खनिज और ऊर्जा संसाधन
खनिज और ऊर्जा संसाधन
अध्याय का सारांश
खनिज एक अत्यधिक महत्त्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन हैं, जो देश को आर्थिक व औद्योगिक विकास का आधार प्रदान करते हैं। खनिज ठोस, द्रव और गैस सभी रूपों में पाये जाते हैं। खनिज संसाधन की दृष्टि से भारत एक अत्यंत संपन्न देश है। भारत से अनेक खनिजों का निर्यात किया जाता है। जबकि तांबा, चांदी, निकिल, कोबाल्ट, जस्ता जैसे खनिजों का आयात किया जाता है।
खनिज वस्तुतः एक प्राकृतिक रासायनिक यौगिक है जिनके संघटन और संरचना स्वरूप में समानता पाई जाती है। खनिज शैलों और अयस्कों के अवयव हैं। खनिजों की उत्पति भू-गर्भ हो रही विभिन्न भूवैज्ञानिक प्रक्रियाओं के द्वारा होती है।
रासायनिक और रवों की संरचना के आधार पर खनिजों का कई प्रकार से वर्गीकरण किया जाता है। कुछ खनिज केवल एक ही तत्व से बने होते हैं। जबकि कुछ अन्य खनिजों की संरचना दो या अधिक तत्वों से मिलकर होती है।
नाइट्रेट, पोटाश, अभ्रक, कोयला और पेट्रोलियम जैसे पदार्थ अधात्विक खनिज है। सामान्यतः सभी धात्विक खनिज अयस्क के रूप में मिलते हैं। यही कारण है कि उपयोग में लाने से पूर्व खनिजों को संसाधित करने की आवश्यकता पड़ती है।
जीवन की अपरिहार्य आवश्यकताओं में से एक है ऊर्जा विकास के लिए भी ऊर्जा संसाधनों की अत्यंत महत्त्वपूर्ण भूमिका है। ऊर्जा के परम्परागत स्त्रोत में कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस और विद्युत आदि सम्मिलित हैं
ऊर्जा के गैर-परम्परागत स्त्रोत में सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, बायोगेस, आदि सम्मिलित हैं। ऊर्जा के परम्परागत स्त्रोत जहां सीमित मात्रा में हैं और निश्चित अवधि के बाद समाप्त हो जायेंगे। वहीं ऊर्जा के गैर-परम्परागत स्त्रोत नवीनकरण योग्य संसाधन है और अपनी असीमितता के कारण प्रचुर मात्रा में प्रयुक्त हो सकते हैं।
ऊर्जा के गैर-परम्परागत स्त्रोत सभी ऊर्जा आवश्यकताओं की पूर्ति करने में सक्षम है और आज धीरे-धीरे ये अत्यंत लोकप्रिय होते जा रहे है। फिर भी कोई भी संसाधन न चाहे वह असमाप्य ही क्यों हो, सुनिश्चित रूप से प्रयोग किया जाना चाहिए। यही कारण है कि ऊर्जा संसाधानों के संरक्षण के लिए हमारे देश में ऊर्जा संरक्षण एकट 2001 में पारित किया गया जो मार्च 2002 से प्रभावी हो गया है।
आर्थिक विकास के लिए ऊर्जा एक आधारभूत आवश्यकता है। अत: ऊर्जा के विकास के सतत् पोषणीय मार्ग के विकसित करने की तुरंत आवश्यकता है। हमारे पास ऊर्जा के संसाधन सीमित है अतः इनका सावधानीपूर्ण उपयोग हम सबकी जिम्मेदारी है।
खनिज और ऊर्जा संसाधन Important Questions and Answers
प्रश्न 1.
निम्न प्रश्नों के संक्षेप में उत्तर दीजिए।
(क) धात्विक और अधात्विक खनिजों के तीन-तीन दाहरण दीजिए।
उत्तर-
धात्विक खनिज-
- मैंगनीज,
- अयस्क,
- सोना
अधात्विक खनि-
- नाइट्रेट,
- पोटाश,
- अभ्रक।
(ख) भारत के चार महत्त्वपूर्ण लौह-अयस्क उत्पादक राज्यों के नाम बताइए।
उत्तर-
भारत के चार महत्त्वपूर्ण लौह अयस्क उत्पादक राज्यों के नाम निम्नवत् हैं
- छत्तीसगढ़,
- झारखंड,
- उड़ीसा,
- अभ्रक।
(ग) भारत के चार महत्त्वपूर्ण मैंगनीज अयस्क उत्पादक राज्यों के नाम बताइए।
उत्तर-
भारत के चार महत्त्वपूर्ण मैंगनीज अयस्क राज्य हैं- 1. महाराष्ट्र, 2. मध्यप्रदेश, 3. उड़ीसा, 4. कर्नाटक।
(घ) भारत के चार बॉक्साइड उत्पादक राज्यों नाम बताइए।
उत्तर-
- झारखंड,
- उड़ीसा,
- गुजरात,
- महाराष्ट्र।
(ङ) वाणिज्यिक ऊर्जा के स्त्रोत क्या हैं?
उत्तर-
वाणिज्यिक ऊर्जा के निम्नलिखित स्त्रोत हैं
- कोयला,
- पेट्रोलियम,
- प्राकृतिक गैस,
- जल-विद्युत,
- परमाणु ऊर्जा।
(च) परम्परागत ऊर्जा के स्त्रोत क्या हैं?
उत्तर-
परम्परागत ऊर्जा के स्त्रोत हैं-
- कोयला,
- पेट्रोलियम,
- गैस,
- विद्युत।
(छ) गैर-वाणिज्यिक ऊर्जा के छः स्त्रोतो नाम लिखिए।
उत्तर-
गैर-वाणिज्यिक ऊर्जा के छः स्त्रोत निम्न हैं
- जलाऊ लकड़ी,
- लकड़ी का कोयला,
- गोबर,
- कृषि,
- गोबर गैस,
- कृषि अपशिष्ट।
(ज) भारत के तीन सबसे महत्त्वपूर्ण कोयला उत्पादक राज्यों के नाम बताइए।
उत्तर-
- झारखंड
- छत्तीसगढ़,
- उड़ीसा।
(झ) भारत के तीन पेट्रोलियम उत्पाद के क्षेत्रों के नाम लिखिए।
उत्तर-
- गुजरात,
- महाराष्ट्र,
- असम।
प्रश्न 2.
भारत में ऊर्जा संरक्षण एक्ट कब बनाया गया? यह कब से प्रभाव में आया?
उत्तर-
भारत में ऊर्जा संरक्षण एक्ट 2001 में पारित किया गया। यह मार्च 2002 से प्रभाव में आया।
प्रश्न 3.
भारत में सौर ऊर्जा के उत्पादन की क्या क्षमता है।
उत्तर-
20000 मेगावाट।
प्रश्न 3(i).
देश का सबसे बड़ा पवन ऊर्जा फार्म कहां है।
उत्तर-
तमिलनाडु में।
प्रश्न 4.
