प्राकृतिक आपदा : एक परिचय

प्राकृतिक आपदा : एक परिचय

Aapda Prabandhan 

1. आपदा से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर – कुछ दुर्घटनाएँ ऐसी होती है जो बिना बुलाए अकस्मात आ धमकती है और अल्प समय में ही जन धन की अपार क्षति पहुँचा देती है। ये हमें संकट की स्थिति में ला देती है। संकट की स्थिति उत्पन्न करनेवाली ऐसी कोई भयावह घटना ‘आपदा’ कहलाती है। दूसरे शब्दों में, हमारे सामाजिक आर्थिक जीवन को भारी खतर में डालनेवाली अकस्मात घटना आपदा (disaster) है।

2. आपदा प्रबंधन की आवश्यकता क्यों है ?

उत्तर – आपदा प्रबंधन की आवश्यकता आपदा के पूर्व एवं पश्चात होने वाली क्षति को कम करने या बचने से है। प्राकृतिक आपदा या मानव निर्मित आपदा इत्यादि के घटित होने से अधिक मात्रा में जैविक एवं अजैविक संसाधनों का नुकसान होता है। इसी संदर्भ में लोगों को विशेष प्रशिक्षण देकर उसके प्रभाव को कम करना आपदा प्रबंधन कहलाता है।

3. आपदा प्रबंधन के उद्देश्यों की विवेचना करें।

उत्तर – आपदा कोई भी हो उसका प्रबंधन अनिवार्य है। आपदा से न केवल विकास कार्य अवरुद्ध होते हैं बल्कि विकास कार्यों में कई व्यवधान उपस्थित होते हैं। कोई भी प्रबंधन कार्य तब तक सफल नहीं हो सकता है जब तक उसमें आमलोगों की सहभागिता नहीं. होती है।आमलोगों की सहभागिता तथा पंचायत की मदद से ठोस प्रशासनिक निर्णय लिए जा सकते हैं और वे निर्णय की दीर्घकाल में प्रबंधन हेतु आवश्यक होते हैं। पूर्वानुमान या पूर्व जानकारी से अपने आसपास घटनेवाली किसी भी संभावित विनाश से बचा जा सकता है। उत्तर बिहार के लोग कोसी की विनाशलीला से बचने के लिए आपसी सहयोग से बाढ़ के अनुरूप जीवन शैली बना ली है।

4. आपदा प्रबंधन क्या है ?

उत्तर – आपदाएँ चाहे जिस प्रकार की हों, इनसे धन-जन एवं संसाधनों की अपार क्षति होती है। इस संभावित अपार क्षति को कम करने का उपाय ही आपदा प्रबंधन कहलाता है।

5.. आपदा प्रबंधन में ‘उपग्रह फोन’ का क्या उपयोग है ?

उत्तर – उपग्रह फोन आपदा प्रबंधन में सर्वाधिक प्रयोग में लाया जाने वाला साधन है। ऐसे फोनों के लिए उपग्रह ही टेलीफोन एक्सचेंज के रूप में कार्य करता है। ये फोन बहुत ही विश्वसनीय आवाज एवं डाटा संचार प्रदान करते हैं एवं इन्हें सुविधानुसार कहीं भी ले जाया जा सकता है।

6. आपदा प्रबंधन में सरकार की क्या भूमिका है ? स्पष्ट करें।

उत्तर – आपदा प्रबंधन में सरकार की अहम भूमिका है। सरकार को संबंधित । या क्षेत्र-विशेष में आनेवाली आपदा की पूर्व आशंका का ज्ञान होता है। अतः, आपदा आने के पूर्व एवं आपदा आने के पश्चात, दोनों ही स्थितियों के लिए सरकार द्वारा नीतिपरक एवं प्रशासनिक तैयारियाँ करना आवश्यक हो जाता है। इसके अन्तर्गत वैकल्पिक संचार-व्यवस्था, राहत कैंप की व्यवस्था, आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति एवं अन्य कार्यों को करना शामिल हैं।

7. प्राकृतिक आपदा एवं मानव जनित आपदा में अन्तर उदाहरण सहित प्रस्तुत करें।

उत्तर – प्राकृतिक आपदाएँ एवं मानव जनित आपदा में निम्न अंतर है –

(1) प्राकतिक आपदा – हमारे वातावरण में घटित होने वाली वैसी घटनाएँ जो प्राकतिक कारणों से उत्पन्न होती है प्राकृतिक आपदा कहलाती है। जैसे भकंप बाढ़, सूखा, सुनामी, भूस्खलन, चक्रवात आदि।

(2) मानव जनित आपदा – वैसी घटनाएं जिसकी उत्पत्ति में मानवीय कारकों जिसके घटित होने के फलस्वरूप अधिक संख्या में मानवों की को हानि पहुँचती हो मानव जनित आपदा कहलाती है। जैसे रेल. र या माग, युद्ध, आतंकवाद, महामारी,संप्रदायिक दंगे आदि |

8. बिहार एक सर्वाधिक आपदाग्रस्त राज्य है। कैसे ?

