कभी सोचा आपने आपको IPO अलॉटमेंट क्यों नहीं मिलता? जान लिजिए ये ट्रिक

IPO Allotment Tips: जब कोई कंपनी पहली बार आम लोगों को अपने शेयर बेचती है, तो इसे IPO यानी Initial Public Offering कहा जाता है. IPO का मतलब है कि कंपनी पहली बार स्टॉक मार्केट में लिस्ट हो रही है और निवेशकों को अपना हिस्सा बेच रही है. IPO के ज़रिए कंपनी फंड जुटाती है और निवेशकों को कमाई का मौका मिलता है.

बहुत से लोग सोचते हैं कि कोई कंपनी बड़ी है, उसका नाम अच्छा है या वह चर्चित सेक्टर में है, तो IPO में पैसा लगाना मुनाफे का सौदा है. लेकिन बिना जानकारी के सिर्फ नाम देखकर निवेश करना जोखिम भरा हो सकता है. इसलिए अगर आप IPO में निवेश करने जा रहे हैं, तो कुछ चीजों को समझना बहुत ज़रूरी है.

IPO से जुड़े जरूरी शब्द

  • DRHP (Draft Red Herring Prospectus) – यह एक दस्तावेज होता है जिसमें कंपनी का बिजनेस, मुनाफा, घाटा, प्लान और जोखिमों की जानकारी दी जाती है.
  • Bid Lot – IPO में न्यूनतम कितने शेयर खरीदने हैं, यह तय होता है, एक “लॉट” में उतने शेयर होते हैं.
  • Fixed Price / Book Building – IPO की कीमत कैसे तय होती है, इसके दो तरीके हैं. फिक्स प्राइस में एक तय रेट होता है, जबकि बुक बिल्डिंग में एक प्राइस रेंज होती है.
  • Floor Price / Cut-off Price – शेयर की न्यूनतम और अधिकतम कीमत क्या होगी, इसे दर्शाता है. कट-ऑफ प्राइस पर अप्लाई करने से शेयर मिलने के चांस बढ़ जाते हैं.
  • Issue Size – कंपनी कितने करोड़ रुपए के शेयर बेच रही है, इसका आंकड़ा.
  • Offer for Sale (OFS) – जब कंपनी के पुराने शेयरधारक (जैसे प्रमोटर) अपने शेयर बेचते हैं.
  • Oversubscribe / Undersubscribe – जब IPO में शेयरों से ज्यादा आवेदन आते हैं, तो इसे ओवरसब्सक्राइब कहा जाता है. अगर कम आते हैं, तो अंडरसब्सक्राइब.
  • Share Allotment – कितने शेयर किस निवेशक को मिलेंगे, यह तय करने की प्रक्रिया.
  • Demat Transfer – अलॉट हुए शेयर आपके Demat Account में सीधे ट्रांसफर कर दिए जाते हैं.
  • ASBA (Application Supported by Blocked Amount) – आपके खाते से पैसा तब तक नहीं कटता जब तक शेयर अलॉट नहीं होते, बस वह ब्लॉक हो जाता है.
  • Listing Date – जिस दिन कंपनी के शेयर स्टॉक एक्सचेंज (जैसे NSE/BSE) पर ट्रेडिंग के लिए उपलब्ध होते हैं.
  • Retail Individual Investors (RII) – आम निवेशक जो ₹2 लाख तक का निवेश करते हैं.
  • Non-Institutional Investor (NII) – वे निवेशक जो ₹2 लाख से ज्यादा निवेश करते हैं, लेकिन संस्थागत नहीं होते.
  • Qualified Institutional Buyers (QIB) – बैंक, म्यूचुअल फंड जैसी बड़ी संस्थाएं जो बड़े पैमाने पर निवेश करती हैं.
  • Anchor Investor – खास निवेशक जिन्हें IPO खुलने से पहले ही शेयर मिल जाते हैं.

IPO में कैसे निवेश करें?

सबसे पहले आपको एक Demat और Trading Account की जरूरत होगी. जब कोई कंपनी IPO लाती है, तो आप ब्रोकिंग ऐप, बैंक पोर्टल या UPI के जरिए अप्लाई कर सकते हैं. DRHP पढ़ें ताकि आप समझ सकें कंपनी क्या करती है और कितना जोखिम है. Cut-off Price पर आवेदन करने से शेयर मिलने की संभावना बढ़ जाती है. PO की लिस्टिंग के दिन आप अपने शेयर बेच सकते हैं या होल्ड कर सकते हैं.

क्यों नहीं मिलता IPO Allotment

  • IPO में बहुत सारे लोग अप्लाई करते हैं, लेकिन शेयरों की संख्या सीमित होती है. अगर बहुत ज्यादा लोग अप्लाई करते हैं, तो लॉटरी सिस्टम से शेयर अलॉट होते हैं.
  • आवेदन करते समय कोई गलती (जैसे गलत UPI, गलत प्राइस, डुप्लिकेट एप्लिकेशन) हुई तो अलॉटमेंट नहीं मिलेगा.
  • भुगतान फेल होने से भी आवेदन रद्द हो सकता है. इसलिए आवेदन करते समय पूरी सावधानी रखें.

IPO में निवेश एक अच्छा मौका हो सकता है, लेकिन सिर्फ नाम देखकर या भीड़ देखकर पैसे लगाना समझदारी नहीं है. सही जानकारी, सही रिसर्च और सही तरीके से अप्लाई करने से आप एक समझदार निवेशक बन सकते हैं.

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