आधे भारत के लोग रेगुलर और डायरेक्ट म्यूचुअल फंड को नहीं जानते, जानने पर बन जाएंगे करोड़पति

Mutual Fund: भारत में म्यूचुअल फंड निवेश तेजी से लोकप्रिय हो रहा है. लेकिन, बहुत से लोग अब भी रेगुलर और डायरेक्ट म्यूचुअल फंड के बीच अंतर को नहीं समझते. अगर लोग सही विकल्प चुनें, तो वे करोड़पति बनने की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं. रेगुलर और डायरेक्ट म्यूचुअल फंड के बीच मुख्य अंतर उनके खर्च और प्रबंधन में है. यह अंतर लंबी अवधि में निवेशकों को भारी लाभ दे सकता है. आइए इसे विस्तार से समझते हैं.

रेगुलर और डायरेक्ट म्यूचुअल फंड में अंतर

रेगुलर प्लान: रेगुलर म्यूचुअल फंड योजनाओं में निवेशक दलालों, वितरकों या एजेंट्स के माध्यम से निवेश करते हैं. इन मध्यस्थों के कमीशन का खर्च निवेशकों को उठाना पड़ता है.
डायरेक्ट प्लान: डायरेक्ट म्यूचुअल फंड योजनाओं में निवेशक सीधे एसेट मैनेजमेंट कंपनियों (AMC) से फंड खरीदते हैं. इसमें कोई बिचौलिया शामिल नहीं होता, इसलिए लागत कम होती है.

डायरेक्ट प्लान क्यों है बेहतर?

कम व्यय अनुपात (Expense Ratio): डायरेक्ट प्लान में बिचौलियों को कमीशन नहीं देना पड़ता, जिससे इसका व्यय अनुपात कम होता है. यह आपके निवेश पर उच्च रिटर्न की संभावना को बढ़ाता है.
लंबी अवधि में हाई रिटर्न: कम व्यय अनुपात का लाभ समय के साथ चक्रवृद्धि रिटर्न में दिखता है.

  • रेगुलर प्लान: 10% रिटर्न, 1% व्यय अनुपात
  • डायरेक्ट प्लान: 10% रिटर्न, 0.5% व्यय अनुपात
  • इस छोटे अंतर से भी लंबी अवधि में निवेश का बड़ा हिस्सा जुड़ जाता है.

कैसे करें डायरेक्ट म्यूचुअल फंड में निवेश?

  • एएमसी की वेबसाइट पर जाएं: सीधे एसेट मैनेजमेंट कंपनी की वेबसाइट पर जाकर प्लान खरीदें.
  • म्यूचुअल फंड ऐप्स का इस्तेमाल करें: Zerodha Coin, Groww, या Paytm Money जैसे ऐप्स डायरेक्ट प्लान में निवेश करने की सुविधा देते हैं.
  • DIY (Do-It-Yourself): बिना एजेंट्स की मदद के, आप अपनी पसंद के फंड का चयन कर सकते हैं.

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रेगुलर और डायरेक्ट म्यूचुअल फंड में निवेश के लिए महत्वपूर्ण टिप्स

  • अपने वित्तीय लक्ष्य तय करें: लंबी अवधि के निवेश के लिए डायरेक्ट प्लान सही विकल्प हो सकता है.
  • नियमित समीक्षा करें: समय-समय पर अपने पोर्टफोलियो की समीक्षा करें.
  • लर्निंग पर फोकस करें: म्यूचुअल फंड में निवेश से पहले उनके बारे में पूरी जानकारी लें.

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