उत्तर- बिहार एक ऐसा राज्य है, जहाँ कई प्रकार का प्राकृतिक आपदाएँ आती रहती है। यहाँ मुख्य रूप से बाढ़, सूखा, तूफान, वज्रपात और भूकंपीय आपदा आती है। बाढ़ तो बिहार की नियत बन गयी है। उत्तर बिहार के लोग प्रत्येक वर्ष बाद की परेशानी को झेलते हैं। सूखा का प्रभाव दक्षिण, दक्षिण-पश्चिमी और मध्य-दक्षिणी बिहार में अधिक पड़ता है। तूफान का प्रभाव बिहार के उत्तरी-पूर्वी जिलों में अधिक पड़ता है। भूकंप का सर्वाधिक प्रभाव उत्तरी बिहार के सीमावर्ती क्षेत्र पर पड़ता है।

9. आग-आपदा के समय कौन से उपाय करना चाहिए ?

उत्तर – आग लगने की स्थिति में सबसे पहले आग में फंसे हुए लोगों को बाहर निकालना एवं घायल को तत्काल प्राथमिक उपचार देकर अस्पताल पहुँचाना चाहिए। प्राथमिक उपचार में ठंडा पानी डालना, बर्फ से सहलाना, बरनौल आदि का उपयोग करना। आग के फैलाव को रोकना, बालू, मिट्टी एवं तालाब के जल का उपयोग करना एवं यदि बिजली से आग लगी हो तो सबसे पहले बिजली का तार काट देना चाहिए।

10. भूकम्प के प्रभावों को कम करने वाले चार उपायों का उल्लेख करें।

उत्तर- भूकम्प के प्रभाव को कम करने वाले चार उपाय –

(i) भवनों को आयताकार होना चाहिए और नक्शा साधारण होना चाहिए।
(ii) लंबी दीवारों को सहारा देने के लिए ईंट-पत्थर या कंक्रीट के कालम
होने चाहिए।
(iii) नींव मजबूत एवं भूकम्परोधी होना चाहिए।
(iv) दरवाजे तथा खिड़की की स्थिति भूकम्परोधी होनी चाहिए।

11.तूफान महोर्मी क्या है ?

उत्तर – अक्टूबर-नवंबर महीने में बंगाल की खाड़ी में भयानक चक्रवात आता है, जिससे पश्चिम बंगाल और उड़ीसा जैसे तटीय राज्यों में तूफान महोर्मी आता है। इससे समुद्री लहरें बहुत अधिक मात्रा में जल नदियों के मुहाने से प्रेषित करता है। यह जल नदी में चढ़कर विस्तृत क्षेत्र को जलमग्न कर देता है, जिससे धन-जन की अत्यधिक हानि होती है। बहुत बड़े पैमाने पर तबाही होती है। पेड़ और मकान ध्वस्त हो जाते हैं।

12. भूकंप क्या है ? इसके बचाव के किन्हीं दो उपायों का उल्लेख करें।

उत्तर– जब किसी बाहरी या आंतरिक कारणों से पृथ्वी के भूपटल में कंपन उत्पन्न होता है, तो उसे भूकंप कहते हैं। इसके बचाव के निम्न उपाय हैं –

(i) भूकंप रोधी मकानों का निर्माण करना।
(ii) इससे सुरक्षा के लिए लोगों को प्रशिक्षित करना।

13. भूकम्प एवं सुनामी के विनाशकारी प्रभाव से बचने के उपायों का वर्णन करें।

उत्तर – भूकम्प एवं सुनामी एक प्राकृतिक आपदा है, जो काफी विनाशकारी होता है।

भूकम्प से बचाव के भिन्न तरीके हैं-

(i) भूकम्प का सटीक पूर्वानुमान लगाया जाना चाहिए। (ii) भूकम्पनिरोधी मकान बनाया जाना चाहिए।
(iii) जनता को जागरूक बनाया जाना चाहिए।
(iv) विद्यालय में बच्चों को भूकम्प की जानकारी दी जानी चाहिए।

सुनामी से बचने के भिन्न तरीके हैं-

(i) समुद्र के नजदीक तंटबंधों का निर्माण किया जाना चाहिए।
(ii) तटबंध के किनारे मैंग्रोव वनस्पति लगाया जाना चाहिए।
(iii) तटीय क्षेत्रों के नजदीक रहने वाले लोगों को प्रशिक्षित किया जाना चाहिए।
(iv) सुनामी से प्रभावित क्षेत्रों में तत्काल मदद पहुँचाना चाहिए।

14. भूकंप का अधिकतम प्रभाव क्षेत्र कौन सा है ?

