नीतिश्लोका

नीतिश्लोका

SANSKRIT ( संस्कृत )

1. पण्डित किसे कहा गया है ? पठित पाठ के आधार पर स्पष्ट करें।
अथवा, ‘नीतिश्लोकाः’ पाठ के आधार पर पंडित के कौन-कौन-से गुण
अथवा, ‘नीतिश्लोकाः पाठ के आधार पर निश्चित ही पण्डित कान कहलाते हैं ?

उत्तर ⇒ महात्मा विदुर ने पण्डित की व्याख्या बड़े ही रोचक ढंग से की है। जिसके कार्य में शीत, उष्ण, भय, प्रेम, समृद्धि अथवा असमृद्धि बाधा नह पहुँचाते है वही पण्डित है। सभी तत्व को जानने वाला, अपने कर्म को योग की तरह जानने वाला और मनुष्य-धर्म निभानेवाला ही पण्डित है।


2. ‘नीतिश्लोकाः’ पाठ के आधार पर मूर्ख कौन है ?
अथवा, नीतिश्लोकाः पाठ के आधार पर मूर्ख का लक्षण लिखें।

उत्तर ⇒ ‘नीतिश्लोकाः’ पाठ में महात्मा विदूर ने मूर्ख मनुष्य के तीन लक्षण बतलाए हैं। ऐसा व्यक्ति जो बिना बुलाए आता है तथा बिना पूछे ही अधिक बोलता है। वह अविश्वासी पर भी विश्वास करता है।


3. नीतिश्लोकाः पाठ के आधार पर अधम नर किसे कहा गया है?

उत्तर ⇒ नीतिश्लोकाः पाठ के आधार पर वैसे व्यक्ति जो बिना बुलाए आ जाते हैं, बिना पूछे बहुत बोलते हैं और अविश्वासियों पर विश्वास करते हैं, अधम कहलाते हैं।


4. वे छः दोष कौन-कौन हैं जो ऐश्वर्य-प्राप्ति में अवरोध उत्पन्न करते हैं?

उत्तर ⇒ आलस्य, निद्रा, तंद्रा, भय, क्रोध, और दीर्घसूत्रता (किसी काम को देरी से करना) ये छः दोष हैं जो ऐश्वर्य प्राप्ति में अवरोध उत्पन्न करते हैं।


5. ‘नीतिश्लोकाः’ पाठ में नरक के कितने द्वार हैं? उसका नाम लिखें।

उत्तर ⇒ नरक के तीन द्वार हैं-काम, क्रोध और लोभ।


6. ‘नीतिश्लोकाः’ पाठ के आधार पर ‘मूढ़चेता नराधम्’ के लक्षणों को लिखें।
अथवा, नीतिश्लोकाः’ पाठ में मूढचेतानराधम किसे कहा गया है ?

उत्तर ⇒ जिन व्यक्तियों का स्वाभिमान मरा हुआ होता है, जो बिना बुलाए किसी के यहाँ जाता है, बिना कुछ पूछे बक-बक करता है। जो अविश्वसनीय पर विश्वास करता है ऐसा मूर्ख हृदयवाला मनुष्यों में नीच होता है। अर्थात् ऐसे ही व्यक्ति को ‘नीतिश्लोकाः’ पाठ में मूढचेतानराधम कहा गया है।


7. ‘नीतिश्लोकाः’ पाठ से किसी एक श्लोक को साफ-साफ शब्दों में लिखें।

उत्तर ⇒ षड् दोषाः पुरुषेणेह हातव्या भूतिमिच्छता ।
निद्रा तन्द्रा भयं क्रोध: आलस्यं दीर्घसूत्रता ।


8. ‘नीतिश्लोकाः’ पाठ के आधार पर पण्डित के लक्षण क्या हैं ?

उत्तर ⇒ धर्म एवं कर्म प्रवचनीय पण्डित सर्वत्र नहीं मिलते हैं। जिसके कार्य में शीत, उष्ण, प्रेम, समृद्धि, असमृद्धि बाधा नहीं पहुंचाते हैं वही पण्डित है। जीवों के तत्त्वों को जाननेवाला तथा कर्म को जाननेवाला ही पण्डित है।


9. अपनी प्रगति चाहनेवाले को क्या करना चाहिए ?

