उपभोक्ता अधिकार

उपभोक्ता अधिकार

सारांश

कोई भी व्यक्ति जब किसी वस्तु अथवा सेवा की प्राप्ति के लिए धन प्रदान करना है तो उसे उपभोक्ता कहा जाता है। जिनके द्वरा वस्तुओं का उत्पादन होता है वे उत्पादक कहलाते है। वस्तुओं को उत्पादक से उपभोक्ता तक व्यापारियों द्वारा पहुँचाया जाता है।

उत्पादकों व व्यापारियों द्वारा उपभोक्ताओं को उनका संपूर्ण अधिकार प्रदान न किया जाना उपभोक्ता शोषण कहलाता है। उपभोक्ता से अधिक मूल्य वसूलना, उचित माप से कम वस्तु तौलना, निम्न गुणवत्ता की वस्तु देना सभी कुछ उपभोक्ता शोष्क्षण के ही रूप हैं। उपभोक्ता हितों की रक्षा के लिए 1960 के दशक में भारत में व्यवस्थत रूप से उपभोक्ता आंदोलन का उदय हुआ। रैल्फ नाडर को आधुनिक उपभोक्ता हितों के संरक्षण का जनक माना जाता है। यद्यपि इस आंदोलन की शुरुआत इंग्लैंड से हुई तथापि इसकी प्रथम घोषणा का श्रेय अमेरिका को जाता है।

भारत में उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिये विभिन्न स्तरों पर 500 से अधिक उपभोक्ता अदालतों की स्थापना की गई है इनकी प्रक्रिया इतनी सहज है कि उपभोक्ता बिना किसी कानूनी सहायता के अपने मामले की पैरवी स्वयं कर सकता है। उपभोक्ता उदालमों को सभी मामलों को तीन महीने के अदंर निपटारा करने का निर्देश दिया गया है।
उपभोक्ता हितों के संरक्षण के लिए भारत सरकार ने 1986 ई. में उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम बनाया था, जो COPRA के नाम से प्रसिद्ध है। इसके अलावा सार्वजनिक वितरण व्यवस्था की शुरुआत हुई है जिससे आवश्यक वस्तुओं की उपलब्धता व कीमतों की एकरूपता सुनिश्चित किया जा सके।

उपभोक्ता अधिकार Important Questions and Answers

प्रश्न-1
राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग का मुख्यालय कहाँ है?
उत्तर-
नई दिल्ली में।

प्रश्न-2.
सबसे अधिक प्रभावशाली उपभोक्ता न्यायालय का क्या नाम हैं?
उत्तरः
जिला मंचा

प्रश्न-3
उपभोक्ता सुरक्षा कानून कब अस्तित्व में आया। इसमें कब-कब सुधार किये गये? ।
उत्तर-
उपभोक्ता सुरक्षा कानून 1986 में अस्तित्व में आया। इसमें 1991 और 1993 में सुधार किए गये।

प्रश्न-4.
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मानकीकरण करने वाली संस्था कौन-सी है। इसका मुख्यालय कहाँ हैं?
उत्तर-
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मानकीकरण करने वाली संस्था I.S.0 हैं। इसका मुख्यालय जेनेवा में हैं

प्रश्न 5.
विभिन्न वसतुओं और सेवाओं की माँग पर किसका असर प्रमुख रूप से पड़ता है?
उत्तर
विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं की माँग पर सबसे अधिक असर विज्ञापनों का पड़ता है।

प्रश्न 6.
सीमित आपूर्ति से आपका क्या आशय हैं?
उत्तर-
सीमित आपूर्ति का आशय है कि मांग की तुलना में किसी वस्तु का उत्पादन कम होना।

प्रश्न 7.
भारत में व्यवस्थित रूप से उपभोक्ता आंदोलनों का आरंभ कब हुआ?
उत्तर-
भारत में व्यवस्थित रूप से उपभोक्ता आंदोलनों का आरंभ 1980 के उत्तरार्ध और 1990 के पूर्वार्ध में हुआ।

प्रश्न 8.
उपभोक्ता अधिकारों के विषय में सबसे पहली घोषणा कब और कहाँ की गई?
उत्तर-
उपभोक्ता अधिकारों के विषय मे सबसे पहली घोषणा 1962 में संयुक्त राज्य अमेरिका में की गई।

प्रश्न 9.
बी.एस.आई.का मुख्यालय कहाँ हैं?
उत्तर-
नई दिल्ली में।

प्रश्न 10.
किस संस्था के द्वारा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खाद्य सामग्रियों के लिए मानक निर्धारित किये जाते हैं?
उत्तर-
कोडेक्स एलिमेंटेरियस कमीशन -(Codex Alimentarius Commission) द्वारा।

प्रश्न- 11.
हम उत्पादक तथा उपभोक्ता दोनों रूपों में भागीदारी कैसे करते हैं?
उत्तर-
(क) बाजार में हमारी भागीदारी उत्पादक एवं उपभोक्ता दोंनों रूपों में होती है।
(ख) सेवाओं तथा वस्तुओं के उत्पादक के रूप में हम कृषि, उद्योग या सेवा जैसे विभागों में कार्यरत हो सकते हैं। जब हम अपनी आवश्यकतानुसार बाजार से वस्तुओं या सेवाओं को खरीदते हैं तो हमारी भागीदारी उपभोक्ता के रूप में होती हैं।

प्रश्न- 12.
बाजार में लोगों के शोषण के लिये क्या तरीके अपनाये जाते हैं? उदारहण दीजिये।
उत्तर-
बाजार में लोगों का शोषण कई तरीकों से हो सकता
(क) महाजन कर्जदार पर बंधन लगाने के लिए कई दाँव पेच अपनाते हैं। सामयिक ऋण के कारण वे उत्पादक को अपना उत्पाद निम्न दरों पर उन्हें बेचने के लिए मजबूर कर सकते हैं।
(ख) वे लोगों को ऋण चुकाने के लिए अपनी जमीन बेचने के लिए विवश कर सकते हैं।
(ग) असंगठित क्षेत्र में काम करनेवाले बहुत से कार्मिकों को कम वेतन पर कार्य करना पड़ता है।
(घ) साथ ही, उन्हें उन हालातों को झेलना पड़ता है, जो न्यायोजित नहीं होते और उनके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक – भी होते हैं।

प्रश्न-13.
उपभोक्ता आंदोलन की शुरुआत के क्या कारण थे?
उत्तर-
(क) उपभोक्ता आंदोलन की शुरुआत उपभोक्ताओं के असंतोष के कारण हुई, क्योंकि विक्रेता कई अनुचित व्यवसायों में शामिल होते थे।
(ख) बाजार में उपभोक्ता को शोषण से बचाने के लिए कोई कानूनी व्यवस्था उपलब्ध नहीं थी।
(ग) जब कोई उपभोक्ता लम्बे समय तक एक विशेष ब्राण्ड उत्पाद या दुकान से संतुष्ट नहीं होता था तो वह या तो उस उत्पाद को खरीदना बंद कर देता था या उस दुकान से खरीददारी करना बंद कर देता था। यह माना जाता था कि किसी वस्तु अथवा सेवा को खरीदेते समय सावधानी बरतने की जिम्मेदारी उपभोक्ता की है।
(घ) इन्हीं कारणों से उपभोक्ता संस्थाओं का गठन किया गया और उपभोक्ता आंदोलन की शुरुआत हुई। परिणामस्वरूप वस्तुओं व सेवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी विक्रेताओं पर भी डाला गया।