सर्वोत्तम प्रकार का कोयला कौनसा है?
उत्तर-
एन्धेसाइट। प्रश्न सबसे निम्न श्रेणी का कोयला क्या कहलाता है? उत्तर-पीट
प्रश्न 5.
भारत में संसार का लगभग कितना पोरियम प्राप्त होता है?
उत्तर-
50%
प्रश्न 6.
जामनगर तेल परिष्करण शाला किस राज्य में हैं?
उत्तर-
गुजरात में।
प्रश्न 7.
सीसे का अयस्क क्या कहलाता है?
उत्तर-
गैलेना।
प्रश्न 8.
खनिज क्या है?
उत्तर-
खनिज प्राकृतिक रासायनिक यौगिक हैं इनके संघटन और संरचना में समानता पाई जाती हैं। इनकी उत्पति भू-गर्भ में भूवैज्ञानिक प्रक्रियाओं द्वारा होती है।
प्रश्न 9.
चूना पत्थर का मुख्य उपयोग किस उद्योग में होता है?
उत्तर-
सीमेंट उद्योग में।
प्रश्न 10.
भारत में खनिज तेल का अनुमानित भंडार कितना है?
उत्तर-
लगभग 400 करोड़ टन है।
प्रश्न 11.
लुनेज और कलोल तेल क्षेत्र कहां स्थित है?
उत्तर-
लुनेज और कलोल तेल क्षेत्र अहमदाबाद के निकट स्थित हैं।
प्रश्न 12.
असम के प्रमुख तेल क्षेत्रों के नाम बताइए।
उत्तर-
असम में तीन प्रमुख तेल क्षेत्र हैं-
- डिगबोई,
- नाहरकटिया,
- मोरन-हुगरी जान।
प्रश्न 13.
भारत में वर्तमान में कितनी तेल परिष्करणशालाएं हैं?
उत्तर-
भारत में वर्तमान में 18 तेल परिष्करणशालाएं हैं।
प्रश्न 14.
भारत के प्राकृतिक गैस का ज्ञात भंडार कितना है?
उत्तर-
भारत में 70,000 करोड़ घनमीटर प्राकृतिक गैस के ज्ञात भंडार है।
प्रश्न 15.
लौह खनिज क्या महत्त्व है?
उत्तर-
- लौह खनिज धात्विक खनिजों के कुल उत्पादन मूल्य के तीन-चौथाई भाग का योगदान करते हैं।
- ये धातु शोधन उद्योगों के विकास को मजबूत आधार प्रदान करते हैं।
- भारत अपनी घरेलू माँग को पूर्ण करने के पश्चात बड़ी मात्रा में धात्विक खनिजों का निर्यात करता है।
प्रश्न 16.
निम्न वृत चित्र का अध्ययन कीजिए तथा निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
(1) किस राज्य में लौह अयस्क का सर्वाधिक उत्पादन होता है?
मैंगनीज उत्पादन में राज्यों का अंश
(2) किस राज्य में लौह अयस्क का सबसे कम उत्पादन होता है?
लौह अयस्क उत्पादन में राज्यों का अंश (प्रतिशत
उत्तर-
- कर्नाटक,
- झाखंड।
प्रश्न 17.
भारत में पाए जाने वाले दो प्रमुख लौह अयस्क एवं उनकी विशेषताएं बताइए।
उत्तर-
मैग्नेटाइट-मैग्नेटाइट सर्वोत्तम प्रकार का लौह अयस्क है जिसमें 70% लोहांश पाया जाता है। इसमें सर्वश्रेष्ठ चुंबकीय गुण होते हैं, जो विद्युत उद्योगों में विशेष रूप से उपयोगी हैं।
हेमेटाइट-हेमेटाइट सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण औद्योगिक लौह अयस्क है जिसका अधिकतम मात्रा में उपभोग हुआ है। किंतु इसमें लोहांश की मात्रा मैग्नेटाइट की अपेक्षा थोड़ी-सी अल्प होती है। इसमें लोहांश 50 से 60% तक प्राप्त होता है।
प्रश्न 18.
मैंगनीज के दो उपयोग बताइए।
उत्तर-
1. मैंगनीज़ मुख्य रूप से इस्पात के विनिर्माण में प्रयुक्त होता है। एक टन इस्पात बनाने में लगभग 10 किग्रा. मैंगनीज़ की आवश्यकता होती है।
2. इसका उपयोग ब्लीचिंग पाउडर, कीटनाशक दवाएँ व पेंट बनाने में किया जाता है।
प्रश्न 19.
नीचे दिए वृत चित्र का अध्ययन कीजिए तथा निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
(क) वर्ष 2003-2004 में मैंगनीज का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य कौनसा था।
(ख) वर्ष 2003-2004 में कर्नाटक तथा मध्यप्रदेश की मिलाकर मैंगनीज का कितना प्रतिशत उत्पादन हुआ? यह उड़ीसा के उत्पादन से कितना प्रतिशत अधिक या कम था?
उत्तर-
(अ) उड़ीसा – 33%
(ख) कर्नाटक – 15%
मध्यप्रदेश – 22%
दोनों राज्यों का उत्पादन 37% था जो उड़ीसा से 3% अधि क है।
प्रश्न 20.
भारत में मैंगनीज का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य कौन हैं?
उत्तर-
भारत में सर्वाधिक मैगनीज़ उड़ीसा राज्य में पाया जाता है। है। वर्ष 2000-01 में देश के कुल उत्पादन का एक तिहाई भाग यहाँ से प्राप्त हुआ।
प्रश्न 21.
भारत के चार मुख्य अलौह खनिजों के नाम लिखिए।
उत्तर-
- तांबा,
- बॉक्साइट,
- सीसा,
- सोना।
प्रश्न 22.
अलौह खनिज किन उद्योगों के लिए महत्त्वपूर्ण हैं?
उत्तर-
- धातु शोधन,
- इंजीनियरिंग,
- विद्युत उद्योग।
प्रश्न 23.
भारत में तांबे का उत्पादन किन राज्यों में होता है?
उत्तर-
- मध्य प्रदेश की बालाघाट खदानें देश का लगभग 52% ताँबा उत्पन्न करती हैं।
- झारखंड का सिंहभूम जिला भी ताँबे का मुख्य उत्पादक है।
- राजस्थान की खेतड़ी खदानें भी ताँबे के लिए प्रसिद्ध है।
प्रश्न 24.
ताँबे का मुख्य उपयोग क्या हैं?
उत्तर-
घातवर्ध्य (malleable), तन्य और ताप सुचालक होने के कारण ताँबे का उपयोग मुख्यतः बिजली के तार बनाने, इलैक्ट्रोनिक्स और रसायन उद्योगों में किया जाता है।
प्रश्न 25.
वर्ष 2003-2004 में मध्य प्रदेश और राजस्थान में तांबे का कितना उत्पादन हुआ था।
उत्तर-
(क) मध्य प्रदेश – 58%
(ख) राजस्थान – 42%
प्रश्न 26.
बॉक्साइट निक्षेपों का निर्माण कैसे होता है?
