अम्ल क्षार एवं लवण

अम्ल क्षार एवं लवण

Science ( विज्ञान  ) लघु  उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. प्लास्टर ऑफ पेरिस की जल के साथ अभिक्रिया के लिए समीकरण लिखिए। अथवा, प्लास्टर ऑफ पेरिस को आर्द्र-रोधी बर्तन में क्यों रखा जा चाहिए। इसकी व्याख्या कीजिए।

उत्तर⇒ प्लास्टर ऑफ पेरिस जलवाष्प से मिलकर जिप्सम बन जाता है।
Caso4.1/2H20 + 1/2H2O → Caso4.2H2O
         प्लास्टर ऑफ पेरिस                         जिप्सम


प्रश्न 2. घात के साथ अम्ल की अभिक्रिया होने पर सामान्यतः कौन-सी गैस निकलती है ? एक उदाहरण के द्वारा समझाइए । इस गैस की उपस्थिति की जाँच आप कैसे करेंगे? 

उत्तर⇒ जब धातु के साथ अम्ल अभिक्रिया करते हैं तब प्रायः हाइड्रोजन गैस उत्पन्न होती है।
Zn (s) + H2SO4 (dil)    →   ZnSo4 (aq) + H2 (g)
  जिंक         सल्फ्यूरिक अम्ल              जिंक सल्फेट         हाइड्रोजन,
हाइड्रोजन गैस को साबुन के घोल से गुजारें। बुलबुले उत्पन्न होंगे। उन बुलबुलों के निकट जलती हुई मोमबत्ती की ज्वाला लाएँ । वे फट-फट की ध्वनि के साथ जलेंगे। इससे हाइड्रोजन गैस की उपस्थिति सिद्ध हो जाती है।


प्रश्न 3. कठोर जल को मृदु करने के लिये जिस सोडियम यौगिक का उपयोग किया जाता है, उसका नाम लिखें। 

उत्तर⇒ धोने का सोडा (सोडियम कार्बोनेट) → Na2co3. 10H2O.


प्रश्न 4. सोडियम कार्बोनेट का जलीय विलयन क्षारीय होता है। क्यों? 

उत्तर⇒ सोडियम कार्बोनेट के जलीय विलयन में OH आयन की सांद्रता H+ की अपेक्षा अधिक होती है। अतः इसका जलीय विलयन क्षारीय होता है।


प्रश्न 5. धोने का सोडा तथा बेकिंग सोडे के दो-दो प्रमुख उपयोग बताइए। 

उत्तर⇒ धोवन सोडे के उपयोग-
(i) जल की स्थायी कठोरता को दूर करने के लिए।
(ii) काँच, साबुन, पेपर तथा बोरॉक्स, कॉस्टिक सोडा इत्यादि अनेक महत्त्वपूर्ण यौगिकों के उत्पादन के लिए ।

बेकिंग सोडे के उपयोग-
(i) एन्टैसिड का एक संघटक क्षारीय होने के कारण अम्ल के आधिक्य को उदासीन करता है।
(ii) यह खाद्य एवं पेय पदार्थों के योज्य पदार्थ के रूप में प्रयुक्त होता है। बेकिंग चूर्ण में सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट एवं टार्टरिक अम्ल या इस जैसा एक अम्ल होता है। जब बेकिंग चूर्ण को गर्म करते हैं तो इसमें विद्यमान सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट विखंडित होकर, कार्बन डाइऑक्साइड एवं सोडियम कार्बोनेट प्रदान करता है। कार्बन डाइऑक्साइड बाध्य करके ब्रेड एवं केक फूल जाते हैं।


प्रश्न 6. अम्ल का जलीय विलयन क्यों विधुत का चालन करता है?

उत्तर⇒ अम्ल का जलीय विलयन में आयनीकरण के कारण आयन उत्पन्न होते  हैं। इस कारण विधुत धारा प्रवाहित करने पर विधुत का चालन होने लगता है।


प्रश्न 7. जल की अनुपस्थिति में अम्ल का व्यवहार अम्लीय क्यों नहीं होता है ? 

उत्तर⇒ जल की उपस्थिति में ही अम्ल में H बनते हैं । अम्लों के अणुओं से H+ आयन का पृथक्करण, जल की अनुपस्थिति में नहीं हो सकता है।
HCl+ H20 → H3O+ + Cr-
अतः, जल की अनुपस्थिति में अम्ल, अम्लीय व्यवहार नहीं दर्शाते हैं।


प्रश्न 8. आसवित जल, विधुत का चालक क्यों नहीं होता जबकि वर्षा जल होता है? 

उत्तर⇒ आसवित जल में H+ आयन पृथक् नहीं होते हैं। वर्षा जल में अम्ल तथा अन्य अशुद्धियों की उपस्थिति होती है। अतः, वर्षा जल में H+ आयन तथा अन्य आयनों की उपस्थिति होती है। आयनों की उपस्थिति के कारण, वर्षा जल विधुत का चालन करते हैं।


प्रश्न 9. धोबिया सोडा एवं बेकिंग सोडा में अंतर स्पष्ट करें।

उत्तर⇒ धोबिया सोडा एवं बेकिंग सोडा में निम्नलिखित अंतर है- 

S.N               बेकिंग सोडा                        धोबिया सोडा
(i)
सोडियम बाइकार्बोनेट पेट की अम्लीयता को कम करने की औषधि (ऐंटासिड) के रूप में प्रयोग किया जाता है। यह प्रयोगशाला में अभिकर्मक के रूप में व्यवहार किया जाता है।
(ii)
रसोईघर में खाने के सोडा का उपयोग खास्ता व्यंजन बनाने के लिए किया जाता है। काँच, कागज, साबुन आदि के  उत्पादन में इसका उपयोग होता है।

प्रश्न 10. पीतल एवं तांबे के बर्तनों में दही एवं खट्टे पदार्थ क्यों नहीं रखने चाहिए? 

उत्तर⇒ यदि पीतल एवं तांबे के बर्तनों में दही एवं खट्टे पदार्थ रखे जाएँगे तो वे अम्लों की उपस्थिति के कारण धातु की सतह से क्रिया कर विषैले यौगिकों का निर्माण करेंगे जो हमारे शरीर के लिए हानिकारक होंगे। इसलिए, पीतल एवं ताँबे के बर्तन में इन पदार्थों को नहीं रखना चाहिए।


प्रश्न 11. उदासीनीकरण अभिक्रिया क्या है ? दो उदाहरण दीजिए। 

उत्तर⇒ यह अम्ल व क्षारक के बीच होनेवाली अभिक्रिया है जिसमें लवण व जल बनते हैं।

उदाहरण-

उदासीनीकरण अभिक्रिया क्या है


प्रश्न 12. प्लास्टर ऑफ पेरिस का आण्विक सूत्र लिखें। इसका उपयोग क्या है? 

