करंट चेक करने के काम आता है टेस्टर, लेकिन हमें क्यों नहीं लगता बिजली का झटका, ज्यादातर लोगों नहीं जानते ये रहस्य!

हाइलाइट्स

लाइव करंट को चेक करने के लिए इस्तेमाल होता है टेस्टर
टेस्टर की बनावट में एक खास बात होती है
टेस्टर का इस्तेमाल घरेलू उपयोग तक ही ठीक होता है

नई दिल्ली. अक्सर घरों में किसी प्रोफेशनल के न होने पर सॉकेट में बिजली को चेक करने के लिए लाइन टेस्टर का इस्तेमाल किया जाता है. यानी किसी सॉकेट में बिजली की मौजूदगी को टेस्ट करने और फेज/लाइव वायर को आइडेंटिफाई करने के लिए टेस्टर इस्तेमाल होता है. लेकिन, इसके मैटेलिक टॉप पॉइंट को टच करने पर भी हमें शॉक क्यों नहीं लगता? क्या आप जानते हैं इसका जवाब? अगर नहीं तो आइए जानते हैं.

सबसे पहले किसी लाइन टेस्टर की पूरी बॉडी को समझते है. किसी टेस्टर में सबसे पहले एक मेटालिक रॉड होता है. इसके बाद होता है रजिस्टर (Resistor) यानी प्रतिरोधक. इसके बाद बॉडी में अगला पार्ट होता है नियॉन बल्ब यानी लैम्प. इसके बाद होता है स्प्रिंग और अंत में मैटेलिक कैप होता है. इसे ही टच करने पर बल्ब जलता है और बिजली मौजूदगी का पता चलता है.

इस वजह से नहीं लगता शॉक:
दरअसल, किसी भी लाइन टेस्टर का मेन हीरो Resistor होता है. यही हमें शॉक लगने से बचाता है. इस छोटे रजिस्टर की प्रतिरोधक क्षमता काफी ज्यादा होती है. इसकी प्रतिरोधमक क्षमता 10 लाख Ohm (Ω) तक होती है. आमतौर पर घरों में एवरेज 220V की पावर सप्लाई होती है और ये रजिस्टर टेस्टर से फ्लो होने वाली करंट को 22mA तक कम कर देता है. साथ ही नियॉन लैम्प का अपना भी रजिस्टेंस होता है. अगर इसके रजिस्टेंस को ऐड करें तो 22mA की वैल्यू और भी गिर जाएगी.

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इस हाई कैपेसिटी रजिस्टर द्वारा करंट फ्लो को कम करने की दो बड़ी वजह होती है. पहला कि नियॉन बल्ब जल सके और दूसरा कि किसी इंसान को इलेक्ट्रिक शॉक न लगे. जब टेस्टर से 22mA या इससे भी कम बिजली फ्लो होती है, जिसे हमारे शरीर की प्रतिरोधमक क्षमता झेल जाती है. इसलिए हमें इलेक्ट्रिक शॉक नहीं लगता.

पूरी प्रक्रिया को दोहरा कर समझें तो मैटेलिक रॉड से कनेक्टेड रजिस्टर हाई करंट को सेफ वैल्यू में कन्वर्ट कर देता है. फिर कम करंट नियॉन बल्ब से पास होता है, जोकि मैटेलिक स्प्रिंग से कनेक्ट होता है. ये मैटेलिक स्प्रिंग मैटेलिक कैप से कनेक्टेड होता है, जिसे हम उंगलियों से टच करते हैं. टच करने पर एक बहुत छोटा करंट अर्थ के लिए हमारी बॉडी से पास होता है और सर्किट कम्प्लीट हो जाता है. ऐसे में अगर करंट फ्लो हो तो बल्ब जल जाता है और बिजली की मौजूदगी का पता चल जाता है.

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