प्रश्न-14.
भारत में 1970 के दशक में उपभोक्ता आंदोलन के विकास में उपभोक्ता संस्थाओं ने क्या योगदान दिया?
उत्तर-
(क) 1960 के दशक में भारत में व्यवस्थित रूप से उपभोक्ता आंदोलन का उदय हुआ।
(ख) 1970 के दशक तक उपभोकता संस्थाओं ने वृहत् स्तर पर उपभोक्ता अधिकार से संबंधित आलेखों के लेखन तथा प्रदर्शनी का आयोजन शुरू किया।
(ग) उन्होंने सड़क यात्री परिवहन में अत्यधिक भीड़-भाड़ और राशन दुकानों में होने वाले अनुचित कार्यों पर नजर रखने के लिए उपभोक्ता दलों का निर्माण किया।
(घ) इन सभी प्रयासों के कारण यह आंदोलन वृहत् स्तर पर उपभोक्ताओं के हितों के खिलाफ और अनुचित व्यवसाय शैली को सुधारने के लिए व्यावसायिक कंपनियों और सरकार दोनों पर दबाव डालने में सफल हुआ।

प्रश्न-15.
उपभोक्ता इंटरनेशनल पर एक संक्षिप्त नोट लिखें।
उत्तर-
(क) संयुक्त राष्ट्र संघ ने 1985 ई. में उपभोक्ता सुरक्षा हेतु कई महत्त्वपूर्ण दिशा निर्देशों को अपनाया।
(ख) यह विभिन्न देशों के उपभोक्ता वकालत दलों के लिए एक हथियार था जिसके माध्यम से वे उपभोक्ता सुरक्षा के लिये उपयुक्त तरीके अपनाने के लिए अपनी सरकारों को मजबूर कर सकते थे।
(ग) यह अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उपभोक्ता आंदोलन का आधार बना।
(घ) आज उपभोक्ता इंटरनेशनल 100 से भी अधिक देशों की 240 संस्थाओं का एक संरक्षक संस्था बन गया है।

प्रश्न-16.
सुरक्षा कानूनों के बावजूद बाजार से बुरे उत्पाद क्यों प्राप्त होते हैं?
उत्तर-
(क) सुरक्षा नियमों व अधिनियमों के बावजूद हमें बाजार से बुरे उत्पाद प्राप्त होते हैं क्योंकि इन नियमों व कानूनों के पालन पर उचित निगाह नहीं रखी जाती हैं और;
(ख) उपभोक्ता आंदोलन भी बहुत ज्यादा मजबूत नहीं है। जिस कारण उपभोक्ता संगठित होकर अपने अधिकारों की रक्षा के लिए लड़ाई नहीं लड़ सकते।।

प्रश्न-17.
वस्तुओ के पैकेट पर किन जानकारियों का होना जरूरी है?
उत्तर-
(क) वस्तुओं के पैकेट पर वस्तु के अवयवों, मूल्य, बैच संख्या, निर्माण की तारीख, खराब होने की अंतिम तिथि तथा वस्तु निर्माता का पता होना जरूरी है।
(ख) उदाहरण के तौर पर जब हम कोई दवा खरीदते हैं तो उस दवा के ‘उचित प्रयोग के बारे में निर्देश’ तथा उस दवा के प्रयोग के अन्य प्रभावों तथा खतरों से संबंधित जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। ठीक इसी तरह वस्त्र खरीदने पर ‘धुलाई संबंधी निर्देश’ प्राप्त किया जा सकता है।

प्रश्न-18.
राइट टू इनफारमेशन एक्ट के महत्त्व को उदाहरण देकर स्पष्ट करें।
उत्तर-
(क) भारत सरकार ने अक्टूबर 2005 ई. में ‘राइट टू इनफारमेशन’ या सूचना पाने का अधिकार कानून पारित किया।
(ख) यह कानून नागरिकों को सरकारी विभागों के क्रियाकलापों की सीभी सूचनाएँ पाने का अधिकार सुनिश्चित करता है।
(ग) अमृता नाम की एक इंजीनियरिंग स्नातक ने नौकरी के लिए साक्षात्कार दिया एवं अपने सभी प्रमाण पत्र भी जमा किये परंतु उसे परिणाम प्राप्त नहीं हुआ। कर्मचारियों ने भी उसके प्रश्नों का उत्तर देने से इनकार कर दिया। तब उसने आर. टी. आई. एक्ट का प्रयोग करते हुए एक प्रार्थना पत्र दिया कि एक उचित समय सीमा के भीतर परिणाम की जानकारी उसका अधिकार था, जिससे वह भविष्य की योजना बना सके।
(घ) उसके प्रयासों का नतीजा यह हुआ कि यथाशीघ्र उसे नियुक्ति पत्र प्राप्त हो गया।

प्रश्न-19.
“जब हम वस्तुएँ खरीदते हैं तो पाते हैं कि कभी-कभी पैकेट पर छपे मूल्य से अधिक या कम मूल्य लिया जाता है।” इसके कारणों का पता लगाइए।
उत्तर-
वस्तुएँ खरीदते वक्त कभी-कभी पैकेट पर छपे मूल्य से अधिक या कम मूल्य लिया जाता है। इसके निम्नलिखित कारण हो सकते है
(क) उपभोक्ता अधिकारों के ज्ञान का अभाव (ख) मुनाफाखोरी (ग) अचानक मूल्य वृद्धि (घ) करो में वृद्धि (ङ) विक्रेता द्वारा शोषण का तरीका।

प्रश्न-20.
चुनने के अधिकार का उल्लंघन कैसे होता है? उदाहरण दीजिये।
उत्तर-
(क) कई बार हमें उन वस्तुओं को खरदीने के लिए भी दबाव डाला जाता है, जिनको खरीदने की हमारी बिल्कुल इच्छा नहीं होती। परंतु चुनाव के लिए हमारे पास कोई विकल्प नहीं होता है।
(ख) उदाहरण के लिए, कभी-कभी जब हम नया गैस कनेक्शन लेते हैं तो डीलर गैस के साथ-साथ चूल्हा भी लेने के लिए हम पर दबाव डालता है। वेसे ही यदि हम एक दंतमंजन खरीदना चाहते हैं और दुकानदार कहता है कि वह हमें दंजमंजन तभी बेच सकता है जब हम दंतमजन के साथ-साथ ब्रश भी खरीदेंगे।

प्रश्न-21.
एक आसान और प्रभावी जन-प्रणाली बनाने की आवश्यकता क्यों है?
उत्तर-
(क) उपभोक्ताओं को अनुचित सौदेबाजी और शोषण के विरुद्ध क्षतिपूर्ति माँगने का अधिकार है।
(ख) यदि किसी उपभोक्ता को कोई क्षति पहुंचाई जाती है, तो क्षति की मात्रा के आधार पर उसे क्षतिपूर्ति पाने का अधि कार होता है। इस कार्य को पूरा करने के लिए एक आसान व प्रभावी जन-प्रणाली बनाने की आवश्यकता है।

