कम्प्यूटर का प्रयोग एवं महत्व

कम्प्यूटर का प्रयोग एवं महत्व

          आज प्रत्येक की जबान पर कम्प्यूटर का नाम है । टी० वी० पर कम्प्यूटर का प्रचार खूब हो रहा है। रेडियो, समाचार पत्र और सिनेमा ग्रहों में कम्प्यूटर पर एक चर्चा, विज्ञापन, प्रचार और बुद्धिजीवी के लिए चिन्तन का विषय बन गया है। हमारे वर्तमान प्रधानमंत्री ने जब से यह कहा है कि भारत को अपनी प्रगति और उन्नति के चरम- शिखर पर पहुँचने के लिये इक्कीसवीं शताब्दी.. में प्रवेश करने को महत्वपूर्ण मानना होगा अर्थात् आज १९८५ में हमें आगामी १५ वर्षों की यात्रा कम्प्यूटर का प्रयोग एवं महत्व १. जिस तीव्र गति से करनी होगी जो विश्व में गर्व, गौरव और शान से जीवित रहने के लिये परमावश्यक है तो सामान्य या विशेष मानव मस्तिष्क नहीं वरन् कम्प्यूटर प्रणाली से आगे बढ़ना होगा अर्थात् १५ वर्षों में आगामी १०० वर्षों की यात्रा करनी होगी और यह गति बिना कम्प्यूटर की सहायता के प्राप्त नहीं हो सकती। यही कारण है कि क्या शिक्षा क्षेत्र, क्या अनुभव होने प्रस्तावना | प्रशासनिक क्षेत्र सभी में कम्प्यूटर प्रणाली को अविलम्ब प्राप्त करने की आवश्यकता लगी है। मनुष्य की व्यस्तता, विज्ञान की प्रगति के कारण चारों ओर ज्ञान का जो विस्फोट हो रहा है तथा विश्व के तीन शक्तिशाली देश-जिसे द्रुतगति से सृष्टि को अपनी मुट्ठी में बन्द करने के लिए लालायित हैं, उस दृष्टि से प्रत्येक क्षेत्र में आगे बढ़ने, समृद्ध होने और अपने देश की अखण्डता तथा प्रभुसत्ता की रक्षा के लिए कम्प्यूटर का प्रयोग आवश्यक ही नहीं अनिवार्य बन गया है ।
          प्रश्न उठता है कि कम्प्यूटर क्या है ? जिसने सृष्टि की सुन्दरतम रचना मानव की बुद्धि को भी धत्ता बता दिया है तथा जो अनेक प्रतिभाशाली मस्तिष्कों का एकात्मक रूप-सा दिखाई पड़ता है, आखिर है क्या ? प्राचीन काल से ही मानव अंकगणित का प्रयोग करता आ रहा है। अंकों के इस प्रयोग को सरल, सुलभ तथा आसान बनाने के लिए अनेक पूरक विधियों का विकास हुआ और ईसा से लगभग ४ हजार वर्ष पूर्व एक विधि “गणक पटल” का निर्माण हुआ। यह गणक पटल आयाताकार होता था जिसमें कई तार समान्तर लगे होते हैं और तारों के बीच गोल दाने होते हैं। ये गोल दाने तार के इस सिरे से उस सिरे तक सरलता से खिसकाये जा सकते थे । आज भी गणक पटल बच्चों को गिनती और पहाड़े याद करने के काम आता है। व्यवसाय का विस्तार और प्रगति जैसे-जैसे होती गई वैसे ही अंकगणित को आधुनिक बनाने की दिशा में भी वैज्ञानिकों का मस्तिष्क काम कर रहा था। सामाजिक जीवन और इंजीनियरिंग क्षेत्र में गणित की गिनतियाँ जटिल तथा विस्तृत होती गई। विचार आया कि युद्ध के समय बम वर्षक, विमान, पनडुब्बी पर लगी अधिक रेंज वाली बन्दूकें तथा टैंक