उत्तर – यह भूकंप तीव्रता की दृष्टि से 9 से अधिक तीव्रता वाला क्षेत्र है इसमें भारत के सभी पूर्वोत्तर राज्य बिहार एवं नेपाल की सीमावर्ती क्षेत्र तथा गुजरात का कच्छ प्रदेश शामिल है इसे जोन 5 में रखा गया है |

15. भूकंप क्या है ? ‘भारत के प्रमुख पकंप क्षेत्रों विभाजित करने ‘ हुए सभी क्षेत्रों का संक्षिप्त विवरण दें।

उत्तर – पृथ्वी के आंतरिक भागों में अचानक उत्पन्न कंपन को भूकंप कहते हैं भूकंप की तीव्रता को सिस्मोग्राफ यंत्र द्वारा अध्यक्ष अखिल से मापते हैं |

भारत को निम्नांकित भूकंप क्षेत्रों में वर्गीकृत किया गया है –

(क) जोन-1 – इसके अंतर्गत भारत के दक्षिणी पठारी भाग आता है, जहां भूकंप का खतरा नहीं के बराबर है |
(ख) जोन-2- इसके अंतर्गत प्रायद्वीपीय भारत के तटीय मैदानी क्षेत्र आते हैं जहां भूकंप की तीव्रता कम होती है |
(ग) जोन-3 – इसके अंतर्गत मुख्यत: गंगा सिंधु का मैदान, राजस्थान तथा उत्तरी गुजरात के क्षेत्र आते हैं |
(घ) जोन-4 – इसके अंतर्गत शिवालिक हिमालय का क्षेत्र, पश्चिम बंगाल का उत्तरी भाग , असम घाटी एवं पूर्वोत्तर क्षेत्र अंडमान निकोबार द्वीप समूह यह सब क्षेत्र भूकंप के अधिक खतरनाक क्षेत्रों में आते हैं |
(घ) जोन-5 – इसके अंतर्गत गुजरात का कच्छ प्रदेश जम्मू-कश्मीर,हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड के पर्वतीय भाग, सिक्किम राज्य सम्मिलित है जो भूकंप के सर्वाधिक खतरनाक चित्र माने जाते हैं |

16. भूकंप केंद्र और अधिकेंद्र में अंतर स्पष्ट करें।

उत्तर – पृथ्वी की ऊपरी सतह का अचानक काँपना भूकंप कहलाता है। भूकंप का उदगम पृथ्वी की गहराई में स्थित एक विदय होता है उस ध्यान को ही कंप केंद्र कहत हैं। भकंप केंद्र अधिक गहराई में उत्पन्न होने पर उसका प्रभाव कम होता है। भूकंप केंद्र से उटन वाली तांग समकाण पर चलकर धगतल के जिस भाग पर सर्वप्रथम पहुँचती हैं, धरातल के उम भाग का अभिकेंद्र कहा जाता है। अभिकेंद्र पर भूकंप की तरंगों का प्रभाव अधिक मिलता है। अधिकंद्र में जैसे-जैस दूरी बढ़ती जाती है प्रभाव कम होता जाता है।

17. सुखाड़ का हमारे दैनिक जीवन पर पड़नेवाले प्रभावों का वर्णन करें।

उत्तर – सुखाड़ हमारे जीवन पर निम्नलिखित प्रभाव डालता है –

(i) सूखा से कृषि उत्पादन कम हो जाता है, क्योंकि इसके कारण कहीं तो फसलों को बआई नहीं हो पाती है या बुआई देर से हो पाती है।
(ii) सूखा की स्थिति में ग्रामीण क्षेत्र में बेरोजगारी बढ़ जाती है।
(iii) सूखा के कारण पशुचारे की कमी हो जाती है।
(iv) सूखा के कारण पेय जल की कमी हो जाती है।
(V) इससे खरीफ की फसल बहुत अधिक प्रभावित होती है।

18. सुखाड़ प्रबंधन का वर्णन करें।

उत्तर – निम्न उपायों द्वारा सुखाड़ प्रबंधन किया जा सकता है –
(i) जल-ग्रहण क्षेत्रों में बाँध बनाकर एवं छोटे-छोटे जलाशय बनाकर।
(ii) सुखाड़ क्षेत्र में वृक्षों की सघनता में वृद्धि कर।
(iii) शुष्क फसलों की बुआई एवं ड्रिप सिंचाई विधि को अपनाकर।
(iv) नहरों द्वारा सूखे क्षेत्र में जल पहुँचाकर।

19. सूखे के परिणामों का उल्लेख करें।

उत्तर – सूखे की स्थिति में फसलें नष्ट हो जाने से खाद्यान्न उत्पादन कम हो जाता है जिससे खाद्य समस्या उत्पन्न हो जाती है। राष्ट्रीय स्तर पर इस स्थिति को अकाल कहते हैं। फसलों के सूखने के कारण मवेशियों के लिए चारा का अकाल हो जाता है। साथ ही सभी जीवों के लिए जल का अभाव हो जाता है।

20. सुनामी से बचाव के उपायों का उल्लेख करें।

उत्तर – सुनामी से बचने के भिन्न तरीके हैं –
(i) समुद्र के नजदीक तटबंधों का निर्माण किया जाना चाहिए।
(ii) तटबंध के किनारे मैंग्रोव वनस्पति लगाया जाना चाहिए।
(iii) तटीय क्षेत्रों के नजदीक रहने वाले लोगों को प्रशिक्षित किया जाना चाहिए। p
(iv) सुनामी से प्रभावित क्षेत्रों में तत्काल मदद पहुँचाना चाहिए।

