ऐसा क्यों और कैसे होता है -23
ऐसा क्यों और कैसे होता है -23
हम भोजन के बिना क्यों नहीं रह सकते?
जीवित रहने के लिए हवा और पानी के बाद सबसे जरूरी होता है भोजन। छोटे से छोटे कीट-पतंगों से लेकर बड़े से बड़े जीवों के लिए भोजन समान रूप से आवश्यक है। यहां तक कि वनस्पतियों को भी भोजन की आवश्यकता होती है। सामान्य रूप से कोई व्यक्ति बिना भोजन के एक सप्ताह से अधिक जीवित नहीं रह सकता है। हालांकि इसके कुछ अपवाद भी हैं। भोजन से हमें ऊर्जा मिलती है। काम करने के कारण हमारे शरीर की कोशिकाओं और ऊतकों का जो क्षय होता है, उसकी भरपाई भोजन से प्राप्त ऊर्जा से होती है। इसके अलावा शरीर के विकास के लिए भी भोजन आवश्यक होता है। कुछ ऐसे जीव होते हैं जो अपने शरीर में भोजन संग्रहित कर रख सकते हैं और उसके सहारे लंबे समय तक जीवित रहे सकते हैं, लेकिन मनुष्य अपने पेट में भोजन संग्रहीत नहीं कर सकता है। भोजन हमारे रक्त प्रवाह के लिए आवश्यक है। भोजन से ही हमारे रक्त के सभी आवश्यक तत्वों का निर्माण होता है।
जुकाम हो जाने पर गंध का अनुभव होना बंद क्यों हो जाता है ?
किसी भी प्रकार की गंध को पहचानने का कार्य हमारी नाक द्वारा किया जाता है। हालांकि मनुष्य में सूंघने की शक्ति अन्य जानवरों की तुलना में कम होती है, फिर भी अपने जीवन के लिए आवश्यक अनेक प्रकार की गंधों को वह अनुभव कर लेता है। इस क्रिया के लिए हमारी नाक में घ्राण तंत्रिकाएं होती हैं जिनके माध्यम से गंध की सूचनाएं हमारे मस्तिष्क तक पहुंचती रहती हैं और हमें गंधों की जानकारी मिलती रहती है। लेकिन जुकाम हो जाने पर हमारी नाक से गंध को मस्तिष्क तक पहुंचानेवाली घ्राण तंत्रिकाओं के सिरे अथवा रास्ते श्लेष्मा के कारण अवरुद्ध या बंद हो जाते हैं, जिससे गंधों की जानकारी मस्तिष्क तक नहीं पहुंच पाती। इसी कारण हमें गंधो का अनुभव होना बंद हो जाता है। जुकाम ठीक हो जाने पर जब घ्राण तंत्रिकाओं के सिरों अथवा रास्तों से श्लेष्मा हट जाती है और स्थिति सामान्य हो जाती है, तो हमें गंधों की जानकारी पुनः मिलनी प्रारंभ हो जाती है।
शारीरिक विकास क्यों रुक जाता है ?
सामान्यतः जन्म के समय बच्चे की औसत लंबाई 50 से.मी. होती है। जन्म के पहले 12 वर्षो में यह लंबाई बढ़कर तीन गुना हो जाती है। 12 वर्ष की उम्र तक बच्चे की औसत ऊंचाई 160 सै.मी. तक पहुंच जाती है, लेकिन देखने में आया है कि सभी बच्चे उम्र के अनुसार एक समान नहीं बढ़ते । किसी के शरीर का विकास अधिक होता है, किसी का कम। कई बार देखने में आता है कि बच्चे की उम्र तो बढ़ती है, लेकिन शरीर उस अनुपात में नहीं बढ़ता। इसे ही शरीर का विकास रुक जाना कहते हैं। शरीर का विकास कुछ ग्रंथियों के सिस्टम पर निर्भर होता है, जिन्हें एंडोक्राइन ग्लैंड्स कहा जाता है। यही ग्रंथियां शारीरिक विकास को नियंत्रित करती हैं। गले में स्थित अवटु ग्रंथि, मस्तिष्क की पीयूष ग्रंथि, सीने में स्थित बाल्य ग्रंथि और ग्रंथि एंडोक्राइन ग्लैंड्स कहलाती है। पीयूष ग्रंथि हमारी अस्थियों के विकास को नियंत्रित करती हैं। यदि यह ग्रंथि ठीक से काम करती है, तो हाथ-पैर की लंबाई सही अनुपात में होती है। यदि यह ठीक से काम नहीं करती, तो हाथ पैर उम्र के हिसाब से कम लंबाई के ही रह जाते हैं। इसी तरह अलग-अलग ग्रंथियां शारीरिक विकास के अलग-अलग पहलुओं को नियंत्रित करती हैं।
छिपकलियां पूंछ छोड़कर क्यों भाग जाती हैं?
