उपन्यास, समाज और इतिहास
उपन्यास, समाज और इतिहास
अध्याय का सार
1. उपन्यास का उदय
उपन्यास का आगमन छापेखाने के मशीनी आविष्कार से हुआ। अगर में उपन्यास पढ़ना है तो इसका किताब के रूप में छापकर हमारे सामने आना जरूरी है। किताब के रूप में उपन्यास को अधिक रूप से लोकप्रियता मिली तथा पढ़ने वालों के वर्ग में वृद्धि हुई। अब छोटे शहरों में भी उपन्यास का आगमन हो गया था। उपन्यास में कुछ ऐसे प्रसंगों का ध्यान रखा गया जो साधारण रूप से पाठक वर्ग मे एक आम रुचियों का रूप ले। सबसे पहले उपन्यास इंग्लैंड तथा फ्रांस में आया। विकास के रूप में उपन्यास 18वीं सदी में पनपा। इसके पाठक हर वर्ग के लोग थे। लेखकों की आय में वृद्धि भी हुई। अलग-अलग शैलियों का प्रयोग होने लगा। हेनरी फील्डिग, वॅल्टर स्कॉट जैसे अनेक लेखक सामने आये। शुरू-शुरू में गरीब वंग उपन्यास को खरीद नहीं पा रहे थे। 1740 में चलने वाले पुस्ताकालयों को स्थापित किया गया जिससे लोग किराये पर उपन्यास लेने लगे। उपन्यास मनोरंजन का एक नया साधन था। लोगों में इसकी लोकप्रियता बढ़ती जा रही थी। उपन्यास की घटनाओं को लोग असल जिंदगी की घटनाओं से लड़ने लगे। 1836 में चार्ल्स डिन्स का एक उपन्यास धारावाहिक रूप से एक पत्रिका में छपा। पत्रिकाएं सस्ती हुआ करती थीं और यह अपना अलग महत्त्व रखती थीं। लोग उपन्यासों को आपस में एक महत्त्वपूर्ण चर्चा का रूप देने लगे।
चार्ल्स डिकेन्स में अपने उपन्यासों में औद्योगीकरण के दुष्प्रभावों को बड़ी सुंदरता के साथ दिखाया है उन्होंने अपने उपन्यास ‘हार्ड आइम्स’ में ऐसा ही वर्णन किया है। उन्होंने अपने अलग-अलग उपन्यासों में अलग-अलग विषयों को चुना। किसी में शहरी जीवन की दुर्दशा का वर्णन है तो कहीं पर किसी गरीब का अमीर होना इत्यादि। परंतु इन उपन्यासों को पढ़कर केवल खुश रहा था, यह सही नहीं था। अधिकांश पाठक वर्ग शहरों के थे। 19वीं सदी के मशहूर उपन्यासकार टॉमस हार्डी ने देहाती समुदाय के बारे में लिखा जो खत्म हो रहा था। मशीनों का बाजार में आना इसका अनुभव हमें हार्डी के उपन्यास ‘मयेर ऑफ कैस्टब्रिज’ को पढ़कर होता है। उपन्यास में साधारण भाषा जो जनता की भाषा होती थी, उसका प्रयोग होता था और आज भी यही होता है। उपन्यास को मिश्रित भाषा का प्रयोग कर लोगों के सामने पेश कर सकते हैं। उपन्यास का एक महत्त्वपूर्ण पहलू महिलाएँ थीं। महिलाओं को भी अवकाश मिलने पर उपन्यास पढ़ने का समय प्राप्त हुआ। वह उपन्यास लिखने व पढ़ने लगी थीं। जेन ऑस्टिन जैसी लेखिकाएँ उभरकर सामने आई। महिला उपन्यासकारों ने केवल गृहस्थिन चरित्रों को ही नहीं दर्शाया बल्कि समाज में अन्याय के खिलाफ लड़ती महिलाओं को भी उपन्यासों में दिखाया है। (जैन आयर एक ऐसा ही उपन्यास है, युवाओं के लिए) एक .. सभ्य, आदर्श, मेहनत करने वाले युवा पुरुष, साहसी आदमी के रूप में प्रस्तुत किया गया। पुरुष, प्रधान उपन्यासों में साहस भरे कारनामे साधारण पुरुष जो समय के साथ बदल रहा है। इत्यादि दर्शाया जा रहा था। जी. ए. हेटी के ऐतिहासिक साहसिक उपन्यास बहुत लोकप्रिय हुए प्रेम कहानियों के उपन्यास भी लिखे गये। यूरोप में उपन्यास का आगमन औपनिवेशिकवाद से हुआ था।
