बल तथा गति के नियम Force and Laws of Motion
बल तथा गति के नियम Force and Laws of Motion
बल
• बल वह बाह्य कारक है, जो किसी वस्तु की प्रारम्भिक अवस्था में परिवर्तन लाता है, या लाने की चेष्टा करता है।
• बल एक सदिश राशि है।
• बल का SI मात्रक न्यूटन (N) है।
सन्तुलित और असन्तुलित बल
• यदि किसी वस्तु को दोनों ओर से समान बल द्वारा खींचा जाता है, तो ऐसी दशा में वह वस्तु गति नहीं करता। इस तरह के बलों को सन्तुलित बल कहते हैं तथा यह गति की अवस्था को परिवर्तित नहीं करता।
• जब भिन्न परिमाण के दो विपरीत बल किसी वस्तु को खींचते हैं तो ऐसी स्थिति में वह वस्तु अधिक बल वाली दिशा में खिसकना शुरू करता है। इस प्रकार के बलों को असन्तुलित बल कहा जाता है।
• किसी भी वस्तु पर लगने वाला सन्तुलित बल उसे गति प्रदान करता है।
• किसी वस्तु को सतत् गतिशील बनाए रखने के लिए एक असन्तुलित बल की आवश्कता है, किन्तु कोई वस्तु समान वेग के साथ केवल तभी गतिशील रह सकती है, जब उस पर लगने वाले बल (बाह्य तथा घर्षण) सन्तुलित होते हैं तथा वस्तु पर कोई नेट बाह्य बल कार्य नहीं करता है।
• यदि किसी वस्तु पर असन्तुलित बल लगाया जाता है, तो उसके वेग में परिवर्तन या उसकी दिशा में परिवर्तन होता है। इस प्रकार किसी वस्तु को त्वरित करने के लिए एक असन्तुलित बल की आवश्यकता होती है और उसकी गति या गति की दिशा में तब तक परिवर्तन होता रहता है जब तक यह सन्तुलित बल उस पर कार्य करता है।
न्यूटन के गति के नियम
• सर आईजक न्यूटन ने बल एवं गति की व्याख्या के लिए तीन नियमों का प्रतिपादन किया, जिन्हें न्यूटन के गति के नियम कहा जाता है।
गति का प्रथम नियम
• प्रत्येक वस्तु अपनी स्थिर अवस्था या सरल रेखा में एकसमान गति की अवस्था में बनी रहती है जब तक कि उस पर कोई बाहरी बल कार्यरत न हो। दूसरे शब्दों में, सभी वस्तुएँ अपनी गति की अवस्था में परिवर्तन का विरोध करती हैं।
• गुणात्मक रूप में किसी वस्तु के विराभावस्था में रहने या समान वेग से गतिशील रहने की प्रवृत्ति को जड़त्व कहते हैं। यही कारण है कि गति के पहले नियम को जड़त्व का नियम भी कहते हैं।
• किसी चलती हुई गाड़ी के अचानक रुक जाने पर उस पर सवार व्यक्ति आगे की ओर झुक जाता है, ऐसा उस व्यक्ति के जड़त्व के गुण के कारण होता है। वह व्यक्ति गाड़ी के साथ गतिशील रहता है, जब गाड़ी अचानक रुकती है, तब भी वह गति की अवस्था बनाए रखने की प्रवृत्ति रखता है, फलस्वरूप वह आगे की ओर झुक जाता है।
• किसी मोटर गाड़ी के अचानक चल पड़ने पर उस पर सवार व्यक्ति का पीछे की ओर झुक जाना भी जड़त्व के नियम का उदाहरण है।
जड़त्व तथा द्रव्यमान
• प्रत्येक वस्तु अपनी गति की अवस्था में परिवर्तन का विरोध करती है। चाहे वह विरामावस्था में हो या गतिशील, वह अपनी मूल अवस्था को बनाए रखना चाहती है। वस्तु का यह गुण उसका जड़त्व कहलाता है। क्या सभी वस्तुओं का जड़त्व सभान होता है ?
