अलसकथा

अलसकथा

SANSKRIT ( संस्कृत )

1. आलसशाला के कर्मचारियों ने आलसियों की परीक्षा क्यों और कैसे ली ?

उत्तर ⇒ अलसशाला में आलसियों की सुख-सुविधाओं को देखकर कम आलसी एवं कृत्रिम आलसियों की भीड़ जुटी थी जिससे अलसशाला का खर्च बेवजह बढ़ गया था । अतः, अलसशाला के व्यर्थ खर्च को रोकने तथा सही आलसियों की पहचान के लिए अलसशाला में आग लगा दी गई, जिससे नकली आलसी भाग खड़े हुए।


2. ‘अलसकथा’ पाठ से हमें क्या शिक्षा मिलती है ?
अथवा, अलसकथा’ पाठ के लेखक कौन हैं तथा उस कथा से क्या शिक्षा मिलती है ?

उत्तर ⇒ मैथिली कवि विद्यापति रचित ‘अलसकथा’ में आलसियों के माध्यम से शिक्षा दी गयी है कि उनका भरण-पोषण करुणाशीलों के बिना संभव नहीं है। आलसी काम नहीं करते, ऐसी स्थिति में कोई दयावान् ही उनकी व्यवस्था कर सकता है। अतएव आत्मनिर्भर न होकर दूसरे पर वे निर्भर हो जाते हैं।


3. ‘अलसकथा’ पाठ के आधार पर बताइए कि आलसी पुरुषों को आग से किसने और क्यों निकाला ?
अथवा, चारों आलसी पुरुष आग से किस प्रकार बचना चाहते थे ?

उत्तर ⇒ चारों आलसी पुरुष आग लगने पर भी घर से नहीं भागे। शोरगल सुनकर वे जान गए थे कि घर में आग लगी हुई है। वे चाहते थे कि कोई धार्मिक एवं दयालु व्यक्ति आकर आग पर जल, वस्त्र या कंबल डाल दे, जिससे आग बुझ जाए और वे लोग बच जाएँ। चूँकि आलसी व्यक्ति आग से बचने के लिए भी नहीं भाग सके इसलिए नियोगी पुरुष ने उनकी प्राण रक्षा : के लिए उन्हें घर से बाहर किया।


4. धन और दया किसे ना उचित है ?

उत्तर ⇒ निर्धनों को धन और रोगियों को दवा देना उचित है।


5. ‘अलसकथा’ पाठ में वास्तविक आलसियों की पहचान कैसे हुई ?

उत्तर ⇒ अलसकथा के अनुसार वास्तविक आलसियों की पहचान के लिए अलसशाला में आग लगा दी गई। आग लगने पर चार वास्तविक आलसियों को छोड़कर शेष सभी भाग गए।


6. ‘अलसकथा’ पाठ में किसका वर्णन है ?

उत्तर ⇒ विद्यापति विरचित पुरुष परीक्षा नामक ग्रंथ से उद्धृत ‘अलसकथा’ में आलस्य के निवारण की प्रेरणा और संसार के विचित्र गतिविधि का विवरण है। आलसियों को केवल करुणा का पात्र मानते हुए दान करने की इच्छा से मिथिला के मंत्री वीरेश्वर आलसशाला का निर्माण करवाते हैं। उनकी जिज्ञासा थी कि आलसी लोग कैसे जीवन जीने की कला का निर्वहन करते हैं। इस क्रम में इष्ट लाभ के लिए धूर्त और परिश्रमी भी आलसी बनकर पहुँच जाते हैं। आलसियों की बढ़ती संख्या को देखकर उसकी परीक्षा के लिए अलसगृह में आग लगा दी जाती है, जिसमें चार वास्तविक आलसियों को छोड़कर सभी भाग जाते हैं। इन आलसियों को बचा लिया जाता है। इस प्रकार अलसकथा में आलसियों के जीवन और व्यवहार का वर्णन है।


7. अलसंशाला में आग लगने पर क्या हुआ ?

उत्तर ⇒ अलसशाला में आग लगने पर सभी धूर्त आलसी भाग गए। चार आलसी सोये हुए बातें कर रहे थे। फैली आग को देखकर नियोगी पुरुषों ने चारों आलसियों के बाल पकड़कर खींचते हुए बाहर निकाले।


8. चारों आलसियों के वार्तालाप को अपने शब्दों में लिखें।

उत्तर ⇒ चारों आलसी निश्चय ही अपने आलसपन को सिद्ध कर रहे थे। एक ने मुँह ढंककर कहा-अरे हल्ला कैसा ? दूसरे ने कहा-लगता है इस घर में आग लग गई है। तीसरे ने कहा-कोई पानी से भींगे, वस्त्रों से ढंक दे। चौथे ने कहा-अरे वाचाल / कितनी बात करते हो ? चुपचाप क्यों नहीं रहते हो !


