कृषि

कृषि

अध्याय का सारांश

भारत एक कृषि प्रधान देश है। कृषि संपूर्ण भारतीय अर्थव्यवस्था का आधार है। भारत के कुल श्रम का लगभग 2/3 हिस्सा कृषि में लगा हुआ है। भारत के सकल घरेलु उत्पाद में कृषि का 26% का हिस्सा है। भारत शुद्ध बोय गये क्षेत्रफल की दृष्टि से विश्व में प्रथम स्थान पर है। भारत का 143 लाख हेक्टेयर भाग शुद्ध बोये गये क्षेत्र आता है।

स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत में कृषि में त्वरित विकास हुआ और इस विकास के लिए हरित क्रांति अभियान चलाया गया। इस अभियान से जहां भारत खाद्यान उत्पादन में आत्मनिर्भर हो सका वहीं आज कई उत्पदों का निर्यात भी करने लगा है । चावल और गेहूँ उत्पादन में भारत विश्व में दूसरे स्थान पर है। दुग्ध और चाय उत्पादन में पहले स्थान पर फल उत्पादन में भारत का स्थान यद्यपि दूसरा है परंतु आम उत्पादन में भारत का प्रथम स्थान पर है। काजू निर्यात में भारत प्रथम स्थान पर है।

भारत में पशुपालन अपनी विकसित अवस्था में हैं। संसार की लगभग 57% भैंसे भारत में पायी जाती है। विश्व के गोध न का 16% भारत में ही पाया जाता है। भारत की कुल गायों का 2/3 हिस्सा मध्यप्रदेश, उत्तर प्रेदश, बिहार, महाराष्ट्र, उडीसा, कर्नाटक और राजस्थान मेंपाली जाती हैं। भारत में पायी जाने वाली 25% भैसें अकेल उत्तर प्रदेश में है। भेड़ों का 20% राजस्थान में पाया जाता है। भेड़ से ऊन और मांस प्राप्त होता है। 50 प्रतिशत भेड़े, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र, जम्मू और कश्मीर तथा उत्तरप्रदेश में पाली जाती है। भारत में मुर्गीपालन मुख्यतः घरेलु उद्योग के रूप में प्रचलित हैं अपनी लंबी तटरेखा के कारण मछली पालन के लिए एक अत्यंत विकसित और उपयुक्त स्थल है। मत्स्य पालन भारत में तटीय क्षेत्रों के लोग की आजीविका का मुख्य साधन है।

सन् 1950-51 में भारत में 510 लाख टन खाद्यान्न का उत्पादन हुआ था, वही 1999-2000 में यह बढ़कर 2090 लाख टन हो गया। 2001 में भारत में 4 करोड लाख टन खाद्यान्न का भंडारण किया गया।

1990 ई. के बाद वैश्वीकरण के कारण भारतीय किसानों को कई नई चुने का सामना करना पड़ रहा हैं विकसित देशों द्वारा अपने किसानों को अत्यधिक सहायिकी देने के कारण भारतीय कृषि विश्व के उन देशों के साथ स्पर्धा करने में असमर्थ है। भारतीय कृषि को सक्षम और लाभदायक बनाने के लिए सीमांत और छोटे किसानों की स्थिति सुधारने की जरूरत है। कार्बानिक कृषि पर अधिक जोर दिया जाना चाहिए क्योंकि इसका हमारे पर्यावरण पर कोई नकारात्मक असर नहीं होता है। भारतीय किसानों को खाद्यान्नों के स्थान पर फसलें उगानी चाहिए। इसमें उनकी आमदनी भी बढ़ेगी और पर्यावरण निम्नीकरण में भी कमी आएगी।

कृषि Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि का क्या महत्त्व है?
उत्तर-
भारत एक कृषि प्रधान देश है। कृषि संपूर्ण भारतीय अर्थव्यवस्था का आधार है। भारत के कुल श्रम का लगभग 2/3 हिस्सा कृषि में लगा हुआ है। भारत के सकल घरेलु उत्पाद में कृषि का 26% का योगदान है। इन सब कारणों से ही कृषि को भारतीय अर्थव्यवस्था का आधार स्तंभ कहा जाता है।

प्रश्न 2.
भारतीय कृषि के तीन लक्षणों के नाम लिखिए।
उत्तर-
भारतीय कृषि के तीन प्रमुख लक्षण हैं-

  1. मानसून आधारित
  2. कृषि कार्यों में मानसून की महत्वपूर्ण भूमिका।
  3. लगभग 1/3 भाग पर छोटे आकार की जातें।

प्रश्न 3.
रोपण कृषि क्या है?
उत्तर-
यह झाड़ी कृषि या वृक्ष कृषि हैं इस फसल कृषि भी कहा जाता है। इसकां आरंभ 19 वीं शताब्दी में अंग्रेजों ने किया था। इस प्रकार की कृषि में अधिक पूंजी और श्रमिकों की सहायता से की जाती है। इससे प्राप्त सारा उत्पादन उद्योग में कच्चे माल के रूप में प्रयोग होता है।
रोपड़ कृषि में चाय, कॉफी, रबड़, गन्ना, केला इत्यादि महत्त्वपूर्ण रोपण फसले हैं।

प्रश्न 4.
भारत के तीन महत्त्वपूर्ण गेंहूँ उत्पादक राज्यों के नाम लिखिए।
उत्तर-
भारत के तीन महत्त्वपूर्ण गेहूँ उत्पादक राज्य हैं-

  1. उत्तर प्रदेश
  2. पंजाब
  3. हरियाणा।

प्रश्न 5.
देश के गन्ना-उत्पादक तीन राज्यों के नाम लिखिए।
उत्तर-

  1. उत्तर प्रदेश
  2. महाराष्ट्र
  3. कर्नाटक।

प्रश्न 6.
भारत के मसाले उत्पादक तीन राज्यों के नाम लिखिए।
उत्तर-

  1. केरल.
  2. कर्नाटक,
  3. तमिलनाडु।

प्रश्न 7.
भारत में तंबाकू-उत्पादक तीन राज्यों के नाम लिखिए।
उत्तर-

  1. गुजरात,
  2. उत्तरप्रदेश,
  3. आंध्र प्रदेश।

प्रश्न 8.
विश्व में सर्वप्रमुख चावल उत्पादक देश कौन-सा है।
उत्तर-
चीन।

प्रश्न 9.
चावल की कृषि के लिए कितनी वर्षा आवश्यक मानी जाती है?
उत्तर-
100 सेमी.