• भारी वस्तुओं का जड़त्व अधिक होता है।
• मात्रात्मक रूप से, किसी वस्तु का जड़त्व उसके द्रव्यमान से मापा जाता है। अतः हम जड़त्व और द्रव्यमान को निम्न रूप में परिभाषित कर सकते हैं
• किसी भी वस्तु का जड़त्व उसका वह प्राकृतिक गुण है, जो उसकी विराम या गति की अवस्था में परिवर्तन का विरोध करता है। इस प्रकार किसी वस्तु का द्रव्यमान उसके जड़त्व की माप है।
गति का द्वितीय नियम
• गति का प्रथम नियम यह बताता हैं कि जब कोई असन्तुलित बाह्य बल किसी वस्तु पर कार्य करता है तो उसके वेग में परिवर्तन होता है अर्थात् वस्तु त्वरण प्राप्त करती है ।
• वस्तु के द्वारा उत्पन्न प्रभाव वस्तु के द्रव्यमान एवं वेग पर निर्भर करता है। इसी प्रकार यदि किसी वस्तु को त्वरित किया जाता है, तो वेग प्राप्त करने के लिए अधिक बल की आवश्यकता होती है।
• वस्तु के द्रव्यमान एवं वेग से सम्बन्धित राशि को संवेग कहा जाता है, जिसे न्यूटन ने प्रस्तुत किया था।
• किसी वस्तु का संवेग p उसके द्रव्यमान m और वेग v के गुणनफल से परिभाषित किया जाता है।
• संवेग में परिमाण और दिशा दोनों होते हैं। इसकी दिशा वही होती है, जो वेग v की होती है।
• संवेग का SI मात्रक किलोग्राम – मीटर / सेकण्ड (kgm s‾¹) होता है।
• चूँकि किसी असन्तुलित बल के प्रयोग से उस वस्तु के वेग में परिवर्तन होता है, इसलिए यह कहा जा सकता है कि बल ही संवेग को भी परिवर्तित करता है।
• वस्तु के संवेग में परिवर्तन लाने में लगने वाला बल उसकी उस समय दर पर निर्भर करता है, जिसमें कि संवेग में परिवर्तन होता है।
• गति का द्वितीय नियम यह बताता है कि किसी वस्तु के संवेग में परितर्वन की दर उस पर लगने वाले असन्तुलित बल की दिशा में बल के समानुपातिक होती है।
• न्यूटन के द्वितीय नियम से बल का समीकरण प्राप्त होता है। यदि किसी m द्रव्यमान की वस्तु पर F बल लगने से उसमें a त्वरण उत्पन्न होता हो तो F = mal
• बल का मात्रक किग्रा मी/से² है, इसे न्यूटन (आईजक न्यूटन के नाम पर) कहते हैं, इसे N द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।
• गति के द्वितीय नियम से हमें किसी वस्तु पर लगने वाले बल को मापने की विधि मिलती है। बल को उस वस्तु में उत्पन्न त्वरण तथा वस्तु के द्रव्यमान के गुणनफल से प्राप्त किया जाता है।
गति का तृतीय नियम
• गति के तीसरे नियम के अनुसार, प्रत्येक क्रिया के समान एवं विपरीत प्रतिक्रिया होती है। ये दो विभिन्न वस्तुओं पर कार्य करती हैं।
• जब एक वस्तु दूसरी वस्तु पर बल लगाती है तब दूसरी वस्तु द्वारा भी पहली वस्तु पर तात्क्षणिक बल लगाया जाता है। ये दोनों बल परिमाण में सदैव समान लेकिन दिशा में विपरीत होते हैं।
• गति के तृतीय नियम से यह निष्कर्ष निकलता है कि बल सदैव युगल रूप में होते हैं। ये बल कभी एक वस्तु पर कार्य नहीं करते बल्कि दो अलग-अलग वस्तुओं पर कार्य करते हैं।
• रॉकेट का प्रेक्षपण, बन्दूक से गोली चलाने पर चलाने वाले पर पीछे की ओर धक्का लगना, इत्यादि गति के तृतीय नियम के उदाहरण हैं।
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