Giridih News :छह माह में 216 सड़क दुर्घटनाएं, 140 की मौत
रफ्तार का कहर. जिले में जनवरी से जून तक 390 लोग गंभीर रूप से हुए घायल
जिले में प्रतिमाह औसतन हो रहे हैं 35 से अधिक हादस
ेगिरिडीह जिले में रफ्तार का कहर बढ़ता जा रहा है. आये दिन हो रहे सड़क हादसे न केवल लोगों की जान ले रहे हैं, बल्कि कई परिवारों को जीवन भर का गम दे रही है. हर महीने लोग अपने गांव और मोहल्ले में किसी जान पहचान वाले को सड़क हादसे में खो रहे हैं. बावजूद इसके ना तो जिला प्रशासन और ना ही यातायात विभाग ठोस कदम उठाया जा रहा है. आंकड़ों पर गौर करें तो एक जनवरी से 20 जून के बीच जिले में कुल 216 सड़क दुर्घटनाएं हुई हैं. इन हादसों में 510 लोग प्रभावित हुए. इनमें से 140 लोगों की मौत हो गई और 370 लोग गंभीर रूप से घायल हुए. इन आंकड़ों से यह साफ है कि जिले में हर महीने औसतन 35 से अधिक हादसे हो रहे हैं, जो बेहद गंभीर चिंता का विषय है. दुर्घटनाओं का कारण तेज रफ्तार में वाहन चलाना, ओवरटेकिंग के दौरान असंतुलन, हेलमैट और सीट बेल्ट का उपयोग नहीं करना, सड़कों की खराब हालत, ट्रैफिक नियमों की अनदेखी आदि है. गिरिडीह जिले की कुछ सड़कें और राजमार्ग इन हादसों का प्रमुख केंद्र बन चुके हैं. इनमें निमियाघाट से बगोदर तक का जीटी रोड, बगोदर-खोरीमहुआ रोड, गिरिडीह-गोविंदपुर रोड, गिरिडीह-कोडरमा रोड, गिरिडीह-जमुआ रोड, गिरिडीह-बेंगाबाद रोड, गिरिडीह-डुमरी रोड पर अधिक हादसे हुए. इन सड़कों पर कई तीखे मोड़ है. सड़कों पर उचित संकेतों की कमी भी हादसों का कारण है.
जागरूकता अभियान के बावजूद नहीं हादसों में कमी नहीं
जिले में सड़क हादसों की बढ़ती संख्या ने एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आखिर हर वर्ष चलाये जाने वाले सड़क सुरक्षा जागरूकता अभियान का असर क्यों नहीं दिख रहा है. क्या यह अभियान केवल औपचारिकता बनकर रह गया है, या फिर इसमें कहीं कोई बड़ी खामी है. मालूम रहे कि जिला प्रशासन और परिवहन विभाग हर साल जनवरी महीने में सड़क सुरक्षा जागरूकता माह मनाता है. इस अभियान के तहत पूरे जिले में जागरूकता रथ निकाला जाता है, जगह-जगह पर वाहन जांच अभियान चलाकर लोगों को यातायात नियमों के पालन की सलाह दी जाती है. खासकर हेलमेट नहीं पहनने वाले दो पहिया वाहन चालकों और सीट बेल्ट नहीं लगाने वाले चार पहिया वाहन चालकों को रोका जाता है. उन्हें समझाया जाता है कि सुरक्षा नियमों का पालन करना ना केवल कानूनी जिम्मेदारी है, बल्कि यह उनके जीवन की रक्षा के लिए भी जरूरी है. अभियान के दौरान स्कूलों में भी कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं, ताकि बच्चों के माध्यम से परिवारों में जागरूकता लायी जा सके. इसके अलावा पंपलेट वितरण, पोस्टर बैनर और सोशल मीडिया के माध्यम से भी लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया जाता है. फिर भी लोग सर्तक नहीं हो रहे हैं, जो प्रशासन के लिए चिंता का विषय है. अभिभावक भी दुर्घटना रोकने के प्र गंभीर नहीं है. वह नाबालिग बच्चों को दो पहिया वाहन चलाने देते हैं. बच्चे रैश ड्राइविंग कर लगातार दुर्घटना का शिकार हो रहे हैं. ऐसे अभिभावकों पर भी कार्रवाई की आवश्यकता जानकार बताते हैं.