9. विद्यापति कौन थे? उन्होंने किस ग्रंथ की रचना की तथा ‘अलसकथा’ में किसकी कहानी है ? छह वाक्यों में लिखें।

उत्तर ⇒ विद्यापति एक महान् कवि एवं लेखक थे। इन्होंने पुरुष परीक्षा नामक ग्रंथ की रचना की । संस्कृत भाषा में लिखित पुरुष परीक्षा में कथारूप में अनेक मानवीय गुणों के महत्व का वर्णन है। दोष के निराकरण के लिए शिक्षा दी गयी है। विद्यापति एक लोकप्रिय मैथिलकवि थे। ये संस्कृत ग्रंथों के रचयिता भी थे। उनकी ख्याति संस्कृत विषयों में अत्यधिक थी।


10. मिथिलाराज्य का मंत्री कौन था? उन्होंने कृत्रिम आलसी की परीक्षा कैसे ली तथा अग्निलग्न घर देखकर कितने आलसी बच गये ?

उत्तर ⇒ मिथिलाराज्य का मंत्री वीशेश्वर था। उन्होंने घर में आग लगाकर कृत्रिम आलसी की परीक्षा ली। अग्नि लगन देखकर चार आलसी बच गए।


11. विद्यापति कौन थे ? उन्होंने किस ग्रंथ की रचना की ? पठित पाठ क आधार पर लिखें।

उत्तर ⇒ विद्यापति एक महान् कवि एवं लेखक थे। इन्होंने पुरुष परीक्षा नामक ग्रंथ की रचना की। संस्कृत भाषा में लिखित पुरुष परीक्षा में कथारूप में अनेक मानवीय गुणों के महत्व का वर्णन है तथा दोष के निराकरण के लिए शिक्षा दी गयी है। विद्यापति लोकप्रिय मैथिलकवि थे। ये संस्कृत ग्रंथों के रचयिता भी थे। इनकी ख्याति संस्कृत विषयों में अत्यधिक थी।


12. ‘अलसकथा’ का क्या संदेश है ?
अथवा, ‘अलसकथा’ पाठ में किस पर चर्चा की गयी है ?

उत्तर ⇒ अलसकथा का संदेश है कि आलस्य एक महान् रोग है। जीवन में विकास के लिए व्यक्ति का कर्मठ होना अत्यावश्यक है। आलस्य शरीर में रहनेवाला महान् शत्रु है जिससे अपना, परिवार का और समाज का विनाश अवश्य ही होता है।


13. अलसकथा का सारांश लिखें।

उत्तर ⇒ मिथिला में वीरेश्वर नामक मंत्री था। वह स्वभाव से दानशील और दयावान था। वह अनाथों और निर्धनों को प्रतिदिन भोजन देता था। इससे आलसी भी लाभान्वित होते थे। आलसियों को इच्छित लाभ की प्राप्ति को जानकर बहुत से लोक बिना परिश्रम तोन्द बढ़ानेवाले वहाँ इकट्ठे हो गए। इसके पश्चात् आलसियों को ऐसा सुख देखकर धूर्त लोग भी बनावटी आलस्य दिखाकर भोजन प्राप्त करने लगे। इसके बाद अत्यधिक धन-व्यय देखकर शाला चलाने वाले लोगों ने विचार किया कि छल से कपटी आलसी भी भोजन प्राप्त करते हैं यह हमलोगों की गलती है। अतः, उन आलसियों का परीक्षण करने हेतु उन्होंने आलसीशाला में आग लगाकर हल्ला कर दिया। इसके बाद घर में लगी आग को बढ़ती हुई देखकर सभी धूर्त भाग गये। लेकिन चार पुरुष अग्नि का आभास पाकर भी अपने स्थान पर यथावत बने रहकर बात करने लगे कि उन्हें कोई इस अग्नि से निकाल देता। अंततः व्यवस्थापक इस संबंध में उनकी आपस की वार्तालाप को सुनकर बढ़ी हुई अग्नि की ज्वाला से रक्षण हेतु उन्हें निकाल दिया। आलसियों की पहचान करते हुए उन्होंने पाया कि आलसी स्वयं अपना पोषण नहीं कर सकते। वे देव या दयावान लोगों की दया पर ही जीवित रह सकते हैं। अतः उन्हें मदद की पूर्ण जरूरत है। इसके बाद उन चारों आलसियों को पहले से अधिक चीजें मंत्री देने लगे।