उत्तर ⇒ अपनी प्रगति चाहनेवाले. को निद्रा, तंद्रा, भय, क्रोध, आलस और देर से काम करने की आदत को त्याग देना चाहिए।


10. छह प्रकार के दोष कौन हैं ? पठित पाठ के आधार पर वर्णन करें।
अथवा, अपना विकास चाहने वाले को किन-किन दोषों को त्याग देना चाहिए ?
थवा, ‘नीतिश्लोकाः’ पाठ के आधार पर मनुष्य के षड् दोषों का हिन्दी में वर्णन करें।

उत्तर ⇒ मनुष्य के छः प्रकार के दोष निद्रा, तन्द्रा, भय, क्रोध, आलस्य तथा दीर्घसूत्रता ऐश्वर्य-प्राप्ति में बाधक बननेवाले होते हैं।
जो पुरुष ऐश्वर्य चाहते हैं उन्हें इन दोषों को त्याग देना चाहिए । अन्यथा, केवल चाहने से ऐश्वर्य प्राप्त नहीं हो सकता।


11. नीतिश्लोकाः पाठ में नराधाम किसे कहा गया है ?
अथवा, ‘नरकस्य त्रिविधं द्वारं कस्य नाशनम् ?’ हिन्दी में उत्तर दें।

उत्तर ⇒ नरक जाने के तीन रास्ते हैं-काम, क्रोध तथा लोभ। इनसे आत्मा नष्ट हो जाती है। इन तीनों को छोड़ देना चाहिए।


12. नीतिश्लोकाः पाठ के अनुसार कौन-सा तीन वस्तु त्याज्य है ?

उत्तर ⇒ नीतिश्लोक पाठ के अनुसार उन्नति की इच्छा रखने वाले मनुष्यों को काम, क्रोध और लोभ त्याग देना चाहिए।


13. नीतिश्लोकाः के आधार पर कैसा बोलनेवाले व्यक्ति कठिन से मिलते हैं ?

उत्तर ⇒ सत्य (कल्याणकारी) एवं अप्रिय बातों को कहनेवाले और सुननेवाले व्यक्ति इस संसार में बड़ी कठिनाई से मिलते हैं, दुर्लभ हैं। नीतिश्लोकाः पाठ में ऐसा कहा गया है।


14. ‘नीतिश्लोकाः’ पाठ के आधार पर नराधम के लक्षण लिखें।

उत्तर ⇒ मूर्ख हृदय वाला मनुष्यों में नीच बिना बुलाए हुए प्रवेश करता है, बिना पूछे हुए बहुत बोलता है, अविश्वसनीय व्यक्ति पर विश्वास करता है। ये नराधम के लक्षण हैं।


15. विज्ञान की शिक्षा देनेवाले शास्त्र का परिचय दें।

उत्तर ⇒ प्राचीन भारत में विज्ञान की विभिन्न शाखाओं की पुस्तकों की रचना हुई। आयुर्वेदशास्त्र में चरक संहिता और सुश्रुत तो शास्त्रकार के नाम से ही प्रसिद्ध हैं। वहीं रसायन विज्ञान और भौतिक विज्ञान अंतर्भूत हैं। ज्योतिषशास्त्र में भी खगोल विज्ञान, गणित इत्यादि शास्त्र हैं। आर्यभट्ट की पुस्तक आर्यभट्टीय नाम से विख्यात है। इसी तरह बराहमिहिर की बृहत्संहिता विशाल ग्रंथ है जिसमें अनेक विषयों का समावेश है। वास्तुशास्त्र भी यहाँ व्यापक शास्त्र है। कृषि विज्ञान पराशर के द्वारा रचित हैं।


16. नीच मनुष्य कौन है ? पठित पाठ के आधार पर स्पष्ट करें।

उत्तर ⇒ जो बिना बुलाये हुए किसी सभा में प्रवेश करता है, बिना पूछे हुए बहुत बोलता है, नहीं विश्वास करने पर भी बहुत विश्वास करता है ऐसा पुरुष ही नीच श्रेणी में आता है।


17. ‘नीतिश्लोकाः’ पाठ के आधार पर स्त्रियों की क्या विशेषताएँ हैं ?

उत्तर ⇒ स्त्रियाँ घर की लक्ष्मी हैं। ये पूजनीया तथा महाभाग्यशाली हैं। ये पुण्यमयी और घर को प्रकाशित करनेवाली कही गई हैं । अतएव स्त्रियाँ विशेष रूप से रक्षा करने योग्य होती हैं।


18. ‘नीतिश्लोकाः’ पाठ के आधार पर सुलभ और दुर्लभ कौन हैं ?