प्रश्न 10.
भारत से चावल निर्यात होने वाले देश कौन-कौनसे हैं?
उत्तर-

  1. दक्षिण-पूर्वी एशियाई देश,
  2. संयुक्त राज्य अमेरिका,
  3. संयुक्त अबर गणतंत्र।

प्रश्न 11.
तरबूज, ककड़ी, खीरा आदि किस फसल ऋतु की उपज है।
उत्तर-
जायद ऋतु।

प्रश्न 12.
शुष्क कृषि में कितनी फसलें उगाई जाती हैं?
उत्तर-
एक वर्ष में एक।

प्रश्न 13.
भारतीय कृषि मुख्यतः किस पर निर्भर है?
उत्तर-
मानसून पर।

प्रश्न 14.
गेहूँ उत्पादन में संसार में सबसे प्रमुख स्थान किसका है?
उत्तर-
चीन का।

प्रश्न 15.
गेहूँ किस फसल ऋतु से संबंधित हैं?
उत्तर-
रबी।

प्रश्न 16.
गेहूँ उत्पादन में भारत का विश्व में स्थान क्या
उत्तर-
दूसरा।

प्रश्न 17.
देश के कुल कितने भाग में गेहूँ की खेती होती
उत्तर-
कुल बोये गये क्षेत्र के छठे भाग पर।

प्रश्न 18.
भारत में उगने वाले प्रमुख फलों एवं उनके उत्पादक राज्यों के नामों की सूची बनाइए।
उत्तर-
फल – राज्य
संतरा – महाराष्ट्र, मेघालय
आम – बिहार, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र
लीची – बिहार, उत्तर प्रदेश
अमरूद – बिहार, उत्तर प्रदेश
केला – महाराष्ट्र, तमिलनाडु, केरल, मिजोरम
अन्नानास – मेघालय
अंगूर – महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश
सेब, नाशपती अखरोट – हिमाचल प्रदेश, जम्मू और
तथा खूबानी – कश्मीर

प्रश्न 19.
भारत में उगाए जाने वाले मुख्य रेशेदार फसलों के नाम बताइए।
उत्तर-
कपास, जूट, सन और प्राकृतिक रेशम भारत में उगाई जाने वाली चार मुख्य रेशेदार फसलें हैं।

प्रश्न 20.
प्राकृतिक रेशम का उत्पादन कैस किया जाता है?
उत्तर-
प्राकृतिक रेशम, रेशम के कीड़े के कोकून से प्राप्त हो जो मलबरी पेड़ की हरी पत्तियों पर पलता है। रेशम उत्पादन के लिए रेशम के कीड़ों का पालन रेशम उत्पादन कहलाता है।

प्रश्न 21.
रबड़ उत्पादन के लिए आवश्यक भौगोलिक दशाओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
रबड़ भूमध्यरेखीय क्षेत्र की फसल है परंतु विशेष परिस्थितियों में उष्ण और उपोष्ण क्षेत्रों में भी उगाई जाती है। इसको 200 सेमी. से अधिक वर्षा और 25 सेल्सियस से अधिक तापमान वाली नम और आर्द्र जलवायु की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 22.
रबड़ उत्पादक राज्यों की जानकारी दीजिए। रबड़ उत्पादन में भारत का क्या स्थान हैं?
उत्तर-
रबड़ मुख्य रूप से केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, अंडमान निकोबार द्वीप समूह और मेघालय में गारो पहाड़ियों में उगाया जाता है। प्राकृतिक रबड़ के उत्पादन में भारत विश्व में पाँचवा स्थान रखता है।

प्रश्न 23.
सरकार ने कृषि के आधुनिकरण के लिए क्या कदम उठाए हैं?
उत्तर-
कृषि के महत्त्व को समझते हुए भारत सरकार ने इसके आधुनिकीकरण के लिए भरसक प्रयास किए हैं। भारतीय कृषि में सुधार हेतु भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद व कृषि विश्वविद्यालयों की स्थापना, पशु चिकित्सा सेवाएँ और पशु प्रजनन केंद्र की स्थापना, बागवानी विकास, मौसम विज्ञान और मौसम के पूर्वानुमान के क्षेत्र में अनुसंधान और विकास को वरीयता दी गई।

प्रश्न 24.
खाद्य सुरक्षा से आपका क्या तात्पर्य है?
उत्तर-
भोजन एक मूलभूत आवश्यकता है और देश के प्रत्येक नागरिक को ऐसा भोजन मिलना चाहिए जो न्यूनतम पोषण स्तर प्रदान करे। अगर हमारी जनसंख्या के किसी भाग को यह उपलब्ध नहीं होता तो वह खंड खाद्य सुरक्षा से वंचित है |

प्रश्न 25.
सरकार द्वारा कृषि निवेशों पर उपलब्ध सहायिकी ने समग्र कृषि उत्पादन पर विपरीत प्रभाव डाला है। कैसे?
उत्तर-
1. जल और उर्वरकों के अधिक और अविवेकपूर्ण प्रयोग से जलाक्रांतता, लवणता और सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी की समस्याएं पैदा हो गई हैं।
2. ऊँचा न्यूनतम समर्थन मूल्य, निवेशों में साहायिकी और एक एफ सी आई द्वारा शर्तिया खरीद ने शस्य प्रारूप को बिगाड़ दिया है। जो न्यूनतम समर्थन मूल्य उन्हें मिलता है उसके लिए गेहूँ और चावल की अधिक फसलें उगाई जा रही हैं। पंजाब ओर हरियाणा इसक अग्रणी उदाहरण हैं। .