14. किनकी क्या-क्या गतियाँ हैं ? पठित पाठ के आधार पर स्पष्ट करें।

उत्तर ⇒ गति को यहाँ विशेष रूप से विश्लेषित किया गया है। स्त्री, पुरुष एवं बच्चों की गतियाँ अलग-अलग हैं। स्त्रियों की गति पति हैं, बच्चों की गति माँ है तथा आलसियों की गति कारुणिकता (दयालुता) है। अर्थात् स्त्रियों की जीवनभंगिमा उसके पति पर निर्भर करती है। बच्चों की जीवनवृत्ति उसकी माँ ही होती है। आलसियों की जीवनवृत्ति दयालुओं पर ही निर्भर होती है। हा हाता ह । आलासया का जावनवृत्ति दयालुओं पर ही निर्भर होती है।


15. अलसकथा पाठ का पाँच वाक्यों में परिचय दें।

उत्तर ⇒ यह पाठ विद्यापति द्वारा रचित पुरुषपरीक्षा नामक कथाग्रन्थ से संकलित एक उपदेशात्मक लघु कथा है। विद्यापति ने मैथिली, अवहट्ट तथा संस्कृत तीनों भाषाओं में ग्रन्थ-रचना की थी। पुरुषपरीक्षा में धर्म, अर्थ, काम इत्यादि विषयों से सम्बद्ध अनेक मनोरंजक कथाएँ दी गयी हैं। अलसकथा में आलस्य के निवारण की प्रेरणा दी गयी है। इस पाठ से संसार की विचित्र गतिविधि का भी परिचय मिलता है।


16. अलसकथा का वर्णय विषय क्या है ?

उत्तर ⇒ विद्यापति द्वारा रचित कथाग्रंथ ‘पुरुष परीक्षा’ नामक पुस्तक से ली गयी। ‘अलसकथा’ मानव महत्त्व एवं दोषों के निराकरण की शिक्षा देती है। आलसियों को दान देने की इच्छा रखनेवाले वीरेश्वर ने यह जानने की उत्कठा प्रकट की थी कि आलसी जीवन जीने की कला का कैसे निर्वहन करते हैं। इष्ट लाभ के लिए मेहनती भी आलसी का रूप लेकर पहुँचने लगते हैं। उनका परीक्षा के लिए दानगृह में अग्नि प्रज्वलित की जाती है। आलसी भागने के क्रम में गीले कपडे से ढकने घर में आग लगी है, यहाँ कोई धार्मिक नहीं है और की चर्चा करते हैं। आलसी केवल करुणा के पात्र होते हैं।

17. अलसकथा का वर्णय विषय क्या है ?

उत्तर- विद्यापति द्वारा रचित कथाग्रंथ ‘पुरुष परीक्षा’ नामक पुस्तक से लिया गया ‘अलसकथा’ मानव महत्व एवं दोषों के निराकरण की शिक्षा देता है। आलसियों को दान देने की इच्छा रखनेवाले बीरेश्वर ने यह जानने की उत्कंठा प्रकट की थी कि आलसी जीवन जीने की कला का कैसे निर्वहन करते हैं। इष्ट लाभ के लिए मेहनती भी आलसी का रूप लेकर पहुँचने लगते हैं। उनकी परीक्षा के लिए दानगृह में अग्नि प्रज्वलित की जाती है। आलसी भागने के क्रम में गीले कपड़े से ढकने, घर में आग लगी है, यहाँ कोई धार्मिक नहीं है आदि की चर्चा करते हैं। आलसी केवल करूणा के पात्र होते हैं।


18. किनकी क्या-क्या गतियाँ हैं ? पठित पाठ के आधार पर स्पष्ट करें ।

उत्तर- गति को यहाँ विशेष रूप से विश्लेषित किया गया है । स्त्री, पुरुष एवं बच्चों की गतियाँ अलग-अलग हैं। स्त्रियों की गति पति हैं, बच्चों की गति माँ है तथा आलसियों की गति कारुणिकता (दयालुता) है। अर्थात् स्त्रियों की जीवनभंगिमा उसके पति पर निर्भर करती है। बच्चों की जीवनवृत्ति उसकी माँ ही होती है। आलसियों की जीवनवृत्ति दयालुओं पर ही निर्भर होती है।


19.अलसकथा पाठ का पाँच वाक्यों में परिचय दें।

उत्तर- यह पाठ विद्यापति द्वारा रचित पुरुषपरीक्षा नामक कथाग्रन्थ से संकलित एक उपदेशात्मक लघु कथा है। विद्यापति ने मैथिली, अवहट्ट तथा संस्कृत तीनों भाषाओं में ग्रन्थ-रचना की थी। पुरुषपरीक्षा में धर्म, अर्थ, काम इत्यादि विषयों से सम्बद्ध अनेक मनोरंजक कथाएँ दी गयी हैं। अलसकथा में आलस्य के निवारण की प्रेरणा दी गयी है। इस पाठ से संसार की विचित्र गतिविधि का भी परिचय मिलता है।


20.“अलसकथा’ से क्या शिक्षा मिलती है ?