उत्तर⇒ प्लास्टर ऑफ पेरिस का रासायनिक नाम कैल्सियम सल्फेट हेमी हाइड्रेट है तथा इसका आण्विक सूत्र CaSO4.1/2H2Oहै।
प्लास्टर ऑफ पेरिस का उपयोग –
(i) इसे साँचे, खिलौने, सिरेमिक बर्तन आदि बनाने में प्रयुक्त किया जाता है।
(ii) सजावटी सामान, मूर्तियाँ आदि इससे बनाए जाते हैं।
(iii) अस्पतालों में अस्थि विभाग और दंत विभाग के द्वारा इसका पर्याप्त प्रयोग किया जाता है । यह टूटी हुई हड्डियों को जोड़ने के लिए प्रयुक्त किया जाता है और टूटे हुए दाँतों के स्थान पर नकली दाँत लगाने के साँचे इससे बनाए जाते हैं।
(iv) भवनों की दीवारों और छतों को समतल करने और उन पर डिजाइन बनाने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है।
(v) अग्निशमन संबंधी सामग्री इससे तैयार की जाती है।
(vi) प्रयोगशालाओं में गैसों का रिसाव इससे रोका जाता है।


प्रश्न 13. प्लास्टर ऑफ पेरिस का सूत्र लिखें। यह जिप्सम से कैसे बनाया जाता है ?

उत्तर⇒ जिप्सम एक यौगिक है जिसका सूत्र Caso4.2H20 है। जब इसे 373 K तक गर्म किया जाता है तो प्लास्टर ऑफ पेरिस बन जाता है।

प्लास्टर ऑफ पेरिस का सूत्र लिखें

इस प्रक्रिया में तापमान पर निश्चित रूप से नियंत्रण रखा जाना चाहिए । अधिक तापमान हो जाने पर अजलीय कैल्सियम सल्फेट बन जाता है जिसमें प्लास्टर ऑफ पेरिस का कोई गुण नहीं होता।


प्रश्न 14. क्षार और क्षारक (भस्म) में अंतर लिखिए। 

उत्तर⇒ वें क्षारक जो जल में घुलनशील होते हैं उन्हें क्षार कहते हैं । इसका अर्थ है कि सभी क्षार क्षारक होते हैं पर सभी क्षारक क्षार नहीं होते । उदाहरण के लिए फेरिक हाइड्रॉक्साइड [Fe(OH)3] और क्यूपरिक हाइड्रॉक्साइड [Cu(OH)2] क्षारक हैं पर उन्हें क्षार नहीं कह सकते क्योंकि ये जल में घुलनशील नहीं हैं।


प्रश्न 15. सूचक से आप क्या समझते हैं? किसी एक सांश्लेषिक सूचक का नाम लिखें।

उत्तर⇒ सूचक रंजक या रंजकों का मिश्रण होता है जिसका उपयोग अम्ल एवं क्षारक की उपस्थिति सूचित करने में होता है।
सांश्लेषिक सूचक- मेथिल ऑरेंज।


प्रश्न 16. pH स्केल क्या है? उदासीन यौगिक का pH मान कितना होता है। 

उत्तर⇒ किसी विलयन में उपस्थित हाइड्रोजन आयन की सांद्रता ज्ञात करने वाले स्केल को pH स्केल कहते हैं। उदासीन यौगिक का pH मान 7 होता है।


प्रश्न 17. ब्लीचिंग पाउडर कैसे बनाया जाता है ? समीकरण दें। उसके दो उपयोगों को लिखें।अथवा,विरंजक चूर्ण क्या है? इसका रासायनिक नाम, सूत्र एवं उपयोग लिखें। अथवा,विरंजक चूर्ण किस प्रकार तैयार किया जाता है ? इसके सामान्य गुण और उपयोग लिखिए।

उत्तर⇒ विरंजक चूर्ण का निर्माण शुष्क बुझे हुए चूने पर क्लोरीन की क्रिया से होता है।
Ca(OH)2 (s) + Cl2 (g)-→CaOCl2 (s) + H2O (l)
बड़ी मात्रा में इसके निर्माण के लिए एक विशेष टावर लेते हैं जिसमें ऊपर से होकर शुष्क बुझा हुआ चूना डाला जाता है और नीचे से क्लोरीन गैस तथा गर्म वायु प्रवाहित करते हैं। क्लोरीन ऊपर तक पहुँचते-पहुँचते पूर्णतया अवशोषित हो जाती है और बुझा हुआ चूना विरंजक चूर्ण में बदल जाता है।

गुण-
(i) विरंजक चूर्ण पीले रंग का चूर्ण है, जिसमें क्लोरीन की तीखी गंध होती है।
(ii) यह जल में घुलनशील है, परन्तु पूरी तरह विलेय नहीं।
(iii) यह वायु की CO2 के साथ क्रिया करके क्लोरीन खो देता है।
CaOCl + CO2 → CaCO3 +Cl2b↑
(iv) यह अम्लों से क्रिया करता है।
CaoCl2+ 2HCl → CaCl2 + H2O+ Cl2
CaoCl2 + H2SO4→ Caso4 + H2O+Cl2

उपयोग –
(i) कागज तथा कपड़ा उद्योग में विरंजक के रूप में।
(ii) पेयजल को रोगाणुरहित करने में।
(iii) बिना सिकुड़ने वाली ऊन बनाने में।
(iv) यह क्लोरोफार्म बनाने में प्रयुक्त होता है।
(v) प्रयोगशाला में यह ऑक्सीकारक का कार्य करता है।


प्रश्न 18. (a) ब्लीचिंग पाउडर का रासायनिक सूत्र लिखें । हवा में खुला छोड़ने पर विरंजक चूर्ण से क्लोरिन की गंध क्यों आती है ? 
(b) तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल की विरंजक चूर्ण पर किया दर्शाने के लिए रासायनिक समीकरण लिखें। 

उत्तर⇒ (a) ब्लीचिंग पाउडर का रसायनिक सूत्र : Ca(OCI)Cl
ब्लीचिंग पाउडर को हवा में छोड़े पर इसकी अभिक्रिया हवा में उपस्थित जलवाष्प से होने के कारण क्लोरीन गैस निकलती है।
Ca(OCl) Cl+ H2O → Ca(OH)2+ Cl2
अतः ब्लीचिंग पाउंडर को हवा में छोड़ने पर क्लोरीन की गंध आती है।
(b) ब्लीचिंग पाउडर पर तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल की अभिक्रिया :
Ca(OCI)Cl+ 2HCl→ CaCl2 + H2O+ CI2


प्रश्न 19. सुरक्षा की दृष्टि से अम्ल को तनु बनाने के लिए अम्ल को धीरे-धीरे पानी में डाला जाता है। लेकिन पानी को अम्ल में नहीं क्यों ? 