प्रश्न 26.
सरकार द्वारा उपभोक्ताओं का दो भागों में विभिक्ति अपूर्ण क्यों हैं?
उत्तर-
उपभोक्ताओं को दो वर्गों में विभाजित किया गया है –
1. गरीबी रेखा से नीचे (Below Poverty Line – BPL) और गरीबी रेखा से ऊपर (Above Poverty Line – APL) – और प्रत्येक वर्ग के लिए मूल्य पृथक-पृथक हैं। परंतु यह वर्गीकरण पूर्ण नहीं है क्योंकि इससे अनेक हकदार गरीब लोग बी पी एल वर्ग से वंचित हो गए हैं।
2. कई ए पी एल श्रेणी के लोग एक फसल खराब होने से ही बी पी एल श्रेणी के अन्तर्गत आ जाते हैं और प्रशासकीय दृष्टिकोण से ऐसे परिवर्तनों को समायोजित करना मुश्किल हो जाता है।

प्रश्न 27.
वैश्वीकरण के तहत् भारतीय किसानों को किन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है?
उत्तर-
1990 के पश्चात्, वैश्वीकरण के दौरान भारतीय । कृषकों को कई नई समस्याओं का सामना करने के लिए विवश होना पड़ा है। चावल, कपास, रबड़, चाय, कॉफी, जूट और मसालों का मुख्य उत्पादक होने के बावजूद भारतीय कृषि विश्व के विकसित देशों से स्पर्धा करने में असमर्थ है क्योंकि उन देशों में कृषि को अत्यधिक सहायिकी दी जाती है।

प्रश्न 28.
हरित क्रांति विवादों से क्यों घिरी हैं?
उत्तर-
हरित क्रांति ने लंबा-चौड़ा वायदा किया परंतु आज यह कई विवादों से घिरी है। हरितक्रान्ति पर आरोप है कि इसके दौरान रसायनों के अधिक प्रयोग, जलभृतों के सूखने और जैव विविधता विलुप्त होने के कारण भूमि का निम्नीकरण हुआ है।

प्रश्न 29.
खाद्यान्न फसलों की अपेक्षा कीमती फसलों का उत्पादन लाभदायक क्यों हैं?
उत्तर-

  • भारतीय किसानों को शस्यावर्तन करना चाहिए और खाद्यान्नों के स्थान पर बहुमूल्य फसलें उगानी चाहिए। इससे आमदनी अधिक होगी और इसके साथ पर्यावरण निम्नीकरण में कमी आएगी।
  • फलों, औषधीय पौधों, बायो-डीजल फसलों (जटरोफा और जोजोबा), पुष्पों और सब्जियों को उगाने हेतु चावल या गन्ने से बहुत कम सिंचाई की आवश्यकता है।
  • भारत में जलवायु विविधता का विभिन्न प्रकार की बहुमूल्य फसलें उगाकर उपयोग किया जा सकता है।

प्रश्न 30.
आजकल कार्बनिक कृषि का ज्यादा प्रचलन क्यों हैं?
उत्तर-
कार्बनिक (organic) कृषि का आज अधिक प्रचलन है क्योंकि यह उर्वरकों तथा कीटनाशकों जैसे – कारखानों में निर्मित रसायनों के बिना की जाती है। इसलिए पर्यावरण पर इसका नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता।

प्रश्न 31.
अंतर स्पष्ट कीजिए-
(अ) रबी और खरीफ फसलें
उत्तर-
रबी

  1. इसका समय अक्टूबर-नवम्बर से मार्च अपैल तक है।
  2. इसकी प्रमुख फसलें हैं- गेहूँ, जौ, चना तिलहन आदि।

खरीफ

  1. इसका समय जून-जलाई से अक्टूबर-नवम्बर तक है।
  2. चावल, मक्का, ज्वार, मूंगफली आदि इसकी प्रमुख फसलें हैं।

(ब) चाय और कहवा खेती।
उत्तर-
चाय

  1. इसके लिए 20 डिग्री से 30 डिग्री सेमी. तापमान की आवश्यकता होती है।
  2. इसे असम, पश्चिम बंगाल तमिलनाडु और केरल में उगाया जाता है।

कहावा

  1. इसके लिए 15 डिग्री से 28 डिग्री सेमी. तापमान की आवश्यकता होती है।
  2. इसकी खेती नीलगिरि के चारों ओर पाहाड़ियों में केन्द्रित हैं। कर्नाटक, केरल तमिलानाडु इसके मुख्य उत्पादक हैं।

प्रश्न 32.
भारत में गेहूँ उत्पादन पर टिप्पणी लिखिए।
अथवा
चावल के बाद भारत का सर्वाधिक प्रमुख खाद्यान्न कौन-सा है? परिचय दें।
उत्तर-
भारत में चावल के बाद गेहूँ दूसरी सबसे महत्त्वपूर्ण फसल है।

  • भारत में गेहूँ की खेती कुल कृषि भूमि के छठे हिस्से पर की जाती है।
  • गेहूँ भारत के उत्तर-पश्चिमी भागों में उगाया जाता हैं
  • गेहूँ के लिए सामान्यतः 75 सेमी की वर्षा उपयुक्त माना जाती है।
  • गेहूँ की रोपाई के वक्त 10-15 सेमी, तापमान उपर्युक्त रहता है।

प्रश्न 33.
भारत की प्रमुख फलस चक्रों का वर्णन कीजिए।
अथवा
भिन्न-भिन्न प्रमुख फसलों को उनके उपज काल के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
अथवा
भारत में मुख्य फसलें कौन-सी हैं? ये कब-कब उगाई जाती है।
उत्तर-
रबी-रबी फसलों को शीत ऋतु में अक्तूबर से दिसंबर के मध्य बोया जाता है और ग्रीष्म ऋतु में अप्रैल से जून के मध्य काटा जाता है। गेहूँ, जौ, मटर, चना और सरसों कुछ मुख्य रबी फसलें हैं।

