी और आर्द्रता का संरक्षण
  2. जल संग्रहण
  3. वृक्षारोपण
  4. उद्यान
  5. चारागाह विकास
  6. सामुदायिक भूमि काविकास आदि!

प्रश्न 30.
वर्षाजल संग्रहण क्या है?
उत्तर-
जल संग्रहण का तात्पर्य भूमिगत जल की क्षमता को बढ़ाने से है। संग्रहण तकनीक के रूप में वर्षा जल को रोकने ओर इकट्ठा करने के लिए विशेष ढांचों जैसे-कुएं, गड्ढे तालाब आदि के निमार्ण को शामिल किया जाता है। इन सबसे जल संग्रहण ही नहीं होता बल्कि भूमिगत जल स्त्रोत में बढ़ोतरी भी होती है।

प्रश्न 31.
प्राचीन काल में भारत में जल संग्रहण के लिए क्या उपाय किए जाते थे?
उत्तर-

  1. प्राचीन भारत में उत्कृष्ट जलीय निर्माणों के साथ-साथ जल संग्रहण ढाँचे भी पाए जाते थे। लोगों को वृष्टि पद्धति और मृदा के गुणों के विषय में गहरा ज्ञान था।
  2. उन्होंने स्थानीय पारिस्थितिकीय परिस्थितियों और उनकी जल आवश्यकतानुसार वर्षाजल, भौमजल, नदी जल तथा बाढ़ जल संग्रहण के अनेक उपाय विकसित कर लिए थे।
  3. पहाड़ी और पर्वतीय क्षेत्रों में लोगों ने ‘गुल’ अथवा ‘कुल’ (पश्चिमी हिमालय) जैसी वाहिकाएँ, नदी की धारा का मार्ग परिवर्तित कर खेतों में सिंचाई के लिए बनाई हैं।
  4. पश्चिमी भारत, विशेषकर राजस्थान में पीने योग्य जल एकत्रित करने के लिए ‘छत वर्षा जल संग्रहण’ का उपाय आम था।
  5. पश्चिम बंगाल में बाढ़ के मैदान में लोग अपने खेतों की सिंचाई के लिए बाढ़ जल वाहिकाएँ बनाते थे।
  6. शुष्क और अर्धशुष्क क्षेत्रों में खेतों में वर्षा जल एकत्रित करने के लिए गड्ढे बनाए जाते थे ताकि मृदा को सिंचित किया जा सके और संरक्षित जल को कृषि के लिए उपयोग में लाया जा सके। राजस्थान के जिले जैसलमेर में ‘खादीन’ और अन्य क्षेत्रों में ‘जोहड़’ इसके उदाहरण हैं।

प्रश्न 32.
बहद्देशीय परियोजनाओं का किसानों पर क्या प्रभाव पड़ा है?
अथवा
बहुद्देशीय परियोजनाओं के पारिस्थितिकी एवं सामाजिक परिणामों का विवरण दीजिए।
उत्तर-

  1. प्रायः देखा जाता है कि बहुद्देशीय परियोजनाओं का लाभ स्थानीय, लोगों को कम ही मिल पाता है। इनका अधि क लाभ शायद जमीदारों, उद्योगपतियों बड़े किसानों और कुछ नगरीय केन्द्रों को पहुंचता है।
  2. सिंचाई ने कई क्षेत्रों में फसल प्रारूप परिवर्तित कर दिया है जहां किसान जल गहन और वाणिज्य फसलों कीओर आकर्षित हो रहे हैं
  3. इससे मृदाओं के लवणीयकरण जैसे गंभीर पारिस्थितिकीय परिणाम हा सकते है।
  4. इसने अमीर भूमि मालिकों और गरीब भूमिहीनों में सामाजिक दूरी बढ़ाकर सामाजिक परिदृश्य बदल दिया है।
  5. बांध उसी जल के अलग-अलग उपयोग और लाभ चाहने वाले लोगों के बीच संघर्ष पैदा करते हैं। ___

प्रश्न 33.
कर्नाटक के गंडाथूर गांव में ग्रामीणों ने अपनी बढ़ती हुए जल आवश्कताओ की पूर्ति के लिए क्या व्यवस्था की है। विस्तृत जानकारी दीजिए।
उत्तर-
कर्नाटक के मैसूर जिले में स्थित एक सूदूर गाँव गंडाथूर में ग्रामीणों ने अपने घर में जल आवश्यकता पूर्ति छत वर्षाजल संग्रहण का प्रबन्ध किया हुआ की है। गाँव के लगभग 200 घरों में यह व्यवस्था है और इस गाँव ने वर्षा जल संपन्न गाँव की प्रसिद्धि प्राप्त की है। यहाँ प्रयोग किए जा रहे वर्षा जल संग्रहण ढाँचों के विषय में अधिक जानकारी के लिए चित्र 3.4 को देखिये। इस गाँव में प्रत्येक वर्ष लगभग 1,000 मिलीमीटर वर्षा होती है और 10 भराई के साथ यहाँ संग्रहण दक्षता 80% है। यहाँ प्रत्येक घर लगभग प्रत्येक वर्ष 50,000 मीटर जल का संग्रह और उपयोग कर सकता है। 20 घरों द्वारा प्रत्येक वर्ष लगभग 1000,000 लीटर जल एकत्रित किया जाता है।रोचक तथ्य छतजल संग्रहण थार के सभी शहरों और ग्रामों में प्रचलित था। वर्षा जल जो कि घरों की ढालू छतों पर गिरता है. उसे पाइप द्वारा भूमिगत टाँका के अंदर ले जाते हैं (भूमि में गोल छिद्र) जो मुख्य घर अथवा आँगन में बना होता है। उपर्युक्त चित्र दर्शाता है कि जल पड़ोसी की छत से एक लम्बे पाइप के द्वारा लाया जाता है। यहाँ पड़ोसी की छत का उपयोग वर्षा जल को एकत्र करने के लिए किया गया है। चित्र में एक छेद दिखाया गया है जिसके द्वारा वर्षा जल भूमिगत टाँका में चला जाता है।

