नियंत्रण एवं समन्वय
नियंत्रण एवं समन्वय
Science ( विज्ञान ) लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. जंतुओं में रासायनिक समन्वय कैसे होता है ?
उत्तर⇒ जंतुओं में अंत:स्रावी ग्रंथियाँ विशेष रसायनों को उत्पन्न करती हैं। वे रसायन या हॉर्मोन जंतुओं को सूचनाएँ संचरित करने के साधन के रूप में प्रयुक्त होते हैं। अधिवृक्क ग्रंथि से स्रावित एड्रीनलीन हॉर्मोन सीधा रुधिर में स्रावित होता है और शरीर के विभिन्न भागों तक पहुँच जाता है। ऊतकों में विशिष्ट गुण होते हैं जो अपने लिए आवश्यक हॉर्मोनों को पहचान कर उनका उपयोग बाहरी या भीतरी स्तर पर करते हैं । विशिष्टीकृत कार्यों को करने वाले अंगों से समन्वय कर वे हॉर्मोन अपना विशिष्ट प्रभाव दिखा देते हैं।
प्रश्न 2. मधुमेह से आप क्या समझते हैं?
उत्तर⇒ जब हमारे शरीर के पैक्रियाज में इन्सुलिन का पहुँचना कम हो जाता है तो खून में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है। इस स्थिति को मधुमेह (डायबिटीज) कहा जाता है। इन्सुलिन एक हॉर्मोन है, जो कि पाचक ग्रंथि द्वारा बनता है। इसका कार्य शरीर के अन्दर भोजन को एनर्जी में बदलने का होता है। यही वह हॉर्मोन होता है जो हमारे शरीर में शुगर की मात्रा को कण्ट्रोल करता है।
प्रश्न 3. दो पादप हॉर्मोनों का नाम लिखें एवं उनके एक-एक कार्य लिखें।
उत्तर⇒ दो पादप हॉर्मोन निम्नलिखित हैं-
(i) ऑक्सिन- ये पुष्पों के बनने, पत्तियों के गिरने और बीजों के अंकुरण को प्रभावित करते हैं।
(ii) जिबरेलिन-ये बीजों की सुसुप्त अवस्था को तोड़ते हैं । ये फूलों के खिलने और बीज के अंकुरण को भी प्रभावित करते हैं।
प्रश्न 4. हॉर्मोन क्या हैं ? दो पादप हॉर्मोन के नाम लिखें। अथवा, पादप हॉर्मोन क्या हैं ?
उत्तर⇒ वे विभिन्न प्रकार के रासायनिक पदार्थ जो पौधों में वृद्धि और विभेदन संबंधी क्रियाओं पर नियंत्रण करते हैं उन्हें पादप हॉर्मोन कहते हैं।
पादप हॉर्मोन अनेक प्रकार के होते हैं। जैसे-ऑक्सिन (Auxins), इथाइलीन । (Ethylene), जिबरेलिन (Gibberlins), साइटोकाइनिन (Cytokinins) तथा । yafeftch 3467 (Abscisic Acid)
प्रश्न 5. पादप में प्रकाशनुवर्तन किस प्रकार होता है ?
उत्तर⇒ पादपों के प्ररोह के तने एवं शाखा के शिखर की कोशिकाओं में उत्पन्न होने वाले रासायनिक यौगिक को ऑक्सिन कहते हैं। यह कोशिकाओं की लम्बाई
चित्र : प्रकाश की दिशा में पादप की अनुक्रिया
के लिए उत्तरदायी होता है परंतु सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में यह कम क्रियाशील होकर अँधेरे वाले भाग में स्थानान्तरित हो जाता है तथा वहाँ उपस्थित जल के साथ मिलकर उस भाग को फुला देता है जिससे कोशिका सूर्य के प्रकाश की ओर झुक जाती है। सभी कोशिकाएँ इसी क्रिया को दर्शाती हैं। परिणामस्वरूप पादप के स्तम्भ का अग्र भाग प्रकाश की ओर झुक जाता है। इसे ही धनात्मक प्रकाशानुवर्तन कहते हैं।
प्रश्न 6. तंत्रिका उत्तकं कैसे क्रिया करता है?
उत्तर⇒ तंत्रिका ऊतक सूचनाओं को संग्रह करते हैं, उन्हें पूरे शरीर में भेजते हैं, सूचनाओं को व्यवस्थित करते हैं, सूचनाओं के आधार पर निर्णय लेते हैं एवं निर्णय को मांसपेशियों तक भेजते हैं ताकि क्रिया हो सके। संदेश पाने के बाद पेशियाँ अपना आकार बदलती हैं। इससे वे छोटी हो जाती हैं। इनमें विशिष्ट प्रोटीन पाये जाते हैं। ये प्रोटीन पेशियों के आकारों को बदल सकते हैं तथा तंत्रिकाओं से प्राप्त होने वाले विद्युत-तंत्रिकीय आवेग के अनुसार उनमें अनुक्रिया उत्पन्न कर सकती हैं।
प्रश्न 7. आयोडीन युक्त नमक के उपयोग की सलाह क्यों दी जाती है ? अथवा, आयोडीन की कमी से कौन-सी बीमारी होती है? कैसे?