खरीफ-खरीफ फसलें देश के विभिन्न क्षेत्रों में मानसून के आगमन के साथ बोई जाती हैं और सितंबर-अक्तूबर में — कटाई की जाती हैं। इस ऋतु में बोई जाने वाली मुख्य फसलों में चावल, मक्का , ज्वार, बाजरा, तुर (अरहर), मूंग, उड़द, कपास, जूट, मूंगफली और सोयाबीन सम्मिलित हैं।

जायद-यह ग्रीष्म कालीन छोटी फसल ऋतु है।
इसमें इन चीजों को उगाया जाता है-चावल, मक्का, सब्जियाँ, तरबूज, ककड़ी-खीरा आदि।

प्रश्न 34.
रेशम उत्पादन से क्या तात्पर्य है? भारत के प्रमुख उत्पादक क्षेत्र कौन-से हैं?
उत्तर-
रेशम के कीड़ों का पालन और उनके माध्यम से धागा तैयार करना रेशम उत्पादन कहलाता है। रेशम उत्पादन के लिए भारत के अग्रलिखित क्षेत्र प्रसिद्ध हैं-

  1. कर्नाटक,
  2. जम्मू और कश्मीर
  3. मध्य प्रदेश
  4. असम
  5. पश्चिम बंगाल।

प्रश्न 35.
रबड़ उत्पादन के क्षेत्र में केरल के अग्रणी होने के दो कारण बतायें।
उत्तर-
केरल के रबड़ उत्पादन के क्षेत्र में अग्रणी होने के प्रमुख कारण निम्नवत् हैं-

  1. रबड के पेड़ों को उच्च तापमान के साथ-साथ वर्ष भर पर्याप्त वर्षा चाहिए केरल में वातावरण इन दोनों को ही उपलब्ध कराता है।
  2. रबड़ इकट्ठा करने के लिए सस्ते मजूदरों की आवश्यकता होती है। केरल में सस्ते मजदूर आसानी से मिल जाते हैं।

प्रश्न 36.
मैक्सिको तथा मध्य अमेरिका, वेनेजुएला, ब्राजील मध्य अफ्रीका, इंडोनेशिया और वियतनाम में, कर्तन दहन प्रणाली’ कृषि को किस नाम से जाना जाता है?
उत्तर-
देश का नाम — ‘कर्तन दहन प्रणाली’ का नाम

मैक्सिको तथा मध्य अमेरिका — मिलपा
वेनेजुएला — कोनको
ब्राजील मध्य — रोका
अफ्रीका — मसोले
इंडोनेशिया — लदांग
वियतनाम — रे

प्रश्न 37.
भारत में कपास उत्पादन पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
HBSE 10th Class Social Science Solutions Chapter 4 कृषि 2


उत्तर-
भारत को कपास के पौधो का मूल स्थान माना जाता है। सूती कपड़ा उद्योग में कपास एक मुख्य कच्चा माल है। कपास उत्पादन में भारत का विश्व में तृतीय स्थान है।

दक्कन पठार के शुष्कतर भागों में काली मिट्टी कपास उत्पादन के लिए उपयुक्त मानी जाती है। इस फसल को उगाने हेतु उच्च तापमान, हल्की वर्षा या सिंचाई, 210 पाला रहित दिन और खिली धूप की आवश्यकता होती है। यह खरीफ की फसल है और इसे पककर तैयार होने में 6 से 8 माह लगते हैं। महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश कपास के मुख्य उत्पादक राज्य हैं।

प्रश्न 38.
भारत में जूट की पैदावार पर एक टिप्पणी लिखिए।
उत्तर-
जूट को सुनहरा रेशा कहा जाता है। जूट की फसल बाढ़ के मैदानों में जलनिकास वाली उर्वरक मिमकी में उगाई जाती है जहाँ प्रत्येक वर्ष बाढ़ से आई नई मिट्टी जमा होती रहती है। इसके बढ़ने के समय उच्च तापमान की आवश्यकता होती है। पश्चिम बंगाल, बिहार, असम और उड़ीसा तथा मेघालय जूट के मुख्य उत्पादक राज्य हैं। इसका प्रयोग बोरियाँ, चटाई, रस्सी, तंतु व धागे, गलीचे और दूसरी दस्तकारी की वस्तुएँ बनाने में किया जाता है। इसकी उच्च लागत के कारण और कृत्रिम रेशों और पैकिंग सामग्री, विशेषकर नाइलोन का मूल्य कम होने के कारण, बाज़ार में रेशम की माँग घट रही है।

प्रश्न 39.
1980-90 के दशकों में भूमि विकास कार्यक्रम के तहत क्या तकनीकी और संस्थागत सुधार लाने की कोशिश हुई?
उत्तर-

  • 1980 तथा 1990 के दशकों में विस्तृत भूमि विकास कार्यक्रम शुरू किया गया जो संस्थागत और तकनीकी सुधारों पर आधारित था। .
  • इस दिशा में उठाए गए कुछ महत्त्वपूर्ण कदमों में सूखा, बाढ़, चक्रवात, अग्नि तथा बीमारी के लिए फसल बीमा के प्रावधान और कृषकों को कम दर पर ऋण सुविधाएँ प्रदान करने के लिए ग्रामीण बैंकों, सहकारी समितियों और बैंकों की स्थापना सम्मिलित थे।
  • किसानों के लाभ हेतु भारत सरकार ने ‘कृषक क्रेडिट कार्ड और व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा योजना (पीएआईएस) भी आरम्भ की है।
  • इसके अतिरिक्त आकाशवाणी और दूरदर्शन पर कृषकों के लिए मौसम-विज्ञान के बुलेटिन और कृषि कार्यक्रम प्रसारित किए जाते हैं। कृषकों को मध्यस्थों और दलालों के शोषण से बचाव हेतु न्यूनतम सहायता मूल्य और कुछ महत्त्वपूर्ण फसलों के लाभदायक खरीद मूल्यों की सरकार घोषणा करती है।