2. उपन्यास भारत आया
भारत में गद्य कथाओं का चलन शुरू से चला आ रहा है। भारत के आरंभिक उपन्यास बंगाली व मराठी में लिखे गये थे। शुरू में उपन्यासों को अंग्रेजी उपन्यासों के हिंदी अनुवादों में प्रस्तुत किया गया। हिंदी भाषा में उपन्यास को दिल्ली के श्रीनिवास दास लिखा था। परंतु हिंदी उपन्यास का पाठक वर्ग देवकी नंदन खत्री के साथ उत्पन्न हुआ। उनके द्वारा लिखित ‘चद्रकान्ता-संतति’ बहुत लोकप्रिय हुई। प्रेमचंद ने अनेक लोकप्रिय उपन्यास लिखे थे। उन्होंने दहेज, बाल विवाह इत्यादि जैसे प्रसंगों को लिखा था। 19वीं सदी में उपन्यास दो प्रकार से सामने आया-प्रथम रूप से भूतकाल व दूसरा घरेलू परिस्थितियां पर आधारित। बंगाल में अकेले उपन्यास को पढ़ने का चलन हुआ। कभी-कभी समूह में उपन्यास पढ़े जाते थे। बंकिम चद्रं चट्टोपाध्याय बंगाल के मशहूर उपन्यासकार थे। उन्होंने उस गद्य-शैली को अपनाया जो कि आम बोलचाल की भाषा के रूप में प्रयोग होती थी। 3. औपनिवेशिक जमाने में उपन्यास . नये उपन्यासों का आगमन हुआ था जो कि गृहस्थी से संबधित थी। इन उपन्यासों में साधारण लोगों से जुड़ी बातें हुआ करती थीं, जैसे-उनकी वेषभूषा, पूजा, संस्कृति आदि। इनमें से कुछ उपन्यासों के अंग्रेजी में अनुवाद भी हुए थे। हिंदुस्तानियों ने उपन्यासों में सामजिक बुराइयों को वर्णित किया और साथ ही उनके समाधान भी खोजने की कोशिश की। समाज का हर व्यक्ति उपन्यास पढ़ सकता था, लेकिन उसे उपन्यास की भाषा जरूर आती हो। औपनिवेशिक काल में कई प्रकार के उपन्यासों ने जगह बनाई। उपन्यास काल्पनिक होते हुए भी असल जिंदगी को पेश करते थे। चंदू मेनन इस प्रकार के ही उपन्यासकार थे। अधिकतर उपन्यासों के नायक व नायिकाएँ आधुनिक दुनिया के ही पात्र हुआ करते थे। ये पुराने समय के पात्रों से बिल्कुल अलग हुआ करते थे। पूरी दुनिया के समान भारत के मध्यवर्ग में भी उपन्यास एक मनोरंजन का साधन बन गया था। उपन्यास पढ़ते समय लोग मौन रहना सीख गये थे। 19वीं सदी के अंत तक लिखित वर्णन को बोलकर पढ़ा जाता था, परंतु अधिकांश रूप से लोग चुप रहकर ही उपन्यास पढ़ते थे।
4. महिलाएँ और उपन्यास
जनता पर उपन्यासों का गहरा प्रभाव पड़ा रहा था। वे कल्पना को असल जिंदगी से जोड़ते थे। उपन्यासों में तो तत्व हुआ करते थे जिसका असर महिलाओं और बच्चों पर सीधा पड़ता था। उपन्यास हर उम्र के व्यक्ति में प्रचलित हो रहा था, परंतु महिलाएँ केवल पाठिका के रूप में नहीं रह गयी थी। अब उन्होंने उपन्यासों को लिखना शरू कर दिया था। उन्होंने प्रेम-विवाह और स्वतंत्र नारी जैसे विषयों को अपने उपन्यास का भाग बनाया, परंतु महिला उपन्यासकारों को समाज सही नजर से नहीं देखता था। जाति प्रथा से संबंधित एक उपन्यास सामने आया था और वह था-इंदुलेखा। 1892 में पोथेरी कुंजाम्बु ने एक उपन्यास लिखा जिसका नाम था-सरस्वती विजयम। यह उपन्यास भी अछूतों पर था।