उत्तर⇒ अवटुग्रंथि को थायरॉक्सिन हॉर्मोन बनाने के लिए आयोडीन आवश्यक होता है। हमारे शरीर में प्रोटीन और वसा के उपापचय की थॉयरॉक्सिन कार्बोहाइड्रेट नियंत्रित करता है। यह वृद्धि के संतुलन के लिए आवश्यक होता है। यदि हमारे भोजन में आयोडीन की कमी रहेगी तो हम गॉयटर से ग्रसित हो सकते हैं। इस बीमारी का लक्षण फूली हुई गर्दन या बाहर की ओर उभरे हुए नेत्र-गोलक हो सकते हैं । इस रोग से बचने तथा आयोडीन की शरीर में कमी दूर करने के लिए आयोडीन युक्त नमक के उपयोग की सलाह दी जाती है।
प्रश्न 8. किन्ही चार पादप हॉर्मोन के नाम लिखें।
उत्तर⇒ चार पादप हॉर्मोन के नाम हैं- (i) ऑक्सिन (ii) जिब्रेलिन (iii) सायटोकाइनिन (iv) एब्सेसिक एसिड।
प्रश्न 9. प्रतिवर्ती क्रिया एवं प्रतिवर्ती चाप में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर⇒
प्रतिवर्ती क्रिया | प्रतिवर्ती चाप |
किसी घटना की अनुक्रिया के फलस्वरूप अचानक हुई क्रिया है जिसमें मस्तिष्क द्वारा किसी प्रक्रम की आवश्यकता नहीं होती है। | तंत्रिका आवेग द्वारा प्रतिवर्ती क्रिया हेतु लिया गया मार्ग प्रतिवर्ती चाप कहलाता है। |
प्रश्न 10. मानव शरीर का रेखांचित्र बनाकर अंतःस्रावी ग्रंथियों को दर्शाइए।
उत्तर⇒
चित्र: मनुष्य की अंतः स्रावी ग्रंथियां–(a) नर (b) मादा
प्रश्न 11. जंतुओं में नियंत्रण एवं समन्वय के लिए तंत्रिका तथा हॉर्मोन क्रियाविधि की तुलना तथा व्यतिरेक (contrast) कीजिए ।
उत्तर⇒
तंत्रिका क्रियाविधि | हॉर्मोन क्रियाविधि |
यह एक्सॉन के अंत में विद्युत आवेग का परिणाम है जो कुछरसायनों का विमोचन कराता है। | यह रक्त के द्वारा भेजा गया रासायनिक संदेश है। |
सूचना अति तीव्रगति से आगे बढ़ती है। | सूचना धीरे-धीरे गति करती है। |
सूचना विशिष्ट एक या अनेकतंत्रों, कोशिकाओं, न्यूरॉनों आदि को प्राप्त होती है। | सूचना सारे शरीर को रक्त के माध्यम से प्राप्त हो जाती है जिसे कोई विशेष कोशिका या तंत्र स्वयं प्राप्त कर लेता है। |
इसे उत्तर शीघ्र प्राप्त हो जाता है। | इसे उत्तर प्रायः धीरे-धीरे प्राप्त होता है। |
इसका प्रभाव कम समय तक रहता है। | इसका प्रभाव प्रायः देर तक रहता है। |
प्रश्न 12. जब एड्रीनलीन रुधिर में स्रावित होती है तो हमारे शरीर में क्या अनुक्रिया होती है?
उत्तर⇒ एड्रीनलीन को ‘आपात्काल हॉर्मोन’ भी कहते हैं। जब कोई व्यक्ति भय या तनाव की स्थिति में होता है तब शरीर स्वयं एड्रीनलीन हॉर्मोन को बड़ी मात्रा में स्रावित कर देता है ताकि व्यक्ति आपातकाल का सामना कर सके । इससे हृदय की धड़कन बढ़ जाती है ताकि हमारी पेशियों को अधिक ऑक्सीजन की आपूर्ति हो सके । पाचन तंत्र तथा त्वचा में रुधिर की आपूर्ति कम हो जाती है। इन अंगों की चोटी धमनियों के आसपास की पेशी सिकुड़ जाती है। यह रुधिर की दिशा हमारी कंकाल पेशियों की ओर कर देती है । डायाफ्राम तथा पसलियों की पेशी के संकुचन से साँस तेज चलने लगती है। ये सभी अनुक्रियाएँ मिलकर जंतु शरीर को स्थिति से निपटने के लिए तैयार करती हैं।
प्रश्न 13. प्रकाशानुवर्तन और गुरुत्वानुवर्त्तन में क्या अन्तर है ?
उत्तर⇒
प्रकाशानुवर्तन | गुरुत्वानुवर्त्तन |
जब पौधों के अंगों की गति प्रकाश उद्दीपन के प्रभाव द्वारा निर्धारित होती है तब इसे प्रकाशानुवर्तन कहते हैं। | गुरुत्व बल के कारण पौधों के अंगों में होने वाली गति गुरुत्वानुवर्तन गति कहलाती है। |
प्रश्न 14. मधुमेह के कुछ रोगियों की चिकित्सा इंसुलिन का इंजेक्शन देकर क्यों की जाती है?
उत्तर⇒ इंसुलिन वह हॉर्मोन है जो अग्नाशय में उत्पन्न होता है। यह सुधि शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में सहायता देता है । यदि वह उचित मात्रा में सावित नहीं होता तो रुधिर में शर्करा का स्तर बढ़ जाता है जिस कारण शरीर पर अनेक हानिकारक प्रभाव पड़ते हैं। इसीलिए मधुमेह के कुछ रोगियों को चिकित्सक इंसलिन का इंजेक्शन देते हैं। इससे उनके रुधिर में शर्करा का स्तर नियंत्रित रहता है।
प्रश्न 15. पौधों में प्रकाशानुवर्त्तन को चित्र बनाकर ऋणात्मक और धनात्मक प्रकाशानुवर्तन को दिखायें।
उत्तर⇒ प्रकाश अपवर्तन (Phototropism) –जब पौधों के अंगों (apices) की गति प्रकाश-उद्दीपन के प्रीव द्वारा निर्धारित होती है तब इसे प्रकाश-अनुवर्तन कहते हैं ।
पौधों के कुछ अंग, जैसे तना, प्रकाश की ओर गति करते हैं, इन्हें धनात्मक प्रकाश-अनुवर्तक कहते हैं तथा कुछ अंग प्रकाश के विपरीत दिशा में गति करते हैं, जैसे जड़ें; इन्हें ऋणात्मक प्रकाश-अनुवर्तक कहते हैं।
प्रश्न 16. प्रतिवर्ती क्रिया में मास्तिष्क की क्या भूमिका है?
उत्तर⇒ मध्य मस्तिष्क, सिर, गर्दन और धड़ की प्रतीवर्ती गतियों को नियंत्रित करता है। यह नेत्र पेशियों की गति, पुतली के आकार में परिवर्तन और नेत्र लैंस के आकार में परिवर्तन को भी नियंत्रित करता है। पश्च मस्तिष्क का भाग मैडुला आब्लाँगेटा हृदय स्पंदन, सांस लेना, रक्त दाब पसीना, खाँसना, छींकना, वमन को भी नियंत्रित करता है।
प्रश्न 17. प्रतिवर्ती क्रिया और टहलने के बीच क्या अंतर है ?
उत्तर⇒
प्रतिवर्ती क्रिया | टहलना |
यह क्रिया हमारी इच्छा से नियंत्रित नहीं होती।
हम इसके विषय में सोच नहीं सकते मेरुरज्जू इसको नियंत्रित करता है। |
यह क्रिया हमारी इच्छा से नियंत्रित होती है।
हम इसके विषय में सोच सकते हैं। मस्तिष्क इसे नियंत्रित करता है। |
प्रश्न 18. हमारे शरीर में ग्राही का क्या कार्य है ? ऐसी स्थिति पर विचार कीजिए जहाँ ग्राही उचित प्रकार से कार्य नहीं कर रहे हों। क्या समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं?