प्रश्न 40.
कृषि में विकास दर की कमी होने के क्या कारण हैं?
अथवा
भारतीय किसानों की समस्याओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
कृषि में विकास दर कम हो रही है जो कि एक चिंताजनक स्थिति है। वर्तमान में भारतीय कृषक को अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा से एक बड़ी चुनौती का सामना कृषि सेक्टर में विशेष रूप से करना पड़ रहा है तथा हमारी सरकार कृषि सेक्टर में विशेष रूप से सिंचाई, ऊर्जा, ग्रामीण सड़कों, मंडियों और यंत्रीकरण में सार्वजनिक पूँजी के निवेश को कम करती जा रही है। रासायनिक उर्वरकों पर सहायिकी कम करने से उत्पादन लागत बढ़ रही है। इसके अतिरिक्त कृषि उत्पादों पर आयात कर घटाने से भी देश में कृषि पर हानिकारक असर पड़ा है। कृषक कृषि में पूँजी निवेश कम कर रहे हैं जिसके कारण कृषि में रोज़गार घट रहे हैं।

प्रश्न 41.
भारत की खाद्य सुरक्षा नीति का प्राथमिक उद्देश्य सामान्य लोगों को खरीद सकने योग्य कीमतों पर खाद्यान्नों की उपलब्धता को सुनिश्चित करना है। समीक्षा कीजिए।
उत्तर-
भारत की खाद्य सुरक्षा नीति का प्राथमिक उद्देश्य सामान्य लोगों को खरीद सकने योग्य मूल्यों पर खाद्यान्नों की उपलब्धता को सुनिश्चित करना है। इससे निर्मान भोजन प्राप्त करने में समर्थ हुए हैं। इस नीति का केन्द्र छषि उत्पादन में वृद्धि और भंडारों को बनाए रखने हेतु चावल और गेहूँ की अधिक प्राप्ति के लिए समर्थन मूल्य को निश्चित करना है। खाद्यान्नों की अधिक प्राप्ति और भंडारण की व्यवस्था फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एफ सी आई) करती है यद्यपि इसके वितरण को सार्वजनिक वितरण प्रणाली सुनिश्चित करती

भारतीय खाद्य निगम (एफ सी आई) सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्यों पर कृषकों से खाद्यान्न प्राप्त करती है।

प्रश्न 42.
भारत में प्रत्येक जिला और ब्लॉक को खाद्यान्नों के पैदावार में किस प्रकार आत्मनिर्भर बनाया जा सकता
उत्तर-

  1. यदि सरकार उपयुक्त कृषि अवसंरचना ऋणों की सुविधा उपलब्ध कराती है और नई प्रौद्योगिकी के प्रयोग को बढ़ावा देती है तो प्रत्येक जिला और ब्लॉक को खाद्यान्नों के पैदावार में आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है।
  2. केवल गेहूँ और चावल पर ध्यान देने की अपेक्षा उस क्षेत्र में उगने वाली सभी खाद्य फसलों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए जिसमें वृद्धि की बेहतर संभावनाएँ हों।
  3. सिंचाई सुविधाओं और विद्युत उपलब्ध करवाने जैसे आवश्यक अवसंरचना को बढ़ावा देने से कृषि में निजी पूँजी निवेश को बढ़ावा मिलेगा।
  4. सतत् पोषणीय आधार पर खाद्यान्न उत्पादन में वृद्धि, और अनाजों के व्यापार को बंधन से मुक्ति से भारी मात्रा में रोजगार पैदा होंगे और ग्रामीण क्षेत्रों में निर्धनता भी घटेगी।

प्रश्न 43.
भारत में कॉफी उत्पादन पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर-
भारत विश्व की लगभग 4% कॉफी का उत्पादन करता है। भारतीय कॉफी अपनी गुणवत्ता के लिए विश्वविख्यात है। हमारे देश में अरेबिका किस्म की कॉफी का उत्पादन होता है जो आरम्भ में यमन से लाई गई थी। इस किस्म की कॉफी की विश्व भर में अधिक माँग है। इसकी छषि का आरम्भ बाबा बूदन पहाड़ियों से हुई और आज भी इसकी खेती नीलगिरि की पहाड़ियों के आस पास कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु में की जाती है।

प्रश्न 44.
प्रारंभिक जीविका निर्वाह कृषि पर एक निबंध लिखिए।
अथवा
‘कर्तन दहन प्रणाली’ कृषि पर एक विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
उत्तर-

  1. प्रारंभिक जीवन निर्वाह कृषि भूमि के छोटे टुकड़ों पर आदिम कृषि औजारों जैसे लकड़ी के हल, डाओ (कंव) और खुदाई करने वाली छड़ी तथा परिवार अथवा समुदाय श्रम की सहायता से की जाती है।
  2. इस प्रकार की कृषि प्रायः मानसून, मिट्टी की प्राकृतिक उर्वरता और फसल उगाने के लिए अन्य पर्यावरणीय परिस्थितियों की उपुयक्तता पर निर्भर करती है।
  3. यह ‘कर्तन दहन प्रणाली’ (slash and burn) कृषि है। कृषक जमीन के टुकड़े साफ करके उन पर अपने परिवार के पालन-पोषण हेतु अनाज व अन्य खाद्य फसलें उगाते हैं।
  4. जब मृदा की उर्वरता कम हो जाती है तो कृषक उस भूमि के टुकड़े से स्थानांतरित हो जाते हैं और कृषि के लिए भूमि का दूसरा टुकड़ा साफ करते हैं।
  5. कृषि के इस प्रकार के स्थानांतरण से प्राकृतिक प्रक्रियाओं द्वारा मिमीक की उर्वरता क्षमता में वृद्धि होती है। चूँकि कृषक उर्वरक अथवा अन्य आधुनिक तकनीकों का प्रयोग नहीं करते, अत: इस प्रकार की कृषि में उत्पादकता कम होती है।
  6. देश के विभिन्न भागों में इस प्रकार की कृषि को विभिन्न नामों से जाना जाता है।
    उत्तर-पूर्वी राज्यों असम, मेघालय, मिजोरम और नागालैंड में इसे ‘झूम’ कहा जाता है मणिपुर में पामलू (pamlou) और छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले और अंडमान निकोबार द्वीप समूह में इसे ‘दीपा’ कहा जाता है।