प्रश्न-22.
उपभोक्ता अदालत या उपभोक्ता सुरक्षा परिषद् किसे कहते हैं? इनके कार्यों का वर्णन कीजिये।
उत्तर-
भारत में उपभोक्ता आंदोलन ने उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए विभिन्न संगठनों के निर्माण को प्रेरित • किया है; इन्हें सामान्यतः उपभोक्ता अदालत या उपभोक्ता सुरक्षा परिषद् कहा जाता है।
(ख) ये उपभोक्ताओं को उपभोक्ता अदालत में मुकदमा दायर करने की प्रक्रिया के बारे में जानकारी देती हैं।
(ग) कई अवसरों पर ये उपभोक्ता अदालत में उपभोक्ताओं का प्रतिनिधित्व भी करती हैं।
(घ) ये स्वयंसेवी संगठन है जिन्हें जनजागरण पैदा करने के लिए सरकार से वित्तीय सहायता भी प्राप्त होता है।

प्रश्न-23.
विभिन्न वस्तुएँ खरीदते समय आई.एस.आई. लोगों एगमार्क या हॉलमार्क के लोगों क्यों देखना चाहिए?
उत्तर-
(क) विभिन्न वस्तुएँ खरीदते समय हमें आवरण पर लिखे अक्षरों-आई.एस.आई. एगमार्क या हॉलमार्क के लोगों अवश्य देखना चाहिए।
(ख) ये लोगो या प्रमाण चिन्ह हमें अच्छी गुणवत्ता सुनिश्चित करने में मद्द करते हैं।
(ग) उपभोक्ता संगठनों द्वारा नियंत्रित एवं जारी किए जाने वाले इन प्रमाण चिन्हों के प्रयोग की अनुमति उत्पादकों को तब दी जाती है, जब वे निश्चित गुणवत्ता मानकों का पालन करते हैं।

प्रश्न-24.
क्या सभी उत्पादों के लिए मानदण्डों का पालन करना आवश्यक है?
उत्तर-
(क) यद्यपि उपभोक्ता संगठन बहुत से उत्पादों के लिए गुणवत्ता का मानदण्ड विकसित करते हैं, किंतु सभी ‘उत्पादों के लिए इन मानदण्डों का पालन करना जरूरी नहीं होता है।
(ख) तथापि कुछ उत्पादों जो उपभोक्ता की सुरक्षा ओर स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकते हैं तथा जिनका उपयोग बड़े पैमाने पर होता है। इनके उत्पादन के लिए उत्पादकों को इन संगठनों से प्रमाण-पत्र लेना आवश्यक है। जैसे-एल.पी.जी. सिलिंडर्स, खाद्य रंग एवं उसमें प्रयुक्त सामग्री, सीमेंट, बोतल बंद पेयजल आदि।

प्रश्न-25.
राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस कब और क्यों मनाया जाता है?
उत्तर-
(क) प्रतिवर्ष 24 दिसंबर को भारत में राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस मनाया जाता है।
(ख) क्योंकि 1986 ई. में इसी दिन भारतीय संसद ने उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम पारित किया था।

प्रश्न-26.
उपभोक्ता आंदोलन कैसे सफल हो सकता है?
उत्तर-
(क) उपभोक्ता आंदोलन की सफलता के लिए उपभोक्ताओं को अपनी भूमिका तथा महत्त्व जानने की जरूरत
(ख) उपभोक्ताओं की सक्रिया भागीदारी से उपभोक्ता आंदोलन प्रभावी हो सकता है। इसके लिए स्वयंसेवी प्रयास _और सबकी साझेदारी से संघर्ष करना जरूरी है।

प्रश्न-27.
उपभोक्ता अदालतों में शिकायत दर्ज कराने की प्रक्रिया क्या है?
उत्तर-
उपभोक्ता अदालतों में शिकायत दर्ज कराने हेतु किसी विधि विशेषज्ञ या कानूनी सलाहकार की सहायता लेना आवश्यक नहीं है। इन अदालतों में उपभोक्ता स्वयं अपने मामलों की पैरवी कर सकता है। यह प्रक्रिया इतनी सहज व सरल है कि उपभोक्ता सादे कागज पर अपनी शिकायत लिखकर भी दे सकता है। शिकायत के साथ वस्तु की रसीद अवश्य संलग्न करना चाहिए। यही कारण है कि यह कहा जाता है कि कोई भी वस्तु क्यों न खरीदें, रसीद अवश्य प्राप्त करें।

प्रश्न-28.
‘उपभोक्ता सुरक्षा कानून’ 1986 क्यों बनाया गया?
उत्तर-
‘उपभोक्ता सुरक्षा कानून’ 1986 बनाये जाने का मुख्य उद्देश्य उपभोक्ताओं को जिला, राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर, उनके हितों का सरंक्षण प्रदान करना है। इसके साथ ही उपभोक्ता हित से जुड़े मामलों से सम्बन्धित झगड़ों के निपटारे हेतु समितियों का गठन करना भी इस कानून का उद्देश्य है।

प्रश्न-29.
उपभोक्ता सुरक्षा कानून 1986 में दिये गए उपभोक्ताओं के अधिकारों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
उपभोक्ता सुरक्षा कानून 1986 दवारा उपभोक्ता को निम्नलिखित अधिकार दिये गये हैं

  • सुरक्षा का अधिकार-उपभोक्ताओं को यह अधिकार दिया गया है कि वे उन वस्तुओं की बिक्री से अपना बचाव कर सकें, जो उनके जीवन और सम्पत्ति के लिए खतरना हैं।
  • सूचना का अधिकार-इसके अंतर्गत गुणवत्ता, मात्रा, शुद्धता स्तर और मूल्य आदि के विषय में पूर्ण जानकारी प्राप्त करना शामिल है।
  • चुनाव का अधिकार-उपभोक्ताओं को यह अधिकार है कि वे अपनी आवश्यकताओं की वस्तुओं को चुन सकें, जिससे कि वे संतोषजनक गुणवत्ता की वस्तु सही मूल्य में – प्राप्त कर सकें।
  • सुनवाई का अधिकार-उपभोक्ताओं का यह विशेष अधिकार है कि उपभोक्ताओं से जुड़ी संस्थाओं तथा संगठनों पर अपनी समस्याओं की सुनवाई की माँग कर सकें।
  • शिकायतें निपटारे का अधिकार-उपभोक्ताओं को यह अधिकार मिला हुआ है कि शोषण व अनुचित व्यापारिक क्रियाओं के विरुद्ध निदान और शिकायतों का सही प्रकार से निपटारा हो।
  • उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार-उपभोक्ता को यह विशेष अधिकार है कि वह अपने हित से जुड़े मामलों तथा वस्तु विशेष से जुड़ी जानकारी प्राप्त कर सके।

उपभोक्ता अधिकार Textbook Questions and Answers

आओं-इन पर विचार करें (पृष्ठ संख्या 78)

