आखिर मौत के 4 साल बाद सिद्धू मूसेवाला कैसे करेंगे वर्ल्ड टूर? जानिए कौन सी टेक्नोलॉजी आएगी काम
Sidhu Moosewala: सिद्धू मूसेवाला की दुखद मौत के तीन साल बाद अब उनके वर्ल्ड टूर की घोषणा कर दी गई है. सुन कर चौंक गए न, लेकिन यह सच है. हाल ही में मशहूर सिंगर के आधिकारिक इंस्टाग्राम हैंडल से एक वीडियो शेयर किया गया, जिसमें ‘Signed to God’ नाम से वर्ल्ड टूर की जानकारी दी गई है. यह टूर 2026 में शुरू होगा और इसका उद्देश्य मूसेवाला की विरासत को उनकी संगीत के जरिए श्रद्धांजलि देना है. क्या आप जानते हैं यह टूर कैसे होगा? आखिर मौत के बाद सिद्धू मूसेवाला मंच पर कैसे परफॉर्म करेंगे? इन सभी सवालों के जवाब आज हम आपको बताने जा रहे है. आइए जानते हैं…
कौन-कौन सी टेक्नोलॉजी का होगा इस्तेमाल?
आपको बता दें कि ‘Signed to God’ टूर में सिद्धू मूसेवाला के फेमस गानों की परफॉर्मेंस होगी, लेकिन इस बार थोड़ा अलग अंदाज में. इस शो में ऑर्गेनाइजर्स स्टेज पर खुद सिद्धू नहीं, बल्कि उनका AI अवतार इस्तेमाल करने की प्लानिंग कर रहे हैं. अगर ऐसा होता है, तो ये बिना असली आर्टिस्ट के, सिर्फ टेक्नोलॉजी के जरिए कोई कॉन्सर्ट किया जाएगा.
AI अवतार के अलावा आने वाले टूर में 3D होलोग्राम और ऑगमेंटेड रियलिटी जैसी नई और दिलचस्प टेक्नोलॉजी भी देखने को मिल सकती हैं. अब यह तो आप लोगों ने जान लिया किन-किन टेक्नोलॉजी की मदद से यह टूर होगा लेकिन क्या आपको पता है यह टेक्नोलॉजी काम कैसे करती है? आइए जानते हैं.
सिंगिंग की दुनिया में पहले भी इस्तेमाल हो चूका है होलोग्राम
करीब बीस साल पहले ये सफर शुरू हुआ था… लेजर से नहीं, बल्कि धुएं और शीशों के खेल से. असली धमाका 2012 में कोचेला फेस्टिवल में हुआ, जब स्नूप डॉग और डॉ. ड्रे ने मशहूर रैपर टुपैक शकूर को (उनकी मौत के कई साल बाद) एक खास प्रोजेक्शन ट्रिक से स्टेज पर “जिंदा” कर दिया. नतीजा ऐसा था जिसे देख सब हैरान रह गए – टुपैक जैसे हवा में से लौट आया हो, और उसने Hail Mary और 2 of Amerikaz Most Wanted जैसे गाने लाइव परफॉर्म किए. इस टेक्नोलॉजी को लोग “होलोग्राम” कहने लगे, लेकिन असल में ये 19वीं सदी की एक पुरानी ट्रिक Pepper’s Ghost illusion का मॉडर्न वर्जन था.
कैसे काम करता है होलोग्राम?
हालांकि इन्हें ‘होलोग्राम’ कहा जाता है, लेकिन ज्यादातर कॉन्सर्ट्स में असली होलोग्राम नहीं, बल्कि एक तरह का ऑप्टिकल इल्युजन (जैसे कि Pepper’s Ghost तकनीक) इस्तेमाल होता है. इसमें कैमरे, प्रोजेक्टर, रिफ्लेक्टिव फिल्म और खास सॉफ्टवेयर की मदद से परफॉर्मेंस को रियल टाइम में दोबारा तैयार किया जाता है. असली फुटेज या एक्टर्स से मोशन कैप्चर किया जाता है ताकि मूवमेंट और लिप-सिंक नेचुरल लगे.
इस तकनीक में डिजिटल एनीमेशन को एक खास एंगल पर लगे कांच या मायलर स्क्रीन पर प्रोजेक्ट किया जाता है, साथ ही लाइटिंग और स्टेज का ऐसा इस्तेमाल होता है कि देखने में सब कुछ हवा में तैरता हुआ और 3-D जैसा लगता है. फिर लाइटिंग और साउंड डिजाइन की मदद से ऐसा लगने लगता है जैसे आर्टिस्ट वाकई स्टेज पर लाइव मौजूद है. एक शो की प्रोडक्शन लागत कई बार लाखों में पहुंच जाती है. कुछ बड़े शोज की कीमत 3 से 4 लाख डॉलर (करीब 3 करोड़ रुपये) तक हो सकती है, ये जगह और स्केल पर निर्भर करता है.
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