उत्तर⇒ अम्ल में जब जल मिलाते हैं तो ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया होने के कारण ऊष्मा उत्पन्न होती है जिससे अम्ल बाहर छिटक कर हानि पहुँचा सकता है। इसी कारण अम्ल को तनु करने के लिए जल नहीं मिलाते हैं उसके स्थान पर जल में धीरे-धीरे अम्ल मिलाया जाता है।


प्रश्न 20. धोने का सोडा एवं बेकिंग सोडा के एक-एक प्रमुख उपयोग लिखें। 

उत्तर⇒ धोने का सोडा – जल की स्थायी कठोरता दूर करने में।
बेकिंग सोडा – एन्टैसिड का एक संघटक क्षारीय होने के कारण अम्ल के आधिक्य को उदासीन करता है।


प्रश्न 21. हमारे आमाशय में अम्ल की भूमिका क्या है?

उत्तर⇒ हमारे आमाशय में अम्ल की भूमिका –
(i) हमारे आमाशय में हाइड्रोक्लोरिक अम्ल जठर ग्रन्थियों से स्रावित होता है और भोजन में अम्लीय माध्यम प्रस्तुत करता है जिससे जठर रस का पेप्सिन नामक एंजाइम अम्लीय माध्यम में कार्य कर सके।
(ii) यह भोजन में उपस्थित रोगाणुओं को अक्रियाशील एवं नष्ट करता है।
(iii) यह भोजन को शीघ्रता से नहीं पचने देता।

 


प्रश्न 22. धोवन सोडा का रासायनिक नाम क्या है ? साल्वे विधि (Solvav’s) से धोवन सोडा को बनाने के लिये किन-किन पदार्थों की आवश्यकता होती है ? 

उत्तर⇒ धोवन सोडा का रासायनिक नाम सोडियम कार्बोनेट Na2CO3. 10H2O है तथा साल्वे विधि द्वारा इसके बनाने में सोडियम क्लोराइड अमोनिया तथा कार्बन डाइऑक्साइड गैस की आवश्यकता होती है।


प्रश्न 23. जिप्सम में उचित मात्रा में जल को मिलाने से एक कठोर जमे हुए यौगिक का निर्माण होता है। उस यौगिक को पहचाने । एक रासायनिक समीकरण के द्वारा इस यौगिक को बनाने की विधि समझाइए । अस्पताल में इसका क्या उपयोग होता है ?

उत्तर⇒ प्लास्टर ऑफ पेरिस में जल की उचित मात्रा मिलाने पर एक कठोर पदार्थ जिप्सम प्राप्त होता है। जिप्सम में उचित मात्रा में जल को मिलाने से एक कठोर जमे हुए यौगिक का निर्माण होता है

 

अस्पतालों में इसका उपयोग टूटी हड्डी को जोड़ने के लिए प्लास्टर के रूप में होता है।


प्रश्न 24. pH स्केल किसे कहते हैं ? ताजे दूध के pH मान 6 होता है। यदि बन जाने पर इसके pH मान में क्या परिवर्तन होगा ?

उत्तर⇒ किसी विलयन में उपस्थित हाइड्रोजन आयन की सांद्रता ज्ञात करने वाले स्केल को pH स्केल कहते हैं।
दही में लैक्टिक अम्ल होता है, अर्थात् जब दूध से दही बन जाता है तो वह अधिक अम्लीय हो जाता है। इसलिए pH मान 6 से कम हो जायेगा।


प्रश्न 25. परखनली ‘A’ एवं ‘B’ में समान लंबाई की मैग्नेशियम की पट्टी लीजिए। परखनली ‘A’ में हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCI) तथा परखनली ‘B’ में एसिटिक (CH3COOH) अम्ल डालिए। किस परखनली में अधिक तेजी से बुदबुदाहट होगी तथा क्यों? 

उत्तर⇒ HCl एक प्रबलं अम्ल है तथा एसिटिक अम्ल एक दुर्बल अम्ल है। प्रबल अम्ल में अधिक हाइड्रोजन आयन (H+) होते हैं । अत: HCl के साथ की क्रिया में अधिक तेजी से बुदबुदाहट होगी, क्योंकि इसमें अधिक गैस उत्पन्न होती है ।
Mg + 2HCl → MgCl2 + H2


प्रश्न 26. HCL, HNO3 आदि जलीय विलयन में अम्लीय अभिलक्षण क्यों प्रदर्शित करते हैं, जबकि ऐल्कोहॉल एवं ग्लूकोज जैसे यौगिकों के विलयनों में अम्लीयता के अभिलक्षण नहीं प्रदर्शित होते हैं ?

उत्तर⇒ HCl, HNO3 आदि जलीय विलयन में अम्लीय अभिलक्षण प्रदर्शित करते हैं, क्योंकि ये जलीय विलयन में आयनीकरण करके H+ आयन उत्पन्न करते हैं। जबकि ऐल्कोहॉल एवं ग्लूकोज आयनीकरण नहीं करते और विधुत H+ आयन को उत्पन्न नहीं करते । ये जलीय विलयन में विधुत् चालकता का गुण प्रदर्शित नहीं करते । इसलिए ये अम्लीयता के अभिलक्षण प्रदर्शित नहीं करते हैं।


प्रश्न 27. एक ग्वाला ताजे दूध में थोड़ा बेकिंग सोडा मिलाता है। (a) ताजा दूध के pH के मान को 6 से बदलकर थोड़ा क्षारीय क्यों बना देता है ? (B) इस दुध को दही बनने में अधिक समय क्यों लगता है ? 

उत्तर⇒ (a) बेकिंग सोडा क्षारकीय होता है। अतः, बेकिंग सोडा मिलाने पर ताजे दूध की pH मान 6 से थोड़ा क्षारकता की ओर हो जाती है। इसलिए दूध से दही नहीं बनता है।
(b) बेकिंग सोडा मिलाने से दूध की pH क्षारकता की तरफ बढ़ जाती है। अतः pH को कम होने में समय लगता है और इसलिए दूध से दही बनने में अधिक समय लगता है।


प्रश्न 28. कोई धातु यौगिक ‘A’ तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल के साथ अभिक्रिया करता है तो बुदबुदाहट उत्पन्न होती है। इससे उत्पन्न गैस जलती मोमबत्ती को बुझा देती है। यदि उत्पन्न यौगिकों में एक कैल्सियम क्लोराइड है तो इस अभिक्रिया के लिए संतुलित रासायनिक समीकरण लिखिए । 

उत्तर⇒ इस अभिक्रिया के लिए संतुलित रासायनिक समीकरण है –

भिक्रिया के लिए संतुलित रासायनिक समीकरण लिखिए

यौगिक ‘A’ अवश्य ही कैल्सियम कार्बोनेट है। यह तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल से क्रिया कर कैल्सियम क्लोराइड, जल और कार्बन डाइऑक्साइड बनाता है। कार्बन डाइऑक्साइड में आग बुझाने का गुण होता है। इसीलिए वह जलती मोमबत्ती को बुझा देती है।


प्रश्न 29. किन्हीं दो जलयोजित लवणों के नाम, सूत्र एवं रंग को लिखें। 

उत्तर⇒ धोवण सोडा = Na2CO3 . 10H2O, रंग – सफेद
फेरस सल्फेट = FeSO4.7H2O, रंग – हरा


प्रश्न 30. वाशिंग सोडे की प्रकृति कैसी होती है ? इसे किस प्रकार जाँचेंगे ? 