प्रश्न-1.
उपभोक्ता दलों द्वारा कौन-कौन से उपाय अपनाए जा सकते हैं?
उत्तर-

  1. उपभोक्ता के अधिकारों एवं कर्त्तव्य पर लेख लिखना।
  2. उपभोक्ता जागरूकता पर प्रदर्शनी की आयोजन करना।
  3. राशन की दुकानों में अनुचित कार्यो को देख-रेख करना।
  4. सड़क यात्री परिवहन में अत्यधिक भीड़भाड़ पर नजर रखना।
  5. उपभोक्ताओं के हितों के खिलाफ और अनुचित शैली में सुधार के लिए व्यावसायिक कंपनियों और सरकार दोनों पर दबाव डालना।

प्रश्न-2.
नियम और कानून होने के बावजूद उनका अनुपालन नहीं होता है। क्यों? विचार-विमर्श करें।
उत्तर-

  1. कानून लागू करने वाले कर्मचारी भ्रष्ट होते हैं। वे बेईमान व्यापारियों और दुकानदारों से रिश्वत लेकर उन्हें बच निकलने का अवसर देते हैं।
  2. दुकानदार भाई-भतीजावाद का सहारा लेकर भी नियमों और कानूनों को तोड़ते रहते हैं।
  3. अशिक्षा के कारण लोग अनभिज्ञ होते हैं यहाँ तक कि शिक्षित उपभोक्त भी वस्तुओं की कीमत, गुणवत्ता आदि के विषय में कोई परवाह नहीं करते हैं। इसलिए दुकानदारों के लिए संबंधित नियमों और कानूनों को जोड़ना आसान हो जाता
  4. यदि वस्तु की आपूर्ति उसकी मांग की अपेक्षा कम होती है तो उसकी कीमत बढ़ जाती है। इससे विक्रेताओं में जमाखोरी की प्रवृत्ति को बढ़ावा मिलता है।
  5. यदि किसी वस्तु का उतपादन कुछ कंपनियों ही करती हैं तो वह उसकी आपूर्ति कम कर उसकी कीमत बढद्या देती

आओ-इन पर विचार ( पृष्ठ संख्या 79)

प्रश्न-1.
निम्नलिखित उत्पादों/सेवाओं (आप सूची में नया नाम जोड़ सकते हैं) पर चर्चा करें कि इनमें उत्पादकों द्वारा किन सुरक्षा नियमों का पालन करना चाहिए?
(क) एल.पी.जी. सिलिडर, (ख) सिनेमा थिएटर, (ग) सर्कस, (घ) दवाइयाँ, (च) खाद्य तेल, (छ) विवाह पंडाल (ज) एक बहुमंजिली इमारत।
उत्तर-
(क) एल.पी.जी. सिलडर-सिलिंडर की गुणवत्ता एवं सही वजन सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
(ख) सिनेमा थिएटर-निकास द्वार, अग्निशामक यंत्र आदि का समुचित प्रबंध होना चाहिए।
(ग) सर्कस-सर्कस मालिक को अग्निशामक यंत्र, जंगली जानवरों के लिए सुरक्षित पिंजड़ा, प्रशिक्षित कर्मचारी आदि का उचित प्रबंध कर लेना चाहिए।
(घ) दवाइयाँ-इन पर निर्माण की तारीख खराब होने की अंतिम तिथि, बैच संख्या अधिकता खुदरा औरवस्तु के अवयवों की छपाई होनी चाहिए।
(च) खाद्य तेल-इसमें किसी तरह की मिलावट नहीं होनी चाहिए। बोतल पर एगमार्क अवश्य होना चाहिए।
(छ) विवाह पंडाल-सुरक्षित पंडाल, अग्निशामक यंत्र, समुचित विकास द्वार आदि का उचित प्रबंध होना चाहिए।

प्रश्न-2.
आपने आपपास के लोगों के साथ हुई किसी दुर्घटना या लापरवाही की किसी घटना का पता कीजिए, जहाँ आपको लगता हो कि उसका जिम्मेदार उत्पादक हैं इस पर विचार-विमर्श करें।
उत्तर-
छात्र स्वयं करें।

पाठ्गत प्रश्नात्तर

आओ-इन पर विचार( पृष्ठ संख्या 81)

प्रश्न-1.
‘जब हम वस्तुएँ खरीदते हैं तो पाते हैं, कि कभी-कभी पैकेट पर छपे मूल्य से अधिक या कम मूल्य लिया जाता है” इसके संभावित कारणों पर बात करें। क्या उपभोक्ता समूह इस मामले में कुछ कर सकते हैं? चर्चा करें।
उत्तर-
किसी वस्तु का अधिकतम खुदरा मूल्य से अधिक मूल्य लेने का संभावित कारण यह हो सकता है-विक्रेता अधि क लाभ कमाने के लिए अधिक मूल्य माँगते हैं। दूसरी ओर, किसी वस्तु का मल्य उपभोक्ता द्वारा मोल-जोल करने के कारण अधिकतम खुदरा मूल्य से कम मांगा जाता है। उपभोक्ता दलों को विक्रेताओं पर अधिकतम खुदरा मूल्य से कम मूल्य रखने के लिए दबाव डालना चाहिए।

प्रश्न-2.
कुछ डिब्बाबंद वस्तुओं के पैकेट को लें, जिन्हें आप खरीदना चाहते हैं, और उन पर दी गई जानकारियों की परीक्षण करें। और देखें कि वे किस प्रकार उपयोगी हैं। क्या आप सोचते हैं कि उन डिब्बाबंद वस्तुओं पर कुछ ऐसी जानकारियाँ दी जानी चाहिए, जो उन पर नहीं हैं? चर्चा करें।
उत्तर-

  1. प्रयोग किए गए अवयव-यदि यह प्रमाणित हो जाता है कि उत्पादक ने उन सभी अवयवों का प्रयोग नहीं किया है जिनकी चर्चा उसने पैकेट पर की है, तो उपभोक्ता शिकायत कर सकता हैं, मुआवजा पाने या वसतु बदलने की माँग कर सकता है।
  2. कीमत-विक्रेता अधिकतम खुदरा मूल्य से अधिक मूल्य नहीं ले सकता है।
  3. बैच संख्या-यह आसानी से समझा जा सकता है कि किसी विशेष बैच संख्या का उत्पाद दोषपूर्ण हैं।
  4. खराब होने की अंतिम तिथि-यदि लोग अंतिम तिथि समाप्त हो गई दवाओं को बेचते है।, तो उनके खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जा सकती है।
  5. उत्पादक का पता-यदि वस्तुएँ दोषपूर्ण पाई जाती है, तो लोग उतपादक के पास पहुँचकर अपनी शिकायत कर सकते हैं।

प्रश्न-3.
लोग नागरिकों की समस्याओं जैसे-खराब सड़कों या दूषित पानी और स्वास्थ्य सुविधाओं के बारे में शिकायतें करते है, लेकिन कोई नहीं सुनता। अब कानून आपको प्रश्न पूछने का अधिकार देता है। क्या आप इससे सहमत हैं? विचार कीजिए।
उत्तर-
यह सत्य हैं कि RTI नागरिकों को प्रश्न पूछने का अधिकार देता है। यह कानून नागरिकों को सरकारी विभागों के कार्यकलापों की सभी सूचनाएँ पाने के अधिकार को सुनिश्चित करता है।

