विकास Development
विकास Development
विकास के महत्त्वपूर्ण लक्ष्य
♦ लोगों के विकास के लक्ष्य भिन्न हो सकते हैं।
♦ एक के लिए जो विकास है वह दूसरे के लिए विकास न हो।
♦ सामान्यतः विकास के अन्तर्गत यह उम्मीद की जाती है कि लोगों को नियमित काम, बेहतर मजदूरी और अपनी उपज अथवा अन्य उत्पादों के लिए अच्छी कीमतें मिलें। दूसरे शब्दों में वे ज्यादा आय चाहते हैं।
♦ किसी भी तरह से ज्यादा आय चाहने के अतिरिक्त, (अभौतिक वस्तुएँ) लोग बराबरी का व्यवहार, स्वतन्त्रता, सुरक्षा और दूसरों से आदर मिलने की इच्छा भी रखते हैं। वे भेदभाव से अप्रसन्न होते हैं। ये सभी महत्त्वपूर्ण लक्ष्य हैं।
♦ कुछ मामलों में ये अधिक आय और अधिक उपभोग से अधिक महत्त्वपूर्ण हो सकते हैं, क्योंकि जीने के लिए केवल भौतिक वस्तुएँ ही पर्याप्त नहीं होती। द्रव्य या उससे खरीदी जा सकने वाली भौतिक वस्तुएँ एक कारक हैं जिस पर हमारा जीवन निर्भर है। लेकिन हमारा बेहतर जीवन ऊपर लिखी अभौतिक वस्तुओं पर भी निर्भर करता है।
♦ यह समझना बहुत आवश्यक है कि देश के विकास के विषय में विभिन्न लोगों की धारणाएँ भिन्न या परस्पर विरोधी हो सकती हैं।
♦ सामान्यतया हम व्यक्तियों की एक या दो महत्त्वपूर्ण विशिष्टताएँ लेकर उनके आधार पर तुलना करते हैं।
♦ देशों की तुलना करने के लिए उनकी आय सबसे महत्त्वपूर्ण विशिष्टता समझी जाती है।
♦ जिन देशों की आय अधिक है उन्हें विकसित देशों की सूची में रखा जाता है। इसका अर्थ यह भी है कि वहाँ के लोगों के पास मानवीय आवश्यकताओं की सभी वस्तुएँ पर्याप्त मात्रा में हो सकती हैं। इसलिए, ज्यादा आय को विकास के लिए अपने आप में महत्त्वपूर्ण लक्ष्य समझा जाता है।
♦ लेकिन देशों के बीच तुलना करने के लिए कुल आय इतनी उपयुक्त माप नहीं है क्योंकि देशों की जनसंख्या अलग-अलग होती है, कुल आय की तुलना करने से हमें यह ज्ञात नहीं होगा कि औसत व्यक्ति क्या कमा सकता है ?
♦ इसलिए, हम औसत आय की तुलना करते हैं जोकि देश की कुल आय को कुल जनसंख्या से भाग देकर निकाली जाती है। औसत आय को प्रति व्यक्ति आय भी कहा जाता है।
♦ विश्व बैंक की विश्व विकास रिपोर्ट, 2006 के अनुसार, देशों का वर्गीकरण करने में इस मापदण्ड का प्रयोग किया गया है। वे देश जिनकी सन् 2004 में प्रति व्यक्ति आय ₹453000 प्रति वर्ष या उससे अधिक है, उसे समृद्ध देश और वे देश जिनकी प्रति व्यक्ति आय ₹37000 प्रति वर्ष या उससे कम है, उन्हें निम्न आय वाला देश कहा गया है।
♦ भारत निम्न आय वर्ग के देशों में आता है क्योंकि उसकी प्रति व्यक्ति आय सन् 2016 में केवल ₹93000 प्रति वर्ष थी।
♦ समृद्ध देशों, जिनमें मध्य पूर्व के देश और कुछ अन्य छोटे देश शामिल नहीं हैं, को आमतौर पर विकसित देश कहा जाता है।
♦ जीवन के लिए हर प्रकार की सुविधाओं की उपलब्धता के आधार पर विकास को परिभाषित करना सर्वाधिक अच्छा समझा जाता है।
♦ हम विकास को जिस तरह भी परिभाषित करें, अभी के लिए मान लें कि एक विशेष देश काफी विकसित है। हम निश्चित रूप से यह चाहेंगे कि विकास का यह स्तर और ऊँचा हो या कम-से-कम भावी पीढ़ी के लिए यह स्तर बना रहे। यह स्पष्ट रूप से वांछनीय है। लेकिन बीसवी सदी के उत्तरार्द्ध से बहुत से वैज्ञानिक यह चेतावनी देते आ रहे हैं कि विकास का वर्तमान प्रकार और स्तर धारणीय नहीं है।
♦ विकास मानव के लिए तभी लाभकारी हो सकता है, जब सतत् विकास पर ध्यान दिया जाए। इसके अन्तर्गत विकास के लिए प्रकृति का दोहन करते समय इस बात का ध्यान रखा जाता है कि हमारी आने वाली पीढ़ी के लिए भी यह सुरक्षित रहे। इसके लिए प्रकृति का दोहन करते समय वैकल्पिक संसाधनों के उपयोग पर जोर दिया जाता है।
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