जीव-जंतु, पशु-पक्षी अपने हमलावरों से रक्षा के लिए अनेक प्रकार के तरीके अपनाते हैं। छिपकलियां अपनी रक्षा के लिए पूंछ छोड़कर भागने का तरीका भी अपनाती हैं। सामान्यतः वे खतरा होने पर मुर्दे के समान निश्चल पड़ जाती हैं और दुश्मन को बेवकूफ बना देती हैं। लेकिन कभी दुश्मन इनकी इस चाल से बेवकूफ नहीं बन पाता है तो छिपकलियां बड़ी तेजी से छलांग लगाते हुए उठकर भाग जाती हैं। भागते समय वे दुश्मन को उलझाए रखने के लिए अपनी पूंछ छोड़ जाती हैं। दुश्मन उनकी छटपटाती पूंछ देखने में लग जाता है, तब तक वे भागकर नौ दो ग्यारह हो जाती हैं और अपनी जान बचा लेती हैं।
छिपकली की पूंछ न रहने से उसे कोई खास हानि नहीं होती है क्योंकि कुछ समय के बाद नई पूंछ आ जाती है। छिपकली की पूंछ रीढ़ की हड्डी के उस विशिष्ट स्थान से अलग होती है जहां से पेशियां आसानी से पृथक् हो जाती हैं। अपनी रक्षा के लिए पूंछ छोड़कर भाग जाना छिपकलियों की विशेषता है लेकिन जब इस तरकीब से बचाव नहीं हो पाता है तो वे पंजे मारने, काटने और खून की पिचकारी मारने आदि के तरीके भी अपनाती हैं।
सपने क्यों आते हैं?
दुनिया में शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति में हो, जिसने सपने नहीं देखे हों? नींद में व्यक्ति को अच्छे या बुरे सपने आते हैं। मनोविश्लेषकों का कहना है कि सपने वास्तव में मनुष्य की अपूर्ण व अतृप्त इच्छाओं का रूप होते हैं। इन्हें अपनी इच्छाओं को पूरा करने का माध्यम भी माना जाता है। यही कारण है कि सपने हमेशा भावनाओं, डर, इच्छाओं, जरूरतों और यादों से जुड़े होते हैं। यही कारण है कि भूखा व्यक्ति जहां छप्पन भोग के सपने देखता है, वहीं कुरूप व्यक्ति के सपने में अप्सराएं होती हैं। इसी तरह ठंड में ठिठुरता व्यक्ति अलाव के सपने देखता है। मनोविश्लेषकों का कहना है कि सोते समय इस तरह के विचारों को रोकने वाले केंद्र भी सो जाते हैं, इस कारण विचारों के आवागमन पर किसी तरह की रोक नहीं होती है। दिवास्वप्न भी एक तरह के सपने ही होते हैं, जो दिन में खुली आंखों से देखे जाते हैं। ये दोनों ही तरह के सपने तब देखे जाते हैं जब शरीर आराम की मुद्रा में होता है और इस बात में उसकी कोई दिलचस्पी नहीं होती है कि उसके आसपास क्या हो रहा है।
जब बंद आंखों से किसी प्रकाशस्रोत की ओर देखते हैं तो लाल रंग क्यों दिखाई देता है?
हमारी आंखों की पलकें हालांकि अपारदर्शी होती हैं लेकिन इन पलकों में रक्तवाहिनियों का जाल – सा बिछा होता है। इनमें बह रहा रक्त प्रकाश को परावर्तित करने का कार्य करता है। इसलिए जब हम आंखें बंद किए होते हैं और प्रकाश स्रोत की ओर देखते हैं तो रक्तवाहिनियों में परावर्तित प्रकाश के कारण हमें लाल रंग दिखाई देता है। यदि पलकों को किसी ऐसे कपड़े आदि से ढक या कसकर बांध दिया जाए जिससे पलकों तक प्रकाश पहुंच ही न सके तो परावर्तन के अभाव में ढकी या कसकर बंधी आंखों से हमें लाल रंग दिखाई नहीं देगा। पलकों की तरह रक्तवाहिनियों में परावर्तित प्रकाश के कारण ही हथेली को किसी प्रकाशस्रोत जैसे टार्च आदि के प्रकाश में रखने से हथेली भी लाल दिखाई पड़ती है।
कोशिकाएं महत्वपूर्ण क्यों होती हैं?