उत्तर⇒ वाशिंग सोडा की प्रकृति क्षारीय होती है। इसे लाल लिटमस पत्र से जाँचा जा सकता है। वह नीले रंग का हो जाएगा।


प्रश्न 31. शक्तिशाली विलायकों के अम्लीय, क्षारीय और लवणीय उदाहरण दीजिए। 

उत्तर⇒ अम्लीय – सल्फ्यूरिक अम्ल, हाइड्रोक्लोरिक अम्ल और नाइट्रिक अम्ल।
क्षारीय – सोडियम हाइड्रोक्साइड, पोटैशियम हाइड्रोक्साइड, बेरियम हाइड्रोक्साइड ।
लवणीय – सोडियम क्लोराइड, पोटैशियम सल्फेट, लैड ब्रोमाइड ।


प्रश्न 32. कमजोर विलायकों के अम्लीय, क्षारीय और लवणीय उदाहरण दीजिए। 

उत्तर⇒ अम्लीय – एसिटिक अम्ल, ऑक्जालिक अम्ल, सिट्रिक अम्ल ।
क्षारीय – कैल्सियम हाइड्रोक्साइड, मैग्नीशियम हाइड्रोक्साइड, अमोनियम हाइड्रोक्साइड ।
लवणीय – सोडियम कार्बोनेट, पोटैशियम एसिटेट, सोडियम आक्सालेट ।


प्रश्न 33. सोडियम हाइड्रोजनकार्बोनेट के विलयन को गर्म करने पर क्या होगा ? इस अभिक्रिया के लिए समीकरण लिखिए। 

उत्तर⇒ सोडियम हाइड्रोजनकार्बोनेट को गर्म करने पर निम्न अभिक्रिया होती है

सोडियम हाइड्रोजनकार्बोनेट के विलयन को गर्म करने पर क्या होगा


प्रश्न 34. अम्लों को स्रोत के आधार पर किन दो वर्गों में बाँटा जाता है? 

उत्तर⇒ अम्लों को स्रोत के आधार पर निम्न दो वर्गों में बाँटा जाता है –
(i) अकार्बनिक (Inorganic या Mineral)
(ii) कार्वनिक (Organic)।


प्रश्न 35. अम्लों की हमारे जीवन में हानियाँ लिखिए।

उत्तर⇒ अम्लों की हमारे जीवन में हानियाँ –  

(i) ये सजीव कोशिकाओं को नष्ट करते हैं।
(ii) सांद्र अम्ल त्वचा और कोमल अंगों को गंभीर क्षति पहुँचाते हैं।
(iii) कुछ खाद्य पदार्थों को खराब कर देते हैं।


प्रश्न 36. धोने का सोडा का रासायनिक सूत्र लिखिए। जब इसके क्रिस्टलों को वायु में खुला छोड़ देते हैं, तो क्या होता है ? 

उत्तर⇒ धोने का सोडा, अर्थात् धोवन सोडा का सूत्र Na2CO3.10H2O  है जब इसके क्रिस्टलों को हवा में उद्भासित किया जाता है तब उत्फुल्लन प्रक्रिया से पानी के नौ अणु बाहर निकल जाते हैं।
Na2CO3.10H2O → Na2CO3.H2O + 9H2O


प्रश्न 37. अस्पतालों में टूटी हुई अस्थियों को जोड़कर बैठाने के लिए उपयोग में लाए जाने वाले यौगिक का नामोल्लेख कीजिए । इसको कैसे निर्मित करते हैं? 

उत्तर⇒ अस्पतालों में टूटी हुई हड्डियों को जोड़ने के लिए जिस यौगिक का प्रयोग किया जाता है उसे प्लास्टर ऑफ पेरिस कहते हैं। इसे रासायनिक दृष्टि से कैल्सियम सल्फेट हेमी हाइड्रेट (CaSO4.1/2H2O) कहते हैं । इसे भट्ठी में जिप्सम को 373K ताप पर गर्म करके बनाया जाता है।


प्रश्न 38. अम्ल एवं क्षारक के बीच की अभिक्रिया को उदासीनीकरण अभिक्रिया कहते हैं, क्यों? एक उदाहरण दें। 

उत्तर⇒ अम्ल एवं क्षारक के बीच की अभिक्रिया से लवण तथा जल बनता है अर्थात दोनों एक-दूसरे को उदासीन कर देते हैं । इसलिए अम्ल एवं क्षारक के बीच की अभिक्रिया को उदासीनीकरण अभिक्रिया कहते हैं।

उदाहरण – भिक्रिया निम्नांकित प्रकार होती है –
NaOH + HCl → NaCl + H2O


प्रश्न 39. हमारे दैनिक जीवन में अम्लों के कोई चार उपयोग लिखिए।

उत्तर⇒ दैनिक जीवन में अम्लों के चार उपयोग हैं –
(i) सिरका हमारे भोजन को पकाने और उसकी सुरक्षा तथा अचार बनाने के काम आता है।
(ii) हमारे पेट में HCI हानिकारक जीवाणुओं को नष्ट कर देता है जो भोजन के साथ वहाँ पहुँच जाते हैं।
(iii) टारटैरिक अम्ल बेकिंग पाउडर बनाने में काम आता है ।
(iv) कार्बोनिक अम्ल पेय पदार्थों में प्रयुक्त किया जाता है ।


प्रश्न 40. साधारण नमक के उपयोग लिखिए।

उत्तर⇒ साधारण नमक के उपयोग निम्नांकित हैं –
(i) नमक हमारे भोजन का अनिवार्य भाग है।
(ii) यह अनेक भोज्य पदार्थों को सुरक्षित रखने में काम आता है।
(iii)  यह साबुन उद्योग, पॉटरी आदि में प्रयुक्त होता है ।
(iv) यह हिमकारी मिश्रण बनाने में प्रयुक्त होता है।
(v) इसका उपयोग धोवन सोडा, विरंजक चूर्ण, कास्टिक सोडा, हाइड्रोक्लोरिक अम्ल, मीठा सोडा आदि बनाने में किया जाता है।


प्रश्न 41. विरंजक चूर्ण के क्या-क्या महत्त्वपूर्ण उपयोग हैं ?