ओओ-इन पर विचार करें (पृष्ठ संख्या 82)

प्रश्न-1.
यहाँ कुछ ऐसी वस्तुओं के लुभाने वाले विज्ञापन दिए गए हैं, जिन्हें हम बाजार से खरीदते है। इनमें वास्तव में क्या कोई विज्ञापन है, जो सचमुच में उपभोक्ताओं को लाभ पहुँचाता हो? इस पर विचार विमर्श कीजिए।
1. प्रत्येक 500 ग्राम के पैक पर 15 ग्राम की अतिरिक्त छुट।
2. अखबार के ग्राहक बनें, साल के अंत में उपहार पायें।
3. खुरचिये और 10 लाख तक का इनाम जीतिए।
4. 500 ग्राम ग्लूकोज डिब्बे के भीतर एक दूध का चाकलेट।
5. पैकेट के भीतर एक सोने का सिक्का ।
6. 2000 रुपये तक का जूता खरीदें और 500 रुपये तक का एक जोड़ी जूता मुफ्त पाएँ।
उत्तर-
1. प्रत्येक 500 ग्राम के पैक पर 15 ग्राम की अतिरिक्त छूट।
6. 2000 रुपये तक का जूता खरीदें और 500 रुपये तक का एक जोड़ी जूता पाएँ! आओ-इन पर विचार करें (पृष्ठ संख्या 84)

प्रश्न-2.
निम्नलिखित को सही क्रम में रखें
(क) अरिता जिला उपभोक्ता अदालत में एक मुकदमा दायर करती है।
(ख) वह शिकायत के लिए पेशेवर व्यक्ति से मिलती है।
(ग) वह महसूस करती है। कि दुकानदार ने उसे एक दोषयुक्त सामग्री दी है।
(घ) वह अदालती कार्यवाहियों में भाग लेना शुरू कर देती है।
(ङ) वह शाखा कार्यालय जाती है। और डीलर के विरुद्ध शिकायत दर्ज करती हैं, लेकिन कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
(च) अदालत के समक्ष पहले उससे बिल और वारंटी प्रस्तुत करने को कहा गया।
(छ) वह एक खुदरा विक्रेता से दीवाल घड़ी खरीदती
(ज) कुछ ही महीनों के भीतर, न्यायालय ने खुदरा विक्रेता को आदेश दिया कि उसकी पुरानी दीवाल घड़ी की जगह बिना कोई अतिरिक्त मूल्य लिए उसे एक नीय घड़ी दी जाए।
उत्तर-

  1. (छ),
  2. (ख),
  3. (ग),
  4. (ङ)
  5. (क),
  6. (घ),
  7. (च),
  8. (ज)।

आओ-इन पर विचार करें (पृष्ठ संख्या 86)

प्रश्न-1.
इस अध्याय के पोस्टों के कार्टूनों को देखें-एक उपभोक्ता के दृष्टिकोण से किसी वस्तु विशेष की उससे संबंधित विभिन्न पहलुओं पर विचार करें। इसके लिए एक पोस्टर बनाएँ।
उत्तर-
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न-3.
उपभोक्ता संरक्षण परिषद और उपभोक्ता अदालत में क्या अंतर है?
उत्तर-
उपभोक्ता संरक्षण परिषद-भारत में उपभोक्ता आंदोलन ने विभिन्न ऐच्छिक संगठनों के निर्माण को प्रेरित किया है, जिन्हें सामान्यतया उपभोक्ता फोरम या उपभोक्ता संरक्षण परषिद् के नाम से जाना जाता है।
उपभोक्ता अदालत–उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अंतर्गत एक त्रिस्तरीय न्यायिक तत्र स्थापित किया गया है जिन्हें सामान्सतया जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तरों पर उपभोक्ता अदालतें कहा जाता है।

प्रश्न-4.
उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम, 1986 एक उपभोक्ता को निम्नलिखित अधिकार प्रदान करता है
(क) चयन का अधिकार
(ख) सूचना का अधिकार
(म) निवारण का अधिकार
(घ) प्रतिनिधित्व का अधिकार
(च) सुरक्षा का अधिकार
(छ) उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार।
निम्नलिखित मामलों को उनके सामने दिए गए खानों में अलग शीर्षक और चिह्न के साथ श्रेणीबद्ध करें
उत्तर-
(क) लता को एक नये खरीदे गए आयरन-प्रेस से विद्यत का झटका लगा। उसने तुरंत दुकानदार से शिकायत की। (सुरक्षा का अधिकार) .
(ख) जॉन विगत कुछ महीनों से एम.टी.एन.एल. द्वारा दी गई सेवाओं से असंतुष्ट है। उसने जिला स्तरीय उपभोक्ता फोरम में मुकदमा दर्ज किया। (निवारण का अधिकार)
(ग) तुम्हारे मित्र ने एक दवा खरीदी, जो समाप्ति तारीख (एक्सपायरी डेट) पार कर चुकी है और तुम उसे शिकायत दर्ज करने की सलाह दे रहे हों। (सूचना का अधिकार)
(घ) इकबाल कोई भी सामग्री खरीदने से पहले उसके आवरण पर दी गई सारी जानकारियों की जाँच करता है।
(उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार)
(च) आप अपने क्षेत्र के केबल ऑपरेटर द्वारा दी जाने वाली सेवाओं से असंतुष्ट हैं, लेकिन आपके पास कोई विकल्प नहीं है।
(चयन का अधिकार)
(छ) आपने ये महसूस किया कि दुकानदार ने आपको खराब कैमरा दे दिया है। आप मुख्य कार्यालय में दृढ़ता से शिकायत करते हैं। (प्रतिनिधित्व का अधिकार)

प्रश्न-5.
यदि मानकीकरण वस्तुओं की गुणवत्ता को सुनिश्चित करता हैं, तो क्यों बाजार में बहुत-सी वस्तुएँ बिना आई.एस.आई. अथवा एगमार्क प्रमाणन, के मौजूद
हैं।?
उत्तर-
बाजार में कई वस्तुएँ बिना आई.एस.आई. अथवा एगमार्क प्रमाणन के उपलब्ध होती हैं। क्योंकि सभी उत्पादकों के लिए मानकों को अपनाना और अपनी वस्तुओं को एगमार्क या आई.एस.आई. जैसे संस्थानों से प्रमाणित कराना अनिवार्य नहीं है।

प्रश्न-6.
हॉलमार्क या आई.एस.ओ. प्रमाणन उपलब्ध कराने वालों के बार में जानकारी प्राप्त करें।?
उत्तर-
भारतीय मानक ब्यरों (BIS) हॉलमार्क प्रमाणन प्रदान करते हैं। स्वर्ण आभूषणों के हॉलमार्क प्रमाणन संपूर्ण देश के प्रादेशिक और शाखा कार्थोलयों के BIS नेटवर्क द्वारा प्रदान किए जाते हैं।
अंतर्राष्ट्रीय मानकीकरण संगठन (ISO) अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर वस्तुओं के मानकों को प्रमाणित करता हैं, इसकी स्थापना 1974 में की गई थी। यह जेनेवा में स्थित है।
बी.आई.एस. अंतर्राष्ट्रीय मानकीकरण संगइन (आई.एस. ओ.) का एक कार्यशील सदस्य है इसलिए यह भारतीय व्यापार और उद्योग के हितों की सुरक्षा के लिए अंतर्राष्ट्रीय मानकों के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर

प्रश्न-1.
बाजार में नियमों तथा विनियमों की आवश्यकता क्यों पड़ती हैं? कुछ उदाहरणों द्वारा समझाएँ।
उत्तर-
बाजार में सुरक्षा निम्नलिखित कारणों से जरूरी हैं
(क) बाजार में उपभोक्ता का कई तरीके से शोषण होता है। जैसे-व्यापारियों द्वारा उपभोक्ता को उचित तौल से कत वस्तु उपलब्ध कराना।
(ख) कुल मूल्य में उन शुल्कों को जोड़ दिया जाता है जिनका वर्णन पहले न किया गया हों।
(ग) कई बार व्यापारी मिलावटी अथवा दोषपूर्ण वस्तुएँ बेचते हैं।
(घ) जब उत्पादक शक्तिशाली होते हैं। और उपभोक्ता कम खरीददारी करते है।। तथा बिखरे होते हैं, तो बाजार उचित तरीके से काम नहीं करता है। कई बार बड़ी-बड़ी कंपनियाँ उपभोक्ताओं को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए मीडिया तथा अन्य स्रोतों से गलत सूचना देती हैं। जैसे-एक कंपनी ने शिशुओं के लिए दूध पाउडर के अपने उत्पादन को माता के दूध से बेहतर बताकर कई वर्षों तक खूब बेचा। कई वर्षों के संघर्ष के बाद इस कंपनी ने यह स्वीकार किया कि वह झेठे दावे करती आ रही है।

प्रश्न-2.
भारत में उपभोक्ता आंदोलन की शुरुआत किन कारणों से हुई। इसके विकास के बारे में पता लगाएँ।
उत्तर-
(क) भारत में उपभोक्ता आंदोलन का जन्म, अनैतिक और अनुचित वसायिक कार्यो से उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करने तथा प्रोत्साहित करने के लिए हुआ।
(ख) हमारे देश में 1960 के दशक में व्यवस्थित रूप से उपभोक्ता आंदोलन का उदय खाद्यान्न की कमी, जमाखोरी, कालाबाजरी, खाद्य पदार्थो एवं खाद्य तेल में मिलावट के कारण हुआ।
(ग) 1970 के दशक में उपभोक्ता संस्थाओं न वृहत् सतर पर उपभोक्ता अधिकार से संबंधित आलेखों के लेखन तथा प्रदर्शनी लगाना शुरू किया। – (घ) उन्होंने सड़क यात्री परिवहन में अत्यधिक भीड़-भाड तथा राशन दुकानों में होने वाले अनुचित कार्यों पर नजर रखने के लिए उपभोक्ता दल बनाया। हाल के वर्षों में इन उपभोक्ता दलों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है।

प्रश्न-3.
दो उदारहण देकर उपभोक्ता जागरूकता की जरूरत का वणग्न करें।
उत्तर-
(क) उपभोक्ता जागरूकता अत्यन्त आवश्यक है जिससे कि व्यापारी उपभोक्ताओं का शोषण न कर सकें।
(ख) जागरूक उपभोक्ता; उपभोक्ता संरक्षण कार्यक्रमों तथा उपभोक्ता अदालतों का लाभ उठा सकते हैं।

प्रश्न-4.
कुछ ऐसे कारकों की चर्चा करें जिनसे उपभोक्ताओं का शोषण होता हैं?
उत्तर-
व्यापारियों द्वारा उपभोक्ताओं के शोष्क्षण के लिए निम्नलिखित तरीकों को अपनाया जाता है।

  • कम तौलकर-यह उपभोक्ताओं के शोषण का एक अति सामान्य तरीका है। जिसमें व्यापारी उपभोक्ता का उचित तौल से कम वस्तु उपलब्ध कराता है।
  • कम माप-मापी जाने वाली वस्तुओं मे कम माप देकर व्यापारियों द्वारा उपभोक्ताओं का शोषण किया जाता है।
  • अधिक कीमत-निर्धारित मूल्य से अधिक मूल्य वसूल करना व्यापारियों की एक प्रचलित प्रवृति है। उपभोक्ता भी उचित मूल्य की जानकारी के अभाव में व्यवसायियों द्वारा ठग लिए जाते हैं।
  • घटिया सामान-उपभोक्ताओं को मानकर स्तर से निम्न स्तर की सामग्री बेचा जाना भी शोषण का एक तरीका है।
  • नकली माल-असली पुर्जा के स्थान पर नकली पुर्जा और माल का बेचा जाना भी शोष्क्षण का एक सामान्य तरीका
  • मिलावटी व अशुद्ध माल-अनुचित लाभ के लिए व्यवसायियों द्वारा महँगे पदार्थो में सस्ते व अशुद्ध पदार्थो को मिलाना इस प्रकार के शोषण का उदारहण है।
  • सुरक्षा उपायों की अपर्याप्तता-विद्युत तंत्र आदि को मानक स्तर से कम स्तर का बेचना जिससे कि सुरक्षा संबंधी खतरा बना रहता है। इससे उपभोक्ताओं के साथ दुर्घटना होने की आशंका बनी रहती हैं।
  • कृत्रिम अभाव-व्यापारियों द्वारा जमाखेरी, कालाबाजारी आदि के माध्यम से कई बार आवश्यक वस्तुओं का कृत्रिम अभाव पैदा कर दिया जाता है। जिससे वे उन वस्तुओं को ऊँची कीमत पर बंच सकें। यह उपभोक्ता शोषण का एक बहुत ही प्रचलित लेकिन निंदनीय स्वरूप है।
  • अपूर्ण या मिथ्या आनकारी-कई बार उत्पादकों द्वारा उपभोक्ताओं को जानकारी को इस प्रकार तोड़ मरोड़कर या आधे अधूरे ढंग से प्रस्तुत किया जाता है कि उपभोक्ता के सामने वास्तविक स्थिति नहीं आ पाती और उपभोक्ता वस्तु की कमियों से रू-ब-रू नहीं हो पाता।
  • विक्रय के पश्चात् सेवा का प्रदान न किया जाना-यह भी उपभोक्ता शोषण का एक बहुप्रचलित रूप हैं, इसमें एक बार वसतु को बेच देने के बाद उत्पादक उपभोक्ता को यह सेवा प्रदान करने से या तो मना कर देता है या टालमटोल ओर आनाकानी करता है, जो उसे उपभोक्ता को उपलब्ध कराना चाहिए।

प्रश्न-5.
उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम, 1986 के निर्माण की जरूरत क्यों पड़ी?
उत्तर-
(क) विक्रेताओं के कई अनुचित व्यवसायों में शामिल होने के कारण उपभोक्तओं में असंतोष फैल गया था।
(ख) बाजार में उपभोक्ता को शोषण से बचाने के लिए कोई कानूनी व्यवस्था उपलब्ध नहीं थीं।
(ग) 1960 के दशक में भारत में उपभोक्ता आंदोलन का उदय हुआ और अपने प्रयासों से यह आंदोलन उपभोक्ता हितों के खिलाफ और अनुचित व्यवसाय शैली में सुधार के लिये व्यापारिक कंपनियों व सरकार दोनों पर दबाव डालने में सफल हुआ।
(घ) परिणामस्वरूप भारत सरकार ने 1986 ई. में उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम बनाया।