21. सुनामी से आप क्या समझते हैं ? सुनामी से बचाव के उपायों को लिखें।

उत्तर – महासागरों के आंतरिक पृष्ठीय भागों में उत्पन्न हलचल को सुनामी कहते हैं। सुनामी एक प्राकृतिक आपदा है। जो समुद्र तटीय क्षेत्रों में मानव, जीव- जंतु बनस्पति, मकान, उद्योग आदि को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाते हैं –

(i) समुद्र तटीय क्षेत्रों में मैंग्रोव वनस्पति को लगाना चाहिए।
(ii) समुद्र तटीय क्षेत्र में कंक्रीट के तटबंध बनाना चाहिए। (iii) समुद्री क्षेत्रों के समीप रहने वाले लोगों को प्रशिक्षित करना चाहिए।
(iv) समुद्र तटीय क्षेत्रों में सुनामी का पूर्वानुमान यंत्र के सहारे पहले ही सूचित किया जाना चाहिए।
(v) सरकारी एवं गैर सरकारी संगठनों की मदद से लोगों को जागरूक करना चाहिए।

22. सुनामी संभावित क्षेत्रों में गृह निर्माण पर अपना विचार प्रकट कीजिए।

उत्तर – सुनामी संभावित क्षेत्रों में गृह निर्माण तट से दूर किया जाना चाहिए। गृह निर्माण का कार्य समतल भागों की अपेक्षा सामान्यतः ऊँचे भागों पर किया जाना चाहिए तथा मकान निर्माण इस प्रकार हो कि भूकंप एवं सुनामी लहर का प्रभाव कम से कम हो।

23. बाढ़ की स्थिति में अपनाए जाने वाले आकस्मिक प्रबंधन का वर्णन करें।

उत्तर- बाढ़ एक ऐसी प्राकृतिक आपदा है, जिससे जान-माल एवं मवेशियों नीति पहुँचती है। बाढ़ की स्थिति उत्पन्न होने पर आकस्मिक प्रबंधन के बात सबसे पहले जल से घिरे हुए व्यक्ति को निकालकर सुरक्षित स्थान पर ले जाना चाहिए। उसके बाद मवेशियों को तथा घर के आवश्यक सामग्रियों को सुरक्षित स्थान पर ले जाना चाहिए। सुरक्षित स्थान पर पहुँचाने के बाद भोजन, पेयजल, वस्त्र एवं समुचित दवाओं का प्रबंध किया जाना चाहिए।

24. बाढ़ कैसे आती है ? स्पष्ट करें।

उत्तर – अधिक वर्षा होने के कारण नदियों में जल का जमाव होता है। साथ ही अवसादों के जमा होने के फलस्वरूप नदी तल की गहराई में कमी आती है। नदी
तल के भरने के कारण जल का स्तर धीरे-धीरे ऊपर उठता है और नदी क तटवधा पर दबाव बढ़ता जाता है फलतः तटबंध टूट जाते हैं और नदी का जल विभिन्न क्षेत्रों में फैल जाता है जिससे बाढ़ आती है।

25. बाढ़ से बचाव के सुझावों को लिखें।

उत्तर-

(i) हाथों से स्ट्रैचर बनाना-इसे दो व्यक्ति एक-दूसरे की कलाई पकड़कर अस्थायी स्ट्रैचर बना लेते हैं।
(ii) ऊपरी कपड़ों द्वारा स्ट्रैचर बनाना—कमीज आदि का प्रयोग कर कपड़ों के दोनों तरफ डंडे डाल कर स्टैचर बनाकर घायल व्यक्ति को उठाकर एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाया जा सकता है।
(iii) तैरने के लिए पीपों का प्रयोग किया जाता है।
(iv) ट्यब में हवा भरकर भी तैरने के लिए प्रयोग होता है।
(v) केले के पेड़ के तनों का प्रयोग भी बचाव के लिए किया जाता है।

26. बिहार में बाढ़ आने के चार कारणों को लिखिए।

उत्तर – बिहार में बाढ़ आने के कारण निम्न हैं –
(i) उत्तरी बिहार में हिमालय से निकलने वाली नदियों में अपार जल राशि के कारण बाढ़ आती है।
(ii) नदियों में सिल्ट के जमने से तली की गहराई कम हो जाती है।
(iii) बिहार में नदियाँ मार्ग परिवर्तित करती रहती है।
(iv) उत्तर बिहार के मैदानी भाग की छोटी-छोटी नदियाँ भी अतिवृष्टि से जल-प्लावित होकर बाढ़ का दृश्य उपस्थित करती है।

27. बाढ़ के कारण एवं सुरक्षा संबंधी उपाय का वर्णन करें।

उत्तर – बाढ़ एक प्राकृतिक आपदा है जिसके कारण अधिक संख्या में जान-माल का नुकसान होता है।