देवरी बना सड़क हादसों का ब्लैक स्पॉट
जिले का देवरी थाना क्षेत्र सड़क हादसे का ब्लैक स्पॉट के रूप में उभरा है. जनवरी से लेकर अब तक इस क्षेत्र में 35 सड़क दुर्घटनाएं हो चुकी है. इन घटनाओं में कई लोगों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि दर्जनों लोग गंभीर रूप से घायल हुए है. लगातार हो रही इन दुर्घटनाओं ने प्रशासन की चिंता बढ़ायी ही है, साथ ही स्थानीय लोगों में भी दहशत का माहौल बन गया है. मालूम रहे कि देवरी होकर कई मुख्य सड़कें हैं. इन सड़कों पर दिन-रात भारी वाहन चलते हैं. तेज रफ्तार में दौड़ते ट्रकें और बसें, ओवरलोडेड वाहन और नियमों की अनदेखी कर रहे बाइक सवार यहां हादसों को दावत दे रहे हैं. कई सड़कों की हालत जर्जर हैं. कहीं गड्ढे हैं, तो कहीं मोड़ पर ना तो स्पीड ब्रेकर है और ना ही चेतावनी बोर्ड, जिससे सड़क पार करने या मोड़ने के दौरान वाहन चालकों को हादसों का सामना करना पड़ रहा है. इसके बाद भी दुर्घटना रोकने की कोई ठोस पहल प्रशासन नहीं कर रहा है. कभी-कभार हेलमेट जांच अभियान व चालान काटने की कार्रवाई होती है, लेकिन यह भी कुछ घंटों तक सीमित रहती है. नतीजा यह होता है कि लोग नियमों को गंभीरता से नहीं लेते और बेधड़क बिना हेलमेट, तीन-चार लोड लेकर दो पहिया वाहन चलाते हैं. वहीं, चार पहिया वाहनों की हाई स्पीड भी बड़ा कारण है.
परिवार को सोचते हुए वाहन चलायें : डीटीओ
जिला परिवहन पदाधिकारी (डीटीओ) शैलेश प्रियदर्शी का कहना कि वाहन चलाते वक्त लोग अपने परिवार को जरूर याद करें, क्योंकि घर पर उनका इंतजार करने वाले लोग उनकी सलामती की दुआ करते हैं. ओवर स्पीडिंग, शराब पीकर वाहन चलाना, और ट्रैफिक नियमों की अनदेखी सड़क दुर्घटनाओं के सबसे बड़े कारण हैं. जब तक लोग खुद से सतर्कता नहीं बरतेंगे, तब तक किसी भी अभियान या कार्रवाई का स्थायी असर नहीं हो सकता. कहा कि एक हादसा सिर्फ एक व्यक्ति को नहीं, बल्कि पूरे परिवार को तोड़ देता है. हाल ही में जिला प्रशासन की बैठक हुई है, जिसमें सभी थानों और संबंधित विभागों को निर्देश दिया गया है कि जिले भर में सघन वाहन जांच अभियान चलाया जाये. इस अभियान के तहत ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई की जायेगी और उन्हें यातायात नियम के प्रति जागरूक भी किया जायेगा. कहा कि सिर्फ चालान या सजा से नहीं, बल्कि स्वैच्छिक जिम्मेदारी से ही सड़क दुर्घटनाओं को रोका जा सकता है. सभी नागरिकों को चाहिये कि वह यातायात नियमों का पालन करें, हेलमेट व सीट बेल्ट का उपयोग करें और शराब पीकर वाहन ना चलायें.
जनवरी माह से लेकर अब तक की बड़ी सड़क दुर्घटनाएं
केस स्टडी एक
छह फरवरी को सरिया बगोदर रोड में एक तेज रफ्तार बस की चपेट में आने से बाइक सवार पति-पत्नी की घटनास्थल पर ही मौत हो गयी थी. इसके बाद बस चालक मौका देखते बस लेकर फरार हो गया.
केस स्टडी दो
19 फरवरी को मधुबन थाना क्षेत्र के लटकट्टो पिकेट के समीप हुई घटना में छह लोगों की मौके पर ही मौत हो गयी थी. चार व दो पहिया वाहन के बीच टक्कर हुई. इसके बाद चार पहिया पेड़ से टकरा गयी. इसमें चार लोग सवार थे, वहीं बाइक में दो लोग सवार थे.
केस स्टडी तीन
14 मई को घोड़थंबा ओपी क्षेत्र के पिपराकोनी गांव में अज्ञात वाहन की चपेट में आने से बाइक पर सवार सगे मामा और भांजे की मौके पर ही मौत हो गयी थी. इस घटना से घर में कोहराम मच गया. दो परिवार प्रभावित हुए
केस स्टडी चार
14 मई की रात तिसरी थाना क्षेत्र के पेसराटांड़ के पास खजुरी-देवरी सड़क बाइक पर सवार जीजा-साला की एक वाहन की चपेट में आने से मौत हो गयी थी. जीजा-साला एक शादी समारोह से शामिल होकर अपने घर लौट रहे थे.
केस स्टडी पांच
17 मई की देर रात हादसे में पति-पत्नी और बच्चे की मौत हो गयी थी. घटना बगोदर-सरिया रोड पर अंबाडीडीह मोड पर पर घटित हुई थी. पूरा परिवार चार पहिया वाहन से रांची से आ रहा था. अंबाडीह के पास वाहन असंतुलित हो गयी थी.
केस स्टडी छह
21 फरवरी को परीक्षा देकर लौट रहे दो छात्रों की मौत ताराटांड़ थाना क्षेत्र के बड़कीटांड में हो गयी. दोनों बाइक से जा रहे थे. इसी दौरान उनकी बाइक अनियंत्रित होकर एक गड्ढे में चली गयी, और मौके पर ही दोनों की मौत हो गयी.
(विष्णु स्वर्णकार, गिरिडीह)
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