उत्तर⇒ विरंजक चूर्ण के निम्न महत्त्वपूर्ण उपयोग हैं –
(i) इसे सूती कपड़े, लिनेन और लकड़ी के गुद्दे में उड़ाने के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
(ii) पीने योग्य पानी से हानिकारक जीवाणुओं के नाश के लिए इसका प्रयोग किया जाता है।
(iii) क्लोरोफॉर्म बनाने में प्रयुक्त होता है।
(iv)  न सिकडने वाली ऊन का इसकी सहायता से निर्माण किया जाता है।
(v) प्रयोगशाला और उद्योगों में ऑक्सीकारक का कार्य करता है।


प्रश्न 42. अम्लों के सामान्य गुंण बताएँ।

उत्तर⇒ अम्लों के सामान्य गुण –
(i) इनका स्वाद खट्टा होता है।
(ii) ये नीले लिटमस को लाल कर देते हैं।
(iii)  इनका घोल साबुन के घोल की तरह चिकना नहीं होता।
((iv)  ये धातुओं के साथ क्रिया करके हाइड्रोजन गैस बनाते हैं।
(v) ये कार्बोनेट के साथ क्रिया करके कार्बन डाइऑक्साइड उत्पन्न करते हैं ।
(vi) अम्ल, क्षारकों से क्रिया करके लवण और पानी बनाते हैं।


प्रश्न 43. क्षारकों के सामान्य गुण लिखें।

उत्तर⇒ क्षारकों के सामान्य गुण निम्न हैं –
(i) इनका स्वाद कड़वा होता है।
(ii) ये साबुन जैसे चिकने होते हैं तथा त्वचा को क्षति पहुँचाते हैं।
(iii) ये लाल लिटमस को नीला कर देते हैं।
(iv)  ये हल्दी के रंग को भूरा लाल कर देते हैं ।
(v) ये अम्लों के साथ क्रिया करके लवण तथा पानी बनाते हैं ।
(vi) ये फिनालफ्थेलिन के घोल को गुलाबी कर देते हैं।


प्रश्न 44. धोवन सोडा के महत्त्वपूर्ण गुणधर्मों का विवरण दीजिए। 

उत्तर⇒(i)  धोवन सोडा पारदर्शक क्रिस्टलीय ठोस है। इसके क्रिस्टलीय जल के 10 अणु आबद्ध रहते हैं।
(ii) यह पानी में घुलनशील है। पानी में घुलकर क्षारीय घोल बनाता है जो लाल लिटमस को नीला कर देता है जो इसकी क्षारीय प्रकृति को प्रकट करता है।
(iii) वायु का प्रभाव-जब इसे गर्म किया जाता है तो उत्फुल्लन के कारण क्रिस्टलीय जल के 9 अणु इससे अलग हो जाते हैं और मोनोहाइड्रेट बन जाता है।
Na2CO3 10H2O →Na2CO3. H2O + 9H2O
(iv)  ऊष्मा का प्रभावं – जब धोवन सोडा को 373 K तक गर्म किया जाता है तो इसके सभी क्रिस्टलीय जल के अणु इससे दूर हो जाते हैं और यह जलीय सफेद पाउडर में बदल जाता है जिसे सोडा ऐश कहते हैं ।


प्रश्न 45. साधारण नमक (NaCl) की प्राप्ति कहाँ-कहाँ से होती है ? स्पष्ट कीजिए। 

उत्तर⇒ साधारण नमक निम्नलिखित स्रोतों से प्राप्त होता है –
(i) समुद्री-जल – समुद्री जल में साधारण नमक की बहुत बड़ी मात्रा घुली हुई है। समुद्री जल से नमक की प्राप्ति ‘लवण क्यारियों’ के माध्यम से होती है । सूर्य के ताप और वायु की सहायता से समुद्री जल का वाष्पीकरण होता है । इससे नमक की प्राप्ति होती है । इस नमक में MgCl2, MgSO4 जैसी अनेक अशुद्धियाँ मिली होती हैं। इन अशुद्धियों को दूर कर शुद्ध नमक प्राप्त कर लिया जाता है।

(ii) खनिज नमक – संसार के अनेक भागों में ठोस लवण का निक्षेप होता है। यह खनिज लवण तब बना था जब युगों पहले समुद्र का कोई हिस्सा सूख गया था। इस नमक का खनन उसी प्रकार होता है जैसे कोयले का किया जाता है। मंडी (हिमाचल प्रदेश), खेवड़ा (पाकिस्तान) आदि में ऐसा नमक उपलब्ध है । अशुद्धियों के कारण यह नमक प्रायः भूरे रंग का होता है। कभी-कभी भूमि तल की गहराई से जल में घोलकर पंपों की सहायता से बाहर निकाला जाता है।

(iii) झीलों से – राजस्थान की सांभर झील, अमेरिका की ग्रेट साल्ट लेक, रूस की लेक एल्टन आदि से भी नमक प्राप्त किया जाता है। इसे जल के वाष्पीकरण से प्राप्त किया जाता है।


प्रश्न 46. धोवन सोडा किस प्रकार तैयार किया जाता है ? इसके उपयोग लिखिए।

उत्तर⇒ धोवन सोडा (Na2CO3.10H2O) एक रसायन जिसे सोडियम क्लोराइड कहते हैं, से प्राप्त किया जा सकता है। बेकिंग सोडा को गर्म करके सोडियम कार्बोनेट प्राप्त किया जा सकता है । सोडियम कार्बोनेट के पुनः क्रिस्टलीकरण से धोने का सोडा प्राप्त होता है। यह भी एक क्षारकीय लवण है।
Na2CO3 + 10H2O→ Na2CO3 10H2O
(सोडियम कार्बोनेट) 

सोडियम कार्बोनेट एवं सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट, कई औद्योगिक प्रक्रियाओं के लिए उपयोगी रसायन है।

धोने के सोडा के उपयोग –
(i) सोडियम कार्बोनेट का उपयोग काँच, साबुन एवं कागज उद्योगों में होता है।
(ii) इसका उपयोग बोरेक्स जैसे सोडियम यौगिक के उत्पादन में होता है।
(iii)  सोडियम कार्बोनेट का उपयोग घरों में साफ-सफाई के लिए होता है।
(iv) जल की स्थाई कठोरता को हटाने के लिए इसका उपयोग होता है ।


प्रश्न 47. क्या होता है जब ताजे चूने के पानी में से कार्बन डाइऑक्साइड गैस गुजारी जाती है ? 

उत्तर⇒ जब ताजे चूने के पानी में से थोड़ी मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड गैस गुजारी जाए तो अघुलनशील कैल्सियम कार्बोनेट के कारण उसका रंग दूधिया हो जाएगा –
Ca(OH)2  +   CO       →     CaCO     +     H2O
चूने का पानी    कार्बन डाइऑक्साइंड     कैल्सियम कार्बोनेट        पानी 
इस घोल में यदि और कार्बन डाइऑक्साइड गैस गुजारी जाए तो यह कैल्सियस कार्बोनेट घुलनशील बाइकार्बोनेट में बदल जाएंगे जिससे चूने के पानी का दुधियापन समाप्त हो जाएगा –

Class 10th Chemistry

डाइऑक्साइड बाइकार्बोनेट इसी घोल को पुनः गर्म करने पर दूधिया रंग प्राप्त हो जाएगा, क्योंकि कैल्सियम बाइकार्बोनेट फिर कैल्सियम कार्बोनेट में बदल जाता है