बाढ़ के निम्न कारण हैं –

(i) नदियों में अधिक मात्रा में वर्षा जल के पहुंचने से बाढ़ आती है।
(ii) वर्षा जल के साथ नदी की घाटी में मिट्टी के जमा होने से बाढ़ आती है।
(iii) वनस्पतियों की कटाई के कारण बाढ़ आती है।
(iv) कमजोर तटबंध के टूटने से बाढ़ आती है।

बाढ़ से सुरक्षा संबंधी निम्न उपायों को किया जा सकता है –

(a) बाढ की सूचना प्राप्त होते ही उस क्षेत्र के लोगों को हटा देना चाहिए।
(b) बाढ पूर्व ही दवा, खाद्य एवं पेयजल की सुविधा उपलब्ध कर लेनी चाहिए।
(c) नदियों के तटबंधों का नियमित मरम्मत कार्य होते रहना चाहिए।
(d) सरकारी एवं गैर सरकारी संगठनों द्वारा राहत कार्य किया जाना चाहिए।
(e) मानव समाज को इस दिशा में जागरूक करने की आवश्यकता है।

28. बिहार में बाढ़ की स्थिति का वर्णन करें।

उत्तर – बिहार के उत्तरी भाग में हिमालय से निकलने वाली नदियाँ यथा कोसी, गंडक, महानंदा आदि द्वारा प्रतिवर्ष बाढ़ लाया जाता है। जिससे मानव जीवन, पशु जीवन एवं फसलों को अपार क्षति पहुँचती है। यही कारण है कि कोसी को “बिहार का शोक” कहते हैं।

29. हिमस्खलन क्या है ? इसका प्रभाव किन-किन राज्यों पर पड़ता है ?

उत्तर- कुछ नदियों का स्रोत हिमाच्छादित होता है। बर्फ के बहुत अधिक मात्रा में पिघलने से नदियों में अचानक बहुत अधिक पानी बहने लगता है। मैदानी भागों में बहाव में अवरोध होने पर यह किनारों को तोड़कर अगल-बगल के क्षेत्रों को जलमग्न कर देता है।  हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड राज्य इसके प्रभाव में रहता है।

30. भूस्खलन के कितने रूप होते हैं?

उत्तर- भूस्खलन कई रूपों में होते हैं जिनमें प्रमुख हैं –

(i) शैल अथवा मृदा अवपतन इसमें अचानक टूट कर स्थानांतरित हो जाती है।

(ii) सर्पण-इसमें बड़े शैल टूट कर गतिमान होकर तेजी से गिरते हैं।

(i) प्रवाह इसमें लगातार शैलों का गिरना लंबे समय तक जारी रहता है।

(iv) वर्षा के पानी के साथ मिट्टी और कचड़े का नीचे आना।

31. संचार उपग्रह के क्या कार्य हैं ?

उत्तर- संचार उपग्रह अंतरिक्ष में स्थापित रेडियो रिले स्टेशन (कामसेट्स, सेटकाम्स, सेटफोन) ही है। इसमें ‘सेटकाम’ उपग्रह आधारित संचार के लिए और ‘सेटफोन’ उपग्रह आधारित फोन टर्मिनल के लिए प्रयोग किए जाते हैं। संचार उपग्रह का सबसे महत्वपूर्ण कार्य मोबाइल और c-कम्युनिकेशन होता है। ‘ट्रांसपोंडर’ निश्चित एक फ्रीक्वेंसी पर बातचीत को पकड़ता है और उसे विस्तारित कर अन्य फ्रीक्वेंसी की मदद से पृथ्वी पर वापस भेजता है।

32. प्राकृतिक आपदाकाल में वैकल्पिक संचार-संसाधन का वर्णन करें।

उत्तर- प्राकृतिक आपदाकाल में सड़क, रेल लाइन, टेलीफोन लाइन के टूट जाने से संचार व्यवस्था भंग हो जाती है। जिससे बचाव एवं सहायता कार्य में कठिनाई होती है। इस कठिनाई से बचने के लिए हेलीकॉप्टर, नावें, मोबाइल और वॉकी-टॉकी का सहारा लिया जाता है। वायरलेस और टेलीविजन भी मदद पहुँचाने में सहायक होते हैं। लाउडस्पीकर का भी सहारा लिया जाता है। वर्तमान में हैम-रेडियो वैकल्पिक व्यवस्था में उत्तम साधन है। इसमें टावर इत्यादि की आवश्यकता नहीं होती। इसमें संबंध बनाने का कार्य सेटेलाइट से होता है। संचार उपग्रह से भी आपदा संबंधी जानकारी मिलती है। संचार उपग्रह पर आपदा का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। अत: ऐसे समय में इनका महत्त्व और भी बढ़ जाता है।