प्रश्न 34.
राजस्थान के लोगों को वर्षा जल संग्रहण का क्या लाभ होता है?
उत्तर-

  1. टाँका में वर्षा जल अगली वर्षा ऋतु तक संग्रहित किया जा सकता है। .
  2. यह इसे जल की कमी वाली ग्रीष्म ऋतु तक पीने का जल उपलब्ध करवाने वाला जल स्रोत बनाता है।
  3. वर्षाजल अथवा ‘पालर पानी’ जैसा कि इसे इन क्षेत्रों में पुकारा जाता है, प्राकृतिक जल का शुद्धतम रूप समझा जाता है।
  4. कुछ घरों में तो टाँको के साथ भूमिगत कक्ष भी बनाए जाते हैं क्योंकि जल का यह स्रोत इन कक्षों को भी ठंडा रखता था जिससे ग्रीष्म ऋतु में गर्मी से राहत मिलती है।

जल संसाधन Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1. बहुवैकल्पिक प्रश्न

(i) नीचे दी गई सूचना के आधार पर स्थितियों को “जल की कमी से प्रभावित’ या ‘जल की कमी से अप्रभावित’ में वर्गीकृत कीजिए।
(क) अधिक वार्षिक वर्षा वाले क्षेत्र
(ख) अधिक वर्षा और अधिक जनसंख्या वाले क्षेत्र
(ग) अधिक वर्षा वाले परंतु अत्यधिक प्रदूषित जल क्षेत्र
(घ)कम वर्षा और कम जनसंख्या वाले क्षेत्र
उत्तरः
(क) जल की कमी से प्रभावित
(ख) जल की कमी से प्रभावित
(ग) जल की कमी से प्रभावित
(घ) जल की कमी से प्रभावित

(ii) निम्नलिखित में से कौन-सा वक्तव्य बहुउद्देशीय नदी परियोजनाओं के पक्ष में दिया गया तर्क नहीं है?
(क)बहुउद्देशीय परियोजनाएँ उन क्षेत्रों में जल लाती है जहाँ जल की कमी होती है।
(ख) बहुउद्देशीय परियोजनाएँ जल बहाव की नियंत्रित करके बाढ़ पर काबू पाती है।
(ग) बहुउद्देशीय परियोजनाओं से बृहत् स्तर पर विस्थापन होता है और आजीविका खत्म होती है।
(घ)बहुउद्देशीय परियोजनाएँ हमारे उद्योग और घरों के लिए विद्युत पैदा करती हैं।
उत्तर-
(ग) बहुउद्देशीय परियोजनाओं से बृहत् स्तर पर विस्थापन होता है और आजीविका खत्म होती है। .

(iii) यहाँ कुछ गलत वक्तव्य दिए गए हैं। इसमें गलती पहचाने और दोबारा लिखें।
(क) शहरों की बढ़ती संख्या, उनकी विशालता और सघन जनसंख्या तथा शहरी जीवन शैली ने जल संसाधनों के सही उपयोग में मदद की है।
उत्तर-
शहरों की बढ़ती संख्या उनकी विशालता और सघन जनसंख्या तथा शहरी जीवन-शैली के कारण न केवल जल और ऊर्जा की आवश्यकता में बढ़ोत्तरी हुई है, अपितु इन से संबंधित समस्याएँ बढ़ी हैं।

(ख) नदियों पर बाँध बनाने और उनको नियंत्रित करने से उनका प्राकृतिक बहाव और तलछट बहाव प्रभावित नहीं होता।
उत्तर-
नदियों पर बाँध बनाने तथा उनको नियंत्रित करने से उनका प्राकृतिक बहाव अवरूद्ध होता है, जिसके कारण तलछट बहाव कमी आती है।

(ग) गुजरात में साबरमती बेसिन में सूखे के दौरान शहरी क्षेत्रों में अधिक जल आपूर्ति करने पर भी किसान नहीं भड़के।
उत्तर-
गुजरात में साबरमती बेसिन में सूखे के दौरान शहरी क्षेत्रों में अधिक जल आपूर्ति करने पर परेशान किसान उपद्रव करने को तैयार हो गए।

