टैक्स में छूट देने पर पाकिस्तान के छूटे पसीने, हो गया 21 अरब डॉलर का भारी नुकसान

Pakistan Economic Survey: पाकिस्तान को वित्त वर्ष 2024-25 में टैक्स में छूट देने की वजह से भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है. सोमवार को वित्त मंत्री मुहम्मद औरंगजेब द्वारा पेश की गई पाकिस्तान की आर्थिक समीक्षा के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में कर छूट की लागत 5800 अरब रुपये तक पहुंच गई है, जो पिछले वर्ष के 3900 अरब रुपये से लगभग 2000 अरब रुपये अधिक है. डॉलर में यह नुकसान 21 अरब अमेरिकी डॉलर बैठता है, जो पाकिस्तान को चीन, सऊदी अरब, यूएई और कुवैत को चुकाए जाने वाले 17 अरब डॉलर के विदेशी कर्ज से भी अधिक है.

आयकर और बिक्री कर में बड़ी छूट

आर्थिक समीक्षा में बताया गया है कि सरकार की ओर से कई टैक्स छूटों को समाप्त करने के बावजूद कर व्यय लगातार बढ़ता जा रहा है. संघीय राजस्व बोर्ड (एफबीआर) के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष में आयकर छूट 801 अरब रुपये तक पहुंच सकती है, जो पिछले वर्ष के 477 अरब रुपये से 68% अधिक है. इसी तरह, बिक्री कर छूट भी 50% की वृद्धि के साथ 4300 अरब रुपये हो गई, जो पिछले वर्ष 2900 अरब रुपये थी.

सीमा शुल्क में भी बढ़ी छूट

समीक्षा में सीमा शुल्क पर मिलने वाली छूट का भी जिक्र किया गया है. 2023-24 में यह छूट 543 अरब रुपये थी, जो 2024-25 में 786 अरब रुपये तक पहुंच गई, जो करीब 45% की वृद्धि है. यह सरकार की ओर से कर व्यय को नियंत्रित करने के प्रयासों पर सवाल खड़ा करता है.

छूट के बावजूद कर आधार नहीं बढ़ा

यह तथ्य चौंकाने वाला है कि इतनी बड़ी छूट के बावजूद न तो कर आधार में अपेक्षित वृद्धि हुई और न ही आर्थिक गतिविधियों में कोई असाधारण उछाल देखने को मिला. पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) सरकार ने पिछले बजट में कई कर छूटें समाप्त की थीं. फिर भी कर व्यय में भारी वृद्धि दर्ज की गई.

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कर आंकड़ों की विश्वसनीयता पर सवाल

‘एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ की रिपोर्ट के अनुसार, 5800 अरब रुपये का अनुमान दर्शाता है कि या तो कई छिपी कर छूटें वित्त वर्ष के दौरान लागू की गई हैं या फिर पिछले वर्ष के आंकड़े वास्तविकता से कम दर्शाए गए थे. पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पहले से ही भारी कर्ज के बोझ और राजस्व की कमी से जूझ रही है. ऐसे में टैक्स में दी गई इस तरह की छूटें वित्तीय संकट को और गहरा कर सकती हैं. सरकार को पारदर्शिता और कर सुधारों की दिशा में सख्त कदम उठाने की जरूरत है, जिससे अर्थव्यवस्था को स्थिरता मिल सके.

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