Class 10th Chemistry


प्रश्न 48. लवण विलयनों के pH मान पर टिप्पणी कीजिए। 

उत्तर ⇒ प्रबल अम्ल और प्रबल क्षारक के लवण के pH का मान 7 होता है और यह उदासीन होते हैं । प्रबल अम्ल और दुर्बल क्षारक के लवण के pH मान 7 से कम होता है और ये अम्लीय होते हैं । प्रबल क्षारक और दुर्बल अम्ल के लवण के pH मान 7 से अधिक होता है और ये क्षारकीय होते हैं।
(i). प्रबल अम्ल और प्रबल क्षारक के लवण – इनके उदाहरण हैं –  
NaCl, NaNO3, Na2SO4 KCI, K2SO4 KNO3 जब ये जल में घोले जाते हैं तब ये प्रबल अम्ल और प्रबल क्षारक ही बनाते हैं। ये पूरी तरह से एक-दूसरे को उदासीन कर देते हैं।
∴ pH = 7

(ii). प्रबल अम्ल और दुर्बल क्षारक के लवण –  इनके उदाहरण हैं –
NH4Cl, BaCl2, ZnSO4,CuSO4 प्रबल अम्ल दुर्बल क्षारक को प्रभावित करता है ।
∴ pH < 7

(iii). दुर्बल अम्ल और प्रबल क्षारक के लवण – इनके उदाहरण हैं –
Na2CO3, NaHCO3, CH3COONa
प्रबल क्षारक दुर्बल अम्ल को प्रभावित करता है ।
∴  pH > 7

(iv). दुर्बल अम्ल और दुर्बल क्षारक के लवण – इसका उदाहरण है –
CH3COONH4 इसमें विलयन लगभग उदासीन होता है।
∴  pH = 7 (लगभग)

 

Science ( विज्ञान  ) दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

 

1. अम्ल और क्षारक में अंतर बतावें।

उत्तर⇒

अम्ल क्षारक
(i) इसका स्वाद खट्टा होता है। (i) इसका स्वाद खारा होता है।
(ii) यह नीले लिटमस पत्र को लाल करता है। (ii) यह लाल लिटमस पत्र को नीला करता है।
(ii) यह मेथिल ऑरेंज को लाल कर देता है। (iii).यह मेथिल ऑरेंज को पीला कर देता है।
(iv) यह जल में विलेय होकर हाइड्रोजन आयन (H+)देता है। (iv) यह जल में विलेय होकर हाइड्रॉक्साइड (OH) आयन देता है।
(v) यह क्षारक को उदासीन कर देता है। (v) यह अम्ल को उदासीन कर देता है।
(vi) इसका pH मान 7 से कम होता है। (vi) इसका pH मान 7 से अधिक होता है।

 


2. साधारण नमक का उत्पादन कैसे होता है ? इसे रासायनिक उद्योग का कच्चा माल क्यों कहते हैं ?

उत्तर⇒ हाइड्रोक्लोरिक अम्ल और सोडियम हाइड्रॉक्साइड के विलयन आपस | में अभिक्रिया कर सोडियम क्लोराइड नमक बनाता है।साधारण नमक का उत्पादन कैसे होता है इसे रासायनिक उद्योग का कच्चा माल क्यों कहते हैं

यह लवण उदासीन है।
समुद्री जल में कई प्रकार के लवण घुले होते हैं। इन लवणों से सोडियम क्लोराइड प्राप्त किया जाता है।
इस प्रकार प्राप्त साधारण नमक हमारे दैनिक उपयोग के कई पदार्थों, जैसे सोडियम हाइड्रॉक्साइड, बेकिंग सोडा, वाशिंग सोडा, विरंजक चूर्ण आदि के लिए | यह एक महत्त्वपूर्ण कच्चा पदार्थ है।


3. धोनेवाले सोडा का निर्माण कैसे किया जाता है ? इसके तीन उपयोगों को लिखें।

उत्तर⇒ बेकिंग सोडा को गर्म करने पर सोडियम कार्बोनेट (धोने वाला सोडा) का निर्माण होता है।

धोनेवाले सोडा का निर्माण कैसे किया जाता है इसके तीन उपयोगों को लिखें।

सोडियम कार्बोनेट में क्रिस्टलन जल के 10 अणु होते हैं। अतः इनके क्रिस्टल का अणुसूत्र Na2CO3 10H2O है।

धोनेवाले सोडा के तीन उपयोग :

(i) सोडियम कार्बोनेट का उपयोग काँच, साबुन एवं कागज उद्योगों में होता है।

(ii) जल की स्थायी कठोरता दूर करने में भी इसका उपयोग होता है

(iii) बोरेक्स जैसे सोडियम यौगिक के बनाने में इसका उपयोग है।


4. वाशिंग सोडा अथवा सोडियम कार्बोनेट का उत्पादन कैसे किया जाता है ? संक्षेप में अभिक्रिया समेत लिखें। इसके उपयोग भी लिखें।

उत्तर⇒ सोडियम कार्बोनेट का उत्पादन साल्वे विधि से किया जाता है। इस विधि में सोडियम क्लोराइड के संतप्त घोल को अमोनिया से संतृप्त कर उसमें कार्बन डायऑक्साइड गैस प्रवाहित किया जाता है। इससे सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट का अवक्षेप प्राप्त होता है।

NH3 + H2O + CO2 → NH4HCO3

NaCl + NH4HCO3 → NaHCO3 ↓+ NH4Cl2

अवक्षेप को छानकर सुखा लिया जाता है। इसे गर्म करने पर सोडियम कार्बोनेट प्राप्त होता है। फिर इसका रवाकरण कर वाशिंग सोडा प्राप्त किया जाता है।

वाशिंग सोडा अथवा सोडियम कार्बोनेट का उत्पादन कैसे किया जाता है संक्षेप में अभिक्रिया समेत लिखें। इसके उपयोग भी लिखें।

अमोनिया और सोडा वाटर (Co, का जलीय घोल) को कच्चे माल के रूप में प्रयोग में लाने के कारण इस विधि को अमोनिया-सोडा विधि कहा जाता है।

इसका उपयोग :

(i) कपड़ा धोने में
(ii) जल की अस्थायी कठोरता दूर करने में
(iii) अभिकर्मक के रूप में।


5. प्लास्टर ऑफ पेरिस के निर्माण की विधि एवं उपयोग लिखें।

उत्तर⇒ जिप्सम को 373°K पर गर्म करने पर यह जल के अणओं का त्याग कर कैल्सियम सल्फेट अर्द्धहाइड्रेट 6. प्लास्टर ऑफ पेरिस के निर्माण की विधि एवं उपयोग लिखें। उत्तर—जिप्सम को 373°K पर गर्म करने पर यह जल के अणओं का त्याग कर कैल्सियम सल्फेट अर्द्धहाइड्रेट ( CasO, HO) बनाता है। _ caso. 21,0-case, Ho+H, ऊष्मा 373°K इसका उपयोग : . को डॉक्टर टूटी हड्डियों को सही जगह पर स्थिर रखने के लिए इसका उपयोग करते हैं। (ii) इसका उपयोग खिलौना बनाने में होता है। बनाता है।प्लास्टर ऑफ पेरिस के निर्माण की विधि एवं उपयोग लिखें।

इसका उपयोग :

(i) डॉक्टर टूटी हड्डियों को सही जगह पर स्थिर रखने के लिए इसकाउपयोग करते हैं।

(ii) इसका उपयोग खिलौना बनाने में होता है।


6. जलीय विलयन में अम्ल और क्षारक का क्या व्यवहार होता है ?