उत्तर⇒ ग्राही वे अंग होते हैं जो पर्यावरण से सूचना एकत्र करते हैं । यदि ग्राही उचित प्रकार से सूचना ग्रहण नहीं कर रहा है तो सूचना मेरुरज्जु तथा मस्तिष्क में उचित प्रकार से नहीं पहुँचेगी, जिसके परिणामस्वरूप वे शरीर के प्रभावित अंग की सुरक्षा नहीं कर पाएंगे। इससे प्रभावित अंग या जीव की सुरक्षा नहीं हो पाएगी।
प्रश्न 19. नर तथा मादा-जनन हॉमानों के नाम एवं कार्य लिखें।
उत्तर⇒ नर हॉर्मोन —टेस्टोस्टेरॉन ।
मादा हॉर्मोन—एस्ट्रोजन एवं प्रोजेस्टरॉन
टेस्टोस्टेरॉन के कार्य—शक्राणुओं का निर्माण ।
एस्ट्रोजन के कार्य— द्वितीय लैंगिक लक्षणों का विकास एवं जनन शक्ति का विकास।
प्रश्न 20. पादप में रासायनिक समन्वय किस प्रकार होता है ?
उत्तर⇒ पादपों में रासायनिक समन्वय पादप हॉर्मोनों के कारण होता है । पादप विशिष्ट हॉर्मोनों को उत्पन्न करते हैं जो उसके विशेष भागों को प्रभावित करते हैं। पादपों में प्ररोह प्रकाश के आने की दिशा की ओर ही बढ़ता है । गुरुत्वानुवर्तन जड़ों को नीचे की ओर मुड़कर अनुक्रिया करता है। इसी प्रकार जलानुवर्तन और रासायनावर्तन होता है । पराग नलिका का बीजांड की ओर वृद्धि करना रसायनानुवर्तन का उदाहरण है।
प्रश्न 21. एक जीव में नियंत्रण एवं समन्वय तंत्र की क्या आवश्यकता है?
उत्तर⇒ बहुकोशकीय जीवों की संरचना बहुत जटिल होती है। उनके शरीर के विभिन्न बाहरी और भीतरी अंगों की विशिष्ट कार्यप्रणालियों और गतिविधियों में तालमेल की परम आवश्यकता होती है। अंगों के नियंत्रण और समन्वय के द्वारा ही उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति संभव हो सकती है । जीवों की जटिल प्रकृति के कारण ही वे उन तंत्रों का उपयोग करते हैं जो नियंत्रण एवं समन्वय कार्य करते हैं। विशिष्टीकरण ऊतक का उपयोग नियंत्रण और समन्वय में सहायक सिद्ध होता है।
प्रश्न 22. जलानुवर्तन दर्शाने के लिए एक अभिकल्पना की संक्षिप्त चर्चा कीजिए। अथवा, जलानुवर्तन दर्शाने के लिए एक प्रयोग की अभिकल्पना कीजिए।
उत्तर⇒ लकड़ी का बना एक लंबा डिब्बा लें। इसमें मिट्टी और खाद का मिश्रण भरें। इसके एक सिरे पर एक पौधा लगाएँ । डिब्बे में पौधे की विपरीत दिशा में एक कीप मिट्टी में गाड़ दें। पौधे को उसी कीप के द्वारा प्रतिदिन पानी दें । लगभग एक सप्ताह के बाद पौधे के निकट की मिट्टी हटाकर ध्यान से देखें । पौधे की जड़ों की वृद्धि उसी दिशा में दिखाई देगी जिस दिशा से कीप के द्वारा पौधे की सिंचाई की जाती थी।
प्रोजेस्टरॉन के कार्य—भ्रूण के विकास में सहायक, भ्रूण के पोषण में सहायक ।
प्रश्न 23. किसी सहारे के चारों ओर प्रतान की वृद्धि में ऑक्सिन किस प्रकार सहायक है ?
उत्तर⇒ सूर्य का प्रकाश प्रतान के जिस ओर पड़ता है, ऑक्सिन उसकी विपरीत दिशा में चला जाता है। ऑक्सिन कोशिकाओं की वृद्धि को प्रेरित करता है। इसके कारण प्रतान वृद्धि करता हुआ मुड़ जाता है । इस प्रकार वह सहारे के चारों ओर लिपटता है।
चित्र: जलानुवर्तन दर्शाने का प्रयोग
प्रश्न 24. अनैच्छिक क्रियाएँ तथा परिवर्ती क्रियाएँ एक-दूसरे से किस प्रकार भिन्न हैं?
उत्तर⇒
प्रतिवर्ती क्रियाएँ | अनैच्छिक क्रियाएँ |
इस प्रकार की क्रियाएँ मेरुरज्जु द्वारा नियंत्रित रहती हैं। | इस प्रकार की क्रियाएँ मस्तिष्क द्वारा नियंत्रित रहती हैं। |
ये एक सेकेण्ड से भी कम समय में पूर्ण हो जाती है। | इनके पूरा होने में समय लगता है। |
इसमें सोचने की आवश्यकता नहीं होती है। | इनमें सोचने की आवश्यकता होती है। |
उद्दीपन प्राप्त होने के तुरंत बाद ही अनुक्रिया होती है। | इसमें विचार की आवश्यकता होती है न कि अनुक्रिया हेतु पर्यावरणीय उद्दीपन की आवश्यकता होती है। |
प्रश्न 25. छुई-मुई पादप की गति तथा हमारी टांग में होने वाली गति के तरीके में क्या अंतर है?
उत्तर⇒ छुई-मुई पादप स्पर्श करते ही पत्तियों को झुका कर या बंद कर संवेदनशीलता का परिचय दे देती है। पादप हॉर्मोन के प्रभाव के कारण पादप कोशिकाएँ यह परिवर्तित कर देती है। जबकि हमारी टांग में होने वाली ऐच्छिक क्रिया का परिणाम है जो अनुमस्तिष्क के द्वारा संचालित होती है। इसमें तंत्रिका नियंत्रण का सहयोग प्राप्त किया जाता है।
प्रश्न 26. छुई-मुई की पत्तियों की गति, प्रकाश की ओर प्ररोह की गति से किस प्रकार भिन्न है ?
उत्तर⇒ छुई-मुई पौधों पर प्रकाशानुवर्तन गति का प्रभाव पड़ता है। पौधे का प्ररोह बहुत धीमी गति से प्रकाश आने की दिशा में वृद्धि करते हैं लेकिन इसके पत्ते स्पर्श की अनुक्रिया के प्रति बहुत अधिक संवेदनशील हैं । स्पर्श होने की सूचना इसके विभिन्न भागों को बहुत तेजी से प्राप्त हो जाती है। पादप इस सूचना को एक कोशिका से दूसरी कोशिका तक संचारित करने के लिए वैद्युत-रसायन साधन का उपयोग करते हैं। उसमें सूचनाओं के चालन के लिए कोई विशिष्टीकृत ऊतक नहीं होते इसलिए वे जल की मात्रा में परिवर्तन करके अपने पत्तों को सिकुड़ कर उनका आकार बदल लेते हैं।
चित्र: छुई-मुई का पौधा
प्रश्न 27. हॉर्मोन क्या है ?
उत्तर⇒ ये अंत:स्रावी ग्रंथि द्वारा स्त्रावित पदार्थ हैं जो वृद्धि, परिवर्धन और अन्य क्रियाओं को नियंत्रित करते हैं । विशेष कार्यों के लिये विशेष हार्मोन की आवश्यकता होती है।
प्रश्न 28. होमियोस्टेसिस क्या है ?
उत्तर⇒ जीवों के शरीर में सभी क्रियाओं को सुचारू रूप से करने के लिये, उनका भीतरी वातावरण बाहरी परिवर्तनों को सहने का प्रयत्न करता है । इस अवस्था को बनाए रखने की क्षमता होमियोस्टेसिस कहलाती है।
प्रश्न 29. साइटोकाइनिन के मुख्य कार्य क्या हैं ?
उत्तर⇒ ये कोशिका विभाजन को उद्दीपित करते हैं। ये जीर्णत को रोकते हैं और पर्णहरित को नष्ट नहीं होने देते हैं, कोशिका में पोषण गति को बढ़ाते हैं और वृद्धि और परिवर्धन को नियंत्रित करते हैं।
प्रश्न 30. ऑक्सिन क्या है और पौधों में ये कहाँ पर उत्पन्न होते हैं ?
उत्तर⇒ ये पादप हार्मोन का समूह होते हैं जो प्राकृतिक रूप से पौधों में उत्पन्न होते हैं। ये पौधों के ऊपरी भागों तथा पत्तियों के प्रीमोर्डिया तथा वृद्धिकारक बीजों में उत्पन्न होते हैं जो अमीनो अम्लों से बनते हैं।
प्रश्न 31. कार्टिसोल क्या है ?
उत्तर⇒ कार्टिसोल का दूसरा नाम ग्लूकोकार्टिकोइड्स है। ये कार्बोहाइड्रेट उपापचय को नियंत्रित करते हैं और इनकी क्रियाएँ एंटी इन्क्लेमीटरी और एंटी एलर्जिक होती हैं।
प्रश्न 32. स्वायत्त तंत्रिका तंत्र क्या है ?
उत्तर⇒ शरीर की विभिन्न सामान्य क्रियाओं को नियंत्रित करने के अतिरिक्त शरीर की बहुत-सी आंतरिक क्रियायें जैसे हृदय, रुधिर वाहिकायें और ग्रन्थियाँ आदि तंत्रिकाओं के एक विशेष वर्ग द्वारा नियंत्रित किये जाते हैं, जिसे स्वायत्त तंत्रिका तंत्र कहते हैं। यह मुख्यतया अंदर के अंगों जैसे हृदय, रक्त वाहिनियों और ग्रन्थियों को नियंत्रित और कार्यबद्ध करता है। यह मुलायम पेशियों और गर्भाशय को भी नियंत्रित करता है।
प्रश्न 33. जिबरेलिन की खोज किस प्रकार की गई ?
उत्तर⇒ सन् 1926 में कुरासोवा ने जिब्रेला फ्यूजी कुरोई से इसकी खोज की थी। यह पौधों की जड़ों, नयी पत्तियों और भ्रूण कोश में उत्पन्न होता है। बाद में इसे अम्ल के रूप में कवक से तैयार किया गया ।
प्रश्न 34. पिट्यूटरी ग्रंथि द्वारा स्रावित तीन हॉर्मोनों के नाम बताएँ।
उत्तर⇒ पिट्यूटरी ग्रंथि मध्य मस्तिष्क के निचले भाग में स्थित होती है।
यह निम्नांकित हॉर्मोनों को स्रावित करती है-
(i) ट्रोपिक हॉर्मोन (ii) प्रोलैक्टिन (iii) ऑक्सिटोसिन (iv) वैसोप्रैसिन ।
प्रश्न 35. पश्च मस्तिष्क के किसी एक भाग के कार्य बताइए।
उत्तर⇒ पश्च मस्तिष्क के तीन केन्द्र होते हैं—अनुमस्तिष्क, पोन्स और मस्तिष्क गुच्छ । मैडुला आबलागेटा या मस्तिष्क शरीर की अनैच्छिक क्रियाओं जैसे—श्वसन, हृदय स्पंदन, परिसंचरण, खांसी, छींकना और उल्टी आदि क्रियाओं को नियंत्रित करता है।
प्रश्न 36. एक जीव में नियंत्रण एवं समन्वय तंत्र की क्या आवश्यकता है?
उत्तर⇒ जीव में नियंत्रण एवं समन्वयन की आवश्यकता-
(i) विभिन्न प्रकार के प्रक्रम कई अंगों के समन्वय द्वारा सम्पादित होते हैं ।
(ii) शरीर में उपापचय की दर हृदय एवं फेफड़े के कार्य करने की दरें निश्चित होनी चाहिए।
प्रश्न 37. दो तंत्रिका कोशिकाओं के मध्य अंतर्ग्रथन में क्या होता है?
उत्तर⇒ अंतर्ग्रथन पर एक तंत्रिक कोशिका के तंत्रिकाक्ष के सिरे पर रासायनिक पदार्थ उत्पन्न होता है जो कि दूसरे तंत्रिकोशिकाओं के द्रुमिकाओं से होता हुआ दूसरे तंत्रिकोशिकाओं में पहुँचता है। अंतर्ग्रथन से सुनिश्चित होता है कि तंत्रिका आवेग एक ही दिशा में संचरित होता है।
प्रश्न 38. पिट्यूटरी ग्रंथि को मास्टर ग्रंथि क्यों समझा जाता है ?
उत्तर⇒ पिट्यूटरी ग्रंथि, लाल भूरे रंग की, सेम के बीज के आकार की होती है, जो मस्तिष्क के आधार के पास स्थित होती है। ये ऑप्टिक कोएज्मा के पास होती है जहाँ से तंत्रिकायें आँखों में जाती हैं। यह ग्रंथि अन्य ग्रंथियों को भी नियंत्रित करती है, इसी कारण इसे मास्टर ग्रंथि कहा जाता है।
प्रश्न 39. प्रमस्तिष्क या मध्य मस्तिष्क के कार्यों का वर्णन करें।
उत्तर⇒ मनुष्य का मस्तिष्क तीन भागों में बंटा होता है—
(i) अग्र मस्तिष्क (ii) मध्य मस्तिष्क (iii) पश्च मस्तिष्क ।
मध्य मस्तिष्क में सैरीब्रम और ओल फैक्टरी पाली है। सैरीब्रम दो भागों में बंटा होता है जिसे अर्द्ध गोलार्द्ध कहते हैं। प्रमस्तिष्क में संवेदी क्षेत्र होता है जहाँ पर संवेदी अंगों से सूचनायें प्राप्त की जाती हैं। इस भाग में प्रत्येक के संवेग के लिये और उसके उत्तर के लिये काफी क्षेत्र होता है । इसमें स्मृति, ग्राही, स्पर्श, गंध आदि के लिये गोलार्द्ध पाये जाते हैं । कार्नियन तंत्रिकायें मस्तिष्क के इसी भाग से. निकलती हैं।
प्रश्न 40. मनुष्य में केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र का वर्णन करें।
उत्तर⇒ मनुष्य में केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र बहुत विकसित होता है। इसमें मस्तिष्क, मेरुरज्जु तथा संबंधित तंत्रिकाएँ होती हैं।
मस्तिष्क तंत्रिका तंत्र का मुख्य केन्द्र होता है और शरीर के सभी अंगों का समन्वयन करता है। यह खोपड़ी में स्थित होता है। मेरुरज्जु, रीढ़ की हड्डी के बीच में स्थित होता है। तंत्रिकायें महीन धागे के आकार की संरचनायें होती हैं जो मस्तिष्क और मेरुरज्जु से जुड़ी होती हैं और शरीर की प्रत्येक कोशिकाओं से जुड़ी होती हैं।
कार्य के आधार पर तंत्रिकाओं को दो भागों में बाँटा गया है—
(i) संवेदी तंत्रिकायें (ii) प्रेरक तंत्रिकायें ।
संवेदी तंत्रिकायें वे होती हैं जो उद्दीपन को प्रभावी भागों से मस्तिष्क और मेरुरज्जु को ले जाती हैं और प्रेरक तंत्रिकायें वे होती हैं जो उद्दीपन का उत्तर, प्रभावित भागों तक ले जाती हैं।।
प्रश्न 41. टैस्टोस्टीरोन और इस्ट्रोजन के कार्य बताएँ।
उत्तर⇒ टैस्टोस्टीरोन—यह हॉर्मोन द्वारा स्रावित होता है।
इसके मुख्य कार्य हैं—
(i) नर के जनन अंगों को नियंत्रित करता है।
(ii) यह पौरुष विकास का नियंत्रण करता है। इसमें मूंछे, दाढ़ी आती हैं और आवाज भारी: हो जाता है ।
इस्ट्रोजन (Estrogen)—यह मादा में निकलने वाला हॉर्मोन है।
इसके मुख्य कार्य हैं —
(i) यह मादा जनन अंगों को नियंत्रित करते हैं।
(ii) मादाओं में द्वितीय लैंगिक लक्षणों को नियंत्रित करता है जैसे स्तन वद्धि अंडवाहिनियाँ, योनि तथा लेबिया आदि का विकास होता है। नितम्ब भारी हो जाते हैं और बालों का आना और आवाज बदल जाती है।
प्रश्न 42. अनुकम्पी तंत्रिका तंत्र और परानुकम्पी तंत्रिका तंत्र में अंतर सात करें।
उत्तर⇒
अनुकम्पी तंत्र | परानुकम्पी तंत्र |
ये स्पाइनल कॉर्ड के दोनों ओर गुच्छकों की एक दोहरी कड़ी होती है। प्रत्येक में 18 गुच्छक होते हैं। | ये भी जोड़ीदार होते हैं परन्तु अंतरांगों के समीप नहीं होते हैं । |
तंत्रिका तंतु इन गुच्छकों को केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र तथा अंतरांगों से जोड़ते हैं। | यह तंत्र मस्तिष्क से निकलता है । तथा मेरुरज्जु के पश्च भाग में भी । |
प्रश्न 43. ऑक्सिन और साइटोकाइनिन में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर⇒
ऑक्सिन | साइटोकाइनिन |
ये वृद्धि हार्मोन होते हैं। | ये कोशिका विभाजन के लिये उत्तरदायी होते हैं। |
ये तनों के अग्र भाग में संश्लेषित होते हैं। | ये बीजों के भ्रूणपोष और जड़ों में निर्मित होते हैं। |
ये वृद्धि, जड़ों के बनने ओर अनिषेक फलन के लिये आवश्यक होते हैं। | ये कोशिका विभाजन, प्ररोह और जड़ों के बनने और अग्रीय प्रभाविकता जैसे कार्य करता है। |
प्रश्न 44. हॉर्मोन और विटामिन में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर⇒
हॉर्मोन | विटामिन |
ये जंतुओं के शरीर में संश्लेषित होते हैं। | ये पौधों के शरीर में संश्लेषित होते हैं और भोजन से प्राप्त किये जाते हैं। |
ये अंतःस्रावी ग्रंथियों द्वारा स्रावित किये जाते हैं। | ये पौधों के विभिन्न भागों से प्राप्त किये जाते हैं। |
इनकी कमी और अधिकता बीमारी का कारण बनती है। | इनकी कमी से बीमारी होती है और अधिकता से इन्हें बाहर निकाल दिया जाता है। |
ये पेप्टाइड, अमीनो अम्ल, प्रोटीन के यौगिक या स्टीराइड होते हैं। | ये सरल कार्बनिक यौगिक होते हैं। |
प्रश्न 45. एड्रीनल कार्टेक्स और एड्रीनल मेडुला में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर⇒
एड्रीनल कार्टेक्स | एड्रीनल मेडुला |
ये हल्के पीले या गुलाबी रंग के होते हैं। | ये गहरे भूरे रंग के होते हैं। |
ये एड्रीनल ग्रंथि के बाह्य भाग होते हैं। | ये एड्रीनल के आन्तरिक केन्द्रीय भाग हैं। |
ये तंतु पट से ढंकी रहती है। | ये भी तंतु पट से ढंके होते हैं। |
ये मीसोडर्म से उत्पन्न होते हैं। | ये एन्डोडर्म से उत्पन्न होते हैं। |
खनिज कोर्टिकाइड, ग्लूको कोर्टिकोइड और कोर्टिकोइड आदि स्रावित होते हैं। | एड्रीनलिन तथा नॉन-एड्रीनलिन आदि हॉर्मोस स्रावित होते हैं। |
प्रश्न 46. ऑक्सिन और जिबरेलिन में क्या अंतर है?
उत्तर⇒
आक्सिन | जिबरेलिन |
ये पादप हॉर्मोन हैं जो पौधे के तने की वृद्धि को प्रेरित करते हैं। | ये भी पादप हॉर्मोन हैं जो बौने पौधों के पर्वो को लम्बा होने में सहायक होते हैं। |
ये पुष्पों के बनने, पत्तियों के गिरने और बीजों के अंकुरण को भी प्रभावित करते हैं। | ये बीजों की सुसुप्त अवस्था को तोड़ते अंकुरण को प्रभावित हैं। ये फलों के खिलने और बीज के करते हैं। |
प्रश्न 47. अंतःस्त्रावी और बहिःस्त्रावी ग्रंथियों में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर⇒
अंतःस्त्रावी ग्रंथियाँ | बर्हि स्त्रावी ग्रंथियाँ |
ये नलिका विहीन होती हैं। | इनकी अपनी नलिकाएँ होती हैं। |
इनका स्त्राव रक्त द्वारा संकेतित अंग तक पहुँचाया जाता है। | ये अपने स्राव शरीर के भीतरी भागों में पहुँचाती हैं। |
ये विशेष अंगों की उचित वृद्धि और कार्यों के लिये उत्तरदायी होती हैं। | ये भोजन और बाह्य पदार्थों पर कार्य करने में निपुणता रखती हैं। |
Science ( विज्ञान ) दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1. जंतुओं में नियंत्रण एवं समन्वय के लिए तंत्रिका तथा हॉर्मोन क्रियाविधि की तुलना तथा व्यतिरेक (contrast) कीजिये।
उत्तर ⇒ जतुओं में नियंत्रण एवं समन्वय के लिए तंत्रिका तथा हॉर्मोन क्रियाविधि तुलना
तंत्रिका क्रियाविधि | हॉर्मोन क्रियाविधि |
(i) एक एक्सॉन के अंत में विधुत आवेग का परिणाम है जो कुछ रसायनों का विमोचन कराता है। | (i) यह रक्त द्वारा भेजा गया रासायनिक संदेश है |
(ii) सूचना अति तीव्र गति से आगे बढ़ती है | (ii) सूचना धीरे-धीरे गति करती है। |
(iii) सूचना विशिष्ट एक या अनेक तंत्र कोशिकाओं, न्यूरॉनों आदि को प्राप्त होती है। | (iii) सूचना सारे शरीर को रक्त के माध्यम से प्राप्त हो जाती है जिसे कोई विशेष कोशिका या तंत्रों स्वयं प्राप्त कर लेता है। |
(iv) इसे उत्तर शीघ्र मिल जाता है। | (iv) इसे उत्तर प्रायः धीरे-धीरे प्राप्त होता है। |
(v) इसका प्रभाव कम समय तक रहता है। | (v) इसका प्रभाव प्रायः देर तक रहता है। |
2. जंतुओं में रासायनिक समन्वय कैसे होता है ?
उत्तर⇒ जंतुओं में रासायनिक समन्वय कुछ रासायनिक यौगिकों द्वारा होता है जिन्हें हॉर्मोन कहते हैं। इनका स्राव शरीर की कुछ विशेष ग्रंथियों द्वारा होता है जिन्हें अंतःस्रावी ग्रंथियाँ (endocrine glands) कहते हैं। अंतःस्रावी ग्रंथियाँ नलिकाविहीन ग्रथियाँ (ductless glands) भी कहलाती हैं चूँकि इनमें नलिकाएँ नहीं होती। नलिकाविहीन होने के कारण ये ग्रंथियाँ अपने स्राव हॉर्मोन्स को सीधे रक्त परिसंचरण में मुक्त करती हैं। इन ग्रंथियों से स्रावित हॉर्मोन पहले ऊतक द्रव (tissue fluid) में विसरित हो जाता है। यहाँ से यह फिर रक्त कोशिकाओं (blood capillaries) में पहुँचता है और इस तरह रक्त परिसंचरण के द्वारा उन अंगों में पहुँच जाता है जहाँ इनकी जरूरत होती है। हॉर्मोन प्रेरक का कार्य करता है और जब यह रक्त परिसंचरण द्वारा अपने लक्ष्य अंगों तक पहुँचता है, तब यह उन अंगों में से कुछ विशेष परिवर्तनों को प्रेरित करता है। हॉर्मोन-नियंत्रण एवं समन्वय का प्रभाव अपेक्षाकृत धीरे–धीरे होता है, परंतु इससे उत्पन्न प्रभाव देर तक टिकता है। इनकी रासायनिक रचना जटिल होती है।
3. जब एडीनलीन रुधिर में स्त्रावित होती है तो हमारे शरीर में क्या अनुक्रिया होती है ?
उत्तर⇒ एड्रीनलीन रुधिर में स्रावित हो जाता है और शरीर के विभिन्न भागों तक पहुँचा दिया जाता है। हृदय सहित, लक्ष्य अंगों तक तथा विशिष्ट ऊतकों पर यह कार्य करता है। इस कारणवश हृदय की धड़कन बढ़ जाती है, ताकि हमारी पेशियों में अधिक ऑक्सीजन की आपूर्ति हो सके। पाचन तंत्र तथा त्वचा में रुधिर की आपूर्ति कम हो जाती है, क्योंकि इन अंगों की छोटी धमनियों के आसपास की पेशियाँ सिकुड़ जाती हैं। यह रुधिर की दिशा हमारी कंकाल पेशियों की ओर कर देता है। डायफ्राम तथा पसलियों की पेशी के संकुचन से श्वसन दर भी बढ़ जाती है। ये सभी अनुक्रियाएँ मिलकर जंतु शरीर को स्थिति से निपटने के लिए तैयार करती हैं। ये जंतु हॉर्मोन अंत:स्रावी ग्रंथियों का भाग हैं जो हमारे शरीर में नियंत्रण एवं समन्वय का दूसरा मार्ग है।
क्लास 10th विज्ञान नियंत्रण एवं समन्वय प्रश्न उत्तर
4. साइटोकाइनिन तथा एबिसिसिक एसिड के कार्यों की विवेचना करें।
उत्तर⇒ साइटोकाइनिन के प्रमुख कार्य हैं
(i) यह कोशिका द्रव के विभाजन को प्रोन्नत करता है।
(ii) ये पत्तियों में जीर्णता को रोकते हैं।
(iii) ये पौधों की पत्तियों को अधिक समय तक हरी तथा ताजी बनाये रखने में मदद करता है।
(iv) यह बीज प्रसुप्ति को खत्म कर बीज अंकुरण को प्रोत्साहित करता है। एबिसिसिक एसिड के प्रमुख कार्य हैं
(i) यह पौधों के फूलों, फलों एवं पत्तियों में विलगन को प्रोत्साहित करता है।
(ii) पत्तियों का मुरझाना एवं विलगन इसके द्वारा नित्रित होता है।
(iii) यह कलियों की वृद्धि और बीजों का अंकुरण नहीं होने देता है।
(iv) इससे कोशिका विभाजन एवं कोशिका दीर्घन दोनों ही अवरुद्ध होता है।
5. थायरायड ग्रंथि की संरचना तथा उससे निकलने वाले हार्मोन के कार्यों का उल्लेख करें।
उत्तर ⇒ थायरायड ग्रंथि श्वास नली के दोनों ओर लैटिक्स के नीचे अवस्थित होती है। इस ग्रंथि के दोनों पिंड एक संयोजी ऊतक के साथ बँधे रहते हैं, जिसे इस्थमस कहते हैं।
चित्र : थायरायड ग्रंथि
थायरायड ग्रंथि से थाइराक्सिन नामक हार्मोन निकलता है। यह हमारे शरीर में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन एवं वसा के सामान्य उपापचय को नियंत्रित करता है। यह शरीर में ग्लाइकोलिसिस एवं ग्लूकोनियोजिनेसिस की प्रक्रिया को बढ़ाता है।
6. तंत्रिका ऊतक कैसे क्रिया करता है ?
उत्तर ⇒
चित्र : तंत्रिका कोशिका का चित्र
न्यूरॉन की संरचना – न्यूरॉन में एक तारा आकार कोशिकाय होता है जिसे साइटॉन कहते हैं। साइटॉन के अनेक पतले तंतुओं में से एक जो सबसे लंबा होता है, अक्ष या एक्सॉन (axon) कहलाता है। इसके अन्य शाखित व छोटे प्रवर्धन डेंड्राइट्स (dendrites) कहलाते हैं। एक्सॉन अपने अंतिम छोर पर स्वयं शाखित हो जाते हैं जो कि सूक्ष्म गाँठ जैसी रचना में समाप्त होती है, जिसे सूत्रयुग्मन गाँठे या साइनैप्टिक नॉब्स (synaptic knobs) कहते हैं। एक्सॉन के चारों ओर श्वेत चर्बीदार पदार्थों का (fatty substances) का आवरण होता है जिसे मेडुलरी या मायलिन शीथ कहते हैं। जहाँ मायलिन शीथ (Medullary or Mvelin sheath) नहीं होते, रेनवियर के नोड (nodes of Ranvier) कहलाते हैं। दो नोड्स के बीच के भाग को इंटरनोड कहते हैं। मायलिन शीथ के ऊपर एक पतली झिल्ली होती है जिसे न्यूरिलेमा (neurilemma) कहते हैं । यह चपटी तथा लंबवत् कोशिकाओं की बनी होती है जिन्हें श्वान कोशिका (Schwann cells) कहते हैं। जब एक्सॉन बहुत लंबा होता है तो वह तंत्रिका तंतु (nerve fibre) कहलाता है।
7. छुई-मुई पादप की पत्तियों की गति, प्रकाश की ओर प्रवाह की गति से किस प्रकार भिन्न है ?
उत्तर ⇒ छुई–मुई पौधों पर प्रकाशानुवर्तन गति का प्रभाव पड़ता है। पौधे का प्ररोह बहत धीमी गति से प्रकाश आने की दिशा में वृद्धि करते हैं लेकिन इसक पत्त स्पर्श की अनक्रिया के प्रति बहत अधिक संवेदनशील हैं। स्पर्श होने की सूचना इसक विभिन्न भागों को बहुत तेजी से प्राप्त हो जाती है। पादप इस सूचना को एक कोशिका से दूसरी कोशिका तक संचारित करने के लिए वैद्युत–रसायन साधन का उपयोग करते हैं। उसमें सूचनाओं के साधन के लिए कोई विशिष्टीकृत ऊतक नहीं होते इसलिए वे जल की मात्रा में परिवर्तन करके अपने पत्तों को सिकुड़कर उनका आकार बदल लेते हैं।
चित्र : छुई–मुई का पौधा
8. छुई – मुई पादप में गति तथा हमारी टाँग में होने वाली गति के तरीके में क्या अंतर है ?
उत्तर ⇒ छुई–मुई में जंतु पेशी कोशिकाओं की तरह विशिष्टीकृत प्रोटीन तो नहीं होती लेकिन वे जल की मात्रा में परिवर्तन करके अपनी आकृति बदल लेती हैं, परिणामस्वरूप फूलने या सिकड़ने में उनका आकार बदल जाता है। अतः पौधा म केवल रासायनिक नियंत्रण होता है एवं तंत्रिकीय नियंत्रण बिलकुल भी नहीं पाया जाता है। मस्तिष्क के अग्रमस्तिष्क में साहचर्य के क्षेत्र पथक होते हैं जहा सवदा सूचनाओं का, अन्य ग्राही सूचनाओं एवं पहले से मस्तिष्क में एकत्र सूचनाओं का अथ लगाया जाता है। फिर निर्णय कर अनक्रिया तथा सचनाएँ प्रेरक क्षेत्र तक ऐच्छिक पेशी की गति को नियंत्रित करती हैं जैसे—हमारी टाँग की पेशियाँ।
9. दो तंत्रिका कोशिकाओं (न्यरॉन) के मध्य अंतर्ग्रथन (सिनेप्स) में क्या होता है ?