उत्तर ⇒ सदा प्रिय बोलनेवाले, अर्थात जो अच्छा लगे वही बोलनेवाले मनुष्य सुलभ हैं । अप्रिय और जीवन को सही मार्ग पर ले जानेवाले वचन बोलने वाले तथा सुननेवाले मनुष्य दोनों ही प्रायः दुर्लभ हैं।


19. ‘नीतिश्लोकाः’ पाठ से हमें क्या संदेश मिलता है ?

उत्तर ⇒ ‘नीतिश्लोकाः’ पाठ महात्मा विदुर-रचित ‘विदुर-नीति’ से उद्धत है। इसमें महाभारत तथा भागवत गीता में समान चित्त को शांत करनेवाला आध्यात्मिक श्लोक हैं। इन श्लोकों में जीवन के यथार्थ पक्ष का वर्णन किया गया है । इससे संदेश मिलता है कि सत्य ही सर्वश्रेष्ठ है । सत्य मार्ग से कदापि विचलित नहीं होना चाहिए।


20. ‘नीतिश्लोकाः’ पाठ से हमें क्या शिक्षा मिलती है ?

उत्तर ⇒ विदुर-नीति से नीतिश्लोकाः पाठ उद्धृत है। इसमें महात्मा विदुर ने मन को शांत करने के लिए कुछ श्लोक लिखे हैं। इन श्लोकों से हमें यह शिक्षा मिलती है कि सांसारिक सुख क्षणिक और आध्यात्मिक सुख स्थायी है। सुंदर आचरण से हम बुरे आचरण को समाप्त कर सकते हैं। काम, क्रोध, लोभ आर मोह को नष्ट करके नरक गमन से बच सकते हैं।


21. नीतिश्लोकाः पाठ का पाँच वाक्यों में परिचय दें।

उत्तर ⇒ इस पाठ में व्यासरचित महाभारत के उद्योग पर्व के अंतर्गत आठ अध्यायों की प्रसिद्ध विदरनीति से संकलित दस श्लोक हैं। महाभारत युद्ध के आरंभ में धृतराष्ट्र ने अपनी चित्तशान्ति के लिए विदुर से परामर्श किया था। विदुर ने उन्हें स्वार्थपरक नीति त्याग कर राजनीति के शाश्वत पारमार्थिक उपदेश दिये थे। इन्हें ‘विदुरनीति’ कहते हैं। इन श्लोकों में विदुर के अमूल्य उपदेश भरे हुए हैं।

22. पण्डित किसे कहा गया है ? पठित पाठ के आधार पर स्पष्ट करें।

उत्तर- महात्मा विदुर ने पण्डित की व्याख्या बड़े ही रोचक ढंग से की है। उनके मतानुसार पण्डित का अभिप्राय ब्राह्मण या विद्वान से नहीं है। धर्म एवं कर्म प्रवचनीय पण्डित सर्वत्र नहीं होते हैं। जिसका कार्य शीत, ऊष्ण, भय, प्रेम समृद्धि अथवा असमृद्धि में बाधा नहीं पहुँचाता है वही पण्डित है। सभी जीवों के तत्व को जानने वाला, अपने कर्म को योग की तरह जानने वाला ही पण्डित है।


23. नीच मनुष्य कौन है ? पठित पाठ के आधार पर स्पष्ट करें।

उत्तर- नीच मनुष्य का अभिप्राय निम्न जाति में जन्म लेने वाले से नहीं है। सत् और असत् कर्मों में संलग्न रहने वाला मनुष्य भी नीच की श्रेणी में नहीं आता है। जो बिना बुलाये हुए किसी सभा में प्रवेश करता है, बिना पूछे हुए बहुत बोलता है. नहीं विश्वास करने पर भी बहुत विश्वास करता है। ऐसा पुरुष ही नीच श्रेणी में आता है।


24.नीतिश्लोकाः पाठ का पाँच वाक्यों में परिचय दें।

उत्तर- इस पाठ में व्यासरचित महाभारत के उद्योग पर्व के अन्तर्गत आठ अध्यायों की प्रसिद्ध विदुरनीति से संकलित दस श्लोक हैं । महाभारत युद्ध के आरंभ में धृतराष्ट्र ने अपनी चित्तशान्ति के लिए विदुर से परामर्श किया था । विदुर ने उन्हें स्वार्थपरक नीति त्याग कर राजनीति के शाश्वत पारमार्थिक उपदेश दिये थे । इन्हें “विदुरनीति” कहते हैं। इन श्लोकों में विदुर के अमूल्य उपदेश भरे हुए हैं।


25. ‘नीतिश्लोकाः’ पाठ के आधार पर स्त्रियों को क्या विशेषताएँ हैं ?