प्रश्न-6.
अपने क्षेत्र के बाजार में जाने पर उपभोक्ता के रूप में अपने कछ कर्तव्यों का वर्णन करें।
उत्तर-
अधिकार और कर्त्तव्य एक ही सिक्के के दो पहलू होते हैं। अधिकारों को ग्रहण करते समय यह दायित्व अपने _ आप उत्पन्न हो जाता है। कि कर्तव्यों का पालन किया जाए।
उपभोक्ताओं को जहाँ अधिकार मिले हुए हैं वहीं उनके कुछ दायित्व हैं जो निम्नलिखित हैं-

  1. किसी भी वस्तु को क्रय करते समय उपभोक्ताओं को सामान की गुणवत्ता का ख्याल रखना चाहिए।
  2. वस्तु क्रय करते समय उपभोक्ताओं को गांरटी कार्ड अवश्य लेना चाहिए।
  3. उपभोक्ता उन्हीं वस्तुओं को क्रय करें जिन पर आई. एस.आई. एगमार्क जैसे मानक चिन्ह दिये हुए हों।
  4. उपभोक्ता सामान या सेवा को खरीदने समय उसकी . रसीद अवश्य प्राप्त करें।
  5. उपभोक्ताओं का यह कर्त्तव्य बनता है कि वं ‘उपभोक्ता जागरूकता संगठन’ का गठन करें; साथ ही इस संगठन को सरकार तथा अन्य संस्थाओं द्वारा उपभोक्ताओं की समस्याओं के लिए स्थापित विभिन्न कमेटियों में प्रतिनिधित्व भी प्रदान करवायें।
  6. उपभोक्ता किसी वस्तु या सेवा में आने वाली समस्या के लिए शिकायत अवश्य दर्ज करायें चाहे वह समस्या छोटी हो या बड़ी।
  7. उपभोक्ता किसी सामग्री से सम्बन्धित शिकायत दर्ज कराने से यह सोचकर न रुकें कि वह वस्तु बहुत ही कम मूल्य वाली हैं।
  8. प्रत्येक उपभोक्ता का यह परम कर्तव्य है कि वह अपने लिए सुरक्षित अधिकारों के विषय में सम्पूर्ण जानकारी रखे और अपने अधिकारों का प्रयोग करें। साथ ही दूसरे उपभोक्ताओं को भी इनके बारे मे जानकारी दे, और उन्हें भी अपने अधिकारों के प्रयोग के लिए प्रेरित करें।

प्रश्न-7.
मान लीजिए, आप शहद का बोतल और एक बिस्किट का पैकेट खरीदते हैं। खरीदते समय आप कौन सा लोगों या चिन्ह देखेंग और क्यों?
उत्तर-
(क) शहद का बोतल या बिस्किट का पैकेट खरीदते समय हमें एगमार्क चिनहे देखना चाहिए।
(ख) क्योंकि कृषि उतपादों तथा खाद पदार्थो की गुणवत्ता मानकीकरण के आधकार पर जो उत्पाद मानकों को पूरा करते हैं उन्हें एगमार्क का चिन्ह प्रदान किया जाता है।

प्रश्न-8.
भारत में उपभोक्जाओं को समर्थ अनाने के लिए सरकार द्वारा किन कानूनी मानदंडों को लागू करना चाहिए?
उत्तर-
उपभोक्ताओं के अधिकारों तथा हितों की रक्षा के लिए मुख्यतः तीन प्रकार के उपाय अपनाये गये हैं

  1. कानूनी उपाय-इसके अंतर्गत उपभोक्ताओं के हितों के लिए कानून व अधिनियम आदि बनाना शमिल है।
  2. प्रशसनिक उपाय-उपभोक्ता के हितों की रक्षा के लिए जो सार्वजनिक वितरण व्यवस्था आरम्भ की गई है। वह प्रशासनिक उपाय का ही उदाहरण हैं
  3. तकनीकीउ उपाय-इसके अंतर्गत वस्तुओं का मनकीकरण किया जाना शामिल है। इन उपायों को निम्न बिन्दुओं के माध्यम से स्पष्ट किया जा सकता है :

(क) उपभोक्ता हित सम्बन्धी कानून-उपभोक्ताओं के हितों के संरक्षण के लिए सरकार ने 1986 में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम बनाया। इसके द्वारा उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए तथा उनके झगड़ों के निपटारे के लिए जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर उपभोक्ता हितों की समितियाँ बनायी गई। इनके माध्यम से उपभोक्ताओं के हितों को तो संरक्षण दिया ही जाता है; साथ ही उनकी शिकायतों को सरल रूप से, तीव्रता से और कम खर्च में दूर किया जाता है। उपभोक्ता अदालतों को इस सम्बंध में यह आदेश दिया गया है कि वे शिकायतों का निपटारा तीन महीने के अन्दर-अन्दर कर दें।

(ख) सार्वजनिक वितरण प्रणाली-आय की दृष्टि से कमजोर वर्ग वाले लोगों को अनाज की उपलब्धता सुनिश्चित कराने हेतु सरकार ने सार्वजनिक वितरण व्यवस्था का आरम्भ किया है ताकि इस वर्ग के उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा हो सके और उन्हें आवश्यक वस्तुओं को प्राप्त करने में किसी प्राकर से शोषण का सामना न करना पड़े।
इस व्यवस्था के द्वारा जमाखोरी, कालाबाजारी और मुनाफाखोरी आदि पर अंकुश लगाना भी संभव हो सका है।

(ग) वस्तुओं का मानकीकरण-उपभोक्ता हितों को संरक्षण देने के लिए सरकार ने कुछ ऐसी संस्थाओं का निर्माण किया है जो वस्तुओं के मानक स्तर का निर्धारण करती है और जांच के माध्यम से यह सुनिश्चित भी करती हैं कि वस्तुएँ मानक स्तर के अनुरूप हैं कि नहीं। इसके बाद ये वस्तुओं को अपना चिन्ह प्रदान करती हैं जिसके चलते उपभोक्ताओं को यह जानकारी प्राप्त हो जाती है। कि वस्तु विश्वसनीय स्तर पर मानकीकृत है। मानकीकरण संस्थाएँ जिन वस्तुओं को अपना चिह्न प्रदान करती हैं उनकी किसी भी समय आकस्मिक रूप से जांच भी कर लेती हैं ताकि उन वस्तुओं की गुणवत्ता कम होने की कोई आशंका न हों।
इस प्रकार यह स्पष्ट हैं कि सरकार ने उपभोक्ता संरक्षण के लिए पर्याप्त उपाय किये हुए हैं। आवश्यकता बस इस बात की है कि उपभोक्ता स्वयं के अधिकारों के विषय में जागरूक हों।

प्रश्न-9.
उपभोक्ताओं के कुछ अधिकारों को बताएँ और प्रत्येक अधिकार पर कुछ पंक्तियाँ लिखें। .
उत्तर-
उपभोक्ताओं के निम्नलिखित अधिकारों को उपभोक्ताओं के साथ-साथ व्यापारी वर्ग की भी ध्यान में रखना चाहिए।