1920 में बंगाल में नये प्रकार का उपन्यास आया जिसमें किसान वर्ग और निम्न जाति से जुड़े लोगों की समस्याओं को दिखाया गया था।
5. राष्ट्र और उसका इतिहास
औपनिवेशिक इतिहासकारों ने भारतीयों को अत्यन्त कमजोर बताया। उनका विश्वास मुख्यतः इस बात में था कि भारत देश ब्रिटिश राज्य से आजादी चाहता है। बंगाल में अनेक उपन्यास राजपूतों और मराठों पर लिखे गये। इनमें साहस, वीरता व त्याग जैसे आदर्श दिखाई देते थे। ये उपन्यास भारतीयता का अनुभव कराते थे। अंगुरिया बिनिमॉय भूदेव मुखोपाध्याय का सबसे पहला ऐतिहासिक उपन्यास था। इन उपन्यासों में राष्ट्र भावना को इस प्रकार से दर्शाया गया था कि असल जीवन में भी लोगों ने आंदोलन शुरू कर दिये थे। समाज में विभिन्न सतरों के लोगों को उपन्यासों में दिखाया गया। शक्तिशाली वर्ग से लेकर कमजोर वर्ग तक समाज के हर पहलू को उपन्याकार लिखा करते थे।
उपन्यास पश्चिम और भारत के भागों का अहम हिस्सा बन गया। इन उपन्यासों ने उन तथ्यों को सामने रखा जिस मध्यवर्गीय लोग अनजान थे। लोगों के समूहों को उपन्यास के द्वारा पहचान मिली।
उपन्यास, समाज और इतिहास Important Questions and Answers
प्रश्न-1.
उपन्यास के अवतरित होने का क्या कारण था?
उत्तर-
उपन्यास के अवतरित होने का प्रमुख कारण छापेखाने का आविष्कार था।
प्रश्न-2.
प्राचीनकाल में पुस्तकें किस प्रकार लिखीं जाती थी?
उत्तर-
प्राचीकाल मे पुस्तकें हस्तलिखित होती थीं जिन्हें पाण्डुलिपियाँ कहा जाता था।
प्रश्न-3.
मशीन द्वारा उपन्यास में क्या परिवर्तन आया?
उत्तर-जब मशीन से उपन्यास छपने लगे तक नए और अधिक संख्या में पाठक वर्ग का उदय हुआ इससे. बृहस् उत्पादन का विकास हुआ जिसमें एक साथ बड़ी संख्या मे उपन्यास छप सकते थे।
प्रश्न-4.
लेखकों के जीवन में किताबों के बाजार के बढ़ने से क्या परिवर्तन हुआ?
उत्तर-
जब बाजार में किताबों की संख्या और पाठकों में वृद्धि हुई, लेखकों की आय भी बढ़ी। अब वे स्वतंत्र होकर लिखने लगे तथा अपने मन के विचारों को व्यक्त करने लगे। वे कुलीन वन से आजाद थे।
प्रश्न-5.
उपन्यासों का विकास कब आरंभ हुआ?
उत्तर-
उपन्यासों को सत्रहवीं सदी से लिखा जा रहा था, परंतु इनका विकास 18वीं सदी में आरंभ हुआ।
प्रश्न-6.
18वीं सदी के हेनरी फील्डिंग का क्या दावा था?
उत्तर-
18वीं सदी के हेनरी फील्डिंग ने यह दावा किया कि उन्होंने एक अलग साम्राज्य का निर्माण किया है जहाँ के कानूनों को निर्मित उन्होंने ही किया है।
प्रश्न-7.
भद्र समाज क्या है?
उत्तर-
वह समाज जो उच्च खानदानों से संबंधित था, उसे भद्र समाज कहा गया। उन्हें ऊँची हैसियत का माना जाता था। वे अत्यन्त धनवान थे तथा समाज के नियमों का निर्माण भी करते थे।
प्रश्न-8.
पत्रात्मक उपन्यास किसे कहते हैं?
उत्तर-
वे उपन्यास जिसे पत्रों की श्रृंखला के रूप में लिख जाता है, उसे पत्रात्मक उपन्यास कहा जाता हैं,
प्रश्न 9.
पत्रात्मक उपन्यास का एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
सैमुएल रिचर्डसन के द्वारा लिखा गया उपन्यासपामेला। इसमें प्रेमियों की कहानी पत्रों द्वारा की गई है।
प्रश्न-10.
आरंभ के प्रकाशित महंगे उपन्यास का उदाहरण दें।
उत्तर-
हैनरी फील्डिंग का उपन्यास ‘टॉम जोन्स’ जो छ: खण्डों में प्रकाशित हुआ। प्रत्येक खंड का मूल्य तीन शिलिंग था।
प्रश्न-11.
1740 से आए उपन्यास बाजार के परिवर्तनों का उल्लेख कीजिए?
उत्तर-
1740 में उन पुस्तकालयों की स्थापना हुई जो चलने वाले थे। इस कारण पुस्तकें आसानी से लोगों तक पहुँचने लगीं। छपाई की तकनीकी में परिवर्तन हुआ तथा किताबों की बिक्री भी बढ़ गई। उपन्यासों को अधिक स्तर में उत्पादित किया जान लगा तथा एक घंटे के लिए किराए पर दिया जाता।
प्रश्न-12.
उपन्यासों की लोकप्रियता का क्या कारण था?
उत्तर-
उपन्यासों की संसार लोगों की अत्यन्त लुभावना लगा। पाठक किसी और ही दुनिया में विचरण करने लगता था। उपन्यास को अकेले बैटकर पढ़ा जा सकता था। और इसे चर्चा का विषय भी बनाया जा सकता था।
प्रश्न-13.
उन्नीसवीं सदी के ब्रिटने में आए ऐसे कुछ सामजिक बदलावों की चर्चा करें जिनके बारे में ऑमस हार्डी और चार्ल्स डिकेन्स ने लिखा है।?
उत्तर-
चार्ल्स डिकिन्स का मुख्य उपन्यास पिकनिक पेपर्स था। इसके द्वारा उपन्यास को धारावाहिक के रूप में प्रकाशित किया जाने लगा। उन्होंने ‘हार्ड टाईम्स में औद्योगिक समाज के विषय में बताया तथा उनके दुष्प्रभावों का जिक्र किया। उन्होंने लाभ के लिए होने वाले मानवीय शोषण का चित्रण किया इसके अतिरिक्त जर्मिनल में खदान श्रमिकों की दयनीय अवस्था का उल्लेख किया गया। इसी समय टॉमस हार्डी नामक उपन्यासकार ने इंग्लैंड में गायब होते देहाती समुदायों के विष में लिखा। टॉमस ने मेयर ऑफ कैस्टरब्रिज में उन कृषकों का उल्लेख किया जिन्होंने जमीनों की बाड़ाबंदी की और मशीनें लगाकर उतपादन शुरू किया।
प्रश्न-14.
महिलाओं का उपन्यास से जुड़ने की प्रक्रिया समझाइए।
उत्तर-
18वीं सदी से मध्यर्गीय लोगों की आर्थिक स्थिति में सुधार आरंभ हुआ। इस कारण जो औरतें केवल घर का काम करती थीं, अब वे खाली समय बिताने लगीं। इस समय को उन्होंने उपन्यास पढ़ने में लगाना आरंभ कर दिया। वे बाहरी तथा अन्य दुनिया से जुड़ने लगीं। महिला अधिकार के विषय में उन्हें अब समझ आने लगा। उनकी भावनाओं, रुचियों तथा अधिकारों को समझा जाने लगा। इन्हीं अनुभवों को आधार बनाकर महिला उपन्याकारों न उपन्यास लिखें।
प्रश्न-15.
शारलॉट ब्रांट के उपन्यासों की विशेषता क्या थी?
उत्तर-
शारलॉट ब्रांट ने अपने उपन्यासों में स्त्री को केवल एक घरेलू महिला के रूप में ही नहीं दर्शाया। उसने अपने उपन्यास ‘जेन आथर’ मे नायिका को स्वच्छंद विचारों वाली स्त्री के रूप में दर्शाया। उसने महिलाओं का शालीन रूप ही नहीं बल्कि चौंकाने वाला रूप दिखाया।
प्रश्न-16.
युवाओं के लिए किस प्रकार के उपन्यास लिखे गए?
उत्तर-
युवाओं के लिए उपन्यास का नायक आदर्श पुरुष होता था जो अत्यन्त बलवान, दृढ़ स्वतंत्र था। उनके लिए नायक साहसी काम करने वाला होता था। जो नायक उपनिवेशों का निर्माण करता, उसे युवा पंसद करते थे।
प्रश्न-17.
युवाओं के लिए लिखे गए दो उपन्यासों के नाम लिखिए।
उत्तर-
आर, एल, स्टीवेंसन की ‘ट्रेजर आइलैंड’ तथा रूडयॉर्ड किपलिंग की ‘जंगल बुक’।
प्रश्न-18.
जी. ए. हेठी के उपन्यासों की क्या विशेषताएँ थीं?
उत्तर-
जी. ए. हेटी के उपन्यास ऐतिहासिक थे। इनके उपन्यासों से यह उत्साह मिलता था कि दूसरे क्षेत्रों पर विजय प्राप्त की जाए। इन्होंने मैक्सिको, साइबीरिया आदि क्षेत्रों को अपने उपन्यासों का आधार बनाया।
प्रश्न-19.
किशोरियों के लिए लिखे गए उपन्यासों के नाम बताएँ जो 19वीं सदी में लिखे गए।
उत्तर-
किशोरियों के पढ़ने हेतु अमेरिका में हेलेन जैक्सन ने ‘रमोना’ और सूजन कूलिज का ‘ह्वाट केठी डिड’ प्रसिद्ध रहे।
प्रश्न-20.
उपनिवेशवाद के आंरभिक उपन्यास यूरोप में किस प्रकार के थे? !
उत्तर-
यूरोप में उपन्यास का जन्म उपनिवेश के उदय के साथ ही हुआ। इन उपन्यासों ने पाठकों में उपनिवेशको के समुदाय का भाग होने के एहसास का उदय किया। .
प्रश्न-21.
भारत की एक पुरातत्व लोक/गद्य कथा का उदाहरण दें।
उत्तर-
भारत में दो पुरातत्व गद्य कथाएँ प्रसिद्ध थीं-कादम्बरी तथा पंचतन्त्र।
प्रश्न-22.
‘यमुना पर्यटन’ उपन्यास किस पर आधारित था?
उत्तर-
‘यमुना पर्यटन’ एक मराठी उपन्यास था जिसे बाबा पद्मणजी ने लिखा था। इस उपन्यास में उन्होंने विधवाओं की दुर्दशा के विषय में लिखा था।
प्रश्न-23.
दक्षिण भारत के औपनिवेशिक काल के उपन्यासों का उल्लेख करें।
उत्तर-
औपनिवेशिक काल के उपन्यास अधिकतर अनुवाद होते थे जिन्हें अंग्रेजी भाषा से परिवर्तित किया जाता था परंतु उपन्यास लोगों को पसंद नहीं आए, क्योंकि ये उनके रहन-सहन से मेल नहीं खाता था। इंदुलेखा प्रथम आधुनिक उपन्यास था जो मलयालम में लिखा गया। इसके अतिरिक्त आन्ध्र प्रदेश में तेलुगु अनुवाद का चलन आरंभ हुआ।
प्रश्न-24.
चंद्रकांता संतति एक महत्त्वपूर्ण हिंदी उपन्यास किस प्रकार बना?
उत्तर-
चंद्रकांता संतति देवकी नंदन खत्री ने लिखा जो एक रूमानी उपन्यासा था। इसमें छल, फंतासी, तिलस्म आदि का ताना-बाना बुना गया जो लोगों को बहुत पसंद आया तथा यह एक बेस्ट-सैलर उपन्यास बन गया। हिंदी तथा नागरी लिपि ने इसमें अहम भूमिका अदा की।
प्रश्न-25.
19वीं सदी में बंगाल के उपन्यासों की क्या विशेषताएँ थीं?
उत्तर-
19वीं सदी में दो प्रकार के उपन्यास लिखे जाते थे। पहली प्रकार में महिलाओं की दुर्दशा का उल्लेख किया जाता था। जबकि दूसरे प्रकार के उपन्यास रोमांचक एवं ऐतिहासिक कथाओं से जुड़े होते थे। व्यापारी कुलीन वर्ग को उपन्यास अत्यन्त पंसद आए। बंगाल में बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय के सभी उपन्यास प्रसिद्ध हुए। उनका ‘दुर्गेशनंदिनी’ अति प्रसिद्ध हुआ।
प्रश्न-26.
इंदिराबाई के विषय में 5-6 पंक्तियाँ लिखें।
उत्तर-
इंदिराबाई उपन्यास औपनिवेशिक काल में अतयन्त प्रसिद्ध हुआ जिसे गुलावड़ी वेंकटराव ने कन्नड़ में लिखा। यह उपन्यास उस नायिका की कहानी थी जिसका विवाह बहुत कम उम्र में एक वृद्ध से होता है। पति की मृत्यु के बाद नायिका को विधवा का जीवन व्यतीत करना पड़ता है, परन्तु उसकी शिक्षा और दूसरे विवाह के बाद स्थितियों में परिवर्तन होता है। इस उपन्यास में कम उम्र में विवाह तथा विधवा जीवन की त्रासदियों का उल्लेख हुआ।
प्रश्न-27.
औपनिवेशिक सरकार के लिए उपन्यास किस प्रकार लाभदायक थे?
उत्तर-
ब्रिटिश सरकार कदापि भारतीय परिवारों के विषय में नहीं जानती थी। अगल-अगल प्रकार के समुदायों, धर्मों जातियों एवं उनके रीति-रिवाजों के विषय में सरकार जानना चाहती थी। यह सलुभता उन्हें उपन्यासों के द्वारा प्राप्त हुई। कुछ उपन्यासों का प्रशासकों ने अंग्रेजी में अपवाद भी किया।
प्रश्न-28.
औपनिवेशिक उपन्यासों का प्रयोग भारत में किस प्रकार किया गया?
उत्तर-
औपनिवेशिक उपन्यासों को समाज की बुराइयाँ दिखाने के लिए प्रयुक्त किया गया। समाज की जो बुराइयाँ थीं, उनकी आलोचना लेखकों ने करनी आरंभ कर दी। इसके द्वारा ऐतिहासिक समय से संबध जोड़ा गया। इन उपन्यासों में शौर्य तथा रोमांचनक कथाएँ होती थीं।
प्रश्न-29.
लेखकों ने नायक-नायिकाओं को उपन्यासों किस प्रकार चित्रित किया जाता था?
उत्तर-
उन्यासकार नायक-नायिकाओं को आदर्श चरित्र के रूप में प्रसतुत करते थे। वे चाहते थे कि पाठक उनका अनुसरण करें। उदाहरण-‘इंदुलेखा’। इसकी नायिका को सुंदर एवं पढ़ा-लिखा दिखाया गया। नायक माधवन था जो नायर वर्ग का था। इस प्रकार नायक-नायिकाओं का चित्रण आधुनिक रूप में किया जाने लगा।
प्रश्न-30.
उपन्यास से मनोरंजन क्षेत्र में किस प्रकार परिवर्तन आया?
उत्तर-
उपन्यास भारतीय मध्यवर्ग के लिए एक मनोरंजन का साधन था। लोगों को अब पढ़ने में रुचि थी वे अनुवाद, लोकगीत, आदि के अनुवादित भागों को पढ़ते थे। आरंभ की 20वीं सदी में बहुत से उपन्यास लोकप्रिय हुए। इसी समय रहस्यात्मक और जासूसी उपन्यास भी प्रसिद्ध हो गए। काफी समय तक उपन्यासों को पढ़कर सुनाया जाता था। धीरे-धीरे इसे अकेले पढ़ने का चलन हो गया। लोग पढ़ते समय पूर्ण संसार को भूल जाते थे।
प्रश्न-31.
इस बारे में बताएँ कि हमारे देश में उपन्यासाओं में जाति के मुद्दे को किस तरह उठाया गया। किन्हीं दो उपन्यासों का उदाहरण दें और बताएं कि पाठकों को मौजदा सामाजिक मुद्दों के बारे में सोचने की प्रेरित करने के लिए क्या प्रयास किए गए?
उत्तर-
जाति का विषय हमारे देश का सदैव ही मुख्य विषय रहा है। उपन्यासकारों ने जाति-प्रथा के मुद्दे को उठाने का प्रयत्न समय-समय पर किया। उदाहरण ‘पोथेरी कुंजाम्बु’ की सरस्वतीविजयम जिसका नायक एक अछूत था। वह शहर भाग जाता है तथा अंग्रेजी पढ़-लिखकर तथा ईसाई धर्म अपनाकर लौटता है। इसमें निम्न जाति के व्यक्तियों की तरक्की का सपना देखा गया। बंगाल में भी निम्न जाति के विषय में लिखा गया। अन्य उदाहरण हैं-अद्वैव मल्ला बर्मन द्वारा लिखित ‘तीताश बदीर नाम’ जिसमें मल्लाहों के जीवन की त्रसदी को दर्शाया गया।
प्रश्न-32.
बशीर लेखक के विषय में व्याख्या करें।
उत्तर-
वैकोम मुहम्मद बशीर मलयालम के लेखक थें उनकी औपचारिक शिक्षा अत्यन्त कम थी। उनकी रचनाएँ अपने अनुभवों पर आधारित थीं। पाँच वर्ष की उम्र में उन्होंने नमक आंदोलन में भाग लिया। उन्होंने अपनी रचनाओं में आम भाषा का प्रयोग किया। वे स्वयं अपनी किताबें घर-घर जाकर बेचते थे। बशीर ने गरीबी, बंदी आदि जीवन पर रचनाएं लिखीं।
प्रश्न-33.
बताइए कि भारतीय उपन्यासी में एक अखिल भारतीय जुड़ाव का अहसास पैदा करने के लिए किस तरह कोशिशें की गई?
उत्तर-
भारतीय उपन्यासों में राष्ट्र को जोड़ने के प्रयास किए गए। उन उपन्यासों में लिखा जाने लगा जिसमें गुलामी से निकलने के विषय में लिखा गया और औपनिवेशिक सत्ता की बुराई की गई। आनन्दमठ’ उपन्यास में स्वतंत्रता सेनानियो को संगठिन होने के लिए प्रेरित किया गया। साहस तथा शौर्य से राष्ट्र को एकीकृत करने का प्रयास जारी रहा। उपन्यासों में इसके लिए हर समुदाय के लोगों को चित्रित किया जाने लगा। मजदूर, किसान, जमींदार, व्यवसायी, मध्ववर्ग, उच्चवर्ग, अशिक्षित एवं शिक्षित सभी को चित्रित किया जाता था।
प्रश्न-34.
प्रेमचंद के उपन्यासों में क्या खासियत थी?
उत्तर-
प्रेमचद के उपन्यास अधिकतर सामाजिक बुराइयों को चित्रित करने का प्रयास किया। उनहोंने कभी ऐतिहासिक चित्रण नहीं किया। ‘निर्मला’ की नायिका का विवाह एक अधेड़ उम्र के व्यक्ति से होता है, जबकि ‘रंगभूमि’ का नायक अछूत तथा नेत्रहीन था। ‘गोदान’ भारतीय किसानों पर लिखा गया जो बहुत लोकप्रिय हुआ।
प्रश्न-35.
उन्नीसवीं सदी के यूरोप और भारत, दोनों जगह उपन्यास पढ़ने वाली औरतों के बारे में जो चिंता पैदा हुई, उसे संक्षेप में लिखे। इन चिंताओं से इस बारे में क्या पता चलता है कि उस समय औरतों को किस तरह देखा जाता था?
उत्तर-
लिंग-भेद हमेशा समाज में विमान रहा है, चाहे वह भारत क्षेत्र हो या यूरोप उपन्यास सभी पढ़ रहे थे। औरत को केवल एक घर में रहने वाली या एक वस्तु के रूप में देखा जा रहा था। उपन्यासों में उसे छीन-हीन दर्शाया गया। यूरोप में औरतों की छवि को विभिन्न प्रकार से चित्रित किया गया। उनके अधि कारों की बात होने लगी। यह चिंता उत्पन्न हुई कि इस प्रकार के उपन्यास औरतों में आंदोलन की भावना भर देंगे। इसी प्रकार भारत में उपन्यास पढ़ने वाली च लिखने वाली औरतों को शक की नजर से देखा जाता। लेखिका हाना मूलेन्स ने उपन्यास को छिपकर लिखा था। महिलाओं को उपन्यास पढ़ने या लिखने के लिए सदैव निरुत्साहित किया जाता था। उपन्यासों ने यूरोप एवं भारत दोनों में ही औरतों के जीवन को परिवर्तित कर दिया। उनमें आजादी का भाव भरा। उपन्यासों की नायिकाओं के समान वं स्वच्छंद जीवन व्यतीत करना चाहती थीं।
उपन्यास, समाज और इतिहास Textbook Questions and Answers
प्रश्न 1.
इनकी व्याख्या करें
(क) ब्रिटेन मे आए सामजिक बदलावों से पाठिकाओं की संख्या में इजाफा हुआ।
उत्तर-
ब्रिटने में सामजिक बदलावों को उपन्यासों में दर्शाया जाने लगा। स्त्री अधिकारों की बातें आरंभ होने लगीं। उनसे जुड़ी भावनाओं, अनुभवों आदि को चित्रित किया जा रहा था। इरा कारण पाठिकाओं की संख्या में वृद्धि हुई।
(ख) रॉबिन्स क्रसो के वे कौन-से कृत्य है, जिनके कारण वह हमें ठेठ उपनिवेशकार दिखाई देने लगता है?