प्रश्न 45.
‘भुदान-आंदोलन’ पर एक निबंध लिखिए।
उत्तर-
भूदान-आंदोलन-महात्मा गांधी ने विनोबा भावे, जिन्होंने उनके सत्याग्रह में सबसे निष्ठावान सत्याग्रही के समान भागीदारी की थी, को अपना अध्यात्मिक उत्तराधिकारी घोषित किया था। उनकी गांधी जी के ग्राम स्वराज अवधारणा में भी गहन आस्था थी। गांधी जी की शहादत के बाद उनके संदेश को लोगों तक पहुँचाने के लिए विनोबा भावे ने लगभग पूरे देश की पदयात्रा की। एक बार जब वे आंध्र प्रदेश के एक गाँव पोचमपल्ली में बोल रहे थे तो कुछ भूमिहीन गरीब ग्रामीणों ने उनसे अपने आर्थिक भरण-पोषण के लिए कुछ भूमि माँगी। विनोबा भावे ने उनसे तुरंत कोई वायदा तो नहीं किया परंतु उनको आश्वासन दिया कि यदि वे सहकारी खेती करें तो वे भारत सरकार से बात करके उनके लिए जमीन मुहैया करवाएँगे।

अकस्मात् श्री राम चन्द्र रेड्डी उठ खड़े हुए और उन्होंने 80 भूमिहीन ग्रामीणों को 80 एकड़ भूमि बाँटने की पेशकश की। इसे ‘भूदान’ के नाम से अभिहित किया। बाद में विनोबा भावे ने यात्राएँ की और अपना यह विचार सम्पूर्ण भारत में फैलाया। कुछ जमींदारों ने, जो अनेक गाँवों के मालिक थे, भूमिहीनों को पूरा गाँव देने की पेशकश भी की। इसे ‘ग्रामदान’ कहा गया। परंतु कुछ जमींदारों ने तो भूमि सीमा कानून से बचने के लिए अपनी भूमि का एक भाग दान किया था। विनोबा भावे द्वारा शुरू किए गए इस भूदान-ग्रामदान आंदोलन को ‘रक्तहीन क्रांति’ का नाम दिया गया।

प्रश्न 46.
छोटे किसानों की सुरक्षा बिना खाद्य सुरक्षा संभव नहीं है। विवेचना कीजिए।
उत्तर-

  1. कृषकों को मुफ्त बिजली उपलब्ध करवाने के कारण जल-सघन फसलें उगाने हेतु कुछ क्षेत्र के कृषकों को सिंचाई हेतु अधिकाधिक भूमिगत जल को पंपों के द्वारा निकालने का प्रोत्साहन मिला। न्यूनतम वर्षा वाले क्षेत्रों जैसे पंजाब में चावल तथा महाराष्ट्र में गन्ने की खेती इसके उदाहरण हैं। इससे भूमिगत जलभृत् (Aquifer) में जल का भंडारण कम होता जा रहा है।
  2. परिणामस्वरूप कई कुएँ और नलकूप सूख गए हैं। इससे सीमांत और छोटे कृषक कृषि छोड़ने पर मजबूर हो गए हैं।
  3. बड़े कृषकों को उनके गहन विवश हो नलकूपों से अभी भी पानी उपलब्ध है परंतु बहुत से दूसरे किसान जल के अभाव की समस्या का सामना कर रहे हैं।
  4. अपर्याप्त भंडारण सुविधाएँ और बाज़ार के आभाव में भी किसान हतोत्साहित होते हैं। इस प्रकार किसान उत्पादन और बाज़ार की अनियमितता से बुरी तरह प्रभावित होते हैं।
  5. उनको दोहरा नुकसान उठाना पड़ता है।, एक तो उन्हें कृषि लागतों जैसे उच्च पैदावार वाले बीजों, उर्वरकों इत्यादि के लिए अधिक मूल्य देना पड़ता हैं।
  6. दूसरी ओर खरीद मूल्य बढ़ाने के लिए संघर्षरत है। कृषकों की पैदावार एक साथ मंडी में पहुँचती है जिसके कारण खरीद मूल्य कम मिलता है परंतु उन्हें विवशतापूर्वक में अपने उत्पाद बेचने पड़ते हैं। अतः, छोटे किसानों की सुरक्षा बिना खाद्य सुरक्षा संभव नहीं है।

प्रश्न 47.
भारत की किन्हीं 5 नगदी फसलों का परिचय दीजिए।
उत्तर-
गन्ना – गन्ना एक उष्ण और उपोष्ण कटिबंधीय फसल है। यह फसल 21° सेल्सियस से 27° सेल्सियस तापमान
और 75 सेमी. से 100 सेमी. वार्षिक वर्षा वाली उष्ण और 6 जलवायु में बोई जाती है। ब्राजील के पश्चात् भारत गन्ने का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक और हरियाणा गन्ना के मुख्य उत्पादक राज्य हैं।

रबड़ – रबड़ के उत्पादन में भारत विश्व में पाँचवा स्थान रखता है।रबड़ भूमध्यरेखीय क्षेत्र की फसल है। इसे मुख्य रूप से केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, अंडमान निकोबार द्वीप समूह और मेघालय में गारो पहाड़ियों में उगाया जाता है।

तम्बाकू-यह उष्ण और उपोष्ण कटिबंधीय पौधों है। इसे 16 डिग्री से 35 डिग्री के विभिन्न तापमानों पर उगाया जाता है। इसके प्रमुख उत्पादक राज्य हैं-गुजरात, उत्तरप्रदेश, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक।

मसाले-मसाले के उत्पादन में भारत का प्राचीन काल से ही प्रमुख स्थान रहा है। मसाला उत्पादन में भारत का विश्व में दूसरे स्थान पर है। केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु मसाला उत्पादन के प्रमुख क्षेत्र हैं।