हमारे शरीर में सबसे अधिक मात्रा पानी की होती है। पानी के अलावा हमारे शरीर में जटिल रसायन बड़ी मात्रा में होते हैं। ये रसायन और पानी मिलकर शरीर में बिल्डिंग ब्लॉक्स की तरह की छोटी-छोटी संरचनाएं बनाते हैं, जिन्हें कोशिकाएं कहा जाता है। हमारे शरीर की हर कोशिका स्वतंत्र होती है और उसकी भूमिका भी अलग होती है। शरीर में लगभग 50000 अरब कोशिकाएं होती हैं।
हर कोशिका का आकार उसके काम पर निर्भर होता है। नर्व कोशिकाएं सामान्यतः लंबी और धागे के आकार की होती हैं, क्योंकि इन्हें हमारे तंत्रिका तंत्र में संचार लिंक स्थापित करना होता है। लाल रक्त कणिकाएं या कोशिकाएं इतनी सूक्ष्म होती हैं कि इन्हें माइक्रोस्कोप से ही देखा जा सकता है। इनका काम शरीर में आक्सीजन की आपूर्ति और कार्बनडाईऑक्साइड का उत्सर्जन करना होता है। सफेद रक्त कोशिकाओं का आकार निश्चित नहीं होता। इसकी वजह यह कि इनका मुख्य काम शरीर को बाहरी आक्रमणों से बचाना होता है | बैक्टीरिया या वायरस की तलाश के लिए इन्हें अन्य कोशिकाओं के बीच में भी जाना होता है और लचीले स्वरूप के कारण ही ये इस काम को कर पाती हैं। अन्य कोशिकाएं शरीर में अलग-अलग तरह के प्रोटीन्स के उत्पादन को नियंत्रित करती हैं, जो हमारे शरीर के लिए जरूरी होते हैं।
धातु की अपेक्षा मिट्टी के बरतनों में पानी अधिक ठंडा क्यों होता है ?
धातु के बरतनों में रंध्र नहीं होते जबकि मिट्टी के बरतनों में छोटे-छोटे छिद्र, जिन्हें रंध्र कहते हैं, होते हैं। इन रंध्रों से मिट्टी के बरतनों में भरा पानी रिस-रिसकर बरतनों की ऊपरी सतह पर आता रहता है और वाष्पीकृत होता रहता है। इस वाष्पीकरण की क्रिया के लिए उष्मा की आवश्यकता होती है। इसकी पूर्ति वाष्पीकरण के आसपास की वस्तुओं से होती है। जब मिट्टी के बरतनों से वाष्पीकरण होता है तो इस वाष्पीकरण के लिए उष्मा की पूर्ति बरतन में भरे पानी के ताप की उष्मा से होती है। इस क्रिया में पानी के ताप में कमी आने लगती है और वह धातु के बरतनों में भरे हुए पानी की तुलना में अधिक ठंडा हो जाता है।
सभी ग्रहों पर वायुमंडल क्यों नहीं होता ?