किस विधि से शत्रु के निश्चित ठिकाने पर हमला करके भी शत्रु की मार से सुरक्षित रहे, ऐसे प्रश्न सामने थे। प्रश्न था कि भयंकर शस्त्रों की मारक गति इतनी तीव्र तथा नियन्त्रित कैसे ही जाये कि शत्रु के ठिकानों को अचूक रूप में नष्ट किया जा सके। अतः इस गति की गणना इतनी विस्तृत तथा जटिल हो गई कि मानव मस्तिष्क सप्ताहों तक गणना करके भी गति की गणना को सही नहीं कर सकेगा, साथ ही गणना सही है, उसमें कहीं रत्ती भर भी भूल नहीं हुई इसकी गारण्टी कौन ले। इस भागती हुई दुनिया को एक ऐसी मशीन की आवश्यकता पड़ी जो अति तीव्र गति से सही गणना करके बस आवश्यकता को पूरा कर सके और मानव का लम्बा, कठिन श्रम बच जाये। गणना में त्रुटि होने से बच जाये। विश्वासपूर्वक सही की गारण्टी ली- दी जा सके। बस अनेक ऐसे मस्तिष्कों का एक रूपात्मक तथा समन्वयात्मक योग और गुणात्मक घनत्व है जो तीव्रतम गति से न्यूनतम समय में सही गणना कर सके या यो कहिए कि त्रुटिहीन से गणना कर सके। इस कम्प्यूटर मशीन के पाँच मुख्य भाग होते हैं—
          १. मैमोरी या स्मरण यंत्र जिसमें सभी प्रकार की सूचनायें भरी जाती हैं। इन्हीं के आधार पर कम्प्यूटर गणना करता है ।
          २. कण्ट्रोल या नियंत्रण कक्ष — इस कक्ष के परिणाम से यह पता चलता है कि कम्प्यूटर अपेक्षित गणना को सही कर रहा है या कहीं त्रुटिपूर्ण गणना हो गई है ।
          ३. अंकगणित का अंग – इस हिस्से द्वारा गणना सम्बन्धी प्रक्रिया सम्पन्न होती है.
          ४. इनपुट यन्त्र या आन्तरिक यन्त्र भाग – इस भाग में ही सब प्रकार की जानकारियों या उससे सम्बन्धित निर्देश संकलित रहते हैं।.
          ५. आउटपुट यन्त्र – बाह्य यन्त्र भाग – कम्प्यूटर प्रणाली में इन चारों अंगों की प्रक्रिया के द्वारा जो सूचनायें संकलित हुईं उनका विश्लेषण करना और सम्भावित परिणाम को बताना जिसको कि छाप कर घोषित किया जाता है I
          सूचनायें एकत्र करने के लिए कम्प्यूटर में अलग भाषा और संकेत भरे जाते हैं, हिन्दी या अंग्रेजी अथवा अन्य किसी भी भाषा की वर्णमाला याँ अक्षर नहीं होते। अतः सभी सूचनाओं को पहले कम्प्यूटर भाषा में परिवर्तित किया जाता है जो तकनीक दृष्टि से ‘ऑफ’, ‘ऑन’, शून्य तथा एक है जिनको द्विचर संख्या कहते हैं। इन ‘बिट्स’ के द्वारा ही भाषा को अंकों में बदलते हैं। कम्प्यूटर प्रणाली में ६ बिट्स को ६४ विधियों में प्रयुक्त कर सकते हैं। मान लीजिए कि हमें कम्प्यूटर में वर्णमाला या अंकों के लिए ६ बिट्स का प्रयोग करना है तो संख्या ३ को कम्प्यूटर शैली में ००००११ के द्वारा प्रगट करेंगे। उसी प्रकार संख्या ५ को ०००१०१ से प्रगट करेंगे । कम्प्यूटर के इन पुट उपकरण में जिसे कि बोर्ड या कुंजीपटल कहते हैं, पर अंग्रेजी के २६ वर्णों, .१० अंकों, आवश्यक विराम चिन्हों को गणित सम्बन्धी कुछ संकेतों से प्रगट करते हैं। यह जानकारी बिट्स में बदल जाती है। अन्त में नियन्त्रण उपकरण की सहायता से विश्लेषण तैयार होता है और अन्तिम परिणाम कम्प्यूटर टर्मिनल पर छपकर बाहर आ जाता है। कम्प्यूटर जटिल मस्तिष्कों की जटिल यान्त्रिक प्रक्रिया कहा जाता है।