फल-फल और शाक-सब्जियों के उत्पादन में भारत का विश्व में दूसरा स्थान है।

भारत काजू का सबसे बड़ा निर्यातक देश है। आम और केले उत्पादन में भारत का सबसे पहला स्थान है। केले के कुल उत्पादन का 50% तमिलनाडु और महाराष्ट्र से आता है।

प्रश्न 48.
रागी और बाजरा के उत्पादन के लिए सर्वाधिक उपयुक्त मिट्टी का नाम बताइए। ये फसलें किन क्षेत्रों में उपजाई जाती है?
उत्तर-
रागी-रागी शुष्क प्रदेशों की फसल है। और यह लाल, काली बलुआ, दोमट और उथली काली मिट्टी पर अच्छी तरह उगायी जाती है।

कर्नाटक रागी का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है और इसके बाद तमिलनाडु दूसरा प्रमुख राज्य है। इन दोनो राज्यों के अलावा हिमाचल प्रदेश, उतरांचल, सिक्किम, झारखंड और अरूणाचल प्रदेश में भी यह फसल उपजाई जाती है।

बाजरा-यह बलुआ और उथली काली मिट्टी पर उगाया जाता है। राजस्थान बाजरा का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है और उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात और हरियाणा इसके अन्य मुख्य उत्पादक राज्य हैं।

कृषि Textbook Questions and Answers

1. बहुवैकल्पिक प्रश्न

(i) निम्नलिखित में से कौन-सा उस कृषि प्रणाली को दर्शाता है जिसमें एक ही फसल लंबे-चौड़े क्षेत्र में उगाई जाती है?
(क) स्थानांतरी कृषि
(ख) रोपण कृषि
(ग) बागवानी
(घ) गहन कृषि
उत्तर-
(ख)रोपण कृषि

(ii) इनमें से कौन-सी रबी फसल है?
(क) चावल
(ख) मोटे अनाज
(ग) चना
(घ) कपास
उत्तर-
(ग) चना

(iii) इनमें से कौन-सी एक फलीदार फसल है?
(क) दालें
(ख) मोटे अनाज
(ग) ज्वार तिल
(घ) तिल
उत्तर-
(ख) दालें

(iv) सरकार निम्नलिखित में से कौन-सी घोषणा फसलों को सहायता देने के लिए करती है?
(क) अधिकतम सहायता मूल्य
(ख) न्यूनतम सहायता मूल्य
(ग) मध्यम सहायता मूल्य
(घ) प्रभावी सहायता मूल्य
उत्तर-
(ख) न्यूनतम सहायता मूल्य

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए।

(i) एक पेय फसल का नाम बताएँ तथा उसको उगाने के लिए अनकल भौगोलिक परिस्थितियों का विवरण दें।
उत्तर-

  1. चाय एक पेय पदार्थ की फसल है। यह पौधा उष्ण और उपोष्ण कटिबंधीय जलवायु, ह्यूमस और जीवांश युक्त गहन मृदा तथा सुगम जल निकास वाले ढलवां क्षेत्रों उगाया जाता है। वर्ष भर समान रूप से होने वाली वर्षा की आवश्यकता होती है।
  2. चाय की झाड़ियों को उगाने के लिए वर्ष भर कोष्ण नम और पालरहित जलवायु की आवश्यकता होती है।?
  3. वर्ष भर समान रूप से होने वाली वर्षा की बौछारे इसकी कोमल पत्तियों के विकास में सहायक होती है।
  4. चाय एक श्रम-सघन उद्योग है। इसके लिए प्रचुर मात्रा में सस्ता और कुशल श्रम चाहिए।

(ii) भारत की एक खाद्य फसल का नाम बताएँ और जहाँ यह पैदा की जाती है उन क्षेत्रों का विवरण दें।
उत्तर-
भारत में अधिकांश लोगों का खाद्यान्न चावल है। यह उत्तर और उत्तर-पूर्वी मैदानों, तटीय क्षेत्रों और डेल्टाई प्रदेशों में उगाया जाता है। नहरों के जाल और नलकूपों की अधिकता के कारण पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तरप्रदेश और राजस्थान के कुछ कम वर्षा वाले क्षेत्रों में चावल की फसल उगाना सम्भव हो सका है।

(iii) सरकार द्वारा किसानों के हित में किए गए संस्थागत सुधार कार्यक्रमों की सूची बनाएँ।
उत्तर-
सरकार द्वारा कृषकों के हित में किये गये संस्थागत सुधार कार्यक्रम निम्नलिखित है
-जीवों की चकबन्दी, सहकारिता तथा जमींदारी आदि समाप्त करने की प्राथमिकता दी गई
-पैकेज टेक्नोलॉजी पर आधारित हरित क्रान्ति तथा श्वेत क्रान्ति जैसी रणनीतिया आरम्भ की गई ___-1980 तथा 1990 के दशकों में विस्तृत भूमि विकास कार्यक्रम का आरम्भ
-फसल बीमा प्रावधान तथा कृषकों को कम दर पर ऋण
-किसान क्रेडिट कार्ड और व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा योजना
-आकाशवाणी और दूरदर्शन पर कृषि दर्शन

(iv) दिन-प्रतिदिन कृषि के अंतर्गत भूमि कम हो रही है। क्या आप इसके परिणामों की कल्पना कर सकते
उत्तर-
(क) दिन-प्रतिदिन कृषि के अंतर्गत भूमि कम होने से निम्नलिखित दुष्परिणाम हो सकते हैं-

  1. देश की बढ़ती जनसंख्या के कारण कृषि के अन्तर्गत भूमि कम होने से देश में सभी लोगों को खाद्यान्न उपलब्ध कराना संभव नहीं होगा।
  2. उत्पादन बढ़ाने के लिए रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग करना पड़ेगा जिससे भूमि की उर्वरा-शक्ति कम हो जाएगी।
  3. कम उत्पादन के कारण मंहगाई बढ़ेगी।
  4. कृषि में छुपी बेरोजगारी भी बढ़ जाएगी।
  5. खाद्यान्न उत्पादन में कमी होने पर विदेशों से खाद्यान्न का आयात करना पड़ेगा जिससे विदेशी मुद्रा भंडार में कमी आ सकती है।