उत्तर-
बॉक्साइट निक्षेपों की रचना एल्यूमिनियम सीलिकेटों से समृद्ध व्यापक भिन्नता वाली चट्टानों के विघटन से होता
प्रश्न 27.
एल्यूमिनियम एक महत्त्वपूर्ण धातु क्यों हैं?
उत्तर-
एल्यूमिनियम एक महत्त्वपूर्ण धातु है क्योंकि यह लोहे जैसी शक्ति के साथ-साथ अत्यधिक हल्का एवं सुचालक __ भी होता है। इसमें अत्यधिक घातवर्ध्यता (malleability) भी पाई जाती है।
प्रश्न 28.
भारत का सबसे बड़ा बॉक्साइट उत्पादक राज्य कौनसा है? कुछ अन्य बॉक्साइट निक्षेप वाले स्थानों के नाम लिखिए।
उत्तर-
उड़ीसा भारत का सर्वाधिक बॉक्साइट उत्पादक राज्य है, जहाँ वर्ष 2000-01 में देश के 45% बॉक्साइट का उत्पादन हुआ। यहाँ कोरापुट जिले में पंचपतमाली निक्षेप राज्य के सबसे महत्त्वपूर्ण बॉक्साइट निक्षेप हैं।
भारत में बॉक्साइट के निक्षेप मुख्यतः अमरकंटक पठार, मैकाल पहाड़ियों तथा बिलासपुर-कटनी के पठारी प्रदेश में पाए जाते हैं।
प्रश्न 29.
अभ्रक का निक्षेप किन क्षेत्रों में पाया जात है?
उत्तर-
- अभ्रक के निक्षेप छोटानागपुर पठार के उत्तरी पठारी किनारों पर पाए जाते हैं।
- बिहार-झारखंड की कोडरमा- गया-हजारीबाग पेटी अग्रणी उत्पादक हैं।
- राजस्थान के मुख्य अभ्रक उत्पादक क्षेत्र अजमेर के आस पास हैं।
- आंध्र प्रदेश की नेल्लोर अभ्रक पेटी भी देश की महत्त्वपूर्ण उत्पादक पेटी है।
प्रश्न 30.
खनिज संसाधनों के संरक्षण के कुछ उपाय बताइए।
उत्तर-
- खनिज संसाधनों को सुनियोजित एवं सतत् पोषणीय ढंग से प्रयोग करने हेतु एक तालमेल युक्त प्रयत्न करना होगा।
- निम्न कोटि के अयस्कों का अल्प लागतों पर प्रयोग करने हेतु उन्नत प्रौद्योगिकियों का सतत् विकास करते रहना होगा।
- धातुओं का पुन: चक्रण, रपी धातुओं का प्रयोग तथा अन्य प्रतिस्थापनों का उपयोग भविष्य में हमारे खनिज संसाधनों के संरक्षण के उपाय हैं।
प्रश्न 31.
कोयले की उपयोगिता बताइए।
उत्तर-
- भारत में कोयला बहुतायत में पाया जाने वाला जीवाश्म ईंधन है। यह देश की ऊर्जा आवश्यकताओं का महत्त्वपूर्ण भाग प्रदान करता है। इसका उपयोग ऊर्जा उत्पादन तथा उद्योगों और घरेलू आवश्यकताओं के लिए ऊर्जा की आपूर्ति के लिए किया जाता है।
- भारत अपनी वाणिज्यिक ऊर्जा आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु मुख्यतः कोयले पर निर्भर है।
प्रश्न 32.
भारत में पाये जाने वाले विभिन्न प्रकार के कोयले और उसमें पाए जाने वाले कार्बन का हिस्सा लिखिए।
उत्तर-
कोयला — कार्बन
1. एंथेसाईट — 80% से ज्यादा
2. बिटुमिनस — 60-80%
3. लिग्नाईट — 50-60%
4. पीट — 50% से कम
प्रश्न 33.
भारी उद्योग एवं तापग्रह कोयला क्षेत्रों अथवा उनके निकट ही स्थापित क्यों किए जाते हैं?
उत्तर-
कोयला एक स्थूल पदार्थ है। जिसका प्रयोग करने पर भार घटता है क्योंकि यह राख में परिवर्तित हो जाता है। इसी कारण भारी उद्योग तथा ताप विद्युत गृह कोयला क्षेत्रों अथवा उनके निकट ही स्थापित किये जाते हैं।
प्रश्न 34.
भारत में कोयला किन दो प्रमुख भू-गर्भिक युगों के शैलक्रम में पाया जाता है?
उत्तर-
भारत में कोयला दो प्रमुख भूगर्भिक युगों के शैल क्रम में प्राप्त होता है – एक गोंडवाना जिसकी आयु 200 लाख वर्ष से कुछ अधिक है और दूसरा टरशियरी निक्षेप जो लगभग 55 लाख वर्ष पुराने हैं। गोंडवाना कोयले, जो धातुशोधन कोयला है, के प्रमुख संसाधन दामोदर घाटी (पश्चिमी बंगाल तथा झारखंड), झरिया, रानीगंज, बोकारो में स्थित हैं जो महत्त्वपूर्ण कोयला क्षेत्र हैं। गोदावरी, महानदी, सोन व वर्धा नदी घाटियों में भी कोयले के जमाव पाए जाते हैं।
प्रश्न 35.
पेट्रोलियम का क्या महत्त्व हैं?
उत्तर-
- भारत में कोयले के पश्चात् ऊर्जा का द्वितीय प्रमुख साधन पेट्रोलियम या खनिज तेल है।
- यह ताप व प्रकाश के लिए ईंधन, मशीनों को स्नेहक और अनेक विनिर्माण उद्योगों को कच्चा माल प्रदान करता है।
- तेल शोधन शालाएँ – संश्लेषित वस्त्र, उर्वरक तथा असंख्य रासायन उद्योगों में एक नोडीय बिंदु का कार्य करती हैं।
प्रश्न 36.
भारत में पेट्रोलियम उत्पादन का वितरण बताइए।
उत्तर-
भारत में कुल पेट्रोलियम उत्पादन का 63% भाग मुंबईहाई से, 18% गुजरात से और 16% असम से प्राप्त होता है। मानचित्र में तीन प्रमुख अपतटीय तेल क्षेत्र चिह्नित करें। – अंकलेश्वर गुजरात का सबसे महत्त्वपूर्ण तेल क्षेत्र है। असम भारत का सबसे पुराना तेल उत्पादक राज्य है। डिगबोई, नहरकटिया और मोरन-हुगरीजन इस राज्य के महत्त्वपूर्ण तेल उत्पादक क्षेत्र हैं।
प्रश्न 37.
प्राकृतिक गैस को वर्तमान शताब्दी का ईंधन क्यों कहा जाता है?
उत्तर-
- प्राकृतिक गैस एक महत्त्वपूर्ण स्वच्छ ऊर्जा संसाधन है जो पेट्रोलियम के साथ अथवा पृथक रूप से पाई जाती है।
- इसे ऊर्जा के एक साधन के रूप में तथा पेट्रो रासायन उद्योग के एक औद्योगिक कच्चे माल के रूप में प्रयुक्त किया जाता है।
- कार्बनडाई-ऑक्साइड के न्यून उत्सर्जन के कारण प्राकृतिक गैस को पर्यावरण-अनुकूल माना जाता है। अत: यह वर्तमान शताब्दी का ईधन है।
प्रश्न 38.
भारत में प्राकृतिक गैस के भंडार किन क्षेत्रों में पाए जाते हैं?
उत्तर-
- पश्चिमी तट के साथ मुम्बई हाई
- कृष्ण गोदावरी नदी बेसिन
- खंभात की खाड़ी
- अंडमान-निकोबार द्वीप समूह
प्रश्न 39.
खनन का खनिजों के स्वास्थ्य तथा पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर-
- खदानों में काम करने वाले श्रमिक लगातार धूल व हानिकारक धुएँ में साँस लेते हुए फेफड़ों संबंधी बीमारियों से ग्रस्त हो जाते हैं।
- खदानों की छतों के गिरने, सैलाब आने (जलप्लावित होना), कोयले की खदानों में आग लगने आदि. खतरे खदान श्रमिकों के लिए स्थाई हैं।
- खदान क्षेत्रों में खनन के कारण जल स्रोत संदूषित हो जाते हैं।
- अवशिष्ट पदार्थों तथा खनिज तरल के मलबे के खत्ता लगाने से भूमि व मिट्टी का अवक्षय होता है और नदियों के प्रदूषण में बढ़ता है। ..
प्रश्न 40.
खनिजों का संरक्षण क्यों आवश्यक है?
उत्तर-
- जिन खनिज संसाधनों के निर्माण व सांद्रण में सैकड़ों वर्ष लगे हैं, हम उनका शीघ्रता से उपभोग कर रहे हैं।
- खनिज निर्माण की भूगर्भिक प्रक्रियाएँ इतनी मन्द है कि उनके वर्तमान उपभोग की दर की तुलना में उनके पुनर्भरण की दर अपरिमित रूप से अल्प है। अतः खनिज संसाधन सीमित तथा अनवीकरण योग्य हैं।
- समृद्ध खनिज निक्षेप हमारे देश की बहुमूल्य संपदा संपत्ति हैं, परंतु ये अल्पजीवी हैं।
- अयस्कों के निरन्तर उत्खनन से लागत बढ़ती है क्योंकि खनिजों के उत्खनन की गहराई बढ़ने के साथ उनकी गुणवत्ता घटती जाती है।
प्रश्न 41.
अंतर स्पष्ट कीजिए
(क) धात्विक औरअधात्विक खनिज।
उत्तर-
धात्विक खनिज-
- यह दो उपवर्गों में बंटा है
- लोहा, सीसा, टिन, सोना आदि इसके उदाहरण है।
- यह वह खनिज है जिसमें धातु पायी जाती है।
अधात्विक खनिज
1. यह किसी उपवर्ग में नहीं बांटा
2. नाइट्रटे, पोटाश, अभ्रक, जिप्सम, कोयला आदि इसके उदाहरण है।
3. इस खनिज में धातु नही पायी जाती।
(ख) ऊर्जा के परम्परागत और गैर परम्परागत साधन।
उत्तर-
परम्परागत ऊर्जा साधन
- इसका प्रयोग लम्बे समय से होता आ रहा है।
- ये अपेक्षाकृत प्राचीन है।
- कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस, विद्युत आदि इसके उदाहरण है।
गैर परम्परागत साधन
- इनका प्रयोग हाल ही में शुरू हुआ है।
- ये अपेक्षाकृत नए हैं।
- सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, ज्वार, भूताप, परमाणु और बायोगैस ऊर्जा इसके उदाहरण है।
(ग) एन्थ्रोसाइट और बिटुमिन्स कोयला। उत्तर
एन्थ्रासाइट कोयला
- यह सबसे उच्च कोटि का कोयला है।
- इसमें कार्बन की मात्रा 80% से अधिक हाती है।
- यह कठोर काला और ठोस पदार्थ है।
- यह केवल जम्मू और कश्मीर में पाया जाता है।
बिटुमिन्स कोयला-
- यह अपेक्षाकृत निम्नकोटि का कोयला है।
- इसमें कार्बन की मात्रा 60-80% होती है
- यह कम काला होता है।
- यह झारखंड, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, और मध्य प्रदेश में पाया जाता है।
(घ) प्राकृतिक गैस और बायोगैस।
उत्तर-
प्राकृतिक गैस
- यह परम्परागत ऊर्जा माध्यम है।
- यह खनिज तेल के साथ और उसके बिना भी पाई जाती है।
- यह प्रकृति प्रदत्त है।
बायोगैस
- यह गैर परम्परागत ऊर्जा माध्यम है।
- यह जैव पदार्थो के अपघटन से बनती है।
- यह मानव निर्मित है।
प्रश्न 42.
जीवांश ईंधन से आप क्या समझते हैं? जीवांश ईंधन प्राप्त करने के स्त्रोतों के नाम बताइये।
उत्तर-
जीवांश ईधन का तात्पर्य उन ईधन पदार्थों से है जिन्हें अवसादी चट्टानों से प्राप्त किया जाता है। जैसे, कोयला, खनिज, तेल और प्राकृतिक गैस। इन्हें जीवांश ईंधन के रूप में पुकारा जाता है क्योंकि इन्हें अवसादी चट्टानों से प्राप्त किया जाता है। इन चट्टानों का निर्माण नदियों, झालों और कम गहरे समुद्रों के तलों में तलछटों के जमाव के कारण होता है। इन अवसादों चट्टानों की प्रमुख विशेषता यह होती है कि इनमें जीवित प्राणियों और पौधों के दबे हुए अस्थि पंजर आदि के अवशेष विद्यमान होते हैं।
इस प्रकार के स्त्रोतों से प्राप्त शक्ति के प्रमुख दोष निम्नलिीखित है-
1. ईंधन प्रकार के ईंधनों का भंडार सीमित है।
2. इन ईंधनों का नवीकरण करना संभव नहीं है।
3. इन ईधनों से प्रदुषण फैलता है और पर्यावरण को हानि पहुंचती है।
प्रश्न 43.
सौर ऊर्जा के प्रमुख गुणों की चर्चा कीजिए।
उत्तर-
भारत एक उष्ण-कटिबंधीय देश है। यहाँ सौर ऊर्जा के दोहन की असीम संभावनाएं हैं। फोटोवोल्टाइक प्रौद्योगिकी द्वारा धूप को सीमो विद्युत में परिवर्तित किया जाता है। भारत के ग्रामीण तथा सुदूर क्षेत्रों में सौर ऊर्जा तीव्रता से लोकप्रिय हो रही है। भारत का सबसे बड़ा सौर ऊर्जा संयंत्र भुज के समीप माधापुर में स्थित है, जहाँ सौर ऊर्जा से दुग्ध के विशाल बर्तनों को कीटाणुमुक्त किया जाता है।
प्रश्न 44.
बायोगैस के संबंध में आप क्या जानते हैं? संक्षेप में लिखें।
अथवा
बायोगैस धीरे-धीरे लोकप्रियता के पायदान पर चढ़ रहा है। टिप्पणी कीजिए।
उत्तर-
ग्रामीण इलाकों में झाड़ियों, कृषि अपशिष्ट, पशुओं और मानव जनित अपशिष्ट के उपयोग से घरेलू उपभोग हेतु बायोगैस उत्पन्न की जाती है। जैविक पदार्थों के अपघटन से गैस उत्पन्न होती है, जिसकी तापीय सक्षमता मिट्टी के तेल, उपलों व चारकोल की अपेक्षा अधिक होती है। बायोगैस संयत्र नगरपालिका, सहकारिता तथा निजी स्तर पर लगाए जाते हैं। पशुओं का गोबर प्रयोग करने वाले संयंत्र ग्रामीण भारत में ‘गोबर गैस प्लांट’ के नाम से जाने जाते हैं। ये किसानों को दो प्रकार से लाभ पहुंचाते हैं- एक ऊर्जा के रूप में और दूसरा उन्नत प्रकार के उर्वरक के रूप में। बायोगैस अब तक पशुओं के गोबर का प्रयोग करने में सबसे निपुण है। यह उर्वरक की गुणवत्ता को वृद्धि करता है और उपलों तथा लकड़ी को जलाने से होने वाले वृक्षों की हानि को रोकता है।
प्रश्न 45.
धात्विक और अधात्विक खनिजों में क्या अंतर है?
अथवा
धात्विक तथा अधात्विक खनिजों के कुछ उदारहण dhem|
उत्तर-
लौह खनिज
- ये धातु रूप में प्राप्त होते हैं
- ये प्रायः कठोर होते हैं
- इनमें चमक होती है
- इन्हें तारों अथवा चादारों के रूप में तैयार किया जा सकता है।
अलौह खनिज
- धातु पदार्थ प्राप्त नहीं होते
- ये प्रायः नरम होते हैं।
- इनमें चमक नहीं होती
- इन्हें तारों अथवा चादरों के रूप में परिवर्तित नहीं किया जा सकता।
प्रश्न 46.
उपयोग के आधार पर ऊर्जा को किन स्त्रोतों में बांटा जा सकता है।
अथवा
वाणिज्यिक और गैरवाणिज्यिक ऊर्जा में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
उपयोग के आधार पर ऊर्जा को प्रमुखतः दो भागों में बांटा जा सकता है- वाणिज्यिक ऊर्जा और गैर वाणिज्यिक ऊर्जा।
प्रश्न 47.
परम्परागत ऊर्जा स्त्रोत से आप क्या समझते हैं ऊर्जा के परम्परागत तथा गैर-परम्परागत स्त्रोतों में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
परम्परागत ऊर्जा स्त्रोत-इसका तात्पर्य उन ऊर्जा स्त्रोतों से है जिनका प्रयोग ऊर्जा के रूप में सदियों से होता आर रहा है। ये ऊर्जा के लौकिक तथा प्रारंभिक साधन भी कहे जाते हैं इस प्रकार के ऊर्जा के स्त्रोत नवीनीकरण के योग्य नहीं है। इस कारण से समाप्त होने वाले हैं। परंतु कुछ स्त्रोत ऐसे भी हैं जो नवीनकरण के योग्य हैं जैसे-जल विद्युत। कोयला, ताप-विद्युत जल-विद्युत, परमाणु शक्ति आदि ऊर्जा के परम्परागत साधनों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
ऊर्जा के गैर-परम्परागत स्त्रोत-ऊर्जा के इस प्रकार के स्त्रोत में वे स्त्रोत सम्मिलित है-जिनका प्रयोग हाल के वर्षों में किया जाने लगा है। इस प्रकार के ऊर्जा में सूर्य वायु, ज्वार-भाटे, बायोगैस आदि से प्राप्त ऊर्जा को सम्मिलित किया जाता है। इस प्रकार के ऊर्जा स्त्रोतों का भण्डार प्रमुखतः अक्षय है क्योंकि ये नवीकरण योग्य है। इस प्रकार के ऊर्जा स्त्रोत प्रकृति से बिना मूल्य प्राप्त किये जा सकते है, परंतु अभी इन ऊर्जा स्त्रोतों का प्रयोग छोटे पैमान पर ही हो रहा है। उद्योगों आदि में अभी इनका प्रयोग लोकप्रिय नहीं हआ है।
प्रश्न 48.
तापीय तथा जल-विद्युत में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
तापीय विद्युत –
- इसे कोयला, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस से प्राप्त किया है।
- यह विद्युत शक्ति का स्थायी स्त्रोत नहीं है क्योंकि इसके स्त्रोत स्वयं समाप्त होने वाले हैं
- इस प्रकार के विद्युत निर्माण में प्रदुषण फैलता है।
जल विद्युत-
- इसे गिरते हुए जल की शक्ति का प्रयोग करके प्राप्त किया जाता है।
- जल एक कभी न समाप्त होने वाला साधन है अतः अपेक्षाकृत विद्युत का स्थायी स्त्रोत है।
- इस प्रकार का विद्युत निर्माण प्रदुषण नहीं फैलाता है।
प्रश्न 49.
प्रश्न निम्नलिखित को संक्षेप में समझाइए।
1. शक्ति के संपूर्ति
2. शक्ति के अनापूर्ति साधन।
उत्तर-
1. शक्ति के सम्पर्ति साधन-इसका तात्पर्य ऐसे साधनों से है जो एक बार प्रयोग करने से समाप्त नहीं होते । इस प्रकार के साधनों का बार-बार प्रयोग किया जा सकता है। जल, सूर्य, वायु, भूतापीय ऊर्जा, समुद्री ज्वार-भाटा आदि इसी प्रकार के शक्ति साधनों के उदाहरण हैं।
2. शक्ति के अनापूर्ति साधन-इसका तात्पर्य ऐसे साधनों से हैं जो एक बार प्रयोग करने पर पुनः प्रयोग में नहीं लाये जा सकते। इस प्रकार के साधनों का नवीनीकरण संभव ने होने के करण इन स्त्रोतों के समाप्त होने का अंदेशा बना रहता है। कोयला, खनिज तेल, आदि इसी वर्ग के प्रतिनिधि हैं।
प्रश्न 50.
आप पेट्रोलियम के कौन-कौन से प्रयोग सुझा सकते हैं। स्पष्ट करें?
अथवा
भारत में पेट्रोलियम के सम्भाव्य निक्षेपों के बारे में जानकारी देते हुए, भारत स्थित तेल परिष्करणाशालाओं के विषय में लिखें।
अथवा
पेट्रोलियम पदार्थों की मांग और उपयोग में दिनों दिन वृद्धि होती जा रही है। टिप्पणी लिखिए।
उत्तर-
आज के आधुनिक समाज में पेट्रोलियम ने मध्यम बिंदु का रूप धारण कर लिया है। आज पेट्रोलियम का उपयोग किसी एक क्षेत्र विशेष तक ही सिमटा हुआ नहीं है वरन् इसके उपयोग ने विविध रूप धारण कर लिया है।
पेट्रोलियम के विविध उपयोग-आज के समय में पेट्रोलियम एकमात्र बहुउद्देशीय ईधन है जो ताप विद्युत और चालक शक्ति का महत्त्वपूर्ण साधन है। पेट्रोलियम पदार्थों का उपयोग जहाँ परिवहन के लिए किया जाता है। वहीं इसका प्रयोग उद्योगों में मशीनों के चलन में किया जाता है। पेट्रोलियम पदार्थों के अपशिष्टों आदि से पेट्रोलियम जैली आदि बनाई जाती है। पेट्रोलियम पदार्थों का अपशिष्ट कृत्रिम धागों में भी प्रयोग किया जाता है।
भारत में पेट्रोलियम के सम्भाव्य निक्षेप-भारत में पेट्रोलियम के संभावित क्षेत्र लगभग दस लाख किमी. से भी
अधिक है। इन निक्षेपित क्षेत्र के अंतर्गत उत्तर का मैदान तटीय पट्टियाँ, गुजरात का मैदान, थार मरूस्थल एवं अंडमान तथा निकोबार द्वीप समूह आते हैं।
सामान्यतः खनिज तेल के स्त्रोतों के साथ ही गैस के भंडार भी पाये जाते हैं। परंतु कुछ ऐसे भी क्षेत्र हैं जहाँ मुख्यतः
गैस के भंडार ही पाये जाते हैं जैसे त्रिपुरा, राजस्थान में पाये जाते हैं।
खनिज तेल उत्पादन की प्रवृति-जब हमारा देश स्वतंत्र हुआ था। उस समय असम एकमात्र ऐसा प्राप्त था कि जहाँ खनिज तेल निकाला गया था। खनिज तेल के लिए भी मात्र यहीं मात्र यहीं प्रान्त क्रियाशील था। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद जब खनिज तेल उत्पादन की ओर विशेष ध्यान दिया गया तो इसके उत्पादन में निरन्तर वृद्धि होती चली गई और इसकी खपत भी बढ़ती गई। सन् 1951 में जहाँ खनिज तेल का उत्पादन 2.7 लाख टन वहीं सन् 1974 ई. में यह बढ़कर 128 लाख टन हो गया और सन् 1984 तक यह 260 लाख टन तक हो गया परंतु उत्पादन में इस वृद्धि की तुलना में खनिज तेल की खपत कहीं अधिक वृद्धि हुई। इस कारण से भारत को बड़ी मात्रा में खनिज तेल का आयात करना होता है।
आज नए-नए क्षेत्रों में खनिज तेल की खोज की जा रही है, जैसे महानदी, गोदावरी, कृष्णा और कावेरी नदियों के डेल्टा क्षेत्र के आपपास।
यद्यपि भारत में खनिज तेल के आयात में एक बहुत बड़ी अथवा मात्रा में विदेशी मुद्रा व्यय करना होता है तथापि यह खपत पेट्रोलियम पदार्थों की मांग और उपयोग में दिनों विकसित देशों की तलना में नगण्य है।
भारत स्थित तेल परिष्करणशालाएँ-भारत में वर्तमान में निम्नलिखित तेल परिष्करणशालाएं कार्यरत हैं-
(1) बरौनी (बिहार), (2) कोचीन (केरल), (3) डिगबोई (असम), (4) बी. पी. सी. एल. (भारत पेट्रोलियम) मुंबई, (5) गुवाहटी (असम), (6) हल्दिया (पश्चिम बंगाल), (7) एच.पी.एस.एल. (मुंबई), (8) एच.पी.सी. विशाखापट्टनम (आंध्र प्रदेश), (9) कोयली (गुजरात), (10) चैन्नई (तमिलनाडु), (11) बोंगई गाँव (असम), (12) मथुरा (उत्तर प्रदेश), (13) मंगलौर (कर्नाटक), (14) पानीपत (हरियाणा)।
प्रश्न 51.
क्या आज विश्व ऊर्जा संकट से जूझ रहा है। संक्षेप में विचार व्यक्त करें।
उत्तर-
वर्तमान विश्व में ऊर्जा के तीन मुख्य स्त्रोत हैं-(1) कोयला, (2) तेल, (3) जल-विद्युत। लेकिन विज्ञान और तकनीक की तीव्र उन्नति के कारण ऊर्जा के सबसे महत्त्वपूर्ण साधन के रूप में सामने आया है। खनिज तेल।
पिछली चौथाई शताब्दी से खनिज तेल का उपयोग विश्व भर में इतना अधिक बढ़ा है कि तेल भंडारों के समाप्त होने की संभावना आ खड़ी हुई है। वस्तुतः आज स्थिति इतनी गंभीर हो चुकी है कि खनिज. तेल की खपत की अगर यही रफ्तार बनी रही तो विश्व भर के तेल भंडार कुछ एक दशकों मे ही खाली हो जायेंगे।
खनिज तेल की इस वस्तुस्थिति से अवगत होकर 1970 के दशक में तेल उत्पाद देशों ने तेल की कीमतों में अचानक भारी वृद्धि कर दी। इसके फलस्वरूप विश्व भर में मुद्रा प्रसार का संकट उत्पन्न हो गया। समस्या से सबसे अधिक हानि विकाशील देशों को उठानी पड़ी क्योंकि ऊर्जा के बढ़ते हुए खर्च को उठाना पाना इन देशों के लिए महंगा पड़ने लगा। भारत भी इन्हीं समस्याग्रस्त देशों में शामिल है।
ऊर्जा संकट ने अमेरिका जैसे विकासित देश को अपने प्रभाव क्षेत्र को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से बढ़ाने के लिए प्रेरित किया। इस प्रकार से तेल उत्पादक देश तथा औद्योगिक देशों में खींचतान आरंभ हुई। परंतु इसका सबसे अधिक खमियाजा भारत जैसे विकाशील देशों को ही उठना पड़ा।
निस्संदेह आज का संपूर्ण विश्व ऊर्जा संकट से जूझ रहा है। इसके गंभीर परिणाम भी सामने आ रहे हैं। उदाहरण के लिए हाल का ईराक युद्ध इसी का एक उदाहरण है। इस प्रकार ऊर्जा संकट वह संकट है जो मात्र ऊर्जा या उद्योगों तक या आर्थिक जगत् तक ही सिमटा हुआ नहीं है बल्कि यह संपूर्ण मानवता के लिए संकट बनता जा रहा है। ऐसे में यह आवश्यक है कि ऊर्जा के वैकल्पिक स्त्रोतों को शीघ्रातिशीघ्र खोज निकाला जाए ताकि मानवता पर मंडरा रहे विनाशकारी संकट से विश्व भर के मनुष्य की रक्षा की जा सके।
प्रश्न 52.
भारत में उपलब्ध अधात्विक खनिजों पर संक्षेप में जानकारी दें।
अथवा
भारत में पाये जाने वाले प्रमुख अधात्विक खनिज कौन-कौन से हैं?
उत्तर-
भारत में धात्विक खनिज के साथ ही अधात्विक खनिजों का भी विशाल भंडार पाया जाता है। इन खनिजों का प्रमुखतः उपयोग कच्चे माल के रूप में तो होता ही है। साथ ही गालक खनिज और ऊष्मा खनिज के रूप में भी होता है। देश में औद्योगिकरण की गति में तीव्रता के साथ ही इन खनिजों के उत्पादन को भी तीव्रता मिलती जा रही है।
वर्ष 2000-01 में 47 अधात्विक खनिजों का व्यापारिक पैमाने पर उत्पादन हुआ है। इन खनिजों का कुल मूल्य 18. 53 अरब रुपये अर्थात् कुल उत्पादित खनिजों के मूल्य का 3. 86% था भारत में प्राप्त होने वाले कुछ प्रमुख अधात्विक खनिज निम्नलिखित हैं-
चूने का पत्थर-यह निर्माण उद्योग की आधारशिला तो है ही, साथ ही रासायनिक और धातुकर्मीय उद्योगों के लिए भी आधारभूत पदार्थ है। देश में चूना पत्थर, कडप्पा, विध्य और क्रिटेशस शैल समूहों में व्यापक रूप से पाया जाता है। चूने के पत्थर का आधे से अधिक भाग अग्रलिखित तीन राज्यों में भंडारित है-(1) कर्नाटक, (2) आंध्रप्रदेश, (3) राजस्थान।
इसके अलावा बाकी आधे भाग का संकेन्द्र वाले राज्य है- मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, मेघालय, प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, उत्तरांचल।
डोलामाइट-डोलोमाइट के भंडार भारत के प्रायः सभी भागों में उपलब्ध हैं। 90% के करीब डोलोमाइट भंडार इन राज्यों में संग्रहीत हैं-मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, गुजरात, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, और महाराष्ट्र।
वर्ष 2000-2001 में कुल डोलोमाइट उत्पादन 28.15 लाख टन था। अधिकतर डोलोमाइट लोहे और इस्पात के कारखानों के निकट स्थित भंडारों से निकाला जाता है।
फास्फेट खनिज-इनका प्रमुखतः उपयोग फास्फेट युक्त उर्वरक बनाने के लिए किया जाता है। फास्फोराइट भंडार मुख्यतः राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, उत्तरांचल, और गुजरात में पाये जाते हैं।
राजस्थान इसका सबसे प्रमुख उत्पादक हैं।
फास्फेट खनिज उत्पादन की दृष्टि से प्रमुख स्थान अनलिखित हैं-(1) उदयपुर, (2) देहरादून, (3) झाबुआ, (4) छत्तरपुर, (5) ललितपुर।
ऐपटाइट- यह मुख्यतः आंध्रप्रदेश के विशाखापत्तनम और पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिलों में से निकाला जाता है। इन व दोनों राज्यों के अतिरिक्त झारखंड, तमिलनाडु, और राजस्थान में भी इनका उत्पादन होता है।
अभ्रक-परतदार अभ्रक उत्पादन में भारत का संसार में सबसे प्रमुख राष्ट्र है। यह विश्व के कुल अभ्रक व्यापार के 60% की भागीदारी करता है। अभ्रक के प्रमुख खनिज भंडार आंध्रप्रदेश, झारखण्ड और राजस्थान में पाये जाते हैं। इनके अलावा भारत में पाये जाने वाले अन्य प्रमुख अधात्विक खनिज निम्नलिखित हैं-
1. कैओलिन-इसका प्रमुख उत्पादक राज्य केरल है।
2. जिप्सम-इसके प्रमुख उत्पादक राज्य हैं-(1) राजस्थान, (2) जम्मू और कश्मीर, गुजरात व तमिलनाडु में भी इसका कुछ उत्पादन होता है।
प्रश्न 53.
निम्नलिखित राज्यों के प्रमुख जल-विद्युत उत्पादन केन्द्रों के नाम लिखिए।
1. जम्मू और कश्मीर
2. उत्तर प्रदेश
3. उत्तरांचल
4. राजस्थान
5. मध्यप्रदेश
6. झारखंड
7. पश्चिम बंगाल
8. बिहार
9. उड़ीसा
10 गुजरात राज्य
उत्तर-
जल विद्युत उत्पादन केन्द्र-
1. जम्मू और कश्मीर –1. निचला सेलम, 2. चिनाब पर सलाल, 3. दुलहस्ती, 4. कर्राह
2. उत्तर प्रदेश –1. रिंद, 2. खोदरी, 3. चिबरो।
3. उत्तरांचल — 1. टिहरी
4. राजस्थान – 1. राणा प्रताप सागर, जवाहर सागर।
5. मध्यप्रदेश — 1. गाँधी नगर, 2. पैच, 3. बारगी, 4. बनसागर।
6. झारखंड — 1. सुर्वण, 2. मैथान, 3. पंचेत, 4. तिलैया,
7. पश्चिम बंगाल — 1. पंचैत।
8. बिहार — 1. कौसी।
9. उड़ीसा — 1. हीराकुण्ड, 2. मेलावाली।
10. गुजरात — 1. उकई, कदाना।
खनिज और ऊर्जा संसाधन Textbook Questions and Answers
1. बहुवैकल्पिक प्रश्न
(i) निम्नलिखित में से कौन-सा खनिज अपक्षयित पदार्थ के अवशिष्ट भार को त्यागता हुआ चमकानों के अपघटन से बनता है?
(क) कोयला
(ख) बॉक्साइट
(ग) सोना
(घ) जस्ता
उत्तर-
(ख) बॉक्साइड
(ii) झारखंड में स्थित कोडरमा निम्नलिखित से किस खनिज का अग्रणी उत्पादक है?
(क) बॉक्साइट
(ख) अभ्रक
(ग) लौह अयस्क
(घ) ताँबा
उत्तर-
(ख) अभ्रक
(iii) निम्नलिखित चमकानों में से किस चमकान के स्तरों में खनिजों का निक्षेपण और संचयन होता है?
(क) तलछटी चमकानें
(ग) आग्नेय चमकानें
(ख) कायांतरित चमकानें
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(क) तलछटी चमकानें
(iv) मोनाजाइट रेत में निम्नलिखित में से कौन-सा खनिज पाया जाता है?
(क) खनिज तेल
(ख) यूरेनियम
(ग) थोरियम
(घ)कोयला
उत्तर-
(ग) थोरियम
2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए।
(i) निम्नलिखित में अंतर 30 शब्दों से अधिक न दें।
(अ) लौह और अलौह खनिज
(ब) परंपरागत तथा गैर परंपरागत ऊर्जा सामान
उत्तर-
(अ) लौह खनिज
- ये धातु रूप में प्राप्त होते हैं
- ये प्रायः कठोर होते हैं
- इनमें चमक होती है
- इन्हें तारों अथवा चादारों के रूप में तैयार किया जा सकता है।
अलौह खनिज:
- धातु पदार्थ प्राप्त नहीं होते
- ये प्रायः नरम होते हैं।
- इनमें चमक नहीं होती
- इन्हें तारों अथवा चादरों के रूप में परिवर्तित नहीं किया जा सकता।
(ब) परम्परागत तथा गैर परम्परागत ऊर्जा संसाधन परम्परागत संसाधन-इनमें लकड़ी, उपले, कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस तथा विद्युत (दोनों जलविद्युत व ताप विद्युत) शामिल हैं। ये (कोयला व पेट्रोलियम) अनवीकरणीय है ओर भविष्य में इनकी कमी की संभावना है। जीवाश्मी ईंधनों का प्रयोग पर्यावरणीय समस्याएँ उत्पन्न करता है।
गैर परम्परागत संसाधन-इनमें सौर, पवन, ज्वारीय भू-तापीय, बायोगैस तथा परमाणु ऊर्जा शामिल किये जाते हैं। ये नवीकरणीय है। इनके प्रयोग से पर्यावरणीय समस्या नहीं उपजती।
(ii) खनिज क्या हैं?
उत्तर-
भू-वैज्ञानिकों के अनुसार खनिज पर प्राकृतिक रूप से विद्यमान समरूप तत्त्व है जिसकी एक निश्चित आन्तरिक – संरचना है। खनिज प्रकृति में विविध रूपों में विद्यमान है। जिसमें कठोर हीरा वनरम चना तथा शामिल है।
(iii) आग्नेय तथा कायांतरित चमकानों में खनिजों का निर्माण कैसे होता है?
उत्तर-
आग्नेय तथा कायांतरिक चट्टानों में खनिजों का निर्माण दरारों, जोड़ों, भ्रंशों व विदरों में होता है। यह छोटे जमाम शिराओं के रूप में और बृहत जमाव परत के रूप में पाए जाते हैं। इनका निर्माण भी अधिकतर उस समय होता है जब ये सरल अथवा गैसीय अवस्था में दरारों के सहारे भू-पृष्ठ की ओर धकेले जाते हैं। ऊपर आते हुए ये ठंडे होकर जम जाते हैं। उदाहरणार्थ-मुख्य धात्विक खनिज( जैसे-जस्ता, ताँबा, जिंक
और सीसा आदि इसी तरह शिराओं व जमाओं के रूप में प्राप्त होते हैं।
(iv) हमें खनिजों के संरक्षण की क्यों आवश्यकता है?
उत्तर-
हम सभी को उधोग और कृष्जि की खनिज निक्षेपों – और उनसे विनिर्मित पदार्थों पर भारी निर्भरता सुप्रेक्षित है। खनन योग्य निक्षेप की कुल राशि असार्धक अंश है। जिन खनिजों के निर्माता व सांदण में सैकड़ों वर्ष लगे है, उनका हम शीघ्रता से उपभोग कर रहे हैं। इनके निर्माण की भूगभिक प्रक्रियाएँ बहुत धीमी है। संसाधन सीमित तथा अनवीकरणीय है।
3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 120 शब्दों में दीजिए।
(i) भारत में कोयले के वितरण का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
भारत में कोयले का वितरण-भारत में कोयला दो प्रमुख भूगर्भिक युगों के शैल क्रम में प्राप्त होता है-एक
गोंडवाना जिसकी आयु 200 लाख वर्ष से कुछ अधिक है और – दूसरा टरशियरी निक्षेप जो लगभग 55 लाख वर्ष पुराने है। गोंडवाना कोयले, जो धातुशोधन कोयला है, के प्रमुख संसाध न दामोदर घाटी (पश्चिमी बंगाल तथा झारखण्ड) झरिया, रानीगंज, बोकारों में स्थित है जो महत्त्वपूर्ण कायेला क्षेत्र है। गोदावरी, महानदी, सोन व वर्धा नदी घाटियों में भी कोयले के जमाव पाये जाते हैं।
टरशियरी कोयला क्षेत्र उत्तर-पूर्वी राज्यों-मेघालय असम, अरुणाचल प्रदेश व नागालैण्ड में पाया जाता है। कोयला एक स्थूल पदार्थ है। जिसका प्रयोग करने पर भार घटता है क्योंकि यह राख में परिवर्तित हो जाता है। इसी कारण भारी उद्योग तथा ताप विद्युत गृह कोयला क्षेत्रों या उनके समीप ही स्थापित किये जाते हैं।
(ii) भारत में सौर ऊर्जा का भविष्य उज्जवल है। क्यों?
उत्तर-
भारत एक उष्ण-कटिबंधीय देश है। इसलिये यहाँ सौर ऊर्जा के दोहन की असीम संभावनाएँ। फोटोवोल्टाइक प्रौद्योगिकी द्वारा धूप को सीधे विद्युत में परिवर्तित किया जाता – है। भारत के ग्रामीण तथा सुदूर क्षेत्रों में सौर ऊर्जा तीव्रता से लोकप्रिय हो रही है। भारत का सबसे बड़ा सौर ऊर्जा संयत्र भुज के समीप माधोपुर में स्थित है, जहाँ सौर ऊर्जा से दुग्ध के बड़े बर्तनों को कीटाणुमुक्त किया जाता है। ऐसा अपेक्षित है कि सौर ऊर्जा के प्रयोग से ग्रामीण घरों में उपलों तथा लकड़ी पर निर्भरता को न्यूनतम किया जा सकेगा। परिणामस्वरूप यह पर्यावरण संरक्षण में योगदान देना और कृषि में भी प्राकृतिक अर्थात् गोबर खाद्य की पर्याप्त आपूर्ति होगी।
इस प्रकार संभवतः भारत में भारत में सौर ऊर्जा का भविष्य उज्जवल है।
क्रियाकलाप
नीचे दी गई वर्ग पहेली में उपयुक्त खनिजों का नाम भरेंनोट : पहेली के उत्तर अंग्रेजी के शब्दों में हैं।
क्षैतिज
1. एक लौह खनिज (9)
2. सीमेंट उद्योग में प्रयुक्त कच्चा माल (9)
3. चुंबकीय गुणों वाला सर्वश्रेष्ठ लोहा (10)
4. उत्कृष्ट कोटि का कठोर कोयला (10)
5. इस अयस्क से एल्यूमिनियम प्राप्त किया जाता है। (7)
6. इस खनिज के लिए खेतरी खदानें प्रसिद्ध हैं। (6)
7. वाष्पीकरण से निर्मित (6)
ऊर्ध्वाधर
1. प्लेसर निक्षेपों से प्राप्त होता है।
2. बेलाडिला में खनन किया जाने वाला लौह-अयस्क (8)
3. विद्युत उद्योग में अपरिहार्य (4)
4. उत्तरी-पूर्वी भारत में मिलने वाले कोयले की भूगर्भिक आयु (8)
5. शिराओं तथा शिरानिक्षेपों में निर्मित (3)