उत्तर- मैथिली कवि विद्यापति रचित “अलसकथा” में आलसियों के माध्यम से शिक्षा दी गयी है कि उनका भरण-पोषण करुणाशीलों के बिना संभव नहीं है। आलसी काम नहीं करते, ऐसी स्थिति में कोई दयावान् ही उनकी व्यवस्था कर सकता है। अतएव आत्मनिर्भर न होकर दूसरे पर वे निर्भर हो जाते हैं।


21. “अलसकथा’ का क्या संदेश है ?

उत्तर- अलसकथा का संदेश है कि आलस्य एक महान् रोग है। आलसी का सहायक प्रायः कोई भी नहीं होता । जीवन में विकास के लिए व्यक्ति का कर्मठ होना अत्यावश्यक है। आलस्य शरीर में रहनेवाला महान् शत्रु है जिससे अपना, परिवार का और समाज का विनाश अवश्य ही होता है। यदि जीवन में विकास की इच्छा. रखते हैं तब आलस्य त्यागकर उद्यम को प्रेरित हों।


22. आलसी पुरुषों को आग से किसने निकाला ?

उत्तर- जब चार आलसी परुष आग लगने पर भी घर से नहीं भागे तब एक योगी पुरुष ने आकर उनके केशों को पकड़कर उन्हें ढकेलते हुए बाहर किया। इस प्रकार आलसी पुरुष आग से बचे।


23. चारों आलसी पुरुष आग से किस प्रकार बचना चाहते थे ?

उत्तर- चारों आलसी पुरुष आग लगने पर भी घर से नहीं भागे। शोरगुल सुनकर वे जान गए थे कि घर में आग लगी हुई है। वे चाहते थे कि कोई धार्मिक एवं दयालु व्यक्ति आकर आग पर जल, वस्त्र या कंबल डाल दे, जिससे आग बुझ जाए और वे लोग बच जाएँ।


24. ‘अलसकथा’ पाठ के आधार पर लेखक के विचार स्पष्ट करें।

उत्तर- ‘अलसकथा’ पाठ में लेखक विद्यापति ने अपने विचार को स्पष्ट करते हुए कहते हैं कि आलसी व्यक्ति बिना परिश्रम किए हुए जीवन व्यतीत करना चाहता है । कारूणिक व्यक्ति के बिना वह अपने को मौत से भी नहीं बचा पाता है । आलस्य शत्र के समान है।


25. अलस कथा का सारांश लिखें।

उत्तर- मिथिला में वीरेश्वर नामक मंत्री था। वह स्वभाव से दानशील और दयावान था। वह अनाथों और निर्धनों को प्रतिदिन भोजन देता था। इससे आलसी भी लाभान्वित होते थे। आलसियों को इच्छित लाभ की प्राप्ति को जानकर बहुत से लोक बिना परिश्रम तोन्द बढ़ानेवाले वहाँ इकट्ठे हो गये। इसके पश्चात् आलसियों को ऐसा सुख देखकर धूर्त लोक भी बनावटी आलस्य दिखाकर भोजन प्राप्त करने लगे। इसके बाद अत्यधिक धन-व्यय देखकर शाला चलाने वाले लोग विचार किये कि छल से कपटी आलसी भी भोजन प्राप्त करते हैं यह हमलोगों की गलती है। अतः उन आलसियों की परीक्षण करने हेतु उन्होंने आलसीशाला में आग लगाकर हल्ला कर दिया। इसके बाद घर में लगी आग को बढ़ती हुई देखकर सभी धूर्त भाग गये। लेकिन चार पुरुष अग्नि का आभास पाकर भी अपने स्थान पर यथावत बने रहकर बात करने लगे कि उन्हें कोई इस अग्नि से निकाल देता। अंततः व्यवस्थापक इस संबंध में उनकी आपस की वार्तालाप को सुनकर बढ़ी हुई अग्नि की ज्वाला से रक्षण हेतु उन्हें निकाल दिया। असली आलसियों की पहचान करते हुए उन्होंने पाया कि आलसी स्वयं अपना पोषण नहीं कर सकते। वे देव या दयावान लोगों की दया पर ही जीवित रह सकते हैं। अतः उन्हें मदद की पूर्ण जरूरत है। इसके बाद उन चारों आलसियों को पहन से अधिक चीजें मंत्री देने लगे।

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