99 प्रतिशत लोग नहीं जानते है Income Tax विभाग कैसे पकड़ता है आपके बड़े-बड़े लेनदेन, जानकर उड़ जाएंगे होश

Income Tax Department: अब टैक्स चोरी करना आसान नहीं है. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने हाई-वैल्यू ट्रांजेक्शन पर नजर रखने के लिए नए तरीके अपनाए हैं. अगर कोई व्यक्ति बार-बार बड़ी रकम का लेन-देन करता है और उसे टैक्स रिटर्न में नहीं दिखाता, तो उसे नोटिस मिल सकता है. आइए जानते हैं इनकम टैक्स डिपार्टमेंट आपकी फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन को कैसे ट्रैक करता है और किन लेन-देन पर नजर रखता है.

कैसे ट्रैक होती हैं आपकी ट्रांजेक्शन?

अगर आप किसी बड़ी राशि का लेन-देन कर रहे हैं तो उसमें PAN नंबर देना जरूरी है. बैंक, इंश्योरेंस कंपनी, क्रेडिट कार्ड कंपनी या म्यूचुअल फंड जैसी संस्थाएं आपकी ट्रांजेक्शन का डाटा सीधे इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को भेजती हैं. डिपार्टमेंट इस डाटा को आपकी फाइल की गई ITR (Income Tax Return) से मिलान करता है. अगर आपकी घोषित आय और असल निवेश में अंतर नजर आता है, तो डिपार्टमेंट नोटिस भेज सकता है.

Income Tax Department: किन ट्रांजेक्शन पर रहती है नजर?

  • प्रॉपर्टी की खरीद-बिक्री (₹30 लाख या उससे अधिक) : ₹30 लाख या उससे ज्यादा की प्रॉपर्टी खरीद या बिक्री की जानकारी रजिस्ट्री ऑफिस द्वारा इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को दी जाती है.
  • ₹2 लाख से अधिक कैश में खरीद-बिक्री: अगर किसी ने कैश में ₹2 लाख से ज्यादा का लेन-देन किया, तो उस पर Tax Collected at Source (TCS) लागू होता है और सूचना डिपार्टमेंट को दी जाती है.
  • बैंक में फिक्स्ड डिपॉजिट (₹10 लाख या ज्यादा): अगर किसी व्यक्ति ने ₹10 लाख या उससे ज्यादा की फिक्स्ड डिपॉजिट कराई है, तो बैंक इसकी सूचना इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को देता है.
  • करंट अकाउंट में ₹50 लाख से ज्यादा का लेन-देन: अगर किसी ने करंट अकाउंट में सालाना ₹50 लाख या उससे ज्यादा का डिपॉजिट या विदड्रॉल किया है तो बैंक इसका ब्यौरा डिपार्टमेंट को भेजता है.
  • म्यूचुअल फंड, शेयर, बॉन्ड, डिबेंचर में ₹10 लाख से ज्यादा का निवेश: इस प्रकार के निवेश की जानकारी Annual Information Return (AIR) के जरिए डिपार्टमेंट तक जाती है, जिसे अब Statement of Financial Transactions (SFT) कहते हैं.
  • बैंक अकाउंट में ₹10 लाख या उससे ज्यादा का डिपॉजिट: बचत खाते में ₹10 लाख या उससे ज्यादा का डिपॉजिट डिपार्टमेंट की नजर में आता है.
  • क्रेडिट कार्ड का बिल पेमेंट : क्रेडिट कार्ड के ₹1 लाख से ज्यादा के कैश पेमेंट या ₹10 लाख से ज्यादा के ऑनलाइन पेमेंट पर भी डिपार्टमेंट नजर रखता है.
  • विदेशी मुद्रा की बिक्री: अगर किसी ने सालभर में ₹10 लाख या उससे ज्यादा की विदेशी मुद्रा बेची या खरीदी है, तो इसकी जानकारी भी टैक्स विभाग को दी जाती है.
  • क्यों जरूरी है सही जानकारी देना?: अगर आप सही और पारदर्शी तरीके से अपनी ट्रांजेक्शन की जानकारी देते हैं तो इनकम टैक्स नोटिस से बच सकते हैं. अन्यथा डिपार्टमेंट के पास AIR और SFT के जरिए आपके हर बड़े लेन-देन का पूरा रिकॉर्ड होता है.

कौन-कौन सी ट्रांजेक्शन इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ट्रैक करता है?

प्रॉपर्टी, कैश लेन-देन, फिक्स्ड डिपॉजिट, म्यूचुअल फंड, शेयर, क्रेडिट कार्ड बिल, विदेशी मुद्रा आदि.

क्या हर बार PAN देना जरूरी है?

हां, हाई-वैल्यू ट्रांजेक्शन में PAN नंबर देना अनिवार्य है.

क्रेडिट कार्ड के कितने बिल पर डिपार्टमेंट नोटिस भेज सकता है?

₹1 लाख से ज्यादा के कैश पेमेंट या ₹10 लाख से ज्यादा के ऑनलाइन पेमेंट पर.

क्या म्यूचुअल फंड में ₹5 लाख के निवेश पर टैक्स नोटिस आ सकता है?

₹10 लाख या उससे ज्यादा के निवेश पर डिपार्टमेंट अलर्ट होता है, लेकिन ₹5 लाख भी अगर बार-बार किया गया तो ध्यान में आ सकता है.

क्या विदेश यात्रा के लिए खरीदी गई विदेशी मुद्रा पर नजर रहती है?

हां, ₹10 लाख या उससे ज्यादा की विदेशी मुद्रा की खरीद-बिक्री ट्रैक होती है.

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