33. सामान्य संचार व्यवस्था के बाधित होने के प्रमुख कारणों को लिखिए।

उत्तर- संचार व्यवस्था के बाधित होने के कई कारण है-

(i) केबुल टूट जाना।

(ii) बिजली आपूर्ति का बाधित होना।

(iii ) चार भवनों के ध्वस्त होने पर संचार यंत्रों का क्षतिग्रस्त हो जाता

(iv) ट्रांसमिशन टावर का क्षतिग्रस्त हो जाना आदि।

34. जीवन रक्षक आकस्मिक प्रबंधन से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर-आपदा के दौरान प्रभावित लोगों को तत्काल आपदा प्रकट गनिजात दिलाने हेतु किए जाने वाले कार्य जीवन रक्षक आकरिमक प्रबंधन कहलात हैं। आकस्मिक प्रबंधन मुख्यत: बाल, सुनामी, ‘पूर्वपआग जैसी घटनाओं के समय किया जाता है। जिसमें प्रभावित लोगों को सुरक्षा प्रदान करना, भोजन, दवा गर्व प्राथमिक उपचार इत्यादि समिलित है। आकस्मिक प्रबंधन के फलावायलोगांक जान-माल के नुकसान को तत्काल कम किया जा सकता है।

35. आग लगने की स्थिति में क्या प्रबंधन काना चाहिए ? उल्लेख करें।

उत्तर-आग लगने की स्थिति में सबसे पहले आग में यह लोगों को बाहर निकालना एवं घायल को तत्काल प्राथमिक उपचार देकर अस्पताल पहुँचाना चाहिए। प्राथमिक उपचार में ठंडा पानी डालना, बर्फ से सहलाना, बानील आदि का उपयोग करना। आग के फैलाव को रोकना, बाल, मिट्टी एवं तालाब के जल का उपयोग करना एवं यदि बिजली से आग लगी हो तो सबसे पहले बिजली का तार काट दला चाहिए।

36. नागरिक सुरक्षा के क्या उद्देश्य हो सकते हैं ? 

उत्तर- नागरिक सुरक्षा के निम्न उद्देश्य हो सकते हैं-

(i) नागरिकों को आपदा के संकट से बचाव करना।

(ii) उनका प्राथमिक उपचार करना।

(iii) खतरों के विषय में जानकारी देना तथा

(iv) जीवन को सामान्य करने में उन्हें सहायता प्रदान करना।

37. वज्रपात किसे कहते हैं ?

उत्तर- वर्षा के समय बादलों में अधिक हलचल होने और उनके आपस में घर्षण के कारण भूमि पर बिजली गिरती है, इसे वज्रपात कहते हैं। इससे पशु और मनुष्य मर जाते हैं, मकान टूट जाते हैं और पेड़ों की डालियाँ भी टूट जाती हैं।

38. आग लगने की स्थिति में क्या प्रबंधन करना चाहिए ? उल्लेख करें।

उत्तर-आग लगने की स्थिति में निम्न प्रबंधन की आवश्यकता होती है (i) आग पर सर्वप्रथम नियंत्रण करना, (ii) आग में फंसे हुए लोगों एवं मवेशियों को बाहर निकालना, (iii) आग से प्रभावित लोगों को तत्काल उपचार की व्यवस्था करना, (iv) आग के दौरान छत पर फंसे लोगों को सीढ़ी द्वारा उतारने का कार्य किया
जाना चाहिए।

39. आकस्मिक प्रबंधन के तीन प्रमुख घटक कौन-कौन हैं ?

उत्तर- आकस्मिक प्रबंधन के तीन प्रमुख घटक निम्न हैं
(i) स्थानीय प्रशासन- आकस्मिक प्रबंधन के ये सबसे प्रमुख घटक है। स्थानीय प्रशासन के द्वारा ही आपदा आने के पूर्व, आपदा के समय एवं आपदा के बाद विभिन्न प्रकार के कार्य करने पड़ते हैं।
(ii) स्वयं सेवी संगठन-आकस्मिक प्रबंधन का यह दूसरा घटक है। यह सरकार से सहायता प्राप्त कर अथवा अपने स्तर से आपदा के समय लोगों की मदद करता है।
(iii) गाँव अथवा मुहल्ले के लोग- आकस्मिक प्रबंधन के अंतर्गत यह तीसरा घटक है। यह आपदा आने पर तत्काल लोगों की मदद करता है।

40. अगस्त और फरवरी में किस महीने की ओलावृष्टि से अत्यधिक हानि होती है ?

उत्तर- कभी-कभी वर्षा के समय पानी से अधिक बर्फ के टुकड़े की बौछार होने लगती है। इसे ओलावृष्टि कहा जाता है। ओलावृष्टि तो कभी भी हो जाती है, परंतु खड़ी फसलों के समय की ओलावृष्टि से अत्यधिक बर्बादी होती है। सब्जियाँ और अनाज की फसल नष्ट होने से आर्थिक हानि उठानी पड़ती है। फरवरी महीना की ओलावृष्टि से अत्यधिक हानि होती है।

41. विश्व का कौन-सा क्षेत्र सनामी से प्रभावित है और क्यों ?