उत्तर-
रॉबिन्स क्रूसो का नायक एक दास दिखाया गया है। इस उपन्यास में औपनिवेशिक गुलामी को दिखाया गया है उपनिवेशवाद को एक कुदरती परिघटना माना गया है।
(ग) 1740 के बाद गरीब लोग भी उपन्यास पढ़ने लगे।
उत्तर-
1740 तक तकनीकी सुधार छपाई के खर्चे कम आने लगा। मार्केटिंग के नए तरीकों से किताबों की बिक्री बढ़ गई। चलने वाले पुस्तकालयों का चलन बढ़ गया, परंतु इसके बाद गरीब लोगों में उपन्यास पढ़ने का चलन हो गया।
(घ) औपनिवेशिक भारत के उपन्यासकार एक राजनैतिक उद्देश्य के लिए लिख रहे थे।
उत्तर-
औपनिवेशिक भारत में उपन्यासकारों का मुख्य उद्देश्य बन गया था-लोगों को उपनिवेवाद के विरुद्ध खड़ा करना। वे चाहते थे कि लोगों में राष्ट्रवाद की भावना जागृत हो। इसी राजनैतिक उद्देश्य को लेकर उपन्यासकारों ने उपन्यास लिखने आरंभ किए।
प्रश्न 2.
तकनीक और समाज के लिए उन बदलावों के बारे में बतलाइए जिनके चलते अठाहरवीं सदी के यूरोप में उपन्यास पढ़ने वालों की संख्या में वृद्धि हुई।
उत्तर-
उपन्यास के छपने के कारण उनके पढ़ने वालों की संख्या में वृद्धि होने लगी। उपन्यास अधिक-से-अधिक लोगों तक पहुँचने लगा। छपाई और संचार के कारण छोटे शहरों से सम्पर्क होने लगा। इनके कारण समाज में परिवर्तन होने लगे। बृहद् उत्पादन का आरंभ हो गया। धारावाहिक मुद्रण का चलन हो गया। उपन्यास को कहीं भी पढ़ा जा सकता था। नायक-नायिका का उल्लेख उपन्यासों में होता था। जो लोगों को दूसरी दुनिया में ले जाता। लोगों के जन-जीवन में परिवर्तन हुआ। अब उपन्यास बहुत लोगों तक पहुँचने लगा।
प्रश्न-3.
निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखें-
(क) उड़िया उपन्यास।
उत्तर-
उड़िया उपन्यास का प्रकाशन रामशंकर राय ने ‘सौदामिनी’ नामक उपन्यास के साथ आरंभ किया। फकीर मोहन सेनापति लगभग 30 वर्षों के मध्य उत्पन्न हुए। उनका मुख्य उपन्यास था-छः माणो आठौ गुठौ। उपन्यासों के द्वारा ग्रामीण मुद्दों को उठाया जाने लगा।
(ख) जेन ऑस्टिन द्वारा औरतों का चित्रण।
उत्तर-
जेन ऑस्टिन 19वीं सदी में महिला उपन्यासकार के रूप में उभरी। उन्होंने ब्रिटने के ग्रामीण समाज को तथा वहां औरतों की स्थिति का चित्रण किया। उन्होंने महिलाओं के अधिकारों के विषय में भी लिखा। ‘प्राइड एंड प्रिजुडिस’ में उन्होंने लिखा कि औरतों को सम्पति का अधिकार नहीं था।
(ग) उपन्यास ‘परीक्षा-गुरू’ में दर्शायी गई नए मध्यवर्ग की तस्वीर।
उत्तर-
परीक्षा गुरु में मध्यवर्ग के बाह्य एवं आंतरिक स्थितियों का उल्लेख किया गया। उपन्यास के चरित्रों को ब्रिटिश शासन के साथ चलने में कठिनाई आती है पाठक को सही प्रकार से जीवन जीने का तरीका सिखाता है। इस उपन्यास में अपने काम से दो विभिन्न समूहों के बीच अंतर समाप्त करने की शिक्षा दी गई है युवाओं को अखबार पढ़ने का संदेश, नई कृषि तकनीकी अपनाना, व्यापार को आधुनिक बनाना आदि का उल्लेख किया गया है।