राजस्थान से हिमाचल तक पुरानी पेंशन स्कीम का ऐलान, पर अब फंस गया है पेच; टकराव के आसार

राजस्थान से हिमाचल तक पुरानी पेंशन स्कीम का ऐलान, पर अब फंस गया है पेच; टकराव के आसार

राजस्थान से हिमाचल तक पुरानी पेंशन स्कीम का ऐलान, पर अब फंस गया है पेच; टकराव के आसार

कांग्रेस शासित राज्य राजस्थान और छत्तीसगढ़ ने सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन स्कीम लागू करने का ऐलान कर दिया है। इसके बाद तीनों ही राज्यों ने अब तक एनपीएस फंड में जमा हुई रकम मांगने के लिए पीएफआरडीए के समक्ष आवेदन किया था, जिसे पेंशन रेग्युलेटरी संस्था ने ठुकरा दिया है। इस पर विवाद शुरू हो गया है और छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने इसे केंद्र सरकार का अड़ंगा बताया है। उन्होंने कहा कि एनपीएस में जो भी रकम जमा हुई है, वह राज्य सरकार के खाते से और कर्मचारियों के हिस्से से गई है। इसलिए केंद्र सरकार का उस पर कोई हक नहीं बनता है और उसे तुरंत रिफंड किया जाना चाहिए।

राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार है, जबकि झारखंड में झामुमो के नेतृत्व में सरकार चल रही है, जिसमें कांग्रेस गठबंधन सहयोगी के तौर पर शामिल है। तीनों ही राज्यों ने पुरानी पेंशन व्यवस्था को लागू करने का ऐलान कर दिया है, जिसके तहत कर्मचारियों को आखिरी उठाई गई सैलरी की कम से कम आधी रकम के बराबर राशि आजीवन मिलेगी। वहीं एनपीएस के सिस्टम के तहत कर्मचारी की सैलरी का 10 फीसदी हिस्सा जमा होता है तो वहीं इतनी ही रकम सरकार की ओर से जमा की जाती है। यह रकम फंड मैनेजर्स को दी जाती है। रिटायरमेंट के बाद एक हिस्सा कर्मचारी को वापस मिल जाएगा, जबकि बची हुई रकम से पेंशन दी जाएगी।

राज्यसभा में भी मंगलवार को यह मुद्दा उठा था। भाजपा सांसद सुशील मोदी के एक सवाल के जवाब में वित्त राज्य मंत्री भागवत कराड ने कहा कि पीएफआरडीए ने बताया है कि एनपीएस के योगदान को वापस करने का कोई नियम नहीं है। इससे पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी एनपीएस रिफंड से इनकार किया था। पीएफआरडीए के इस फैसले का असर हिमाचल प्रदेश में भी देखने को मिल सकता है। यहां भी नई आई कांग्रेस सरकार ने पुरानी पेंशन स्कीम को लागू करने का ऐलान कर दिया है।

फंड नहीं मिला तो राज्यों को खुद अदा करनी होगी रकम?

यदि पीएफआरडीए की ओर से रिफंड नहीं मिलता है तो राज्य सरकारों को 16-17 साल का फंड देना होगा या फिर पुरानी व्यवस्था पर ही बने रहना होगा। अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के दौर में 2004 में एनपीएस लागू किया गया था। इसके बाद आई यूपीए सरकार के कार्यकाल में वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने इस व्यवस्था को राज्यों में भी लागू करने का ऐलान किया था। एनपीएस व्यवस्था नई भर्ती पर लागू करने का फैसला लिया गया था।

source – livehindustan

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