          कम्प्यूटर का प्रयोग अब हर बड़े व्यवसाय, तकनीकी संस्थान, बड़े-बड़े प्रतिष्ठानों की गणितीय गणना, समूह रूप में बड़े-बड़े उत्पादनों का लेखा-जोखा, भावी उत्पादन का अनुमान, बड़ी-बड़ी मशीनों की परीक्षा और भविष्य गणना, गणना परीक्षाफलों को विस्तृत विशाल गणना, वर्गीकरण, जोड़ घटाव, गुणा, भाग अन्तरिक्ष यात्रा, मौसम सम्बन्धी जानकारी, भविष्यवाणियाँ, व्यवसाय, चिकित्सा और अखबारी दुनिया में आज कम्प्यूटर प्रणाली ही सर्वाधिक उपयोगी और त्रुटिहीन जानकारी देती है। सन् १९८४ का जो लोक सभा और १९८५ में जो विधान सभाओं का चुनाव लड़ा गया, उसके मूल में कम्प्यूटर प्रणाली की भविष्यवाणी ही है जिसके विश्लेषण से यह पता लगाया गया था कि जनता का बहुमत किस पार्टी के पक्ष में है और काँग्रेस आई को विश्लेषण का परिणाम जैसे ही अनुकूल लगा कि चुनाव की घोषणा हो गई । २३ जून, १९८५ को भारत का एक बोइंग विमान ‘कनिष्क’ जो अपने ३२९ यात्रियों और चालक दल के साथ आकाश में ही टुकड़े होकर अटलांटिक महासागर में गिर कर पूर्णतः नष्ट ही नहीं हो गया सभी यात्री कुराल काल के गाल में समा गये। इस ‘कनिष्क’ जहाज के जिस ‘ब्लेक बौक्स’ की तत्परता से खोज की जा रही है और जिसके मिलते ही दुर्घटना के कारणों का स्पष्ट तथा सही पता लग जायेगा उसमें पूर्ण सुरक्षित और नियन्त्रित रूप में यह कम्प्यूटर विशेष रक्षात्मक धातुओं से संरक्षित है तथा फ्लाइट रिकार्डर में भी यह कम्प्यूटर ही कार्य करता है । विगत कई वर्षों से उत्तर प्रदेश का इलाहाबाद बोर्ड अपने परीक्षाफल कम्प्यूटर प्रणाली से ही तैयार करता है। परीक्षा संस्था की दृष्टि से यह बोर्ड (परिषद्) विश्व में सबसे बड़ा है जिसमें १० से १२ लाख तक छात्र-छात्राएँ परीक्षा देते हैं ।
          एक रोचक प्रश्न अवश्य उठता है कि मानव मस्तिष्क और कम्प्यूटर में क्या अन्तर है तथा दोनों में कौन श्रेष्ठ है? निःसन्देह मानव मस्तिष्क ही श्रेष्ठ है क्योंकि कम्प्यूटर प्रणाली का निर्माण भी तो मानव मस्तिष्क ने ही किया है । मानव मस्तिष्क में खोज और आविष्कार की जो चेतना है, चिन्तन और विचार है, अनुभूति की क्षमता है, अच्छे-बुरे की परख है वह कम्प्यूटर में नहीं है, वहाँ तो आँकड़ों की गति युक्त गणना है और वे आँकड़े किसी परिस्थिति के प्रभाव के विश्लेषण की उपलब्धि हैं जिनकी गणना त्रुटिपूर्ण भी हो सकती है, भविष्य फल गलत भी हो