  1. सुरक्षा का अधिकार-व्यापारी वर्ग को चाहिए कि ऐसी वस्तुओं का उत्पादन न करें जो उपभोक्ताओं को समुचित सुरक्षा प्रदान न करें। उत्पादकों को केवल मानकीकृत और स्तरीय वस्तुओं का ही उत्पादन करना चाहिए। व्यापारी वर्ग ऐसी किसी भी वस्तु की बिक्री से अपने को बचाये रखें जो कि उपभोक्ताओं के जीवन तथा सम्पत्ति के लिए किसी भी रूप में खतरनाक हों।
  2. सूचना का अधिकार-व्यावसायिकों को चाहिए कि वे अपने उत्पादों पर गुणवत्ता, मात्रा, शुद्धात स्तर व मूल्य सम्बन्धी सम्पूर्ण सूचनाएँ प्रदान करें।
  3. चुनाव का अधिकार-उत्पादक वस्तुओं की इतनी विविध मात्र उलपब्ध करायें कि उपभोक्ताओं को चुनाव का सम्पूर्ण अवसर प्राप्त हो सके।
  4. सुनवाई का अधिकार-व्यापारी वर्ग को चाहिए कि उपभोक्ता हितों से जुड़ी संस्थाओं व संगठनों की कार्यवाहियों पर समुचित ध्यान व समय दें, साथ ही उनके निर्देशानुसार स्वयं के उत्पादों की गुणवत्ता में वृद्धि करते चलें।
  5. शिकायतों के निपटारे का अधिकार-व्यापारी वर्ग का यह नैतिक दायित्व बनता है कि उपभोक्ताओं के शोषण व अनुचित व्यापारिक क्रियाओं के विरुद्ध शिकायतों को पूरी तत्परता से निपटायें।
  6. उपभोक्ता शिक्षा-उपभोक्ताओं को तो स्वयं के अधि कारों के बारे में जानना ही हैं, साथ ही व्यापारी वर्ग को भी उपभोक्ताओं के हितों और अधिकारों की सम्पूर्ण जानकारी होनी चाहिए, जिससे कि वे उन कार्यो को न करें जिनसे
    उपभोक्ताओं के अधिकारों का उल्लंघन होता हों।

प्रश्न-10. उपभोक्ता अपनी एक जुटला का प्रदर्शन कैसे कर सकते हैं?
उत्तर-
(क) उपभोक्ता एकता के लिए उपभोक्ता जागरूकता अत्यन्त जरूरी है। उपभोक्ताओं को अपने अधिकारों की पूर्ण जानकारी होनी चाहिए।
(ख) उपभोक्ताओं को वस्तुओं तथा सेवाओं के क्रय-विक्रय के व्यावसायिक पक्षों की जानकारी तो होनी ही चाहिए, साथ __ ही पदार्थों की गुणवत्ता की भी पूरी जानकारी होनी चाहिये।
(ग) उपभोक्ता जागरूकता से उपभोक्ता आंदोलन को मजबूत बनाया जा सकता है। उपभोक्ता मिलकर अपने अधि कारों की माँग कर सकते हैं तथा उपभोक्ता शोषण के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद कर सकते हैं।

प्रश्न-11.
भारत में उपभोक्ता आंदोलन की प्रगति की समीक्षा (आलोचनात्मक मुल्यांकन) करें।
उत्तर-
(क) उपभोक्ता आंदोलन उपभोक्ताओं के असतोष का परिणाम था, क्योंकि विक्रेता कई अनुचित व्यवसायों में शामिल होते थे। उपभोक्ता को बाजार में शोषण से रक्षा के लिए कोई कानून व्यवस्था मौजूद नहीं थी।
(ख) भारत में सामाजिक बल के रूप में उपभोक्ता आंदोलन का जन्म अनुचित एवं अनैतिक व्यावसायिक कार्यो से उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करने के उद्देश्य से हुआ।
(ग) 1970 के दशक तक उपभोक्ता संस्थाएँ वृहत् स्तर पर उपभोक्ता अधिकार से संबंधित आलेखों के लेखन तथा प्रदर्शनी का आयोजन करने लगी थीं।
(घ) सड़क यात्री परिचहन में अत्यधिक भीड़-भाड़ तथा सरकारी राशन दुकानों में होने वाले अनुचित कार्यों पर नजर रखने के लिए उपभोक्ता दलों का निर्माण किया गया। धीरे-धरे हमारे देश में इन उपभोक्ता दलों की संस्था में काफी वृद्धि
(ङ) अपने सक्रिय प्रयासों से उपभोक्ता आंदोलन, उपभोक्ताओं के हितों के खिलाफ और अनुचित व्यवसाय शैली में सुधार के लिए व्यापारिक कंपनियों एवं सरकार दोनों पर दबाव डालने में सफल हुआ।
(च) भारत में उपभोक्ता आंदोलन को सबसे बड़ी सफलता 1986 ई. में मिली, जब भारत सरकार ने ‘उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम’ पारित किया।

प्रश्न-12.
निम्नलिखित का मिलान करें-
1. एक उत्पाद के घटकों का विवरण — (क) सुरक्षा का अधिकार
2. एगमार्क — (ख) उपभोक्ता मामलों में संबंध
3. स्कूटर में खराब इंजन के कारण हुई दुर्घटना — (ग) अनाजों और खाद्य तेल का प्रमाण पत्र
4. जिला उपभोक्ता विकसित विकसित करने वाली एजेंसी — (घ) उपभोक्ता कल्याण संगठनों की अंतराष्ट्रीय संस्था
5. उपभोक्ता इंटरनेशनल — (ड) सूचना का अधिकार
6. भारतीय मानक विभाग — (च) वस्तुओं औश्र सेवाओं के लिए मानक
उत्तर-
1-ड, 2-ग, 3-क, 4-ख, 5-3, 6-च।

प्रश्न-13.
सही/गलत बताएँ।

(क) कोपरा केवल सामानों पर लागू होता है।
उत्तर-
गलत।

(ख) भारत, विश्व के उन देशें में से एक है जिसके पास उपभोक्ताओं की सामयाओं के निवारण के लिए विशिष्ट अदालते हैं।
उत्तर-
सही।

(ग) जब उपभोक्ता को ऐसा लगे कि उसका शोषण हुआ हैं, तो उसे जिला उपभोक्ता अदालत में निश्चित रूप से मुकद्दमा मायर करना चाहिए।
उत्तर-
सही।

(घ) जब अधिक मूल्य का नुकसान हो सिर्फ, तभी उपभोक्ता अदालत में जाना लाभाद होता है।
उत्तर-
गलत।

(ङ) हालमार्क, आभूषणों की गुणवत्ता बनाए रखने वाला प्रमाण है।
उत्तर-
सही

(च) उपभोक्ता समस्याओं के निवारण की प्रक्रिया अत्यंय सरल और शीघ्र होती है।
उत्तर-
गलत

(छ) उपभोक्ता को मुआवजा पाने का अधिकार है, जो क्षति की मात्रा पर निर्भर करता है।
उत्तर-
सही।

The Complete Educational Website

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *