खाने-पीने की चीजों ने दी बड़ी राहत, मई में थोक महंगाई 14 महीने के निचले स्तर पर
Wholesale Inflation: खाने-पीने की चीजों की कीमतों ने देश के आम उपभोक्ताओं को बड़ी राहत दी है. मई 2025 में भारत की थोक महंगाई दर (WPI) घटकर 0.39% पर आ गई, जो पिछले 14 महीनों का सबसे निचला स्तर है. खाद्य वस्तुओं, ईंधन, बिजली और विनिर्मित उत्पादों की कीमतों में गिरावट इसका प्रमुख कारण रही. अप्रैल में यह दर 0.85% और मई 2024 में 2.74% रही थी.
खाद्य वस्तुएं और सब्जियां सबसे सस्ती
थोक मूल्य सूचकांक के अनुसार, खाद्य वस्तुओं की कीमतों में मई में 1.56% की गिरावट दर्ज की गई, जबकि अप्रैल में यह गिरावट 0.86% थी. विशेष रूप से सब्जियों की कीमतों में भारी गिरावट देखने को मिली. मई में सब्जियां 21.62% सस्ती हो गईं. अप्रैल में यह गिरावट 18.26% रही थी.
विनिर्माण और ईंधन क्षेत्रों में भी नरमी
मई में बनी बनाई चीजों की महंगाई घटकर 2.04% रही, जो अप्रैल में 2.62% थी. ईंधन और बिजली क्षेत्र में भी मामूली बदलाव देखा गया. अप्रैल में इनकी महंगाई दर 2.18% थी, जबकि मई में यह बढ़कर 2.27% पर पहुंच गई.
खुदरा महंगाई भी छह साल के निचले स्तर पर
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की नीतिगत दिशा में सहायक खुदरा मुद्रास्फीति (CPI) भी मई में घटकर 2.82% पर आ गई, जो पिछले छह वर्षों का न्यूनतम स्तर है1 इसका प्रमुख कारण खाद्य कीमतों में नरमी और आपूर्ति में सुधार रहा.
मानसून की रफ्तार और वैश्विक तनाव बना चिंता का विषय
रेटिंग एजेंसी इक्रा के वरिष्ठ अर्थशास्त्री राहुल अग्रवाल के अनुसार, दक्षिण-पश्चिम मानसून की धीमी प्रगति चिंता का विषय है. 15 जून 2025 तक मानसून सामान्य से 31% कम रहा, जो खरीफ फसलों और आगामी खाद्य कीमतों को प्रभावित कर सकता है.
जून में फिर बढ़ सकती है महंगाई
विशेषज्ञों ने आगाह किया है कि ईरान-इजरायल तनाव और कच्चे तेल की कीमतों में तेजी के चलते जून 2025 में थोक महंगाई बढ़ सकती है. अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट ने भी आयात लागत को बढ़ाया है. जून में डब्ल्यूपीआई के 0.6% से 0.8% के बीच रहने का अनुमान है.
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व्यापारियों को मिली राहत
पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अनुसार, थोक महंगाई में गिरावट से व्यापारियों को राहत मिली है, क्योंकि इससे उत्पादन लागत कम होगी और उद्योगों की प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी. खाद्य वस्तुओं, विनिर्मित उत्पादों और ईंधन की कीमतों में नरमी के बीच मई में थोक मुद्रास्फीति (डब्ल्यूपीआई) घटकर 14 महीने के निचले स्तर 0.39% आ गई. हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि वैश्विक स्तर पर तनाव के कारण कीमतें बढ़ सकती हैं.
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