(घ)आज राजस्थान में इंदिरा गांधी नहर से उपलब्ध पेयजल के बावजूद छत वर्षा जल संग्रहण लोकप्रिय हो रहा है।
उत्तर-
आज पश्चिमी राजस्थान में छत वर्षाजल संग्रहण की रीति इंदिरा गाँधी नहर से उपलब्ध बारहमासी पेयजल के कारण कम होती जा रही है।

प्रश्न 2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए।

(i) व्याख्या करें कि जल किस प्रकार नवीकरण योग्य संसाधन है?
उत्तर-
पृथ्वी का तीन-चौथाई भाग जल से आच्छादित है। परन्तु इसमें प्रयोग लाने योग्य अलवणीय जल का अनुपात बहुत कम है जिसका निरन्तर नवीकरण और पुनर्भरण जलीय चक्र द्वारा होता रहता है। सम्पूर्ण जल जलीय चक्रय में गतिशील रहता है जिससे जल नवीकरण सुनिश्चित होता है।

(ii) जल दुर्लभता क्या है और इसके मुख्य कारण क्या हैं?
उत्तर-
जल दुर्भलता से तात्पर्य, मनुष्य द्वारा प्रयोग करने के लिये जल की कमी का होना है। . अधिकतर जल की कमी इसके अतिशोषण, अत्यधिक प्रयोग और समाज के विभिन्न वर्गों में जल के असमान वितरण के कारण होती है।

(iii) बहुउद्देशीय परियोजनाओं से होने वाले लाभ और हानियों की तुलना करें।
उत्तर-
बहुउद्देशीय परियोजनाओं के लाभ
(अ)जल विद्युत उत्पादन
(ब) सिचाईं
(स) बाढ़ नियन्त्रण
(द) मत्स्य पालन
(क) गृह एवं औद्योगिक उपयोग
(ख) आंतरिक नौका चालना

बहुउद्देशीय परियोजनाओं की हानियां :

(अ) नदियों का प्राकृतिक बहाव अरूद्ध होना
(ब) नदियों के तलछट में पानी का कम बहाव
(स) बाढ़ के मैदानों में बने जलाशयों के कारण उस क्षेत्र की वनस्पति एवं अपघटन।

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 120 शब्दों में दीजिए।

(i) राजस्थान के अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में वर्षा जल संग्रहण किस प्रकार किया जाता है? व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
राजस्थान के अर्ध-शुष्क और शुष्क क्षेत्र में लगभग प्रत्येक घर में पीने का पानी संग्रहित करने हेतु भूमिगत टैंक या ‘टाँका’ हुआ करते थे। इसका आकार एक बड़े कक्ष जितना हो सकता है। टाँका यहाँ सुविकसित छत वर्षाजल संग्रहण तन्त्र का अभिन्न अंग है जिसे मुख्य घर या आँगन में बनाया जाता था। वे घरों की ढलवाँ छतों से पाइप द्वारा जुड़े हुए थे। छत से वर्षा का पानी इन नलों द्वारा भूमिगत टाँका तक पहुँचता था। वर्षा का प्रथम तल छत और नलो की सफाई हेतु प्रयुक्त किया जाता है। इसके बाद होने वाली वर्षा जल संग्रहणीय होता टाँका में वर्षाजल अगली वर्षा ऋतु तक संग्रहित किया जा सकता है। यह इसे जल की कमी वाली ग्रीष्म ऋतु तक पीने का जल उपलब्ध करवाने वाला जल स्रोत बनाता है। वर्षा जल को प्राकृतिक जल का शुद्धतम रूप समझा जाता है।

(ii) परंपरागत वर्षा जल संग्रहण की पद्धतियों को आधुनिक काल में अपना कर जल संरक्षण एवं भंडारण किस प्रकार किया जा रहा है।
उत्तर-
प्राचीन भारत में उत्कृष्ट जलीय निर्माणों के साथ-साथ जल संग्रहण ढाँचे भी पाए जाते थे। लोगों ने स्थानीय पारिस्थितिकीय परिस्थितियों और उनकी जल आवश्यकतानुसार वर्षाजल, भौमजल, नदी जल, तथा बाढ़ जल संग्रहण के अनेक उपाय विकसित कर लिए थे। इन्हीं परंपरागत वर्षा जल संग्रहण के तरीकों को आधुनिककाल में अपना कर संरक्षण निम्नलिखित प्रकार से किया जा रहा है-

  • पी.वी.सी. पाइप का उपयोग करके छत का वर्षा जल संग्रहित किया जाता है।
  • रेत और ईंट प्रयोग करके जल का छनन किया जाता
  • भूमिगत पाइप द्वारा जल हौज तक ले जाता है जहाँ से इसे तुरन्त प्रयोग किया जा सकता है।
  • हौज से अतिरिक्त जल कुएँ तक ले जाया जाता है। (v) कुएँ का जल भूमिगत जल का पुनर्भरण करता है। (vi) बाद में इस जल का उपयोग किया जा सकता है।

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