हमारे सौर परिवार मे नौ ग्रह हैं, ये सभी ग्रह लगातार सूरज की परिक्रमा करते हैं। इनमें से कुछ ग्रह ऐसे हैं, जिन पर वायुमंडल है, लेकिन दूसरे कुछ ऐसे हैं जिन पर वायुमंडल है ही नहीं। क्या आप जानते हैं कि सभी ग्रहों पर वायुमंडल क्यों नहीं है? किसी भी ग्रह के चारों ओर वायुमंडल का होना दो बातों पर निर्भर करता है ग्रह का गुरुत्व बल और तापमान। जिस ग्रह पर गुरुत्व बल अधिक होगा और तापमान कम होगा, उस पर वायुमंडल का अस्तित्व संभव है, क्योंकि अधिक गुरुत्व बल के कारण वायुमंडल की गैसों के अणु उस ग्रह की ओर खिंचे रहेंगे। कम तापमान के कारण इन कणों की गतिशीलता अधिक नहीं होगी, इसलिए ये कण ग्रह के चारों ओर वायुमंडल के रूप में घिरे रहते हैं। कम गुरुत्व बल और अधिक तापमान पर वायु के अणु ग्रह से दूर भाग जाते हैं, जिससे वहां वायुमंडल समाप्त हो जाता है। किसी भी ग्रह के गुरुत्व बल से दूर भागने के लिए एक न्यूनतम वेग होता है जिसे पलायन वेग कहते हैं। किसी भी गैस के कणों का वेग उसके घनत्व और तापमान पर निर्भर करता है। हाइड्रोजन और हीलियम हलकी गैसे हैं, इसलिए सबसे पहले ये ही गैसें ग्रह को छोड़ती हैं, जबकि कार्बन-डाइ-ऑक्साइड जैसी भारी गैसों का पलायन बाद में होता है।
घिरे रहते हैं। कम गुरुत्व बल और अधिक तापमान पर वायु के अणु ग्रह से दूर भाग जाते हैं, जिससे वहां वायुमंडल समाप्त हो जाता है। किसी भी ग्रह के गुरुत्व बल से दूर भागने के लिए एक न्यूनतम वेग होता है जिसे पलायन वेग कहते हैं। किसी भी गैस के कणों का वेग उसके घनत्व और तापमान पर निर्भर करता है। हाइड्रोजन और हीलियम हलकी गैसे हैं, इसलिए सबसे पहले ये ही गैसें ग्रह को छोड़ती हैं, जबकि कार्बन-डाइ-ऑक्साइड जैसी भारी गैसों का पलायन बाद में होता है।
खून का रंग लाल ही क्यों होता है ?
खून जीवन के लिए बहुत उपयोगी है। यह शरीर के हर भाग को ऑक्सीजन पहुंचाने के कार्य से लेकर रोगों से सुरक्षा दिलाए रहने की भूमिका निभाता है। शरीर के सभी कार्यों के संचालन में लाल खून का प्रमुख स्थान है। सामान्य व्यक्ति के शरीर में खून की तीन – चार किलो मात्रा परिभ्रमण करती रहती है, और इसी पर जीवन लीला निर्भर करती है। इसलिए इसकी निरंतर, पर्याप्त मात्रा में आपूर्ति आवश्यक है। इस जीवनदायी खून के लाल होने के कारण जानने के लिए इसके गठन को जान लेना जरूरी है।
हमारे खून की रचना दो तरल और ठोस भागों पर निर्भर करती है। द्रव भाग प्लाज्मा कहलाती है जबकि ठोस भाग में सफेद रक्त कण, रक्त कण और प्लेटलेट्स होते हैं। प्लाज्मा पीले रंग का गाढ़ा द्रव होता है जिसमें प्रोटीन, एंटीबॉडी, फाइब्रिनोजन, वसा, लवण और कार्बोहाइड्रेट आदि मिले रहते हैं। शरीर की बढ़ोतरी के लिए प्रोटीन, विषैले पदार्थों को समाप्त करने के लिए एंटीबॉडी, कट जाने या चोट लगने पर बहते खून को जमाकर रोकने के लिए फाइब्रिनोजन की पूर्ति खून के इसी भाग से होती है। सफेद रक्त कण रोगाणुओं से लड़ाई लड़कर उन्हें परास्त करके हमें रोगी नहीं होने देते। प्लेटलेट्स खून के बहाव को रोकने में सहायक होते हैं।
हालांकि इतनी सारी चीजें खून में होती हैं फिर भी वह हमें लाल इसलिए दिखाई देता है क्योंकि खून पाए जाने वाले लाल रक्त कणों की संख्या बहुत अधिक होती है। यदि खून में सफेद रक्त कण एक है तो लाल रक्त कण 700 होते हैं। लाल रक्त कणों का लाल रंग हीमोग्लोबिन नामक रंजक के कारण होता है, जो लौह एवं प्रोटीन से मिलकर बना होता है। लाल रक्त कणों में पाए जानेवाले इसी रंजक के कारण खून का रंग लाल होता है।
हमसे जुड़ें, हमें फॉलो करे ..
- Telegram ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
- Facebook पर फॉलो करे – Click Here
- Facebook ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
- Google News ज्वाइन करे – Click Here