उत्तर⇒ जल की उपस्थिति में HCl में हाइड्रोजन आयन (H+) उत्पन्न होते हैं। जल की अनुपस्थिति में HCl अणुओं से H+ आयन पृथक नहीं हो सकते हैं।

HCl+ H2O → H3O++Cl

हाइड्रोजन आयन स्वतंत्र रूप में नहीं रह सकते लेकिन ये जल के अणुओं के साथ मिलकर रह सकते हैं। अतः हाइड्रोजन आयन को सदैव H+ (aq.) या हाइड्रोनियम आयन (H3O+) से दर्शाया जाता है। यह विद्युत का चालन करता है। किसी क्षारक को जल में घोलने पर हाइड्रोक्सिल आयन (OH) उत्पन्न होते हैं।

जलीय विलयन में अम्ल और क्षारक का क्या व्यवहार होता है

जल में घुलनशील क्षारक को क्षार कहते हैं।


7. उत्फुलनशील, प्रस्वेदी और द्रव्याग्राही लवण से,क्या समझते हैं ? समझाकर लिखें।

उत्तर⇒ उत्कुलन लवण : कुछ रवायुक्त लवण को वायु में छोड़ देने पर अपना रवाजल को खोकर चूर्ण के समान लवण बच जाते हैं। ऐसे लवण उत्फुल लवण कहे जाते हैं।

जैसे Na2Co3 10H2O, Na2so4 10H2O आदि।

प्रस्वेदी लवण : कुछ लवण हवा में छोड़ देने पर नमी सोख कर पसीज जाते हैं और धीरे-धीरे एक जलीय घोल के रूप में परिणत हो जाते हैं। ऐसे लवण प्रस्वेदी कहलाते हैं। जैसे कैल्सियम क्लोराइड, जिंक क्लोराइड आदि।

द्रव्यग्राही लवण – कुछ रवादार लवण वायु से जल को सोख लेते हैं लेकिन इतना नहीं सोखते हैं कि वे गीले हो जाएँ।
ऐसे लवण द्रव्यग्राही लवण कहलाते हैं जैसे नमक में अशुद्धि के रूप में थोडा मैगनीसियम क्लोराइड होता है जिससे यह पसीज जाता है।


8. अल्कोहल एवं ग्लूकोज जैसे यौगिकों में भी हाइड्रोजन होते हैं लेकिन इनका वर्गीकरण अम्ल की तरह नहीं होता है। एक क्रियाकलाप द्वारा इसे साबित कीजिए।

उत्तर⇒ क्रियाकलाप – एक बीकर लिया जाता है। इसके बीचों-बीच एक रबर का कॉर्क रखकर इसमें दो कील ठोक दिया जाता है। दोनों कीलों को 6 वोल्ट की बैट्री से जोड़ा जाता है। परिपथ में एक बल्ब और स्वीच भी लगा दिया जाता है। बीकर में अल्कोहल का विलयन लिया जाता है। विधुत-धारा प्रवाहित की जाती है। बल्ब नहीं जलता है। अगर अल्कोहल विलयन की जगह ग्लूकोज विलयन लेकर प्रयोग को दुहराया जाता है तो भी बल्ब नहीं जलता है। इस प्रयोग से यह निष्कर्ष निकलता है कि विलयन से कोई विधुत-धारा नहीं बहती है।

10. अल्कोहल एवं ग्लूकोज जैसे यौगिकों में भी हाइड्रोजन होते हैं लेकिन इनका वर्गीकरण अम्ल की तरह नहीं होता है। एक क्रियाकलाप द्वारा इसे साबित कीजिए। उत्तर-क्रियाकलाप - एक बीकर लिया जाता है। इसके बीचों-बीच एक रबर का कॉर्क रखकर इसमें दो कील ठोक दिया जाता है। दोनों कीलों को 6 वोल्ट की बैट्री से जोड़ा जाता है। परिपथ में एक बल्ब और स्वीच भी लगा दिया जाता है। बीकर में अल्कोहल का विलयन लिया जाता है। विधुत-धारा प्रवाहित की जाती है। बल्ब नहीं जलता है। अगर अल्कोहल विलयन की जगह ग्लूकोज विलयन लेकर प्रयोग को दुहराया जाता है तो भी बल्ब नहीं जलता है। इस प्रयोग से यह निष्कर्ष निकलता है कि विलयन से कोई विधुत-धारा नहीं बहती है। अगर इन विलयनों की जगह हाइड्रोक्लोरिक अम्ल लेकर विद्युत-धारा प्रवाहित की जाती है तो बल्ब जल उठता है। हाइड्रोक्लोरिक अम्ल से हाइड्रोजन आयन (H') उत्पन्न होते हैं। विलयन में विद्युत-धारा का प्रवाह आयनों द्वारा होता है। इससे यह स्पष्ट होता है कि विद्युत-धारा प्रवाहित करने पर ग्लूकोज विलयन एवं अल्कोहल विलयन पर (H') आयन नहीं देते हैं। H+ आयन देने वाले विलयन ही अम्लीय होता है। ग्लूकोज और अल्कोहल में हाइड्रोजन है, लेकिन विलयन आयन नहीं उत्पन्न करते हैं। ___ यही कारण है कि ग्लूकोज और अल्कोहल को अम्ल की श्रेणी में वर्गीकृत नहीं किया गया है।

अगर इन विलयनों की जगह हाइड्रोक्लोरिक अम्ल लेकर विद्युत-धारा प्रवाहित की जाती है तो बल्ब जल उठता है। हाइड्रोक्लोरिक अम्ल से हाइड्रोजन आयन (H’) उत्पन्न होते हैं। विलयन में विद्युत-धारा का प्रवाह आयनों द्वारा होता है। इससे यह स्पष्ट होता है कि विद्युत-धारा प्रवाहित करने पर ग्लूकोज विलयन एवं अल्कोहल विलयन पर (H’) आयन नहीं देते हैं। H+ आयन देने वाले विलयन ही अम्लीय होता है। ग्लूकोज और अल्कोहल में हाइड्रोजन है, लेकिन विलयन आयन नहीं उत्पन्न करते हैं। ___ यही कारण है कि ग्लूकोज और अल्कोहल को अम्ल की श्रेणी में वर्गीकृत नहीं किया गया है।


9. क्षारकों/क्षारों के रासायनिक गुण संक्षेप में लिखिए।

उत्तर⇒ क्षारकों/क्षारों के महत्त्वपूर्ण रासायनिक गुण निम्न हैं

(a) धातुओं से क्रिया—–क्षार कुछ धातुओं से क्रिया कर H गैस उत्पन्न करते हैं।

Zn + 2NaOH → Na2O + H 2 (g)