उत्तर- प्रशांत महासागर के चारों ओर का क्षत्र ज्वालामुखी पवता स भरा है। इसे अग्नि वलय के नाम से भी जाना जाता है। यह क्षेत्र प्लेट टक्टोनिक क्रिया से भी अत्यधिक प्रभावित है यही कारण है कि यह क्षत्र सुनामी से प्रभावित है। हाल में जापान में आयी सनामी इसका ज्वलंत उदाहरण है।

42. हैम रेडियो के उपयोग पर प्रकाश डालिए।

उत्तर- इसे एमेच्योर के नाम से भी जानते हैं। इसका प्रयोग गैर-वाणिज्यिक प्रयोजनों के लिए किया जाता है. जिसके संचालन में ऊर्जा की आवश्यकता जनरेटरों या बैटरियों के द्वारा पूर्ति किया जाता है। हैम रेडियो अंतर्राष्ट्रीय दूर-संचार नियमों क अनुसार कार्य करता है। इसका प्रयोग बड़ी-बड़ी प्राकृतिक आपदा वाले क्षेत्रों में किया जाता है। इस संचार प्रणाली में कोई भी बाहरी तार की आवश्यकता नहीं पड़ती है। आपदा के दौरान सूचना के प्रेषण में इसकी भूमिका महत्त्वपूर्ण होती है।

43. चक्रवात किसे कहते हैं ?

उत्तर- जब किसी क्षेत्र में निम्न दबाव का केंद्र बनता है और उसके चारों ओर उच्च दबाव रहता है, तो बाहर से केंद्र की ओर बड़ी तेजी से वायु चलती है. इसे चक्रवात कहते हैं।

44. ओलावृष्टि किसे कहते हैं ?

उत्तर- वर्षा के साथ-साथ बर्फ के टुकड़ों की बौछार को ओलावृष्टि कहते हैं। खड़ी फसलों के समय ओलावृष्टि से फसलों की बर्बादी होती है।

45. आकस्मिक प्रबंधन को कैसे सफल बनाया जा सकता है ?

उत्तर- खाद्य पदार्थ, पशुचारा, महामारी आने से संबंधित जीवन रक्षक दवाई छिड़काव की सामग्री इत्यादि का पूर्व प्रबंधन आकस्मिक प्रबंधन को सफल बनाता है।

46. 1984 ई० में भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड के कारखाने से रिसने वाली किस गैस के कारण भयंकर दर्घटना हई थी ?

उत्तर – 1984 ई० में भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड के कारखाने से रिसने वाली मिथाइल आइसोसायनेट (MIC) गैस के निकलने से भयंकर दुर्घटना हुई थी।

47. बरनौल नामक दवाई किस काम में प्रयुक्त होती है ?

उत्तर- जले लोगों का प्राथमिक उपचार के रूप में जले भाग पर बरनौल मरहम का लेप लगाना उचित होता है।

48. ओला वृष्टि क्या है? इसके आर्थिक दुष्परिणाम बताएँ।

उत्तर – जब संघनन की क्रिया हिमांक से नीचे सम्पन्न होती है तब वाष्प हिमकणों के रूप में मटर के आकार से लेकर बड़े-बड़े गेंद के आकार में नीचे गिरता है। इसे ही ओला-वृष्टि कहते हैं। इससे फसलों एवं पशुधन की भारी क्षति होती है। खड़ी फसलों के अलावे । खेत-खलिहान में रखी फसल की भी हानि होती है।

49. मेघ-स्फोट क्यों और कहाँ होता है ?

उत्तर – गरम एवं आर्द्र पवन पर्वतीय ढालों से टकराकर तेजी से मेघ के रूप में घनीभत होकर तीव्र झंझावात का निर्माण करते हैं। इनमें मौजूद जलवाष्प तेजी स संघनित होकर मोटी धार के रूप में नीचे गिरता है। इसे ही मेघ-स्फोट (Cloudburst)कहते हैं। कभी-कभी तो यह वर्षा नदी की पतली धारा के समान होती है। 15-16 जून 2013 को उत्तराखण्ड में मेघ स्फोट के कारण हजारों लोग काल-कवलित हो गए।

50. आपदा कितने प्रकार के होते हैं? अथवा, आपदा के विभिन्न प्रकारों का वर्णन करें।

उत्तर⇒ आपदा दो प्रकार के होते हैं—
(1) प्राकृतिक आपदा—भूकंप, सुनामी, बाढ़, सूखा, चक्रवात, हिमस्खलन, ओलावृष्टि, भू-स्खलन आदि।
(2) मानवजनित आपदा—आंतकवाद, साम्प्रदायिक दंगे, महामारी आदि ।