उत्तर- स्त्रियाँ घर की लक्ष्मी हैं। ये पूजनीया तथा महाभाग्यशाली हैं। ये पुण्यमयी और घर को प्रकाशित करनेवाली कही गई हैं। अतएव स्त्रियाँ विशेष रूप से रक्षा करने योग्य होती हैं।


26. उन्नति की इच्छा रखनेवाले मनुष्यों को क्या करना चाहिए ?

उत्तर- उन्नति की इच्छा रखनेवाले मनुष्यों को निद्रा (अधिक सोना) तथा तंद्रा (ऊँघना) को त्याग देना चाहिए । इतना ही नहीं भय, क्रोध, आलस्य और काम को टालने की आदत को भी सदा के लिए छोड़ देना चाहिए । नीतिश्लोकाः पाठ में महात्मा विदुर का कथन है कि ये छः दोष अवश्य ही छोड़ देना चाहिए ।


27. ‘नीतिश्लोकाः’ पाठ के आधार पर सुलभ और दुर्लभ कौन है ?

उत्तर- सदा प्रिय बोलनेवाले, अर्थात जो अच्छा लगे वही बोलनेवाले मनुष्य सुलभ हैं। अप्रिय और जीवन को सही मार्ग पर ले जानेवाले वचन बोलने वाले तथा सुनने वाले मनुष्य दोनों ही प्रायः दुर्लभ हैं।


28. ‘नीतिश्लोकाः’ पाठ से हमें क्या संदेश मिलता है ?

उत्तर- ‘नीतिश्लोकाः’ पाठ महात्मा विदुर-रचित ‘विदुर-नीति’ ग्रंथ से उद्धृत है। इस ग्रंथ में महाभारत तथा भागवत गीता में समान चित्त को शांत करनेवाला आध्यात्मिक श्लोक है। इन श्लोकों में जीवन के यथार्थ पक्ष का वर्णन किया गया है। इससे संदेश मिलता है कि सत्य ही सर्वश्रेष्ठ है। सत्य मार्ग से कदापि विचलित नहीं होना चाहिए।


29. ‘नीतिश्लोकाः’ पाठ से हमें क्या शिक्षा मिलती है ?

उत्तर- विदुर-नीति ग्रंथ से नीतिश्लोकाः पाठ उद्धृत है। इसमें महात्मा विदुर मन को शांत करने के लिए कुछ श्लोक लिखे हैं । इन श्लोकों से हमें यह शिक्षा मिलती है कि सांसारिक सुख क्षणिक और आध्यात्मिक सुख स्थायी है। सुंदर आचरण से हम बुरे आचरण को समाप्त कर सकते हैं। काम, क्रोध, लोभ और मोह को नष्ट करके नरक गमन से बच सकते हैं।


30. ‘नीति श्लोकाः पाठ में मूढ़चेतानराधम किसे कहा गया है ?

उत्तर- जिन व्यक्तियों का स्वाभिमान मरा हुआ होता है, जो बिना बुलाए किसी के यहाँ जाता है, बिना कुछ पूछे बक-बक करता है। जो अविश्वसनीय पर विश्वास करता है ऐसा मूर्ख हृदयवाला मनुष्यों में नीच होता है। अर्थात् ऐसी ही व्यक्ति को ‘नीतिश्लोकाः’ पाठ में मूढचेतानराधम कहा गया है।


31. ‘नीति श्लोका’ पाठ के आधार पर मनुष्य के षड् दोषों का हिन्दी में वर्णन करें।

उत्तर- मनुष्य के छः प्रकार के दोष निद्रा, तन्द्रा, भय, क्रोध, आलस्य तथा दीर्घसूत्रता ऐश्वर्य प्राप्ति में बाधक बनने वाले होते हैं। नीतिकार का कहना है कि जिसमें ये दोष पाए जाते हैं वह चाहते हुए भी सुख की प्राप्ति नहीं कर सकता है, क्योंकि अधिक निद्रा के कारण वह कोई काम समय पर नहीं कर पाता है तो तन्द्रावश हर काम में पीछे रह जाता है। भय अर्थात डर के कारण काम आरंभ नहीं करता है तो क्रोध के कारण बना काम भी बिगडता है। इसी प्रकार आलस्य के कारण समय का दुरुपयोग होता है तो दीर्घसूत्रता अथवा काम को कल पर छोड़ने के कारण काम का बोझ बढ़ जाता है । फलतः वह जीवन के हर क्षेत्र में पीछे रह जाता है।

 

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