Donald Trump: ट्रंप ने फेडरल रिजर्व से ब्याज दरों में कटौती करने की मांग की, जेरोम पॉवेल ने कहा
Donald Trump: अमेरिकी फेडरल रिजर्व के प्रमुख जेरोम पॉवेल ने मंगलवार को कहा कि नीतिगत ब्याज दर में कटौती के लिए केंद्रीय बैंक अर्थव्यवस्था की वृद्धि का इंतजार करना जारी रखेगा. पॉवेल का यह बयान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से ब्याज दर में तत्काल कटौती किए जाने की मांग के बाद में आया है. पॉवेल ने सदन की वित्तीय सेवा समिति के समक्ष रखने के लिए तैयार अपनी टिप्पणियों में कहा, “फिलहाल हमें अपने नीतिगत रुख में किसी भी समायोजन पर विचार करने से पहले अर्थव्यवस्था के संभावित मार्ग के बारे में अधिक जानने के लिए इंतजार करना होगा.”
ट्रंप ने की तत्काल ब्याज दर कटौती की मांग
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर फेडरल रिजर्व से नीतिगत ब्याज दरों में तत्काल कटौती की मांग की है. उन्होंने मंगलवार सुबह अपनी सोशल मीडिया साइट पर फेड चेयरमैन जेरोम पॉवेल पर तीखा हमला करते हुए लिखा, “मुझे उम्मीद है कि कांग्रेस इस जिद्दी और अक्षम व्यक्ति को हटा देगी. हम आने वाले वर्षों तक इसकी कीमत चुकाते रहेंगे.”
पॉवेल का स्पष्ट जवाब
ट्रंप की इस आलोचना के कुछ ही घंटों बाद फेड चेयरमैन जेरोम पॉवेल ने अमेरिकी संसद की वित्तीय सेवा समिति के समक्ष अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि फेडरल रिजर्व फिलहाल ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं करेगा. पॉवेल ने कहा, “हमें नीतिगत समायोजन से पहले अर्थव्यवस्था के संभावित मार्ग को बेहतर ढंग से समझने के लिए इंतजार करना होगा.”
कर्ज की लागत घटाने पर बना दबाव
पॉवेल को संसद में कई कठिन सवालों का सामना करना पड़ा, खासकर तब जब राष्ट्रपति ट्रंप लगातार ब्याज दर घटाने का दबाव बना रहे हैं. ट्रंप का मानना है कि महंगी उधारी अमेरिकी आर्थिक विकास में बाधा डाल रही है. हालांकि, फेड प्रमुख का रुख सतर्क बना हुआ है.
फेड की समिति ने दरें बरकरार रखीं
फेडरल रिजर्व की 19 सदस्यीय ब्याज दर निर्धारण समिति ने हाल ही में सर्वसम्मति से अपनी प्रमुख दर को अपरिवर्तित रखने का निर्णय लिया. हालांकि, समिति ने संकेत दिया है कि भविष्य में दरों में कटौती संभव है, लेकिन फिलहाल इसके लिए परिस्थितियां अनुकूल नहीं हैं.
मुद्रास्फीति और व्यापार शुल्क से चिंताएं
पिछले साल फेड ने तीन बार नीतिगत दरों में कटौती की थी. लेकिन तब से अब तक यह कदम नहीं उठाया गया है, क्योंकि ट्रंप द्वारा लगाए गए भारी आयात शुल्कों के कारण मुद्रास्फीति को लेकर चिंता बनी हुई है. चीन से आयात पर 30%, इस्पात और एल्युमीनियम पर 50% तथा वाहनों पर 25% शुल्क लगाया गया है.
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नीतिगत स्थिरता बनाम राजनीतिक दबाव
यह घटनाक्रम अमेरिका में मौद्रिक नीति और राजनीतिक नेतृत्व के बीच बढ़ते तनाव को दर्शाता है. ट्रंप जहां अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए फौरन ब्याज दरों में कटौती चाहते हैं. वहीं, पॉवेल अर्थव्यवस्था की स्थिरता और मुद्रास्फीति नियंत्रण को प्राथमिकता दे रहे हैं. आने वाले महीनों में यह टकराव और बढ़ सकता है.
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