51. आपदा से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर⇒ प्राकृतिक व्यवस्था में जब कई कारणों से अकारण व्यवधान उत्पन्न होते हैं, तो वे व्यवधान ही प्रकृति जनित आपदा के रूप में हमारे सामने उपस्थित होते हैं। प्राकृतिक आपदाओं में बाढ़, सूखाड़, भूकंप और सुनामी अति विनाशकारी है। इसके अलावे चक्रवात, ओलावृष्टि हिमस्खलन, भू-स्खलन जैसी घटनाएँ भी प्राकृतिक आपदा के ही अंग हैं।


52. प्राकृतिक आपदा एवं मानव जनित आपदा में अंतर उपर्युक्त उदाहरणों के साथ प्रस्तुत कीजिए।

उत्तर⇒ मानव पर दुष्प्रभाव डालने वाले प्राकृतिक परिवर्तनों को प्राकृतिक आपदाएँ कहते हैं । ज्वालामुखी विस्फोट, भूकंप, सुनामी, सूखा, बाढ़, चक्रवात, मृदा अपरदन, हिमस्खलन, भू-स्खलन आदि प्राकृतिक आपदाओं के मुख्य उदाहरण हैं। । इनमें अधिकांश आपदाएँ प्राकृतिक शक्तियों द्वारा उत्पन्न होती है । प्राकृतिक आपदा की गति तीव्र होती है। इसका प्रभाव तात्कालिक होता है। इसमें ऐसी ताकतें होती हैं जो मानव के नियंत्रण में नहीं है । यह थोडे समय में और बिना चेतावनी के घटित होती है जिसकी वजह से मानव जीवन के क्रियाकलाप अवरुद्ध होते हैं तथा बड़ पमान पर जान-माल का नुकसान होता है।
मानव जनित आपदा भोपाल गैस त्रासदी. चेरनोबिल, नाभिकीय आपदा, ग्रीन हाउस प्रभाव, भूमंडलीय तापन, वाय, जल, भमि. ध्वनि प्रदूषण आदि पर्यावरणीय प्रदूषण संबंधी आपदाएँ मानवीय क्रियाकलापों के परिणाम हैं। कुछ प्राकृतिक आपदाआ का मानवीय गतिविधियों से बढावा मिलता है। उदाहरण—वनों को काटने से बाढ़, सूखा, भू-स्खलन आदि मानवकत कछ आपदाओं को मानव की अवांछनीय क्रियाकलापों पर रोक लगने से कम किया जा सकता है। लेकिन प्राकृतिक आपदाओं पर रोक लगाना असंभव होता है।


53. आपदा प्रबंधन की आवश्यकता क्यों है ? अथवा, आपदा प्रबंधन के उद्देश्यों की विवेचना करें।

उत्तर⇒ आपदा कोई भी हो उसका प्रबंधन अनिवार्य है। आपदा से न सिर्फ विकास कार्य अवरुद्ध होते हैं, वरन् विकास कार्यों में कई व्यवधान भी उत्पन्न होते हैं। यद्यपि राष्ट्रीय स्तर तथा राज्य मुख्यालय स्तर पर प्रबंधन की व्यवस्था की गई है। जैसे—सुखाड़ प्रबंधन हेतु आम लोगों की सहयोग से या सामूहिक प्रयास से ही कुएँ की खुदाई हो सकती है। भूकंप प्रबंधन हेतु नये तकनीक आधारित भवन निर्माण कार्य किया गया है।


54. भारत में सुनामी से बर्बादी कब और कहाँ हुई थी?

उत्तर⇒ 2002 में भारत के पूर्वी तट तथा अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में सुनामी से भारी बर्बादी हुई थी।


55. सुखाड़ किसे कहा जाता है ?

उत्तर⇒ जब औसत वार्षिक वर्षा की मात्रा में 25% से अधिक की कमी आ जाती है तो उसे सुखाड़ कहते हैं।


56. कोई भी प्रबंधन कार्य कब तक सफल नहीं हो सकता है ?

उत्तर⇒ कोई भी प्रबंधन कार्य तब तक सफल नहीं हो सकता जब तक कि उसमें । आमलोगों की सहभागिता नहीं होती है।


57. भू-स्खलन जैसी समस्या कब उत्पन्न होती है?

उत्तर⇒ हिमालय प्रदेश में विकास कार्यों में लगातार हो रही वृद्धि तीव्र ढाल पर अवस्थित चट्टानों को कमजोर बना देती है और उन्हीं चट्टानों के टूटने से भू-स्खलन जैसी समस्या उत्पन्न होती है।


58. 1984 ई० में भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड के कारखाने से रिसने वाली किस गैस के कारण भयंकर दुर्घटना हई थी?

उत्तर⇒ 1984 ई० में भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड के कारखाने से रिसने वाली मिथाइल आइसोसायनेट (MIC) गैस के निकलने से भयंकर दुर्घटना हुई थी।


59. अध:सागरीय भूकम्प के कारण समुद्र में उठने वाली बहुत ऊँची-ऊँची लहरें क्या कहलाती हैं?

उत्तर⇒ अधः सागरीय भूकम्प के कारण समुद्र में उठने वाली बहुत ऊँची-ऊँची लहरें, सुनामी लहरें कहलाती हैं।

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