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 120 शब्दों में दीजिए।

(i) कृषि उत्पादन में वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा किए गए उपाय सुझाइए।
उत्तर-
कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी है कृषि के महत्त्व को समझते हुए कृषि उत्पादन में वृद्धि सुनिश्चित करने हेतु सरकार द्वारा किये गये उपाय निम्नलिखित है-

(क) सरकार द्वारा खेतों की चकबन्दी की गई ताकि भूमि पुश्तेंगी अधिकार के कारण भूमि टुकड़ों में न बँटती रहे।
(ख) कृषकों को कम दर पर ऋण सुविधाएँ प्रदान करने हेतु ग्रामीण बैंकों, सहकारी समितियों और बैंकों की स्थापना की गई।
(ग) भारतीय कृषि में सुधार हेतु भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद व कृषि विश्वविद्यालयों की स्थापना, पशु चिकित्सा सेवाएँ और प्रजनन केन्द्र की स्थापना, बागवानी विकास, मौसम विज्ञान और मौसम के पूर्वानुमान के क्षेत्र में अनुसंधान और विकास को वरीयता दी गई।
(घ) सिंचाई परियोजनाओं का निर्माण किया गया जिससे कृषि हेतु सिंचाई का उचित प्रबन्ध हो सके।

(ii) भारतीय कृषि पर वैश्वीकरण के प्रभाव पर टिप्पणी लिखें।
उत्तर-
भारतीय कृषि पर वैश्वीकरण का प्रभाव-वैश्वीकरण से तात्पर्य किसी उत्पादन का विश्व के देशों के समक्ष प्रदर्शन करना ताकि विश्व बाजार में यह प्रतिस्पर्धा हो सके।

ब्रिटिश काल में अंग्रेज व्यापारी भारत के पास को वस्त्र उद्योग हेतु आयात करते थे। मैनचेस्टर ओर लिवरपुल में सूती वस्त्र उद्योग भारत में पैदा होने वाली उत्तम किस्म की उपलब्धता पर फलीफूली।

1917 में बिहार में चम्पारन आन्दोलन की शुरूआत इसलिये कि इस क्षेत्र में कृषकों पर नील की कृषि करने हेतु दवाब डाला गया था। नील ब्रिटेन के सूती वस्त्र उद्योग के लिए कच्चा माल था। इसके फलस्वरूप किसान भड़के क्योंकि उन्हें अपने उपभोग हेतु अनाज उगाने से मना कर दिया गया था।

1990 के पश्चात्, वैश्वीकरण के दौरान भारतीय कृषकों को कई नई समस्याओं का सामना करने के लिये विवश होना पड़ा है। चावल, कपास, रबड़, चाय, कॉफी, जूट और मसालों का मुख्य उत्पादक होने के बावजूद भारतीय कृषि विश्व के विकसित देशों में स्पर्धा करने में असमर्थ है क्योंकि उन देशों में कृषि को अत्यधिक सहायिकी दी जाती है।

(iii) चावल की खेती के लिए उपयुक्त भौगोलिक परिस्थितियों का वर्णन करें।
उत्तर-
चावल उत्पादन हेतु भौगोलिक परिस्थितियाँ-भारत चीन के दूसरा बड़ा चावल उत्पादक देश है।
(क) यह खरीफ की फसल है जिसे उगाने के लिए उच्च तापमान (25 डिग्री सेल्सियस से ऊपर) और अधिक आर्द्रता (100 सेमी. से अधिक वर्षा) की आवश्यकता होती है। कम वर्षा वाले क्षेत्रों में इसे सिंचाई करके उगाया जाता है।
(ख) चावल उत्पादन के लिए जलोढ़ मृदा सबसे उपयुक्त होती है।
(ग) चावल उत्तर और उत्तर-पूर्वी मैदानों, तटीय क्षेत्रों और डेल्टाई प्रदेशों में उगाया जाता है।
(घ) चावल का उत्पादन पश्चिमी बंगाल, उड़ीसा, आन्द्रप्रदेश तथा बिहार में अधिक होता है।

नहरों के जाल और नलकूपों की सघनता के कारण पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तरप्रदेश और राजस्थान के कुछ वर्षा होने वाले क्षेत्रों में चावल की फसल उगाना सम्भव हो सका है।

परियोजना कार्य

1. किसानों की साक्षरता विषय पर एक सामूहिक वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन करें।
उत्तर-
विद्यार्थी अपने शिक्षक की सहायता से सामूहिक वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन कर सकते हैं।

2. भारत के मानचित्र में गेहूँ उत्पादन क्षेत्र दर्शाइए।
उत्तर-
HBSE 10th Class Social Science Solutions Chapter 4 कृषि 4

क्रियाकलाप

ऊपर-नीचे और दायें-बायें चलते हुए वर्ग पहेली को . सुलझाएँ और छिपे उत्तर ढूँढ़ें।
HBSE 10th Class Social Science Solutions Chapter 4 कृषि 1

(i) भारत की दो खाद्य फसलें।
उत्तर-
गेहूँ, (Wheat), चावल (Rice),

(ii) यह भारत की ग्रीष्म फसल ऋतु है।
उत्तर-
खरीफ (Kharif)।

(iii)अरहर, मूंग, चना, उड़द जैसी दालों से… मिलता
उत्तर-
प्रोटीन (Protein)।

(vi) यह एक मोटा अनाज है।
उत्तर-
ज्वार (Jowar)|

(v) भारत की दो महत्त्वपूर्ण पेय फसल हैं
उत्तर-
चाय, (Tea) कॉफी (Coffee)।

(vi) काली मिट्टी पर उगाई जाने वाली चार रेशेदार फसलों में से एका
उत्तर-
कपास (Cotton)।

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