छोटा परिवार: सुखी परिवार

छोटा परिवार: सुखी परिवार

          आज जिस गति से शिक्षा – ज्ञान का प्रचार-प्रसार हो रहा है, उतनी गति से हम मोह और आकर्षण में बँधते जा रहे हैं। आज इसीलिए भौतिक सुख को प्राकृतिक सुखों से कहीं बढ़कर श्रेष्ठ और महान् समझते जा रहे हैं । इसीलिए आज हम परिवार के भविष्य को भूल करके केवल उसे वर्तमान का महत्त्व देकर अधिक-से-अधिक बड़ा होते हुए देखकर भी कोई चिन्ता और परवाह नहीं कर रहे हैं ।
          बड़ा परिवार अनेक प्रकार की कठिनाइयों से भरा हुआ होता है। बड़ा परिवार न केवल संख्या की दृष्टि से ही, अपितु समस्याओं की दृष्टि से भी अधिक कष्टदायक और चिन्ताजनक है; क्योंकि बड़े परिवार की जो मूल आवश्यकताएँ हैं, इतनी अधिक एक बहुत बड़ा आश्चर्य है । इस परिवार की और विस्तृत हैं कि उनका पूरा होना जहाँ आमदनी अधिक होती है, वहाँ इसके खर्च भी इससे कई गुना अधिक होते हैं। जैसे-जैसे परिवार की संख्या बढ़ती जाती है, वैसे-वैसे परिवार के एक-एक सदस्य के खर्चे में कटौती होती जाती है। इस प्रकार से हम देखते हैं कि बड़ा परिवार सचमुच में सुख से भटकाने वाला परिवार है। यह विकास के मार्ग से हटाकर उलझनों से भरे मार्ग पर ले जाने वाला है। बड़ा परिवार एक – एक सदस्य की आवश्यकताओं की पूर्ति करने में बार-बार लगा रहता है। वह परिवार के सदस्य के हित-चिन्तनधारा से कभी भी मुक्त नहीं हो पाता है। इसलिए बड़ा परिवार मनुष्य जीवन के लिए एक बहुत बड़ा कष्ट एवं रुकावट है।
          बड़े परिवार की तुलना में छोटा परिवार अपनी सीमित आवश्यकताओं वाला होता है। इसके सदस्य सीमित होते हैं। उनकी आवश्यकताएँ छोटी और कम खर्च वाली होती हैं; क्योंकि इसकी आय भी कम होती है। इसके अनुसार छोटी संख्या वाले इस परिवार की एक-एक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए ठीक ढंग से खर्च भी किया जाता है। छोटे परिवार के व्यक्तियों की सहमति और रजामन्दी बड़े-बड़े परिवार के व्यक्तियों की अपेक्षा अधिक होती है । इस परिवार के सदस्यों में एकता होती है जिसका एकमात्र कारण होता है – परस्पर दुःख-सुख को तुरन्त समझना और इसमें परस्पर हाथ बटाना । दुःख-सुख में हाथ बँटाने का अवसर बड़े परिवार की अपेक्षा छोटे परिवार को अधिक मिलता है, क्योंकि कम संख्या होने के कारण एक-दूसरे के दुःख-सुख में पास पहुँचने या समझाने में तनिक देर नहीं लगती है। छोटे परिवार में इसीलिए रोटी, कपड़ा और मकान की समस्याएँ इतनी बड़ी और भयंकर नहीं होती हैं, जितनी कि बड़े परिवार की होती हैं। इस प्रकार से छोटा परिवार बड़े परिवार की तुलना में कहीं बहुत ही श्रेष्ठ और सुखकर परिवार सिद्ध होता है ।
          परिवार का सम्बन्ध समाज से होता है और समाज का सम्बन्ध राष्ट्र से होता है । अतः परिवार का दुःख समाज का दुःख और राष्ट्र का दुःख होता है। इस दृष्टिकोण है से भी परिवार को सुखी और सम्पन्न बनाने की आवश्यकता निरन्तर बनी रहती है। राज्य में सरकार का उत्तरदायित्व अपने नागरिकों और उनके परिवारों से सम्बन्धित होता है। इससे आर्थिक और सामाजिक समस्याओं का निदान होता है । इससे सरकार एक-एक व्यक्ति की प्राथमिक आवश्यकताओं की पूर्ति किया करती है। इस प्रकार से सरकार परिवार और इसके व्यक्तियों की आवश्यकताओं और समस्याओं के प्रति अपने कर्त्तव्य का पूरा पालन किया करती है। इसी अर्थ में सरकार समय-समय पर आर्थिक सहायता और विभिन्न प्रकार के सामाजिक कार्यक्रमों को आयोजित किया करती है ।
          छोटा परिवार – सुखी परिवार होता है। इसके विषय में जब हम विचार करते हैं, तो यह अवश्य देखते हैं कि छोटा परिवार समाज का सम्मानीय और प्रतिष्ठित परिवार होता है। इसके लिए उतनी मात्रा में भोजन, वस्त्र आवास, चिकित्सा, मनोरंजन, स्वास्थ्य, ज्ञान-विज्ञान, शिक्षा आदि की आवश्यकताएँ उतनी नहीं पड़ती हैं; जितनी कि बड़े परिवार को पड़ती हैं। इस तरह से छोटे परिवार के द्वारा न केवल पारिवारिक अपितु सामाजिक और राष्ट्रीय बचत और उन्नति होती है । यह एक प्रकार के राष्ट्र और समाज के विकास का सूचक और आधार सिद्ध होता है ।
          छोटे परिवार को सुखी और सम्पन्न कैसे रखा जा सकता है, यह एक विचारणीय प्रश्न है। छोटे परिवार को सुखी परिवार को रखने के लिए हमें सर्वप्रथम जनसंख्या पर लगाम लगानी चाहिए। जिस परिवार की जनसंख्या सीमित और कम होगी, वह परिवार सचमुच में छोटा और सुखी परिवार होगा । छोटा परिवार और सुखी परिवार बनाने के लिए हमें सरकारी कार्यक्रमों को अपनाना पड़ेगा। सरकारी योजनाओं को समझते हुए इसके विषय में अनेक प्रकार से सम्पर्क करना होगा। छोटे परिवार को सुखी परिवार रखने के लिए हमें परिवार कल्याण मंत्रालय के द्वारा चलाई जा रही विभिन्न प्रकार की योजनाओं को अपनाते हुए इसके कई आवश्यक पहलुओं के विषय में व्यक्तिगत रूप से जानकारी हासिल करनी चाहिए। छोटे परिवार को सुखी परिवार को बनाये रखने के लिए हमें दैवीय इच्छा और अन्धविश्वासों को त्यागना होगा। छोटा परिवार सुखी परिवार तभी सम्भव होगा, जब हम शिक्षित, बड़ी आयु में विवाह और सन्ततिनिग्रह के उपायों पर विचार करते हुए इसे अपनाएंगे। इस प्रकार से छोटा परिवार – सुखी परिवार बनते हुए समाज का एक आदर्श और प्रेरणादायक स्तम्भ सिद्ध हो सकता है, जो आज की सबसे पहली आवश्यकता है
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