उत्तर ⇒ हमारे पर्यावरण से सभी सचनाओं का पता कछ तंत्रिका कोशिकाओं के विशिष्टीकृत सिरों द्वारा लगाया जाता है। यह सूचना एक तंत्रिका कोशिका के द्रुमाकृतिक सिरे द्वारा उपार्जित की जाती है और एक रासायनिक क्रिया द्वारा यह एक विद्युत आवेग पैदा करती है। यह आवेग द्रमिका से कोशिकाकाय तथा वहाँ से तत्रिकाक्ष (एक्सॉन) में होता हुआ एक्सॉन के अंत में विद्युत आवेग कुछ रसायनों का विमोचन कराता है। यह रसायन रिक्त स्थान या सिनेप्स (सिनेप्टिक दरार) को पार करते हैं और अगली तंत्रिका कोशिका की द्रमिका में इसी तरह का विद्युत आवेग प्रारंभ करते हैं। इसी तरह का एक अंतर्ग्रथन (सिनेप्स) अंततः ऐसे आवेगों को तंत्रिका कोशिका से अन्य कोशिकाओं, जैसे कि पेशी कोशिकाओं या ग्रंथि तक ले जाता है एवं यह. शरीर में तंत्रिका आवेग की मात्रा की सामान्य योजना है।
चित्र : तंत्रिका पेशीय संधि
10. हमारे शरीर. में ग्राही का क्या कार्य है? ऐसी स्थिति पर विचार कीजिए जहाँ ग्राही उचित प्रकार से कार्य नहीं कर रहा हो, वहाँ क्या समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं ?
उत्तर ⇒ हमारे शरीर में त्वचा, पेशियों तथा अन्य अंगों को ग्राही अंग कहते हैं। इसका मुख्य कार्य विभिन्न प्रकार के उद्दीपनों को ग्रहण करना है। ये उद्दीपन संवेदना मार्ग से होते हुए तंत्रिका केंद्र के पास पहुँचता है, जहाँ प्रेरक मार्ग एवं अभिवाही अंग से होते हुए अनुक्रिया प्रदर्शित करता है।
यदि ग्राही अंग ठीक से काम नहीं करता है, तो उद्दीपन के प्रति किसी भी प्रकार की अनुक्रिया नहीं होती है।
11. किसी सहारे के चारों ओर एक प्रतान की वृद्धि में ऑक्सिन किस प्रकार सहायक है ?
उत्तर ⇒ मटर के पौधे की तरह कुछ पादप या बाड़ पर प्रतान की सहायता से ऊपर चढ़ते हैं। परंतु यह प्रतान स्पर्श के लिए संवेदनशील हैं। सूर्य का प्रकाश प्रतान के जिस ओर पड़ता है; ऑक्सिन उसकी विपरीत दिशा में चला जाता है। ऑक्सिन कोशिकाओं की वृद्धि को प्रेरित करता है। इसी कारणवश प्रतान वृद्धि करता हुआ मुड़ जाता है। इस प्रकार प्रतान सहारे को चारों ओर जकड़ लेता है।
चित्र : मटर के पौधा में वृद्धि
class 10 science niyantran evam samanvay
12. एक पादप हॉर्मोन का उदाहरण दीजिए जो वृद्धि को बढ़ाता है।
उत्तर ⇒ पौधों की जैविक क्रियाओं के बीच समन्वय स्थापित करने वाले रासायनिक पदार्थ को पादप हॉर्मोन या फाइटोहॉर्मोन कहते हैं। इन्हीं में से एक महत्त्वपूर्ण पादप हॉर्मोन है—ऑक्जिन (Auxin)। ऑक्जिन पौधों के स्तंभ शीर्ष (stem tip) पर मुख्यतः संश्लेषित होने वाले ये कार्बनिक यौगिक कोशिका–विभाजन (cell division) एवं कोशिका–दीर्घन (cell elongation) में सहायता करते हैं। जब पौधों पर प्रकाश पड़ता है तो ऑक्जिन प्ररोह के छायावाले भाग की ओर विसरित हो जाता है। कोशिका–दीर्घन द्वारा यह ऑक्जिन तने की वृद्धि में सहायक होते हैं। यदि स्तंभ का शीर्ष काट दिया जाए तो पौधे की लंबाई में वृद्धि रुक जाती है व पार्श्वशाखाएँ निकलने लगती हैं। यह अधिकतर बीजरहित फलों के उत्पादन में सहायक होते हैं।
13. मानव शरीर का रेखाचित्र बनाकर अंत: स्रावी ग्रंथियों को दर्शाइये।
उत्तर ⇒
चित्र: मानव की अंत: स्रावी ग्रंथियाँ (a) नर, (b) मादा
14. एड्रीनल कार्टेक्स और एड्रीनल मेडुला में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर ⇒ एड्रीनल कार्टेक्स और एड्रीनल मेडुला में निम्नलिखित अंतर हैं।
एड्रीनल कार्टेक्स | एड्रीनल मेडुला |
1. ये हल्के पीले या गुलाबी रंग के होते हैं | 1. ये गहरे भूरे रंग के होते हैं। |
2. ये एड्रीनल ग्रंथि के बाह्य भाग होते हैं। | 2. ये एड्रीनल के आन्तरिक केन्द्रीय भाग हैं। |
3. ये तंतु पट से ढकी रहती है। | 3. ये भी तंतु पट से ढके होते हैं |
4. ये मीसोडर्म से उत्पन्न होते हैं। | 4. ये एन्डोडर्म से उत्पन्न होते हैं। |
5. खनिज कोर्टिकाइड, ग्लूको कोर्टिकोइड और कोर्टिकोइड आदि स्रावित होते हैं। | 5. एड्रीनलिन तथा नॉन-एड्रीनलिन आदि हार्मोन्स स्रावित होते हैं। |
15. अतःस्रावी और बहिःस्रावी ग्रंथियों में अंतर लिखें।
उत्तर ⇒ (i) अंतः स्रावी और बहिः स्रावी ग्रंथियाँ।
अंतःस्रावी ग्रंथियाँ | बहिःस्रावी ग्रंथियाँ |
1. ये नलिका विहीन होती हैं। | 1. इनकी अपनी नलिकाएँ होती हैं। |
2. इनका स्राव रक्त द्वारा संकेतित अंग तक पहुँचाया जाता है। | 2. ये अपने स्राव शरीर के भीतरी भागों में पहुँचाती हैं। |
3. ये विशेष अंगों की उचित वृद्धि, और कार्यों के लिए उत्तरदायी होती है। | 3. ये भोजन और बाह्य पदार्थों पर कार्य करने में निपुणता रखती है। |