सोडियम जकेट

2AI+ 2NaH+ 2H2O → 2NaAlO2+3H

सोडियम अलुमिनेट 

(b) वायु से क्रिया- कुछ क्षार वायु में उपस्थित CO2 से क्रिया करते हैं।

2NaOH + CO2 → Na2CO3

2KOH +  CO2 → K2CO3

(c) अम्लों से क्रिया – क्षारक/क्षार अम्लों से क्रिया कर लवण तैयार करते हैं।

NaOH + HCl → NaCl H2o

Fe (OH)2+2HCl → FeCl2 + 2H2O

Ca (OH)2+2HCl → CeCl2 + 2H2O

(d) लवणों से क्रिया – तांबा, लोहा, जिंक आदि के लवण क्षारों/क्षारकों से क्रिया करते हैं और अघुलनशील धात्विक हाइड्रॉक्साइड तैयार करते हैं।

ZnSO4 + 2NaOH → Na2SO+ Zn (OH)

CuSO4+2NH4OH → (NH4)2SO4 + Cu (OH)2 ↓

FeCl+ 3NaOH → 3NaCl + Fe (OH)3 ↓


10.अम्ल की तरह नहीं होता है । एक क्रियाकलाप के द्वारा साबित कीजिए।

उत्तर⇒ यद्यपि ऐल्कोहॉल एवं ग्लूकोज जैसे यौगिकों में हाइड्रोजन होती है पर वे विलयन में आयनीकृत नहीं होते और H+ आयन उत्पन्न नहीं करते यह इस तथ्य से साबित होता है कि उनके विलयन विद्युत् चालन नहीं करते ।

ऐल्कोहॉल एवं ग्लूकोज जैसे.यौगिकों में भी हाइड्रोजन होते हैं लेकिन इनका वर्गीकरण अम्ल की तरह नहीं होता है । एक क्रियाकलाप के द्वारा साबित कीजिए।

क्रिया – कलाप – एक बीकर में ऐल्कोहॉल, ग्लूकोज आदि का विलयन लीजिए। एक कार्क पर दो कील लगाकर कॉर्क को बीकर में रख दीजिए । कीलों को 6 वोल्ट की एक बैटरी के दोनों टर्मिनलों के साथ एक बल्ब और स्विच के माध्यम से जोड़ दीजिए। अब विद्युत् धारा प्रवाहित कीजिए । विद्युत् चालन नहीं हुआ।


11. चूना कैसे बनाया जाता है ?

उत्तर⇒ कैल्सियम ऑक्साइड (CaO) ही चूना है जो कि चूने के पत्थर (CaCO3) को गर्म करके बनाया जाता है –

चुने का पत्थर (CaCo3) चूने की भट्टी के ऊपर से डाला जाता है। भट्टी के बीच में उपस्थित अग्नि बक्सों में कोयला जलाकर भट्टी को गर्म किया जाता है। गर्म होने पर चूने के पत्थर का अपघटन होता है और कार्बन डाइऑक्साइड गैस     अन्य गर्म गैसों के साथ ऊपर की ओर बाहर निकल जाती है तथा कैल्सियम ऑक्साइड (चूना) भट्टी के फर्श से एकत्रित कर लिया जाता है।

ऐल्कोहॉल एवं ग्लूकोज जैसे.यौगिकों में भी हाइड्रोजन होते हैं लेकिन इनका वर्गीकरण

 


12. दैनिक जीवन में pH का महत्त्व स्पष्ट कीजिए।

उत्तर⇒ pH का हमारे दैनिक जीवन में बहुत अधिक महत्त्व है –

(i) मानव और जंतु जगत में – हमारे शरीर की अधिकांश क्रियाएँ 7.0 से 7.8 pH परास के बीच काम करती हैं। हम इसी संकीर्ण परास में ही जीवित रह सकते हैं। हमारे रक्त, आँसुओं, लार आदि का pH लगभग 7.4 होता है। यदि यह 7.0 से कम हो जाता है या 7.8 से बढ़ जाता है तो जीवन असंभव-सा हो जाता है। वर्षा के जल से pH का मान जब 7 से कम होकर 5.6 हो जाता है तो उसे अम्लीय वर्षा कहते हैं । अम्लीय वर्षा का जल जब नदियों में बहता है तो नदी के जल का pH मान कम हो जाता है जिस कारण जलीय जीवधारियों का जीवन कठिन हो जाता है।
.
(ii) पेड़-पौधों के लिए पेड – पौधों की अच्छी वृद्धि और अच्छी उपज के लिए मिट्टी के pH परास की विशेषता बनी रहनी चाहिए । यदि यह अधिक अम्लीय या क्षारीय हो जाए तो उपज पर कुप्रभाव पड़ता है।

(iii) पाचन तंत्र – हमारे पेट में HCl उत्पन्न होता रहता है जो हमें बिना हानि पहुँचाए भोजन के पाचन में सहायक होता है । अपच की स्थिति में इसमें अम्ल की मात्रा अधिक बनने लगती है जिस कारण पेट में दर्द और जलन अनुभव होता है। इस दर्द से छुटकारा पाने के लिए ऐंटैसिड जैसे क्षारकों का प्रयोग करना पड़ता है। इसके लिए प्रायः मिल्क ऑफ मैग्नीशियम जैसे दुर्बल क्षारक का प्रयोग करना आवश्यक हो जाता है।

(iv) दंत-क्षय – हमारे मुँह के pH मान 5.5 से कम होने पर का क्षय शुरू हो जाता है। हमारे दाँत कैल्सियम फॉस्फेट से बने होते हैं जो शरीर का सबसे कठोर पदार्थ है। यह जल में नहीं घुलता पर मुँह की pH मान 5.5 से कम होने पर यह नष्ट होने लगता है। मुँह में उपस्थित जीवाणु, अवशिष्ट शर्करा और खाद्य पदार्थों के निम्नीकरण से अम्ल उत्पन्न होते हैं। इनसे छुटकारा पाने के लिए क्षारकीय दंत-मंजन का प्रयोग किया जाना चाहिए । इससे अम्ल की अधिकता उदासीन हो जाती है और दाँत क्षय से रोके जा सकते हैं।

(v) जीव-जंतुओं के डंक से रक्षा – जब जीव जंतु कभी डंक मार देते हैं तो वे हमारे शरीर में विशेष प्रकार के अम्ल छोड़ देते हैं। मधुमक्खी भिरंड, चींटी आदि मेथेनॉइक अम्ल हमारे शरीर में डंक के माध्यम से पहुंचा देते हैं। इससे उत्पन्न पीड़ा से मुक्ति के लिए डंक मारे गए अंग पर बेकिंग सोडा जैसे दुर्बल क्षारक का प्रयोग करना चाहिए।

(VI) विशष पाधों से रक्षा – नेटल (Nettle) पौधे के पत्तों पर डंकनमा बाल . हात है । उन्हें छू जाने से डंक जैसा दर्द होता है। इन बातों से मेथैनॉइक अम्ल का स्राव हाता है जो दर्द का कारण बनता है। पारंपरिक तौर पर इस पीडा मुक्ति डॉक पौधे की पत्तियों को डंक वाले स्थान पर रगडकर पाई जाती है।

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