सकता है। वहाँ कठिन नियन्त्रण, एक वैज्ञानिक प्रक्रिया और जटिल गणना है, इस प्रक्रिया में बीच में किसी कारण तनिक भी त्रुटि हो गई तो सारी गणना का प्रतिफल ही उलट जायेगा। दूसरे मानव को कलात्मक कृति,संगीत, पेंटिंग रिझा सकती है, बोर कर सकती है, उसकी पसन्द नापसन्द हो सकती है। मनुष्य का ज्ञान, आम रुचि, अनुभव चिन्तन, विचार क्रिया को प्रभावित कर सकते हैं किन्तु कम्प्यूटर का मस्तिष्क इन सबसे परे यांत्रिक गति के नियन्त्रण में आबद्ध है । वह तो भावना शून्य होता है, मानव के समान निर्णय लेने की शक्ति उसमें नहीं है । कम्प्यूटर आदमी की तरह स्वयं कुछ भी नहीं सोच सकता। किन्तु इस पर भी मानव मस्तिष्क में अनेक त्रुटियाँ, कमियाँ हैं। वह अब रुकता है, एक ही परिस्थिति में उसके निष्कर्ष भिन्न-भिन्न हो सकते हैं, गणना में दोष रह सकता है। निरन्तर बिना थके एक ही गति से कार्य नहीं कर सकता आदि । अतः कम्प्यूटर मानव मस्तिष्क की इन त्रुटियों को दूर करता है। गणना लम्बी और जटिल हो, शुद्ध और जटिल गणना शीघ्र मानव मस्तिष्क नहीं कर सकता तब कम्प्यूटर ही काम करता है । कम्प्यूटर की स्मरण शक्ति असीमित है। मनुष्य बहुत प्रयत्न के बाद भी जब तथ्यों, नामों, स्थानों और सूचनाओं को स्मरण नहीं कर पाता तब कम्प्यूटर ये सारे काम आनन-फानन में कर डालता है। नाम, तिथि, स्थल सरलता से कम्प्यूटर प्रणाली से ज्ञात और स्मरण हो सकते हैं ।
          आंकिक कार्यों के करने की गति, इलेक्ट्रोनिक्स की प्रगति में कम्प्यूटर प्रणाली का सर्वाधिक योगदान है। आधुनिक कम्प्यूटर एक सेकण्ड में दस लाख तक की गणना सरलता से कर देता है। बिना थके,बिना ध्यान बटे शुद्ध गणना ही कम्प्यूटर की विशेषता है। आज आटोमोबाइल इण्डस्ट्रीज, चिकित्सा क्षेत्र, मौसम की आगामी सूचनाओं के सही संग्रह में कम्प्यूटर बेजोड़ है। कम्प्यूटर के कारण प्रत्येक क्षेत्र में विकास की गति १० गुणी से लेकर हजार गुणी तक बढ़ सकेगी। डिजाइन के क्षेत्र में तो कम्प्यूटर ने एक क्रान्ति ला दी है। ऑटोमोबाइल उद्योग में तो दस व्यक्ति दस सप्ताह में चौबीस घण्टे कठिन परिश्रम करके जितनी गणना का कार्य करेंगे, कम्प्यूटर उसे एक घण्टे में कर देगा। चिकित्सा विज्ञान में उपचार क्षमता में वृद्धि तथा शोध के नवीन आँकड़ों की उपलब्धि में कम्प्यूटर का ही योगदान है। भविष्य में कम्प्यूटर मानव विकास का अचूक हथियार सिद्ध होगा। कम्प्यूटर अकल्पनीय बातों को साकार कर रहा है। २१वीं सदी में प्रवेश करते-करते कम्प्यूटर द्वारा असम्भव बातें भी सम्भव होती दिखाई पड़ने लगेंगी और इस महान् उपलब्धि से भारतीय वैज्ञानिकों का यश आज भी बढ़ रहा है और २१वीं शताब्दी में गगनचुम्बी हो जायेगा ।
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