बिहार का बौंसी मेला, जहां मंदार तराई में दर्शन देने आते हैं विष्णु भगवान, राक्षस को दिया वरदान है वजह

संजीव पाठक, बौंसी: पूर्वी बिहार का बौंसी मेला सिर्फ एक आयोजन भर ही नहीं है बल्कि इस मेले की अपनी कई सांस्कृतिक, धार्मिक और ऐतिहासिक पहचान भी रही है. यह मंदार क्षेत्र की लोक संस्कृति का दर्पण भी है. अंग क्षेत्र के इस मेले को अंग, बंग और संथाल लोक संस्कृति का संगम भी कहा जाता है. वहीं इस मेले का संबंध मधुसूदन, मंदार पर्वत और मकर संक्रांति से भी है. मकर संक्रांति के मौके पर मंदार तराई स्थित पापहारिणी सरोवर में मकर स्नान करने के लिए लाखों की संख्या में श्रद्धालु उमड़ते हैं.

भगवान मधुसूदन मंदार तराई पहुंचते हैं

मकर संक्रांति के दिन श्रद्धालुओं के साथ-साथ अपने प्रजा को दर्शन देने के लिए भगवान मधुसूदन मंदार तराई पहुंचते हैं. हालांकि इसके पीछे दैत्य मधु को दिया गया वरदान भी है. दूसरी ओर सफा आदिवासी मतावलंबी मंदार पर्वत को अपना सर्वोच्च मानते हैं तो आचार्य भूपेंद्र नाथ सान्याल की तपोभूमि गुरुधाम बांग्ला समाज के लोगों के लिए धार्मिक और ऐतिहासिक तीर्थ स्थल के साथ-साथ आध्यात्मिक केंद्र भी है. सनातन धर्मावलंबियों के लिए मंदार जैसे परम तीर्थ है. वहीं जैन धर्म के लोग भी अपने आराध्य वासु पूज्य की निर्वाण स्थली भी इसे मानते हैं.

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पुराण काल से होती आ रही पूजा

मंदार क्षेत्र के भगवान मधुसूदन जो विष्णु स्वरुप है उनकी पूजा अर्चना यहां पुराण काल से होती आ रही है. विष्णु और शिव मंदार क्षेत्र के लोगों के आराध्य हैं. इन तीनों ही समाज के लाखों लोगों की एक साथ उपस्थिति और उत्सव का नाम है मकर संक्रांति पर आयोजित होने वाला लोक सांस्कृतिक समारोह बौंसी मेला. मंदार क्षेत्र का यह मेला करीब 10 किलोमीटर की परिधि में फैला हुआ है. यहां आपको अंगिका, बांग्ला, संथाली सहित कई अन्य भाषाओं के बोल सुनाई पड़ेंगे. अलग-अलग परिधान और वेशभूषा में भी लोग यहां नज़र आयेंगे. लेकिन भगवान मधुसूदन, मंदार पर्वत और बौंसी मेला के प्रति आकर्षण सबके हृदय में एक समान देखने को मिलेगा.

यहीं भोजन करते हैं श्रद्धालु

मंदार तराई में जहां मकर संक्रांति के मौके पर अपने-अपने घरों से ले दही चूड़ा लाई को लोग खाना पसंद करेंगे. वहीं आदिवासी समाज के लोग मंदार तराई में अपने तरीके से भोजन बनाकर संथाली लोक संस्कृति का प्रतिबिंब पेश करते हैं.

मंदार क्षेत्र के राजा भगवान मधुसूदन की आज निकलेगी शोभायात्रा

मंदार क्षेत्र में राजा की तरह विराजमान करने वाले भगवान मधुसूदन की शोभायात्रा आज गाजे बाजे के साथ धूमधाम से निकाली जायेगी. आकर्षक गरुड़ रथ पर विराजमान होकर कर पंडितों के साथ-साथ श्रद्धालुओं की टोली उन्हें मंदार तराई स्थित फगडोल मंदिर तक ले जायेगी. मकर संक्रांति के मौके पर प्रत्येक वर्ष भगवान की शोभायात्रा निकाली जाती है. जानकारों की मानें तो इस शोभायात्रा का बौंसी मेले से काफी पुराना जुड़ाव है. किवंदती है कि विष्णु रूपी भगवान मधुसूदन द्वारा राक्षस मधु को दिये वरदान के कारण हर वर्ष मंदार जाने का काम भगवान करते हैं. पांच दशक से भी अधिक समय से यहां पर भगवान मधुसूदन की शोभायात्रा निकाली जा रही है.

गर्भ गृह से गोद में लेकर पुजारी निकलेंगे

आज दोपहर करीब 2 बजे के आसपास भगवान मधुसूदन को गर्भ गृह से गोद में लेकर पुजारी निकलेंगे और गरुड़ रथ पर विराजमान करेंगे. आगे-आगे संकीर्तनों की टोली, बैंड पार्टी के साथ-साथ भारी संख्या में सुरक्षा के लिए पुलिस कर्मी भी चलेंगे. दो घंटे की यह यात्रा श्रद्धालुओं को दर्शन देने के साथ मंदार तराई के पीछे स्थित अवंतिका नाथ फगडोल मंदिर पहुंचती है. जहां दर्शन देने के बाद वापस मधुसूदन मंदिर जाकर यात्रा समाप्त होती है. इस कार्यक्रम के लिए पंडा समाज के साथ-साथ प्रशासन के द्वारा तैयारियां पूरी कर ली गयी है.

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